RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
शुरू में उसका शरीर, होंठ, चेहरा - सब कुछ - एकदम से कड़ा हो गया, शायद नर्वस होने से ... लेकिन चुम्बनों की संख्या बढ़ते रहने से वह भी धीरे-धीरे शांत होने लगी। उसने मेरी आँखों में देखा, और फिर आँखें बंद कर के चुम्बन में यथासंभव सहयोग देने लगी। उसके होंठ गर्म और मुलायम थे - एकदम शानदार! चुम्बन करते हुए मैं अपनी जीभ को उसके मुंह में डालने का प्रयास करने लगा। संभवतः उसको यह बात समझ में आ गयी - उसने अपने होंठ ज़रा से खोल दिए। मैंने बहुत सावधानीपूर्वक अपनी जीभ उसके मुंह में प्रविष्ट कर दी। एक बात और हुई, उसने अपने हाथ अपने सीने से हटा कर, मुझे अपनी बाहों में भर लिया। रश्मि के मुंह का स्वाद बहुत अच्छा था - हलकी सी मिठास लिए हुए। मैं बयान नहीं कर सकता की यह अनुभव कितना बढ़िया था। यह एक कामुक चुम्बन था, जिसके उन्माद में अब हम दोनों ही बहे जा रहे थे। मेरे हाथ उसके चेहरे से हट कर उसकी कमर पर चले गए और वहां से धीरे धीरे उसके नितम्बों पर। मेरी उत्तेजना मुझे रश्मि को अपनी तरफ भींचने को मजबूर कर रही थी। मैंने उसको अपनी तरफ खीच लिया - मुझे अपने सीने पर रश्मि के स्तनों का एहसास होने लगा। इस तरह से रश्मि को चूमना और भी सुखद लग रहा था।
खैर, ऐसे ही कुछ देर चूमने के बाद हम दोनों के मुंह अलग हुए। मैंने रश्मि की कमर पर नज़र डाली - उसके पेटीकोट का नाड़ा ढूँढने के लिए। नाड़ा उसकी कमर से बाएं तरफ था, जिसको मैंने तुरंत ही खीच कर ढीला कर दिया। अब पेटीकोट उसके शरीर पर नाम-मात्र के लिए ही रह गया। इसलिए मैंने उसको उतारने में ज़रा भी देर नहीं की। लेकिन मेरी इस जल्दबाजी में रश्मि बिस्तर पर चित होकर गिर गयी। पेटीकोट के उतरते ही उसने अपना चेहरा अपने हाथों से ढक लिया - शायद अब उसको अपने स्तनों के प्रदर्शन पर उतना ऐतराज़ नहीं था, लेकिन ऐसी नग्नावस्था में वह मुझे अपना चेहरा नहीं दिखाना चाहती थी। मेरी आशा के विपरीत, रश्मि ने चड्ढी पहनी हुई थी। उसका रंग काला था। उसमे कुछ भी उल्लेखनीय नहीं था - बस रोज़मर्रा पहनी जाने वाली सामन्य सी चड्ढी थी - हाँ एक बात है - चड्ढी नयी थी। सामने से देखने पर उसकी चड्ढी अंग्रेजी के "V" जैसी, कमर की तरफ फैलाव लिए और वहां, जहाँ पर उसकी योनि थी, एक सौम्य उभार लिए हुए थी। रश्मि के नितम्ब स्त्रियोचित फैलाव लिए हुए प्रतीत होते थे, लेकिन उसका कारण यह था की उसकी कमर पतली थी। उसके शरीर का आकर वस्तुतः एक कमसिन, छरहरी और तरुण लड़की जैसा था।
मैंने और नीचे नज़र डाली। रश्मि के दोनों पाँव भी मेहंदी से आलिंकृत थे। दोनों ही टखनों में चांदी की पायलें थीं। उसके पैरों में मैंने ही बिछिया पहनाई थी। उसके दोनों पाँव की निचली परिधि लाल रंग से रंगे हुए थे। मेरी दृष्टि वापस उसके योनि क्षेत्र पर चली गयी। मेरा मन हुआ की उसकी चड्ढी भी उतार दी जाए - मेरे लिंग का स्तम्भन और कसाव बढ़ता ही जा रहा था, और मैं अब रश्मि के अन्दर समाहित होने के लिए व्याकुल हुआ जा रहा था। लेकिन मुझे अभी कुछ और देर उसके साथ खेलने का मन हो रहा था। मैंने पलंग पर रश्मि के काफी पास अपने घुटने पर बैठ कर, अपना कुरता उतार दिया। अब मैंने सिर्फ चूड़ीदार पजामा और उसके अन्दर स्लिम फिट चड्ढी पहनी हुई थी।
"रश्मि ..?" मैंने उसको आवाज़ लगाई।
"जी?" बहुत देर बाद उसने अपना चेहरा ढके हुए ही बोला।
"आपको मेरा एक काम करना होगा ...." मेरे आगे कुछ न बोलने पर उसने अपने चेहरे से हाथ हटा कर मेरी तरफ देखा।
"जी ... बोलिए?" मेरे कसरती शरीर को देख कर उसको और भी लज्जा आ गयी, लेकिन इस बार उसने छुपने का प्रयास नहीं किया।
"अपने हाथ मुझे दीजिये" उसने थोडा सा हिचकते हुए अपने हाथ आगे बढ़ाए, जिनको मैंने अपने हाथों में थाम लिया, और फिर अपने पजामे के कमर के सामने वाले हिस्से पर रख दिया।
"यह पजामा आपको उतारना पड़ेगा। आपके कपडे उतार-उतार कर मैं थक गया।" मैंने मुस्कुराते हुए उससे कहा।
उसने पहले तो थोड़ा सा संकोच दिखाया, लेकिन फिर मेरी बात मान कर इस काम में लग गयी। उसने बहुत सकुचाते हुए मेरे पजामे का नाड़ा ढीला कर दिया और मेरे पजामे को धीरे से सरका दिया। मेरी चड्ढी के अन्दर मेरा लिंग बुरी तरह कस जा रहा था, और अब मेरा मन था की लिंग को मेरी चड्ढी के बंधन से अब मुक्त कर रश्मि के नरम, गरम और आरामदायक गहराई में समाहित कर दिया जाए। मेरी चड्ढी के वस्त्र को बुरी तरह से धकेलते मेरे लिंग को रश्मि भी बड़े कौतूहल से देख रही थी।
"इसे भी ..." मैंने उसको उकसाया।
रश्मि को फिर से घबराहट होने लग गयी.. उसने न में सर हिलाया। यह देख कर मैंने उसके हाथ पकड़ कर जबरदस्ती अपनी चड्ढी की इलास्टिक पर रख दिया और उसको नीचे की तरफ खीच दिया। और इसके साथ ही मेरा अति-उत्तेजित लिंग मुक्त हो गया।
"बाप रे!" रश्मि के मुंह से निकल ही गया, "इतना बड़ा!"
रश्मि की दृष्टि मेरे कस के तने हुए लिंग पर जमी हुई थी।
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