RE: Hindi Porn Story मेरा रंगीला जेठ और भाई
आज से कभी मैंने रमेश को इंतने ज्यादा समय तक चोदते अनुभव नहीं किया था, मेरे लिए ये बिलकुल नया अनुभव था ! मैंने जेठ जी की मेहरबानी का मन ही मन शुक्रिया अदा किया की उनके कारण मेरी चुदाई की मस्ती कई गुना बढ़ गई थी , नहीं तो शरमोशरम पूरी ज़िन्दगी बिना चुदे ही बीत जाती ! दिमाग में ये भी आता था की काश जेठ जी ने एक साल पहले ही मुझे चोद दिया होता , तो मैं एक साल पहले से मज़े ले रही होती ! रमेश मेरी पहली पसंद थे , अगर उनकी जिद न होती तो जेठ जी को मैं कभी पास फटकने नहीं देती , पर अब दोनों मुझे अच्छे लग रहे थे ! धक्के लगाते लगाते मैं सोच रही थी की जेठ जी को बुरा तो नहीं लगा होगा की मैं रमेश के साथ सोने चली आई ! रमेश अब हांफने लगे थे, हालाँकि चोद मैं रही थी पर उनमे जल्दी थकने की दिक्कत भी थी ! अब मैंने स्पीड बढ़ा दिया , रमेश को अच्छे से चूसने लगी ! रमेश अब पागलों जैसी हरकत करने लगे थे , कुछ बुदबुदा रहे थे , लेकिन स्पष्ट नहीं सुन पा रही थी ! मुझे लगा की शायद जोश में कुछ गन्दी बातें बोल रहें हैं,जो हमने पहले कभी एक दूसरे के सामने नहीं बोला ! मेरे मुंह से अचानक निकाल गया , जोर से रमेश , बहुत मज़ा आ रहा है , तुम्हारा लौड़ा बहुत हार्ड लग रहा है मेरी चूत में ,और चोदो ...और चोदो रमेश ! जोश में मैं शायद ज्यादा बोल गई , रमेश का गरम पानी अपने चूत में महसूस किया मैंने ! रमेश की पहुँच बहुत कम दूर तक ही थी ,क्योंकि जेठ जी ने अब टारगेट दूर कर दिया था ! जहाँ तक जेठ जी का लण्ड पहुँच जाता था , वहां तक तो किसी दूसरे का पहुंचना मुश्किल था , पर आज रमेश ने अपने जीवन की सबसे लम्बी दुरी नापी थी , और निढाल हो गए थे ! पानी छोड़ते ही रमेश का लौड़ा सिकुड़ गया था ,और फिसलकर मेरी चूत से बाहर आ गया था ! थोड़ा सा गरम पानी अब ठंढा होकर , उसकी जांघों पर गिरा था , जो मैंने अपनी नाइटी से पोछ दी ! रमेश के साथ ही बगल में मैं भी लेट गई ! आग तो भड़क उठी थी , पर रमेश के दमकल में उतना दम नहीं था की मेरी आग बुझा सके ! मैं छत की तरफ देख कर, सोचने लगी की अब क्या करूँ , आग कैसे बुझाऊँ ! एक ही उपाय था जेठ जी का, जो साथ वाले कमरे में लण्ड पकड़ कर बैठे होंगे , पिछले बारह दिनों में पहली बार मेरी चूत के बगैर उनको सोने के लिए जाना पड़ा था !मैं इसी उलझन में डूबी थी कि रमेश के खर्राटों से मेरा ध्यान भंग हो गया ! यात्रा की थकावट और ज़िन्दगी की सबसे मस्त चुदाई के कारण वो नींद में भी बहुत शांत और खुश लग रहे थे ! ऐसी चुदाई किसी को भी मिले तो सो के जागा आदमी फिर से सो जाए , और ये तो हर तरह से थक गए थे ! मैंने रमेश के ऊपर चादर डाला , और शर्म लिहाज़ को छोड़ , अपने चूत की प्यास बुझाने अपने दूसरे पति ,अपने जेठ जी के कमरे की तरफ चल पड़ी !
मैं लड़खड़ाते क़दमों से बिना किसी कपडे में जेठ जी के रूम में पहुंची ! जेठ का का रूम बंद नहीं था , हलकी रौशनी में वो बिस्तर पर आँख बंद किये चादर के अंदर लेटे थे ! लण्ड के पास की जगह ऊपर नीचे हो रही थी , हरकतों से लग रहा था कि शायद वो मुठ मर रहें हैं ! मैं बिना किसी आवाज़ किये उनके पास पहुंची . वो मेरा ही नाम बुदबुदा रहे थे और मुठ मार रहे थे ! मेरा जोश और भी दुगना हो गया था ! भैया मुझे पिछले १२ दिनों से दिन रात चोद रहे थे , आज एक रात मैं नहीं मिली तो मेरे नाम पर मुठ मार रहे हैं ! मैं जेठ जी को इतनी पसंद आई , मुझे पता नहीं था , लेकिन मैं उनके इस व्यवहार से बहुत खुश थी ! मैंने आहिस्ता से जेठ जी कि चादर खींच ली, जेठ जी बिलकुल नंगे लेटे थे , और हाथ में लण्ड लेकर ऊपर नीचे कर रहे थे ! मेरे चादर खींचते ही , उन्होंने अपनी आँखें खोल दी ! मुझे देखकर आश्चर्य और उलझन वाली नजर से देखने लगे ! मैंने बिना कोई समय गवाए उनके ऊपर आ गई और अपने आप को उनके लण्ड के ऊपर बिठा लिया ! तमतमाया लण्ड थोड़ी कठिनाई से मेरी चूत के अंदर घुसने लगा ! आज लण्ड कुछ ज्यादा ही मोटा लग रहा था , फंस फंस के अंदर जा रहा था ! आज हमें चूमा चाटी, गरम होने और लण्ड खड़ा करने कि जरुरत नहीं थी , क्यूंकि मैं पहले से ही रमेश से चुदकर बुरी तरीके से गीली होकर आ रही थी , और भैया ने मुठ मारकर लण्ड को पूरे मस्त कर के बैठे थे ! हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई और चुदाई ज्यादा शुरू हो गई ! भैया ने नीचे से धक्के लगाने शुरू कर दिए और लण्ड को उस मोकाम तक पहुँचाया जहाँ रमेश की पहुँच नहीं थी !सटा सट लण्ड गीली चूत के अंदर बाहर जा रहा था ! भैया को तो जैसे कोई बिछड़ी हुई चीज़ मिल गयी हो , ताबड़तोड़ शॉट लगा रहे थे ! जेठ जी ने करीब बीस मिनट तक मुझे घुड़सवारी कराइ , फिर मुझे बिस्तर पर घोड़ी बना दिया ! लण्ड को चूत के मुहाने रखकर सटाक से अंदर किया और घोडा दौड़ाने लगे ! मुझे लग रहा था की वाकई मैं किसी रेस में हिस्सा ले रही हूँ , सटाक ..सटाक..सटाक , जेठ जी का लण्ड मेरी चूत में दौड़ा चला जा रहा था , बीच बीच में मेरी गाँड को दोनों तरफ से थपकी दे रहे थे , जैसे घोड़े को चाबुक लगा रहे हों !भैया ने अब मेरी दोनों चूचियों को अपने दोनों हाथों में पकड़ लिया था ,और बहुत बेदर्दी से मसल रहे थे और अपनी ओर खीच रहे थे ! जेठ जी जिस तरह से मेरी चूचियाँ मसल रहे थे , अगर १० दिन पहले मसला होता तो मैं चीख पड़ती , लेकिन अब तो मन करता था की और जोर से मसलें ! मज़ा आ जाता था जब वो दोनों घुंडियों को मसलते थे !मैं पूरी तरह से अब जेठ जी की गुलाम हो गई थी ! मर्द अगर सही ढंग से औरत को चोदे , तो औरत कभी भी मर्द को आँख नहीं दिखा सकती है ! चुदाई में जो मज़ा है , वो दुनिया में और किसी चीज़ में नहीं ! अगर कोई मुझे भैया की रखैल भी कहे तो मुझे परवाह नहीं , जो सुख भैया से मिल रहा था , वो कहीं और से नहीं मिला !
अब मेरी टाँगें जवाब दे रही थी , मैं गिरने की हालत में थी , भैया का लण्ड एक दो बार फिसला , तो भैया ने मुझे पूरी तरह लेटने को कहा , पर अपना लण्ड नहीं निकला ! अब भैया मेरे ऊपर लेटे थे , और चूत में लण्ड पेल रहे थे ! दूर से कोई देखता तो लगता की गाँड मार रहे हैं !मेरी चूत के नीचे तकिया था जो अब पूरा गीला हो रहा था , जिससे मेरी जाँघों में लसलसाहट सी होने लगी थी !जेठ जी का लण्ड आज रुकने का नाम नहीं ले रहा था, बाहर अंदर इतनी तेजी से हो रहा था कि कमरा फच्च फच्च की आवाज़ से गूँज रहा था ! मेरी साँसे अब उखाड़ने लगी थी , ऊपर से भैया का बोझ ! जेठ जी का हाथ मेरी दोनों चुचिओं को अपने कब्जे में कर रखा था , और चूत में लण्ड सरपट दौड़ रहा था ! मेरी गांड पर बार बार भैया का झटका लग रहा था जिससे मेरी गुन्दाज़ गोल गोल गाँड उछल जाती थी , जिसकी थिरकन अगले चोट तक रहती थी !मुझे लगा शायद भैया मेरी गाँड भी मारेंगे, लेकिन चूत की ठुकाई ज्यादा हो जाने के कारण भैया अब छूटने वाले थे ! मैं तो दो तीन बार झड़ कर तकिये को पूरी तरह गीला कर चुकी थी ,भैया ने भी मेरी चूत में पानी की बौछाड़ कर दी ! आज भैया कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ रहे थे , पांच छह झटकों में उन्होंने अपने लण्ड की एक एक बून्द मेरी चूत में निचोड़ी और मेरे ऊपर निढाल हो गए ! मैं भी काफी देर तक यूँ ही लेटी रही, लेकिन भैया का बोझ सह नहीं पा रही थी ,इसलिए कसमसा रही थी ! भैया समझ गए , पुच्च से लण्ड बाहर निकाला और मेरे बगल में लेट गए !मैंने भी पलट कर अपने आप को सीधा किया और एक टांग को भैया के टांग पर रखकर अपनी साँसों पर काबू करने लगी ! ज्यादा देर तक मैं नहीं रुक सकती थी , मुझे वापस रमेश के साथ वापस अपने बिस्तर पर जाना था !भैया को मैंने खूब चूमा ,फिर बोली ,"भैया जा रही हूँ" ! भैया ने मुंह से कुछ नहीं बोला , बस मुस्करा कर प्यार से मेरी चुम्मियों का जवाब दिया और इशारे से जाने को बोला ! मैंने चादर में अपने चूत से बह रहे पानी को पोछा, और अपने कमरे की तरफ चल पड़ी ! मैं चौंक गई ये देखकर की भैया के रूम का दरवाज़ा थोड़ा खुला हुआ था,जबकि मुझे अच्छी तरह याद था की मैंने इसे अच्छी तरह लगाया था , क्योंकि मैं नहीं चाहती थी, कि रमेश के कमरे तक आवाज़ पहुंचे ! दरवाज़े से बाहर निकलते ही मुझे अपने पैरों में गीलापन लगा , झुक कर देखा तो ,वीर्य जैसी बूँदें थी ! अपने कमरे में आकर देखा रमेश हलकी हलकी खर्राटे ले रहे हैं ! मैंने अपने बिस्तर पर रखे नाइटी को उठा कर पहन लिया, अंदर तो कुछ पहना था नहीं , पेट के पास गीलापन महसूस हुआ, सूंघ कर देखा तो वीर्य जैसी ही खुशबू थी ! मैं आश्चर्य में पड़ गई ,रमेश और जेठ जी के अलावा यहाँ कोई भी नहीं है !मैं और जेठ जी करीब दो घंटे से चुदाई कर रहे थे , और मैं अच्छी तरह से खुद को पोछ कर आई थी जेठ जी के कमरे से ! अगर ये गीलापन मेरे और रमेश कि चुदाई का होता तो अब तक सूख चुका होता ! तो क्या दरवाज़े पर और मेरी नाइटी पर रमेश का ताज़ा वीर्य था ! कहीं रमेश ने दरवाज़े पर खड़े होकर मेरे और जेठजी कि चुदाई को तो नहीं देखा ? और फिर रमेश हमारी चुदाई को देखकर मुठ तो नहीं मार रहे थे ! छोटा भाई अपनी बीवी की चुदाई अपने बड़े भाई के साथ देखकर मुठ मारे, ये बात मुझे हज़म नहीं हो रही थी ! एक अजीब सी सिहरन मेरे पूरे बदन में फ़ैल गई , मैं सोच में डूब गई कि अब आगे क्या होने कि संभावना हो सकती है ! जेठ जी को दो दिन के बाद गावं वापस लौटना है , पता नहीं मेरी किस्मत में अब आगे क्या लिखा है !
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