RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
रश्मि का सपना
रूद्र ने तेल से चुपड़ी अपनी दोनों हथेलियाँ मेरे स्तनों पर रख दी। उनके हाथों की छुवन मात्र से ही मेरे दोनों चूचक तन कर खड़े हो गए। रूद्र जितनी भी बार मेरे स्तनों को छूते हैं, लगता है की पहली बार ही छू रहे हों। उनके छूते ही मेरे पूरे शरीर में झुरझुरी दौड़ जाती है। मेरी साँसें तुरंत तेज़ हो गई – लाज के मारे मैंने अपनी आँखें बंद कर ली, और आगे होने वाले आक्रमण के लिए अपने मन को मज़बूत कर लिया।
उन्होंने पहले मेरे स्तनों पर अच्छे से हाथ फिराया, जिससे वे तेल से पूरी तरह से सन जाएं, और फिर धीरे धीरे स्तनों को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाना आरम्भ कर दिया। मुझे ऐसा लगा की सिर्फ चूचक ही नहीं, पूरे स्तन ही अपनी नाज़ुकता खोकर कड़े होते जा रहे हैं! रूद्र तो जैसे इन सब बातों से बेखबर थे – उनकी मेरे स्तनों पर हाथ फिराने, उनको सहलाने और मसलने की गतिविधि बढती ही जा रही थी। न चाहते हुए भी मेरी सिसकियाँ छूट गईं! मैं कितनी कोशिश करती हूँ की रूद्र के सामने मैं बेबस न होऊँ, लेकिन उनकी उपस्थिति, उनकी छुवन, उनकी बातें – मानो उनकी हर एक गतिविधि प्रेम भरा दंश हो। उनके प्रेमालाप आरम्भ करने मात्र से मेरे पूरे शरीर में काम का मीठा ज़हर फैलने लगता है। मैं अब तक अपना आपा खो चुकी थी और काम के सागर में आनन्द भरे गोते लगा रही थी। मुझे लूटने के तो उनके पास जैसे हज़ार बहाने हों – आज मालिश का है!
‘सीईई! आह! यह क्या!’ ऐसी निर्दयता से मत मसलो मेरे साजन! ये कोमल कलियाँ है, ज़रा बचा कर!
रूद्र पिछले कोई 10 मिनट से मेरे स्तनों की मालिश किये ही जा रहे हैं, और इस बीच उन्होंने उनको न जाने कितनी ही बार मसला, दबाया और रगड़ा होगा! सिर्फ इतना ही नहीं, बीच बीच में वो मेरे स्तनों को अपनी मुट्ठी में पकड़ कर अपने दूसरे हाथ की हथेली से मेरे चुचकों पर फिराते तो मेरी सिस्कारियां ही निकल जाती। रूद्र कुछ कुछ कह भी रहे हैं! क्या कह रहे हैं, कुछ भी समझ नहीं आ रहा है! मुझे तो लगता है की मेरे होश ही उड़ गए हैं! लेकिन उनकी बातो पर कुछ तो प्रतिक्रिया करनी ही पड़ेगी न! इसलिए मैं बेसुध सी आँखें बंद किये, हाँ... हूँ... और सिस्कारियां ले रही थी। मेरी साँसों की गति बहुत बढ़ गई है और मेरे स्तन भी उन्ही के ताल पर तेजी से ऊपर-नीचे हो रहे है!
रूद्र ने मेरे होंठों पर अपने होंठ लगा दिए हैं! उनके चुम्बन लेने का तरीका कितना अनोखा है! उनके होंठ और जीभ मेरे पूरे मुख की टोह ले डालते है! मुझे बहुत आनंद आता है और मैं भी उनके चुम्बनों का मज़ा लेने से नहीं चूकती... उन्होंने इस समय मेरे स्तन छोड़ रखे थे और एक हाथ से मेरी नंगी पीठ सहला रहे थे और दूसरे हाथ से मेरे बाल सहला रहे थे। आंखें बंद किये मैं उनके होंठों को चूमती और चूसती रही, और उनको जैसा जी चाहे करने देती रही। इस प्रकार के प्रेम-प्रसंग में जब भी मेरी आँखें खुलती हैं, तो मुझे बहुत लज्जा आती है। उनकी आँखों के वासना के लाल डोरे साफ़ दिख रहे हैं और चेहरे पर शरारती भाव स्पष्ट थे। उस अन्तरंग चुम्बन के बाद उन्होंने मेरी गर्दन पर हमला किया – यह संभवतः पहली बार था! एक दो मधुर चुम्बनों के बाद उन्होंने मेरी गर्दन पर अपने दांत ही गड़ा दिए – लेकिन ऐसे नहीं की मुझे कोई नुकसान हो... बल्कि ऐसे जिससे मेरे शरीर की आग और भी बढ़ जाय!
मेरी साँसें इस समय बहुत तेज़ चल रही थी और आँखों में खुमार सा आने लग गया। रूद्र ने मुझे अपनी बांहों में भर कर बिस्तर से उठा लिया, तो मैं भी अपनी बाहें उनके गले में डाल कर उनके आलिंगन में झूल सी गई। अनजाने ही सही, ऐसा करके मैंने उनके सामने अपने स्तन परोस दिए और उनको भोज का निमंत्रण भी दे दिया। और रुद ऐसे तो नहीं है की इस प्रकार के भोज निमंत्रण तो ठुकरा दें। उन्होंने मुझे एक हाथ (बाएँ) से पकड़ कर सम्हाला, और दूसरे (दाहिने) से मेरे बाएँ स्तन को पकड़ कर थोड़ा दबाया। ऐसा करने से मेरा निप्पल एकदम से बाहर निकल आया। उन्होंने उसको कुछ देर ऐसे निहारा जैसे की उसका मूल्यांकन कर रहे हों और फिर धीरे से अपने होंठ उस पर लगा दिए।
अपने शरीर के किसी अंग को किसी और के मुख में ऐसे कामुक ढंग से लीले जाते हुए देखना अत्यंत रोमांचक होता है। मेरे चूचक से एक काम की एक मीठी धारा निकली और वहां से होते हुए पूरे शरीर में बहने लगी। लज्जा और रोमांच के कारण मेरी आँखें मुंद गईं! रूद्र मेरे स्तन की धीरे-धीरे चुस्की लगा रहे थे और साथ ही साथ स्तन को मुँह में भरते भी जा रहे थे। कुछ ही देर में मेरे स्तन का ज्यादातर हिस्सा उनके मुँह में समां गया। कामोन्माद ने मुझे पूरी तरह से बेबस कर दिया था... मैं अब क्या कर रही थी, उस पर मेरा कोई भी नियंत्रण नहीं था।
मैं उनका सर अपने हाथों से पकड़ कर अपनी छाती की तरफ दबाने लगी। रूद्र ने भी ठीक उसी अनुरूप अपना आभार प्रकट किया। वे अब बारी बारी से मेरे दोनों स्तनों को चूम और चूस रहे थे - कभी वो उनको अपने मुँह में पूरा भर लेते तो कभी चूसते हुए मेरे चूचक अपने दांतों से हल्के से काट लेते! उनकी इन हरकतों से मेरी कराह, सिसकियाँ, किलकारी – या जो भी कुछ है – निकल जाती!
आश्चर्य की बात है की प्रहार मेरे स्तनों पर हो रहा था और प्रभाव मेरी योनि पर पड़ रहा था। कामरस की बारिश से बिस्तर पर बिछा चद्दर गीला हो चला था। रूद्र मेरे दोनों स्तनों पर प्रयोग पर प्रयोग किये जा रहे थे – वो कभी उनको चूमते, कभी मेरे चूचकों पर जीभ फिराते, कभी चाटते, कभी मसलते तो कभी दबाते। और तो और वो बीच-बीच में स्तनों को छोड़ कर मेरे होंठों पर जोरदार और अन्तरंग चुम्बन लेटे और फिर वापस अपने काम पर लग जाते। रूद्र को स्तनपान कराने की मेरे अन्दर ऐसी तीव्र इच्छा थी की मन में बस यही आया की मेरे दोनों स्तन मीठे मीठे दूध से भर जाएँ, और रूद्र जीवन भर उनका पान कर सकें! रूद्र के स्पर्श में वह जादू था की वो मुझे कुछ ही पलों में मतवाला बना देते। मैं इस कदर रोमांचित हो चली थी कि मैं उनकी गोद में ही उछलने लगी।
रश्मि की आँखें एक झटके से खुली।
‘कैसा सपना देखा! कितना कामुक! और कितना वास्तविक!’
इतना वास्तविक सपना की उसको अपने निप्पलों पर अभी भी मीठी मीठी पीड़ा महसूस हो रही थी। उसका हाथ उनको सहलाने के लिए अपनी छाती पर गया।
‘अरे! ये तो खुले हुए हैं!! और ये बाएँ तरफ?’ सोचते हुए रश्मि का ध्यान अपने बाएँ स्तन पर गया। इस निप्पल को चूसते हुए मैं सो गया था।
‘अच्छा, तो यह सब इन जनाब की कारस्तानी है! कोई सपना वपना नहीं था – सब हकीकत थी। लेकिन वह तेल...?’ सोचते हुए रश्मि ने अपने स्तनों की त्वचा पर उंगली फिराई, ‘नहीं.. यहाँ कोई तेल-वेल नहीं लगा है! सपने में क्या क्या सोच लिया मैंने!’ सोचते हुए रश्मि ने अपने शरीर का और जायजा लिया, लेकिन इतने ध्यान से की मेरी नींद न टूटे।
‘बस कुरता ही उतारा है – शलवार तो ज्यों की त्यों बंधी हुई है! लेकिन यह कुरता इन्होने उतारा कैसे की मुझे पता ही नहीं चला?! और... वहां तो जम कर गीलापन है! बदमाश...!!’ सोचते हुए रश्मि लजा गई, और प्यार से मेरे बालों में उँगलियों से सहलाने लगी। उसके इस संकेत पर मैं सोते हुए ही कुनमुनाया और पुनः उसके निप्पल का चूषण करने लगा। पांच छः बार चूसने के बाद पुनः मैं गहन निद्रा में लीन हो गया। मुझको ऐसे अबोधपन से ऐसी बदमाशी भरा काम करते देख कर रश्मि हौले से हँस दी और मुझे प्यार से अपने स्तन पर भींच कर पुनः सो गयी।
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