Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
12-17-2018, 02:06 AM,
#10
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
जैसा की मैंने पहले भी उल्लेख किया है, मेरा शरीर शरीर इकहरा और कसरती है। और उसमें से इतने गर्व से बाहर निकले हुए मेरा लिंग (गाढ़े भूरे रंग का एक मोटा स्तंभ, जिसकी लम्बाई सात इंच और मोटाई रश्मि की कलाई से भी ज्यादा है) देखकर वह निश्चित रूप से घबरा गयी थी। चड्ढी नीचे सरकाने की क्रिया में मेरे लिंग का शिश्नग्रछ्छद स्वयं ही थोड़ा पीछे सरक गया और लिंग के आगे का गुलाबी चमकदार हिस्सा कुछ-कुछ दिखाई देने लगा। रश्मि को मेरे लिंग को इस प्रकार देखते हुए देख कर मेरा शरीर कामाग्नि से तपने लग गया - संभवतः रश्मि भी इसी तरह की तपन खुद भी महसूस कर रही थी।

उसको अचानक ही अपनी कही हुई बात, अपनी स्थिति, और अपने साथ होने वाले क्रिया कलाप का ध्यान हो आया। उसने लज्जा से अपना मुंह तकिये में छुपा लिया। लेकिन उसका हाथ मुक्त था - मैंने उसको पकड़ कर अपने लिंग पर रख दिया। उसकी हथेली मेरे लिंग के गिर्द लिपट गई। घेरा पूरा बंद नहीं हुआ। मेरा संदेह सही था - रश्मि का हाथ तप रहा था। उसके हाथ को पकडे-पकडे ही मैंने अपने लिंग को घेरे में ले लिया और ऐसे ही घेरे हुए अपने हाथ को तीन चार बार आगे पीछे किया, और अपना हाथ हटा लिया। रश्मि अभी भी मेरे लिंग को पकडे हुए थी, हाँलाकि वह आगे पीछे वाली क्रिया नहीं कर रही थी। मेरे लिंग की लम्बाई का कम से कम आधा हिस्सा उसके हाथ की पकड़ से बाहर निकला हुआ था। लेकिन इस तरह से सजे हुए कोमल हाथ से घिरा हुआ मेरा लिंग मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

"जी.... हमें शरम आती है" उसने अंततः तकिये से अपना चेहरा अलग करके कहा। उसकी आवाज़ पहले जैसी मीठी नहीं लगी - उसमे अब एक तरह की कर्कशता थी - मैंने सोचा की शायद वह खुद भी उत्तेजित हो रही है। लिहाजा मैंने इस तथ्य को नज़रंदाज़ कर दिया।

"अपने पति से शर्म? ह्म्म्म ... चलिए, आपकी शर्म दूर कर देते हैं।" कहते हुए मैंने उसकी चड्ढी को नीचे सरका दी। मेरी इस हरकत से रश्मि शरम से दोहरी होकर अपने में ही सिमट गयी। कहाँ मैंने उसकी शरम मिटानी चाही थी, और कहाँ यह तो और भी अधिक शरमा गयी। कोई दो पल बाद ही मुझे उसका शरीर थिरकता हुआ लगा - ठीक वैसे ही जैसे सुबकने या सिसकियाँ लेते समय होता है। मारे गए..... संभवतः मेरी हरकतों ने उसकी भावनाओ को किसी तरह से ठेस पंहुचा दी थी।

"रश्मि ..." 

कोई उत्तर नहीं! मेरे मन में अब उधेड़बुन होने लगी - 'क्या यार! सब कचरा हो गया। एक तो यह एक छोटी सी लड़की है, और ऊपर से इतने धर्म-कर्म मानने वाले परिवार से। इसको आज तक शायद ही किसी लड़के ने छुआ हो। मेरी जल्दबाजी और जबरदस्ती ने सारा मज़ा खराब कर दिया।'

सारा मज़ा सचमुच ख़राब हो चला था - मेरा लिंगोत्थान तेज़ी से घटने लग गया। खैर अभी इस बात की चिंता नहीं थी। चिंता तो यह थी, की जिस लड़की को मैं प्रेम करता हूँ, वह मेरे ही कारण दुखी हो गयी थी। अब यह मेरा दायित्व था की मैं उसको मनाऊँ, और अगर किस्मत ने साथ दिया तो संभवतः सेक्स भी किया जा सके। मैं रश्मि के बगल ही लेट गया, और प्यार से उसको अपनी बाहों में भर लिया। थोड़ी देर पहले उसका तपता शरीर अपेक्षाकृत ठंडा लग रहा था। अच्छा, एक बात बताना तो भूल ही गया - मैं पलंग पर अपने बाएं करवट पर लेटा हुआ था, और रश्मि मेरे ही तरफ मुंह छुपाए लेटी हुई थी। 

"रश्मि ... मेरी बात सुनिए, प्लीज!"

उसने मेरी तरफ देखा - मेरा शक सही था, उसकी आँखों में आँसू उमड़ आये थे, और उसके काजल को अपने साथ ही बहाए ले जा रहे थे। 

"श्ह्ह्ह्ह .... प्लीज मत रोइये। मेरा आपको ठेस पहुचाने का कोई इरादा नहीं था। आई ऍम सो सॉरी! ऑनेस्ट! मैंने आपको प्रोमिस किया था की मैं आपको किसी भी ऐसी चीज़ को करने को नहीं कहूँगा, जिसके लिए आप रेडी नहीं हैं। शायद इसके लिए आप रेडी नहीं हैं। मैं आपको बहुत प्यार करता हूँ, और आपको कभी दुखी नहीं देख सकता।" 

ऐसी बाते करते हुए मैं रश्मि को चूमते, सहलाते और दुलारते जा रहा था, जिससे उसका मन बहल जाए और वह अपने आपको सुरक्षित महसूस करे।

मेरा मनाना न जाने कितनी देर तक चला, खैर, उसका कुछ अनुकूल प्रभाव दिखने लगा, क्योंकि रश्मि ने अपने में सिमटना छोड़ कर अपने बाएँ हाथ को मेरे ऊपर से ले जाकर मुझे पकड़ लिया - अर्ध-आलिंगन जैसा। उसके ऐसा करने से उसका बायाँ स्तन मेरी ही तरफ उठ गया। मेरा मन तो बहुत हुआ की पुनः अपने कामदेव वाले बाण छोड़ना शुरू कर दूं, लेकिन कुछ सोच कर ठहर गया।

"अगर आप चाहें, तो हम लोग आज की रात ऐसे ही लेटे रह कर बात कर सकते हैं।" 

उसने मुझे प्रश्नवाचक दृष्टि से देखा। 

"ऐसा नहीं है की मैं आपके साथ सेक्स नहीं करना चाहता - अरे मैं तो बहुत चाहता हूँ। लेकिन आपको दुखाने के एवज़ में नहीं। जब तक आप खुद कम्फ़र्टेबल न हो जाएँ, तब तक मुझे नहीं करना है यह सब ..." 

मेरी बातो में सच्चाई भी थी। शायद उसने उस सच्चाई को देख लिया और पढ़ भी लिया।

"नहीं ... आप मेरे पति हैं, और आपका अधिकार है मुझ पर। और हम भी आपको बहुत प्यार करते हैं और आपका दिल नहीं दुखाना चाहते। मैं डर गयी थी और बहुत नर्वस हो गयी थी।" उसकी आँखों से अब कोई आंसू नहीं आ रहे थे। 

'सचमुच कितनी ज्यादा प्यारी है यह लड़की!' मैंने प्रेम के आवेश में आकर उसकी आँखें कई बार चूम ली। 

"आई लव यू सो मच! और इसमें अधिकार वाली कोई बात नहीं है। हम दोनों अब लाइफ पार्टनर हैं – बराबर के। मैं आपके साथ कोई जबरदस्ती नहीं कर सकता हूँ।"

"नहीं..........” वह थोडा रुकते हुए बोली, “आपको मालूम है की मैंने कभी शादी के बारे में सोचा ही नहीं था। सोचती थी, की खूब पढ़ लिख कर माँ, पापा और सुमन को सहारा दूँगी। माँ और पापा बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन यहाँ पहाड़ो में उस मेहनत का फल नहीं मिलता। ...... लेकिन, फिर आप आये - और मेरी तो सुध बुध ही खो गयी। सब कुछ इतना जल्दी हुआ है की मैं खुद को तैयार ही नहीं कर सकी ..."

मैंने समझते हुए कहा, "रश्मि, मैंने आपसे पहले भी कहा है की मैं आपको पढने लिखने से नहीं रोकूंगा। मैं तो चाहता हूँ की आप अपने सारे सपने पूरे कर सकें। बस, मैं उन सारे सपनो का हिस्सा बनना चाहता हूँ।"

रश्मि ने अपनी झील जैसी गहरी आँखों से मुझे देखा - बिना कुछ बोले। उसने अपनी उंगली से मेरे गाल को हलके से छुआ - जैसे छोटे बच्चे जब किसी नयी चीज़ को देखते हैं, तो उत्सुकतावश उसको छूते हैं। "आपसे एक बात पूछूँ?" आखिरकार उसने कहा।

"हाँ .. पूछिए न?"

"आपके जीवन में बहुत सी लड़कियां आई होंगी? ... देखिये सच बताइयेगा!"

"हाँ ... आई तो थीं। लेकिन मैंने उनके अन्दर जिस तरह की बेईमानी और अमानवता देखी है, उससे मेरा स्त्री जाति से मानो विश्वास ही उठ गया था। शुरू शुरू में मीठी मीठी बाते वाली लड़कियों की हकीकत पर से जब पर्दा हटता है, तो दिल टूट जाता है। फिर मैंने आपको देखा ... आपको देखते ही मेरे दिल को ठीक वैसे ही ठंडक पहुंची, जैसे धूप से बुरी तरह तपी हुई ज़मीन को बरसात की पहली बूंदो के छूने से पहुंचती होगी। आपको देख कर मुझे यकीन हो गया की आप ही मेरे लिए बनी हैं - और आपका साथ पाने के लिए मैं अपनी पूरी उम्र इंतज़ार कर सकता था।" मेरे बोलने का तरीका और आवाज़ बहुत ही भावनात्मक हो चले थे।

यह सब सुन कर रश्मि ने मेरे चेहरे को अपने हाथों में ले लिया और मेरे होंठो पर एक छोटा सा मीठा सा चुम्बन दे दिया। 

"आई लव यू ...." उसने बहुत धीरे से कहा, ".... मैं आपसे एक और बात पूछूं? .... आपने ... आपने कभी.... पहले भी .... आपने कभी सेक्स किया है?" रश्मि ने बहुत हिचकिचाते हुए पूछा।

"नहीं ... मैंने कभी किसी के साथ सेक्स नहीं किया।"

यह बात आंशिक रूप से सच थी - ऐसा नहीं है की मैंने मेरी भूतपूर्व महिला मित्रों के साथ किसी भी तरह का कामुक सम्बन्ध नहीं बनाया था। मेरा यह मानना था की यदि किसी चीज़ में समय और धन का निवेश करो, तो कम से कम कुछ ब्याज़ तो मिलना ही चाहिए। इसलिए, मैंने कम से कम उन सभी के स्तनों का मर्दन और चूषण तो किया ही था। एक के साथ बात काफी आगे बढ़ गयी थी, तो उसके दोनों स्तनों के बीच में अपने लिंग को फंसा कर मैथुन का आनंद भी उठाया था, और एक अन्य ने मेरे लिंग को अपने मुंह में लेकर मुझे परम सुख दिया था। लेकिन कभी भी किसी भी लड़की के साथ योनि मैथुन नहीं किया।

मैंने कहना जारी रखा, "...... कुछ एक के साथ मैं क्लोस था, लेकिन उनके साथ भी ऐसा कुछ नहीं किया है। मेरा यह मानना है की फर्स्ट-टाइम सेक्स को एक स्पेशल दिन और एक स्पेशल लड़की के लिए बचा कर रखना चाहिए।"

........... रश्मि चुप रही ... लेकिन उसके चेहरे पर एक गर्व का भाव मुझे दिखा।

"और मैं सोच रहा था की वह स्पेशल दिन आज है .... क्या मैं सही सोच रहा हूँ?" मैंने अपनी बात जारी रखी।

रश्मि ने कुछ देर सोचा और फिर धीरे से कहा, "जी .....? हाँ ... लेकिन .. लेकिन मुझे लगता नहीं की 'ये' मेरे अन्दर आ पायेगा।"

"वह मुझ पर छोड़ दो ... बस यह बताइए की क्या हम आगे शुरू करें ..?" मैंने पूछा, तो उसने सर हिला कर हामी भरी।

मेरा मन ख़ुशी के मारे नाच उठा। बीवी तो तैयार है, लेकिन मुझे सावधानी से आगे बढ़ना पड़ेगा। इसके लिए मुझे इसके सबसे संवेदनशील अंग को छेड़ना पड़ेगा, जिससे यह खुद भी उतनी कामुक हो जाए की मना न कर सके। इसके लिए मैंने रश्मि के स्तनों पर अपना दाँव फिर से लगाया। जैसा की मैंने पहले भी बताया है की रश्मि के स्तन अभी भी छोटे थे - मध्यम आकार के सेब जैसे और उन पर गहरे भूरे रंग के अत्यंत आकर्षक स्तनाग्र थे। वाकई उसके स्तन बहुत प्यारे थे .... खास तौर पर उसके निप्पल्स। इतने प्यारे और स्वादिष्ट, जैसे कस्टर्ड भरी कटोरी पर चेरी सजा दी गयी हो। उसके स्तनों को अगर पूरी उम्र भर चूसा और चूमा जाए, तो भी कम है।

अतः मैंने यही कार्यक्रम प्रारंभ कर दिया। मैंने पहले रश्मि के बाएं निप्पल को अपनी जीभ से कुछ देर चाटा, और फिर उसको मुंह में भर लिया। रश्मि के मुह से हलकी सिसकारी निकल पड़ी। मैं बारी बारी से उसके दोनों स्तनों को चूसता जा रहा था। जब मैं एक स्तन को अपने होंठो और जीभ से दुलारता, तो दूसरे को अपनी उँगलियों से। साथ ही साथ मैंने अपने खाली हाथ को रश्मि की योनि को टटोलने भेज दिया। रश्मि के समतल पेट से होते ही मेरा हाथ उसकी योनि स्थल पर जा पहुंचा। उसकी योनि पर बाल तो थे, लेकिन वह अभी घने बिलकुल भी नहीं थे। योनि पर हाथ जाते ही कुछ गीलेपन का एहसास हुआ। कुछ देर तक मैंने उसकी योनि के दोनों होंठों, और उसके भगनासे को सहलाया, और फिर अपनी उंगली रश्मि की योनि में धीरे से डाल दी। मेरे ऐसा करते ही रश्मि हांफ गयी। उंगली मुश्किल से बस एक इंच जितनी ही अन्दर गयी होगी, लेकिन उसके यौवन का कसाव इतना अधिक था, की रश्मि को हल्का सा दर्द महसूस हुआ। उसके गले से आह निकल गयी।
Reply


Messages In This Thread
RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प ) - by sexstories - 12-17-2018, 02:06 AM

Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  Raj sharma stories चूतो का मेला sexstories 201 3,545,533 02-09-2024, 12:46 PM
Last Post: lovelylover
  Mera Nikah Meri Kajin Ke Saath desiaks 61 549,461 12-09-2023, 01:46 PM
Last Post: aamirhydkhan
Thumbs Up Desi Porn Stories नेहा और उसका शैतान दिमाग desiaks 94 1,251,185 11-29-2023, 07:42 AM
Last Post: Ranu
Star Antarvasna xi - झूठी शादी और सच्ची हवस desiaks 54 945,933 11-13-2023, 03:20 PM
Last Post: Harish68
Thumbs Up Hindi Antarvasna - एक कायर भाई desiaks 134 1,679,865 11-12-2023, 02:58 PM
Last Post: Harish68
Star Maa Sex Kahani मॉम की परीक्षा में पास desiaks 133 2,102,599 10-16-2023, 02:05 AM
Last Post: Gandkadeewana
Thumbs Up Maa Sex Story आग्याकारी माँ desiaks 156 2,988,198 10-15-2023, 05:39 PM
Last Post: Gandkadeewana
Star Hindi Porn Stories हाय रे ज़ालिम sexstories 932 14,178,722 10-14-2023, 04:20 PM
Last Post: Gandkadeewana
Lightbulb Vasna Sex Kahani घरेलू चुते और मोटे लंड desiaks 112 4,077,663 10-14-2023, 04:03 PM
Last Post: Gandkadeewana
  पड़ोस वाले अंकल ने मेरे सामने मेरी कुवारी desiaks 7 289,195 10-14-2023, 03:59 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 3 Guest(s)