RE: Hindi Porn Story मेरा रंगीला जेठ और भाई
चंपा की चूत में लण्ड जाने की बात सुनकर मुझे ध्यान आया कि भैया ने मेरी चूत में भी लण्ड उतार दिया था ! भैया की बातों में मुझे पता भी न चला की उन्होंने कब मेरी ब्रा पैंटी उतार दी , कब उन्होंने अपना अंडरवियर उतारा और कब लण्ड घुसेड़ दी ! अब भैया अपने धक्कों से मुझे बता रहे थे कि कैसे चंपा कि चुदाई की ! बहुत जबर्दश्त चोद रहे थे जेठ जी , लगता है आज भी चंपा की चुदाई उनके दिलो दिमाग पर ताज़ा है ! इतने तेज धक्के मेरी चूत में ,पहले उन्होंने नहीं मारे थे ! लगता था फट जाएगी चूत ! दिन के उजाले में खुली छत पर अपने सगे छोटे भाई बीवी की चूत मारते हुए भैया वहशी लग रहे थे !हलकी बूंदा बन्दी भी शुरू हो गई थी ! जीभ हाथ और लण्ड के बहुत मंझे कलाकार थे जेठ जी , पूरे धुन में मेरी चूत की धुनाई कर रहे थे, होठों की चुसाई और चूचियों को पिलपिला बना रहे थे ! मेरी हालत ख़राब हो रही थी , चंपा के चक्कर में अपनी चूत का भोंसड़ा करवा बैठी थी !भैया की स्पीड बढ़ती जा रही थी , मेरा धैर्य जवाब दे गया , चूत से पानी की बौछाड़ होने लगी , भैया का लण्ड भी मेरे चूत के गरमागरम पानी में पिघल गया , और चूत के अंदर बाढ़ आ गया , बाहर बारिश भी तेज हो गयी थी ! गज़ब का माहौल था , चूत में गरम पानी और बदन पर बरसात का ठंडा पानी ! हम दोनों में किसी में भी हिम्मत नहीं थी की उठ पाएं, बस भीगते रहे भिगोते रहे ! चंपा की चुदाई की शुरुआत तो भैया ने बातों से की , पर मुझे चोद कर आगे की कहानी लाइव दिखाई ! जब तक बारिश हुई , हम एक दूसरे में घुसे हुए लेटे रहे ! जांघों के रस्ते वीर्य बारिश के पानी में बहता जा रहा था और हम बेसुध पड़े थे !
बारिश ख़त्म हो गई थी , अब हम वापस कमरे में आ गए थे !शाम को फिल्म देखने का प्रोग्राम बना , मैंने प्योर सिल्क की क्रीम कलर की साड़ी पहनी थी , साथ में साटन के ब्रा , ब्लाउज और पेटीकोट भी पहन लिया था , जेठ जी ने पैंटी पहनने से मना कर दिया था ! मुझे सजा हुआ देखकर जेठ जी गरम हो गए थे ! मैंने जब साडी पहनी भी नहीं थी , तो बाँहों में भर कर पूरा लिपस्टिक चाट गए थे , ब्लाउज भी चूची दबाने के कारण मसक गई थी ! दुबारा मेक अप ठीक करके , ऑटो लेकर पहले हमने मॉल में घूमने का मज़ा लिया , जेठ जी ने दवा की दुकान से कुछ दवा वगैरह खरीदी , और हम सिनेमा हॉल में आ गए ! कोई इंग्लिश पिक्चर थी , बहुत कम लोग ही थे, जो इधर उधर बिखर कर बैठे थे ! हम जहाँ बैठे थे वहां से दूर दूर तक कोई नहीं था , हमें देखनेवाला ! अँधेरा होते ही जेठ जी ने मेरी गर्दन के ऊपर से एक हाथ रखकर मेरी एक चूची थाम ली , और हलके हलके दबाने लगे ! मैंने भी अपना एक हाथ उनके लण्ड के ऊपर रख दिया ,और पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी ! जेठ जी अब तनाव में आ रहे थे , उन्होंने धीरे से अपनी पैंट खोलकर, अंडरवियर के साथ नीचे कर दिया ! अब लण्ड जोश में था , ताव मार रहा था, मेरे हाथ के स्पर्श से बहुत खुश हो रहा था !मेरे हाथ जेठ जी का लण्ड ऊपर नीचे कर रहे थे , और जेठ जी मेरी ब्लाउज के हुक खोलकर ब्रा के ऊपर से गोलाई नाप रहे थे !बीच बीच में हमारा ध्यान पिक्चर की तरफ भी चला जाता था , जब भी कोई सेक्स सीन चल रहा होता था ! भैया ने मेरी गर्दन घुमा कर किस करना शुरू कर दिया, मैं थोड़ा नीचे की तरफ खिसक गई , की दूर से भी किसी की नज़र हम पर न पड़े ! भैया अब एक हाथ से मेरी साडी के ऊपर से ही मेरी चूत टटोलने लगे थे , मैं अब उत्तेजित हो गई थी ! मैंने साडी पेटीकोट के साथ घुटनो से ऊपर उठा लिया , अब सिर्फ मेरी गाँड के नीचे साड़ी और पेटीकोट था , ऊपर का हिस्सा, जो अब नंगा था , जेठ जी के हाथों के हवाले हो गया था ! जेठ जी अब मेरी चूत का मसाज कर रहे थे , बीच बीच में उनकी ऊँगली चूत के अंदर भी चली जाती थी , मेरे मुंह से अब सी ..सी की आवाज़ आने लगी थी ! जेठ जी की ये खास बात थी कि एक ही समय उनकी ऊँगली ,हाथ , मुंह , जबान सब एक साथ पूरे परफेक्शन के साथ अलग अलग काम करती थी , और ऐसा लगता था कि सब अलग अलग आदमी कर रहे हैं ! हमारे गद्देदार सोफे जैसी कुर्सियों के बीच का आर्म रेस्ट ऊपर उठने वाला था , इसलिए अब हमें पूरी जगह मिल गयी थी ! ब्रा खुलने कि वज़ह से मेरी चूचियाँ लटक गयी थी , मैंने अब झुककर जेठ जी लण्ड मुंह में ले लिया , और जीभ को सुपाड़े पर फिराने लगी ! जेठ जी को मेरी इस तरह कि पहल बहुत अच्छी लगती थी , एकदम मस्त हो गए थे ! उनके हाथ मेरी चूची से दब गए थे , लेकिन उन्होंने अपना कार्यक्रम जारी रखा ! मै चाहती थी कि जेठ जी जल्दी से पानी छोड़ दें ,और मैं आज़ाद हो जाऊं , क्योकि इस तरह हॉल के अंदर मुझे ठीक नहीं लग रहा था ये सब ! कभी भी किसी के भी आने का डर था , और मैं ऐसी स्थिति से बचना चाहती थी , पर जेठ जी को ना नहीं कर सकती थी, इसलिए उनके हर एक्शन का पालन कर रही थी !मैं हाथ से जेठ जी के लण्ड ऊपर नीचे भी कर रही थी और चूस भी रही थी मुंह से ,जीभ से चाट भी रही थी ! मैंने हर तरह से कोशिश की,कि भैया का पानी निकल जाए ,लेकिन लण्ड झड़ने को राज़ी नहीं था ! मेरी चूत दो बार पानी छोड़ चुकी थी , मैं कमज़ोर भी महसूस कर रही थी !
भैया ने अब मुझे खड़ा कर दिया , मैंने सामने अपने साड़ी से अपनी नंगी चूचियों को ढक लिया था, उन्होंने मुझे अपने गोद में बिठाते हुए अपना लण्ड मेरी चूत में सरका दिया ! मेरी चूत बीच में ही फंस गयी थी , लण्ड आधा ही अंदर जा सका था ! मैंने आगे झुकते हुए , अगली सीट के ऊपर अपने हाथ टिका दिए थे ! भैया मुझे कमर से पकड़ कर ऊपर नीचे करने लगे , थोड़ी कोशिश के बाद मेरी चूत खुल गई और लण्ड अंदर बाहर होने लगा ! जेठ जी ने मुझे लण्ड पर उठने बैठने के लिए कहा और खुद मेरी चूचियों को दोनों हाथों से मसलने लगे ! हमेशा कि तरह , मेरे चूची कि घुंडी को अपने दो उँगलियों के बीच फंसा कर निचोड़ रहे थे ! मैं सटासट लण्ड अंदर ले रही थी , जैसे ही स्पीड कम होती , भैया चूची और घुंडी को बेदर्दी से मसल देते थे, और मैं अपनी रफ़्तार बढ़ा देती थी ! अब भैया के लण्ड का तनाव अचानक बढ़ गया था , चूची पर दवाब भी बढ़ा लग रहा था ! मैंने सर उठा कर परदे पर देखा , तो फिल्म में एक बूढ़ा सा आदमी एक बहुत ही खूबसूरत कमसिन कली कि चुदाई में लगा हुआ था ! यानी भैया चूत मेरी फाड़ रहे थे , पर ख्यालों में उस कमसिन कली को चोद रहे थे ! मर्दों में दूसरी औरत को चोदने की कितनी ललक होती है , एक हफ्ते भी नहीं हुए हैं मेरी सील तोड़े , पर अभी भी दूसरे की चाहत में लगे हैं ! मैं तो ये कहती हूँ कि औरत को अपने पति से असली चुदाई के मज़े लेने हों तो उसको इधर उधर भी मुंह मार लेने दे , ख्यालों में कोई और होगी पर चूत तो अपनी मस्त चुदेगी ! मैंने सोच लिया था कि ना ही रमेश को और ना ही जेठ जी को किसी के पास जाने से रोकूंगी ! सौ से ज्यादा चूतों का रस पीकर , जेठ जी का लण्ड अभी भी तगड़ा और औरतों को गुलाम बनाने वाला है ; ये तभी हो पाया जब उन्हें अलग अलग किस्म कि चूत की खुराक हमेशा मिलती रही ! पति का लण्ड तगड़ा रहे तो और क्या चाहिए औरत को !
जेठ जी धकाधक लण्ड पेले जा रहे थे , मेरी और जेठ जी की नज़र स्क्रीन पर ही टिकी थी , जेठ जी तो मानो उसी को चोद रहे थे , मेरी चूत मारने के बहाने ! फिल्म में बूढ़ा कांपता सा दिखा और लगा की अब जैसे पानी छोड़ने वाला है , मैंने भी अपनी चूत में गरम गरम वीर्य का अनुभव किया , मेरी चूत का पानी भी छूट रहा था ! भैया थोड़ी थोड़ी देर में झटके लगाकर अपना लण्ड मेरी चूत में निचोड़ दिया ,और प्यार से लण्ड बाहर निकाल लिया !लण्ड के बाहर निकलते ही लगा की अंदर से मोटे पानी की धार निकाल रही हो , वीर्य फर्श पर गिर कर फ़ैल गया , छींटे मेरे पाओं पर भी पड़े ! मैं दो मिनट तक वैसे ही खड़ी रही , चूत से रस को टपक जाने दिया , फिर अपनी सीट से आगे जाकर पेटीकोट से चूत पोछने लगी ! जेठ जी भी अब अलग हटकर पैंट पहन रहे थे ! अच्छे से साफकर मैंने अपनी ब्रा और ब्लाउज में अपनी चूचियों को भी सेट कर लिया और एक बार हॉल को ठीक से देखा ! लोग कम हो गए थे , जो थे वो भी दूर दूर अलग अलग बैठे थे , सब के सब ,लग रहा था की अपना अपना पानी निकालने में लगे थे ! हॉल में रुकने का अब मन नहीं कर रहा था , पूरी पेटीकोट गीली होकर टांगों से चिपक रही थी , लसर फसर पेटीकोट में अपने टांगों को सम्हालते हुए मैं और जेठ जी हॉल से बाहर आ गए ! बाहर ही डिनर करके , घर आकर एक दूसरे से चिपककर सो गए , भैया सोते सोते भी अपना लण्ड मेरी चूत में डालना नहीं भूले ! अब मुझे भी बिना अपनी चूत में जेठ जी का लण्ड डाले नींद कहाँ आती थी !
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