RE: Chodan Kahani घुड़दौड़ ( कायाकल्प )
मैंने धड़कते दिल से रश्मि का घूंघट उठा दिया - बेचारी शर्म से अपनी आँखें बंद किये बैठी रही। अपने साधारण मेकअप और गहनों (माथे के ऊपरी हिस्से से होती हुई बेंदी, मस्तक पर बिंदी, नाक में एक बड़ा सा नथ, कानो में झुमके) और केसरिया सिन्दूर लगाई हुई होने पर भी रश्मि बहुत सुन्दर लग रही थी - वस्तुतः वह आज पहले से अधिक सुन्दर लग रही थी। उसके दोनों हाथों में कोहनी तक मेहंदी की विभिन्न प्रकार की डिज़ाइन बनी हुई थी, और कलाई के बाद से लगभग आधा हाथ लाल और स्वर्ण रंग की चूड़ियों से सुशोभित था। उसके गले में तीन तरह के हार थे, जिनमे से एक मंगलसूत्र था।
"प्लीज अपनी आँखें खोलो..." मैंने कम से कम तीन-चार बार उससे बोला तब कहीं उसने अपनी आँखें खोली। आखें खुलते ही उसको मेरा चेहरा दिखाई दिया।
'क्या सोच रही होगी ये? और क्या सोचेगी? शायद यही की यह आदमी इसका कौमार्य भंग करने वाला है।'
यह सोचकर मेरे होंठों पर एक वक्र मुस्कान आ गयी। ऐसा नहीं है की रश्मि को पाकर मैं उसके साथ सिर्फ सेक्स करना चाहता था – लेकिन सुहागरात के समय मन की दशा न जाने कैसी हो जाती है, की सिर्फ सम्भोग का ही ख़याल रहता है। रश्मि ने दो पल मेरी आँखों में देखा – संभवतः उसको मेरे पौरुष, और मेरी आँखों में कामुक विश्वास और संकल्प का आभास हो गया होगा, इसीलिए उसकी आँखें तुरंत ही नीचे हो गयीं।
"मे आई किस यू?" मैंने पूछा।
उसने कुछ नहीं बोला।
"ओके। यू किस मी।" मैंने आदेश देने वाली आवाज़ में कहा।
रश्मि एक दो सेकंड के लिए हिचकिचाई, फिर आगे की तरफ थोडा झुक कर मेरे होंठो पर जल्दी से एक चुम्बन दिया, और उतनी ही जल्दी से पीछे हट गयी। उसका चेहरा अभी और भी नीचे हो गया।
'भला यह भी क्या किस हुआ' मैंने सोचा और उसके चेहरे को ठुड्डी से पकड़ कर ऊपर उठाया।
कुछ पल उसके भोले सौंदर्य को देखता रहा और फिर आगे की ओर झुक कर उसके होंठो को चूमना शुरू कर दिया। यह कोई गर्म या कामुक चुम्बन नहीं था - बल्कि यह एक स्नेहमय चुम्बन था - एक बहुत ही लम्बा, स्नेहमय चुम्बन। मुझे समय का कोई ध्यान नहीं की यह चुम्बन कब तक चला। लेकिन अंततः हमारा यह पहला चुम्बन टूटा।
लेकिन, बेचारी रश्मि का हाल इतने में ही बहुत बुरा हो चला था - वह बुरी तरह शर्मा कर कांप रही थी, उसके गाल इस समय सुर्ख लाल हो चले थे और साँसे भारी हो गयी थी। संभवतः यह उसके जीवन का पहला चुम्बन रहा होगा। उसकी नाक का नथ हमारे चुम्बन में परेशानी डाल रहा था, इसलिए मैंने आगे बढ़कर उसको उतार कर अलग कर दिया। ऐसा करने हुए मुझे सहसा यह एहसास हुआ की थोड़ी ही देर में इसी प्रकार रश्मि के शरीर से धीरे-धीरे करके सारे वस्त्र उतर जायेंगे। मेरे मन में कामुकता की एक लहर दौड़ गयी।
"रश्मि?"
"जी?"
"आपको इंग्लिश आती है?"
"थोड़ी-थोड़ी ... आपने क्यों पूछा?"
"बिकॉज़, आई वांट टू सी यू नेकेड" मैंने उसके कान के बहुत पास आकर फुसफुसाती आवाज़ में कहा।
"जी?" उसकी बहुत ही भयभीत आवाज़ आई।
"मैं आपको बिना कपड़ो के देखना चाहता हूँ" मैंने वही बात हिन्दी में दोहरा दी, और उसको आँखें गड़ा कर देखता रहा। वह बेचारी घबराहट और शर्म के मारे कुछ भी नहीं बोल पा रही थी। मैंने कहना जारी रखा, "मैं आपके सारे कपड़े उतार कर, आपके निप्पल्स चूमूंगा, आपके बम और ब्रेस्ट्स को दबाऊँगा और फिर आपके साथ ज़ोरदार सेक्स करूंगा..."
मेरी खुद की आवाज़ यह बोलते बोलते कर्कश हो गयी, और मेरे शिश्न में उत्थान आना शुरू हो गया।
"ज्ज्ज्जीईई .. म्म्म मुझे बहुत डर लग रहा है" बड़े जतन से वह सिर्फ इतना ही बोल पाई।
"आई कैन अंडरस्टैंड दैट डिअर। मैं आपको किसी भी ऐसी चीज़ को करने को नहीं कहूँगा, जिसके लिए आप रेडी नहीं हैं।"
रश्मि ने समझते हुए बहुत धीरे से सर हिलाया। कुछ कहा नहीं।
मैंने उसकी लाल गोटेदार साड़ी का पल्लू उसकी छाती से हटा दिया। लाल रंग के ही ब्लाउज में कैद उसके युवा स्तन, उसकी तेज़ी से चलती साँसों के साथ ही ऊपर नीचे हो रहे थे। मेरा बहुत मन हुआ की उसके कपड़े उसके शरीर से चीर कर अलग कर दूँ, लेकिन मेरे अन्दर उसके लिए प्यार और जिम्मेदारी के एहसास ने मुझे ऐसा करने से रोक लिया। लिहाज़ा, मेरी गति बहुत ही मंद थी। वैसे मेरे खुद के हाथ कांप रहे थे, लेकिन मैंने यह निश्चय किया था की इस परम सुंदरी परी को आज मैं प्यार कर के रहूँगा।
मैंने उसकी साड़ी को उसकी कमर में बंधे पेटीकोट से जैसे तैसे अलग कर दिया और उसके शरीर से उतार कर नीचे फेंक दिया। इस समय वह सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में बैठी हुई थी। मेरी अगली स्वाभाविक पसंद (उतारने के लिए) उसका ब्लाउज थी। कितनी ही बार मैंने कल्पना कर कर के सोचा था की मेरी जान के स्तन कैसे होंगे, और इस समय मुझे बहुत मन हो रहा था की उसके स्तनों के दर्शन हो ही जाएँ। मैं कांपते हुए हाथ से उसके ब्लाउज के बटन धीरे-धीरे खोलने लगा। करीब तीन बटन खोलने के बाद मुझे अहसास हुआ की उसने अन्दर ब्रा नहीं पहनी है।
"आप ब्रा नहीं पहनती?" मैंने बेशर्मी से पूछ ही लिया।
रश्मि घबराहट और शर्म के मारे कुछ भी नहीं बोल पा रही थी। उसका चेहरा नीचे की तरफ झुका हुआ था, मानो वह उसके ब्लाउज के बटन खोलते मेरे हाथों को देख रही हो। उसकी तेज़ी से चलती साँसे और भी तेज़ होती जा रही थी। उसने उत्तर में सिर्फ न में सर हिलाया - और वह भी बहुत ही हलके से। खैर, यह तो मेरे लिए अच्छा था - मुझे एक कपड़ा कम उतारना पड़ता। मैंने उसकी ब्लाउज के बचे हुए दोनों बटन भी खोल दिए। उसकी त्वचा शर्म या उत्तेजना के कारण लाल होती जा रही थी। मैंने अंततः उसके ब्लाउज के दोनों पट अलग कर दिए, और मुझे उसके स्तनों के दर्शन हो गए।
रश्मि के स्तन अभी भी छोटे थे - मध्यम आकार के सेब जैसे, और ठोस। उसकी त्वचा एकदम दोषरहित थी। उन पर गहरे भूरे रंग के अत्यंत आकर्षक स्तनाग्र (निप्पल्स) थे, जिनका आकार अभी छोटा लग रहा था। महिलाओं के स्तन बढती उम्र, मोटापे, अक्षमता और गुरुत्व के मिले जुले कारणों से बड़े हो जाते हैं, और कई बार दुर्भाग्यपूर्ण तरीक से नीचे लटक से जाते हैं। लेकिन रश्मि इन सब प्रभावों से दूर, अभी अभी यौवन की दहलीज़ पर आई थी। लिहाज़ा, उसके स्तनों पर गुरुत्व का कोई प्रभाव नहीं था, और उसके निप्पल्स भूमि के सामानांतर ही सामने की ओर निकले हुए थे। रश्मि के स्तन उसकी तेज़ी से चलती साँसों के साथ ही ऊपर नीचे हो रहे थे। यह सारा नज़ारा देख कर मुझे नशा सा आ गया - वाकई इन स्तनों को किसी भी ब्रा की ज़रुरत नहीं थी।
"रश्मि ... यू आर सो प्रीटी! आप मेरे लिए दुनिया की सबसे सुन्दर लड़की हैं!" यह सब कहना स्वयं में ही कितना उत्तेजनापूर्ण था - खास तौर पर तब, जब यह सारी बातें सच थी।
मुझसे अब और रहा नहीं जा रहा था। उसके जवान, ठोस स्तनों पर मैंने अपने मुंह से हमला कर दिया। मेरा सबसे पहला एहसास उसके स्तनों की महक का था - आड़ू जैसी महक! उसके चिकने निप्पल्स पहले मुलायम थे, लेकिन मेरे चूसे और चुभलाए जाने से कड़े होते जा रहे थे। मेरे इस क्रिया कलाप का सकारात्मक असर रश्मि पर भी पड़ रहा था, क्योंकि उसके हाथों ने मेरे सर को उन्मादित होकर पकड़ लिया था। मैंने कुछ देर तक उसके स्तनों को ऐसे ही दुलार किया - लेकिन इतना होते होते रश्मि और मेरा, दोनों का ही, गला एकदम शुष्क हो गया। मैंने रुक कर पास ही रखे गिलास से पानी पिया और रश्मि को भी पिलाया। उसके बाद मैंने उसके ब्लाउज को उसके शरीर से अलग कर के ज़मीन पर फेंक दिया। ऐसा होते ही मेरी जान अपने में ही सिमट गयी और अपने हाथो से अपनी नग्नावस्था को छुपाने की कोशिश करने लगी। चूड़ियों और मेहंदी से भरे हाथो से ऐसा करते हुए वह और भी प्यारी लग रही थी। मैंने उसके हाथ हटाने की कोशिश नहीं की, लेकिन उसके चेहरे को अपने दोनों हाथों में लेकर उसके होंठों पर एक गहरा चुम्बन दिया, और फिर सिलसिलेवार तरीके से चुम्बनों की बौछार कर दी।
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