RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
कहानी सुनाते-सुनाते मैंने रश्मि की ब्लाउज के सारे बटन खोल दिया, और उसके पट अलग कर उसके सुन्दर स्तनों को मुक्त भी कर दिया। रश्मि के झुके हुए चेहरे पर शरम वाली मुस्कान आ गयी थी और उसके उसके स्तनों और निप्पल के इर्द-गिर्द लालिमा भी आ चली थी। मैंने कहानी आगे जारी रखी,
“इस बात पर एक चतुर नौकर बोला, ‘राजकुमार, वह इसलिए क्योंकि यह लड़की काम-देवी है। इसके अन्दर कामाग्नि इतनी धधकती है की उसकी तपन से इसका रंग इतना गहरा हो गया है।‘ राजकुमार इस बात से दंग रह गया। उसने पूछा, ‘अगर यह बात सच है तो मुझे इन रखैलों की ज़रुरत ही नहीं! है न?’ नौकर ने सहमती दिखाई।
इस बात पर राजकुमार ने तुरंत ही उस लड़की से ब्याह कर लिया और बाकी सभी औरतों की छुट्टी कर दी। और अब दोनों सुहाग-सेज पर आ कर बैठ गए। राजकुमार बिना देरी किये अपनी पत्नी से सम्भोग करना चाहता था। उसने शीघ्र ही राजकुमारी के कपड़े उतार दिए।“
इतना कहते हुए मैंने भी रश्मि की ब्लाउज उतार कर अलग कर दी, और उसको खड़ा कर के साथ ही साथ साड़ी भी उतार दी।
“राजकुमारी ने नंगा होते ही राजकुमार को अपने आकर्षण और यौन-दक्षता से मस्त कर दिया। अगले तीस दिन और तीस रात तक पूरे राजमहल में उन दोनों की कामुक और आनंद भरी आहें सुनाई देती रहीं। राजकुमारी ने राजकुमार को पूरी तरह से तृप्त कर दिया। और जब दोनों राजकुमार के महल से बाहर निकले, तो दोनों पूरी तरह से निर्वस्त्र, राजकुमार अपने हाथ-पैर पर घोडा बना हुआ था और राजकुमारी उसकी सवारी कर रही थी। राजकुमार ऐसे ही घोडा बने हुए उसको अपने सिंहासन तक ले गया। राजकुमारी वहां जा कर खुद तो सिंहासन पर विराजमान हो गयी, लेकिन राजकुमार उसके पैरों के पास ही बैठा रहा।“
इस समय तक रश्मि पूर्ण निर्वस्त्र हो गयी थी और मैं उसकी योनि को अपनी उंगली से सहला रहा था। रश्मि ने सहज प्रतिक्रिया दिखा कर अपनी दोनों टांगों को सिमटा लिया था और मेरी उंगली उसकी टांगो के शिकंजे में फंसे हुए ही उसकी योनि को सहला रही थी। मैंने उसके होंठों को गहराई से कुछ देर चूमा, तब जा कर उसकी पकड़ थोड़ी ढीली पड़ी। मैंने फिर उसकी पूरी योनि को अपनी मध्यमा उंगली से सहलाया। रश्मि अब भारी साँसे भर रही थी और उसकी टाँगे भी कांप रही थीं। फिर भी मैंने उसको बैठने नहीं दिया और उसकी योनि को सहलाता रहा। उसकी योनि से अब काम-रस की भारी वर्षा होने लग गई।
मैंने कहा, “तो डार्लिंग, इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?”
“हंह?”
“इस कहानी से क्या शिक्षा मिलती है?”
“आआअह्ह्ह्ह.... आप... आह्हह.. आप बहुत बदमाश हैं! आह!”
“ये शिक्षा मिलती है?” कहते हुए मैंने अपनी उंगली जोर से उसकी योनि के अन्दर घुसा दी।
“आआह्ह्ह!” रश्मि चिहुँक गयी।
“आआह्ह्ह!” वह अपने उन्माद के चरम पर पहुँच रही थी। यह बात मुझे भी समझ आ रही थी इसलिए मैंने अब उसके भगनासे को भी अपने अंगूठे से छेड़ना शुरू कर दिया। रश्मि के दोनों हाथ मेरे दोनों कन्धों को पकडे हुए थे, उसकी आँखें बंद थीं और मुँह से कामुक आवाजें निकल रही थीं। मेरी उंगली के अन्दर बाहर आने जाने से वह उचक भी रही थी। कामाग्नि के कारण रश्मि के चेहरे पर पसीने की बूंदे चमकने लगी – उसकी साँसे छोटी, गहरी और धौंकनी जैसी चलने लगी।
“आह्ह्ह!” मैंने उसको कमर से पकड़ कर अपनी गोद में बैठा लिया, लेकिन उसकी योनि का मर्दन जारी रखा। रश्मि का पूरा शरीर कामोत्तेजना में कांप रहा था।
“उई माँ!” कह कर रश्मि का शरीर ऐंठ सा गया, और कराह की आवाज़ के साथ वह स्खलित हो गयी। रश्मि का पूरा शरीर ढीला पड़ गया – सर पीछे के तरफ ढलक गया और बाहें मेरे कन्धों से सरक कर निढाल गिर गयीं। योनि रस से मेरे जांघ पर पजामे का कपड़ा पूरी तरह से गीला हो गया। रश्मि अपने होंठ काट रही थी और अपनी साँसों को संयत करने, और अभी-अभी संपन्न हुए कन्मोनामाद सुख से वापस बहाल होने का प्रयास कर रही थी। जैसे-जैसे उसकी साँसे वापस आई, वैसे-वैसे वह शांत होने लगी – उसने अपनी भाषा में बहुत धीरे-धीरे कुछ कहा, जो मुझे समझ नहीं आया।
“ओ माँ! मैं तो मर गई!”
“आप हमारी बातों में माँ को क्यों लाती हैं - हमारे बीच का मामला है, हम ही सुलझा लेंगे? और..... अगर उन्होंने आपको ऐसे लुटते हुए देखा तो डर जाएँगी!” मैंने आँख मारते हुए चुटकी ली।
“धत्त!” रश्मि ने तुरंत प्रतिकार किया, लेकिन उसको लगा की शायद कोई गलती हो गयी, “सॉरी!” फिर उसको अपनी नग्नावस्था का आभास हुआ – मेरी बांहों में ढलक कर लेटने के कारण उसके स्तन आगे की ओर उठ गए। उसने झट से अपने हाथ से अपने स्तनों को ढक लिया – इस तथ्य के बावजूद की मैं अब तक उसके हर अंग-प्रत्यंग को देख, छू, चूम और प्यार कर चुका हूँ। फिर उसको अपने नितम्बों पर गीलेपन का आभास हुआ।
“अरे! आपका पजामा तो गीला हो गया। आई ऍम सॉरी!” कह कर वह मेरी गोद से उठने लगी।
“सॉरी? लेकिन मैं तो बहुत ख़ुश हूँ!” मेरा अर्थ समझ कर रश्मि पुनः शर्मा गई। उठने के बाद उसने देखा की मेरे लिंग ने मेरे पजामे में बड़ा सा तम्बू बनाया हुआ है।
“मैं इसको उतार दूं?” उसने पूछा, और मेरे हाँ कहने से पहले ही मेरे पजामे का नाड़ा ढीला करने लगी। मैंने भी अपने नितम्ब को थोडा सा उठा कर पजामा उतारने में उसकी मदद करी। पजामा उतारने के बाद उसने एक बार मेरी तरफ देखा, और फिर मेरा अंडरवियर भी उतारने लगी। मंद मंद मुस्कुराते हुए उसने फिर मेरे कुरते को भी उतार दिया। मुझे पूर्णतया निर्वस्त्र करने का उसका यह पहला अनुभव था।
“इसका.... क्या करें?” रश्मि ने आँख से मेरे पूरी तरह से तने हुए लिंग की तरफ इशारा किया।
“अभी नहीं... अभी सो जाते हैं। कल करते हैं?”
“ठीक है!”
हम दोनों ने बाथरूम में जा कर मूत्र त्याग किया और अपने गुप्तांगो को पानी से साफ़ किया और वापस बिस्तर पर आ कर नग्न ही लेट गए। रश्मि ने अपने आप को मुझसे लिपटा लिया – उसका सर मेरे कंधे पर, एक जांघ मेरी जांघ पर, एक स्तन मेरे सीने से सटा हुआ और एक बाँह मेरे सीने के ऊपर। मैंने रश्मि को सहलाते और पुचकारते हुए देर तक प्यार की बातें करता रहा और फिर पूरी तरफ अघा कर सो गया।
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