RE: Hindi Porn Story मेरा रंगीला जेठ और भाई
मैं तेल लेने घर में चली गई ! भैया ने छत पर पड़े गद्दे को ठीक किया , एक पुरानी चादर डाल दी और पूरे नंगे होकर लेट गए !मैंने भी अपनी ब्रा और पैन्टी उत्तर दी और भइया के पीठ पर बैठ के , बादाम का तेल चुपड़ के अपने नाजुक हाथों से तेल लगाकर मालिश करने लगी ! थोड़ी देर बाद भैया पलट गए और मैं उनके लण्ड पर बैठ गई,और छाती और पैर वगैरह पर तेल लगाकर मालिश कर दी ! अब लण्ड की बारी थी , मैं भैया के पेट पर उनकी तरफ पीठ करके बैठ गई , लण्ड पर बहुत सारा तेल डालकर उसको मालिश करने लगी , अब भैया हरकत में आ रहे थे ! वो दीवार के सहारे आधे बैठे और आधे लेटे मुद्रा में थे ! भैया ने भी थोड़ा तेल लेकर मेरे पीठ पर लगाया , और पूरे पीठ और चूची तक सहलाने लगे ! मुझे अपने तरफ घुमा कर मुझे चूमने लगे , मुंह में जीभ डालकर चूसने लगे ! मैं समझ गई चुदाई होने ही वाली है !भैया बार बार तेल लेकर मेरे पीठ से ऊँगली को फिसलकर मेरे गाँड के छेद तक ले जाते और बचा हुआ तेल गाँड में घुसा देते और ऊँगली से अंदर तक पहुंचाते! मुझे उनके इरादे ठीक नहीं लग रहे थे , बड़ा अजीब सा लग रहा था ! चूमने चूसने की होड़ सी लग गई थी , मेरे और भैया के बीच , कोई एक दूसरे से पीछे नहीं रहना चाहता था , मैं गाँड उचका कर उनको चूमती और वो तेल से डूबी ऊँगली मेरी गाँड में घुसा देते ! एक हाथ से मेरी चूचियों का मसलना भी जारी था , अब भैया जोर की भी मसल देते थे ! पिछले दस दिनों में चूचियाँ भी साइज़ में बड़ी और थोड़ी ढीली हो गई थी ! मेरी चूत से लीकेज चालू था , चूमा चाटी के बीच ही भैया के लण्ड ने मेरी चूत में प्रवेश कर लिया था , मेरा मन थोड़ा हल्का हुआ , पर गाँड का डर अभी गया नहीं था क्योंकि भैया बार बार ऊँगली तेल में डुबोते थे और गाँड में घुसा देते थे ! गाँड का दर्द बढ़ गया था , भैया ने शायद ऊँगली बदल दी थी , छोटी ऊँगली की जगह अब मोटी वाली ऊँगली अंदर बाहर हो रही थी ! मुझे ऐसा लग रहा था की मेरी चूत कोई और लण्ड से चोदी जा रही है , और गाँड किसी और लण्ड से मारी जा रही है !
भैया को जल्दी नहीं होती थी चूत चोदने में, आराम से मेरी चूत चोदे जा रहे थे और गाँड में ऊँगली भी लगातार हो रही थी ! मैं भैया के ऊपर लेटी थी, थकावट सी होने लगी और मैं उनके सीने से चिपकने लगी ! अब भैया अपने दोनों हाथों से मेरी गाँड थामे थे ,और अपने लण्ड के ऊपर नीचे कर रहे थे , साथ में उनकी ऊँगली भी मेरी गाँड में आ जा रही थी ! मैं अब उनसे चिपक सी गयी थी अपने ऊपर वाले हिस्से से , भैया का लण्ड आराम से अंदर बाहर हो रहा था ! तेल की चिकनाहट से लण्ड बिलकुल आसानी से आ जा रहा था , भैया बीच बीच में लण्ड पूरा बाहर निकलते और दुबारा घुसा देते !
सब कुछ बड़े आराम से चल रहा था , की एकाएक भैया ने अपना लण्ड निकला , बहुत सारा तेल लण्ड पर डाला और ऊँगली को मेरे गाँड से निकाल कर , अपने लण्ड को गाँड में डाल दिया ! जेठ जी का सुपाड़ा अंदर जाते ही मेरी चीख निकल गई , सुपाड़ा ने मेरी गाँड निश्चित रूप से फाड़ दी होगी , मुझे ऐसा ही लग रहा था ! इतना तेल डालने के बाद भी गाँड में लण्ड फंस गया था , मेरे नाख़ून भैया के पीठ में चुभे होंगे , इतनी ज़ोर से मैंने दर्द सहा था ! लण्ड को हिलता डुलता न देख भैया थोड़ी देर के लिए शांत हो गए , और मेरे होंठों को चूसने लगे ! थोड़ी देर बाद दर्द थोड़ा काम होने लगा , और लण्ड की पकड़ थोड़ी ढीली सी लगी, यानी मेरी गाँड ने अब समझौता कर लिया था ,नए मेहमान से ! भैया मुझे गोद में लेकर उठ गए, थोड़ी चहलकदमी की , और वापस बिस्तर पर आ गए ! ये मेरी सोच से बाहर था की गाँड में लण्ड डालकर कोई टहल भी सकता है ! गद्दे पर मुझे डालकर , भैया ऊपर आ गए ! मैंने झुक कर देखा अभी आधा से ज्यादा लण्ड बाहर था , भैया से रिक्वेस्ट भी की कि फिर कभी , पर भैया ने अनसुनी कर दी ! भैया ने अब बचा हुआ तेल अपने लण्ड के ऊपर डाला , बिलकुल मेरे गाँड के जड़ में ! मैं तेल को अपने गाँड में रिसता महसूस कर रही थी ,और लण्ड भी धीरे धीरे अंदर जा रहा था ! भैया ने मेरी गाँड मारनी शुरू कर दी , धीरे धीरे अब आराम आने लगा था ! मेरे लिए चूत से ज्यादा दर्द गाँड मराने में हुआ था , अब मैं हर तरह से जेठ जी से चुद गई थी , जेठ जी ने चूत का सील तोड़ने के बाद अब गाँड पर भी अपनी मुहर लगा दी थी ! करीब दस मिनट तक गाँड मारने के बाद जेठ जी ने लण्ड निकल लिया और वापस चूत को दिखाया ! चूत ने बड़े प्यार से पुच्छ कि आवाज़ के साथ लण्ड का स्वागत किया ! अब तो हमारे बीच होड़ लग गई ! मैं भी गाँड का दर्द भूलकर चूत उछालने लगी ! घपा घप लण्ड अंदर बाहर हो रहा था और हम दोनों ही एक साथ पुरे जोर से कांपे और अपना अपना पानी चूत में जमा करने लगे ! इस लाजवाब चुदाई और गाँड मराई के बाद हम निढाल होकर गिर पड़े !
आज दोपहर को रमेश अमेरिका से वापस आ रहे थे ! सुबह जल्दी उठकर मैंने घर का सारा काम निबटाया ! भैया के वीर्य से लथपथ चादर और कपडे धुलने के लिए मशीन में लगा दिया ! रात की चुदाई से अभी तक बदन दुःख रहा था ! मैं सोच सोच कर दुखी हुई जा रही थी ,कि अब रमेश के घर में रहते भैया से कैसे चुद पाउंगी, और फिर भैया को गावं भी तो वापस जाना था ! कैसे सामना करुँगी मैं रमेश का , दो दो मर्द एक साथ एक ही घर में एक ही औरत के साथ कैसे निभा पाएंगे ! मुझे शर्म भी बहुत आ रही थी क्योंकि भैया ने रमेश की याद मुझे भुला सी दी थी ! मैं भैया के साथ चुदाई में इतना खो जाती थी कि रमेश का जब जिक्र होता था , तभी याद आते थे ! मैं रात में किसके साथ सोउंगी , इसकी उलझन सब से ज्यादा हो रही थी ! भैया के लिए चाय लेकर मैं उनको जगाने आ गई , भैया ने चाय टेबल पर रखकर मुझे बिस्तर पर खींच लिया !पहले तो जम कर चुम्मी ली और चूचियाँ दबाई , और फिर मुझे अपनी गोद में बिठाकर चाय पीने लगे ! मुंह में चाय की आखिरी चुस्की भरकर,भैया ने मेरे मुंह में डाल दी,और मुझे बेतहाशा चूमने लगे ! शायद उनको भी लग रहा था कि अब कुछ पता नहीं कब हो चुदाई ! भैया ने जब होंठ अलग किये तो मैंने पूछा कि अब क्या होगा ? अब हम कैसे चुदाई कर पाएंगे ? मैं आपके बगैर नहीं रह सकती , मेरी आँखें डबडबा गई ! भैया ने मेरे आंसू चूम लिए और बोले ," देखो मेरी जान , अलग तो मैं भी नहीं रह सकता ,हमें रमेश के आदेश का इंतज़ार करना पड़ेगा ! वैसे भी रमेश ने हमें जुदा होने के लिए थोड़े ही न मिलाया है !" मैं जेठ जी के आगोश में खो गई ! जेठ जी चुदाई को उतावले हो रहे थे , पर मैंने हाथ मुंह धोने को कह दिया और वापस काम में जुट गई !मेरी ब्रा जेठ जी उतार चुके थे , सिर्फ पैन्टी में मैं घर के काम निबटा रही थी ! जेठ जी ने बाथरूम से आवाज़ दी ,और तौलिया लाने को कहा ! बाथरूम का दरवाज़ा खुला था , मैं अंदर तौलिया देने चली गई , जेठ जी नंगे होकर पूरा लण्ड खड़ा कर के नहा रहे थे , मुझे पकड़ के अपनी बाँहों में खींच लिया ! मेरे कुछ बोलने से पहले ही जेठ जी ने अपने हाथ मेरे बदन पे फिसलने शुरू कर दिए ! शावर का पानी हम पर बरस रहा था ,और जेठ जी का लण्ड पुरे जोश के साथ मेरे पेट से रगड़ खा रहा था ! मेरी चूचियों को वो जोर जोर से मसल रहे थे , मानो अपने उँगलियों के दाग छुड़ा रहे हों ! होंठ से होंठ ऐसे चिपक गए थे कि जैसे अब अलग होंगे ही नहीं! मैं भी पूरी मस्ती में आ गई थी , जेठ जी का साथ दिल खोल के दे रही थी !जेठ जी ने मुझे अब बेशर्म कर दिया था , बातों के साथ साथ अब मेरी हरकतें भी सेक्सी हो गई थी ! जेठ जी का लण्ड तो मैं पकड़ के ही रखती थी ! इन बारह दिनों में ज्यादातर समय तो जेठ जी का लण्ड मेरी चूत में ही रहा था , जब बाहर भी होता था, तो मैं उनसे चिपकी ही होती थी!
जेठ जी अब बहुत बेताब लग रहे थे , मुझे दीवार की तरफ घुमा के थोड़ा झुकाया , और लण्ड को चूत में सरका दिया, अंदर से तो चूत गीली ही थी , पानी से भीगा लण्ड लसफसाते हुए अंदर चूत दीवार को रगड़ते हुए छलाँगें मारने लगा ! मैं दीवार पर हाथ रखकर अपने आप को सम्हालने कि कोशिश कर रही थी ! जेठ जी ने एक हाथ से मेरी कमर सम्हाल राखी थी और दूसरे हाथ से चूचियों को मसल रहे थे ! ऊपर से शावर का पानी गिर रहा था ,और चूत से रस टपक रहा था और बाथरूम के फर्श को चिकना कर रहा था ! भैया पूरे जोश के साथ चोद रहे थे , लगता था कि आज अगले एक हफ्ते की कसर निकाल लेंगे !भैया ने करीब आधे घंटे तक मुझे उलट पलट के जम के चोदा ! चुदाई का तूफान अब थमता सा दिख रहा था , भैया ने मुझे अपनी बाँहों में जकड लिया और रस की पिचकारी से मेरी चूत की दीवारों की पुताई करने लगे ! हम दोनों ही दो मिनट तक ऐसे ही साँसों पर काबू करते रहे ,फिर अच्छी तरह से चूत और लण्ड की सफाई कर के बाथरूम से बाहर आ गए ! मैंने बैडरूम में आकर भैया के हाथों ब्रा, पैन्टी, पेटीकोट और साडी पहनी ,और हल्का मेकअप भी कर लिया ! भैया भी अब पजामा कुर्ता में तैयार हो गए थे ! बैडरूम और घर को पूरा ठीक ठाक करने के बाद जैसे ही हम ड्राइंग रूम में आकर बैठे , हमारी कॉल बेल बज उठी..
रमेश को घर देखकर मैं उससे ख़ुशी से लिपट गई , पीछे जेठ जी खड़े मुस्करा रहे थे ! अब मैं बहुत उलझन में आ गई थी , दो दो पति मेरे सामने थे , किससे किस तरह पेश आऊँ कि दूसरे को बुरा न लगे ! पूरा दिन रमेश के साथ अमेरिका कि बातें और गिफ्ट देखने में बीत गया ! रमेश को अमेरिका और दिल्ली के समय के फर्क के कारण नींद सी आ रही थी , इसलिए शाम को हमने जल्दी जल्दी खाना खाया और सोने का कार्यक्रम बनाने लगे ! रमेश जिद कर रहे थे कि मैं जेठ जी के साथ सो जाऊं, पर मैंने मना कर दिया ,और रमेश के साथ ही सोने की ठान ली ! रमेश की अमेरिका से लायी हुई नायलॉन की नाइटी पहन कर मैं बिस्तर पर लेट गई ! आज रमेश के साथ चुदाई करने का मेरा बड़ा मन कर रहा था !रमेश सोने का बहाना बना रहे थे और मैं उनको चूमते जा रही थी ! रमेश ने आश्चर्य से मेरी तरफ देखा, क्योंकि पहले कभी मैंने पहल नहीं की थी !रमेश ने भी मेरे चुम्मियों का जवाब देना शुरू कर दिया ! बीच बीच में मेरे हनीमून के बारे पूछ लेते थे , मैंने मुस्करा के कह दिया की आपके साथ जो हनीमून था वो ज्यादा अच्छा था ! मैं नहीं चाहती थी कि वो हीन भावना के शिकार हों !फिर मुझे जेठ जी का भी कहा याद आया कि अगर रमेश में कॉन्फिडेंस लाया जाय, तो वो बेहतर सेक्स कर सकता है !
रमेश ने आगे बढ़कर मेरी चूची थाम ली, मैं ब्रा और पैंटी उतार के आई थी !चूची हाथ में लेते ही रमेश बोल पड़े , कितनी मुलायम हो गई है न तुम्हारे ब्रैस्ट इन दस दिनों में , अच्छा लग रहा है !समझ तो मैं भी गई थी कि रमेश मेरी चुचिओं को ढीला बता रहे थे , और होता भी क्यों न ; जेठ जी ने भी तो दिन रात चूचियों रगड़ रगड़ कर इसको ढीला कर दिया था ! चूमते चूसते मैंने एक हाथ से रमेश का लौड़ा पकड़ लिया , रमेश को बिजली का झटका सा लगा ! मैं भी जेठ जी का लण्ड पकड़ते पकड़ते अब बेशरम हो गई थी , और लण्ड पकड़ना तो बहुत आसान लगता था ! रमेश के लौड़े में एकदम से हरकत हुई थी , और वो सर उठा के खड़ा हो गया ! पहले मैंने रमेश को नंगा किया ,फिर अपनी नाइटी उतार फेंकी !रमेश को मैंने नीचे लिटा दिया , और उसको ऊपर से नीचे तक चूमने लगी ! रमेश के लौड़े से चिपचिपाहट आने लगी थी, मेरे बदन कि गर्मी को वो बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था !रमेश को चूमते चूमते मैं उसका लण्ड मुंह में लेने ही वाली थी, कि रुक गई ,क्योकि मुझे पता था कि इतना डोज़ वो बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे , और पानी निकाल बैठेंगे !हालाँकि मुझे ऐसा बार बार लग रहा था कि रमेश चाहते हैं कि मैं उसका लौड़ा अपने मुंह में लूँ ! अब मैं रमेश के होंठ , कान , छाती ,गर्दन को चूमने और चूसने लगी थी ! अब मैं जानती थी कि कहाँ चूमने से कितना मज़ा आता है , जेठ जी ने चोद चोद के मुझे एक्सपर्ट बना दिया था ! रमेश के ऊपर आते हुए मैं पूरी तरह से उसके ऊपर लेट गई थी , उसका लण्ड अभी तक झड़ा नहीं था और मेरे पेट के निचले हिस्से से रगड़ खा रहा था ! शादी के दिन से आज तक मैं कभी रमेश के ऊपर लेटकर कभी इस तरह का प्यार नहीं किया था ! मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं एक अनाड़ी को चुदाई सीखा रही हूँ ! मैंने रमेश के लौड़े पर बैठते हुए आहिस्ता से रमेश का लण्ड अपने चूत में सड़का लिया ! मैं गीली तो थी ही , और जेठ जी कि कृपा से रास्ते भी अब चौड़े हो गए थे ; जहाँ तक लण्ड जा सकता था ,एक ही बार में बिना कोशिश के घुस गया ! सच बोलूं तो मुझे ऐसा लगा कि जेठ जी ने ऊँगली की हो !लेकिन मैंने रमेश के लौड़े को अपने चूत में जाते ही एक चीख निकली ,जैसे मुझे बहुत दर्द हो रहा हो ! आज पहली बार मैं रमेश के ऊपर थी , और उसके लौड़े को अपने चूत में अंदर बाहर कर रही थी , जो पहले कभी नहीं हुआ ! रमेश ने पहले एक दो बार मुझसे ऊपर आने को कहा था ,पर मैं शर्मा के मना कर देती थी !रमेश के लिए सब कुछ नया अनुभव था,उत्तेजित भी बहुत ज्यादा लग रहे थे , पर ताज़्ज़ुब की बात ये थी की वो अभी तक स्खलित नहीं हुए थे !उनका ये जोश देखकर मुझे बहुत अच्छा लग रहा था , चूत से ज्यादा मज़ा उनको खुश देखकर आ रहा था ! रमेश ने अब मेरी कमर पकड़ ली थी ,और नीचे से धक्का देने की कोशिश कर रहे थे ! लेकिन वो खुलकर धक्का नहीं दे पा रहे थे , शायद झड़ जाने का डर लग रहा था !मैं भी बहुत बचा बचा कर धीरे धीरे धक्के लगा रही थी , और उसको ज्यादा से ज्यादा देर तक पानी निकालने से रोकना चाहती थी !
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