RE: Hindi Porn Story मेरा रंगीला जेठ और भाई
अब बस और नहीं , मैंने अपनी पूरी हिम्मत जुटाई और ऑंखें खोल दी !आँखें खोलते ही जैसे भूचाल आ गया !मैं पूरी जोर से चीखी.......भैया आप !लेकिन मेरी चीख में उतना जोर नहीं था कि वो आँगन के उस पार सो रहे लोगों तक पहुँच पाती , और फिर भइया ने अपना हाथ मेरे मुंह पर रख दिया था जिससे रूम में ही मेरी आवाज़ दब कर रह गई ! मैं कभी सोच भी नहीं सकती थी कि भैया मेरे साथ ऐसी हरकत कर सकते हैं !हैरानी कि बात ये थी कि मेरे जागने के बाद भी भैया को कोई डर या पछतावा नहीं था !मेरा मुंह उन्होंने बंद कर रखा था ! मेरी आँखों में आंसू थे ! भैया ने बोला , देखो सोना बेटा, अगर तुम चिल्लाओ नहीं तो मैं तुम्हारे मुंह पर से हाथ हटाउ ! मेरा मुंह गुस्से से लाल हो रहा था !भैया के भारी हाथ के कारण मेरा मुंह दर्द कर रहा था ! मैंने आँखों से ही उनसे रिक्वेस्ट किया , उन्होंने फिर पूछा 'चिल्लाओगी तो नहीं' ! मैंने पलकें झपका कर ना कहा !उन्होंने कहा 'प्रॉमिस ',और हाथ थोड़ा हल्का किया ,मैंने दबी जबान में बोला 'प्रॉमिस ! उन्होंने हाथ हटा लिया था !मैंने गिरगिराना शुरू कर दिया . भैया आप ये क्या कर रहें हैं ..मैं आपके छोटे भाई कि बीवी हूँ ,आप मेरे लिए पिता समान हैं !आप ऐसा मत कीजिये मेरे साथ !मुझे छोड़ दीजिये , मैं किसी से नहीं कहूँगी ,कि आपने मेरे साथ ऐसा किया !भैया ने कहा 'ठीक है, मैं तुम्हें छोड़ दूंगा लेकिन एक शर्त पर '!मुझे आपकी सब शर्त मंजूर है भैया , बस आप मुझे छोड़ दीजिये ! भैया बहुत शर्मिंदा लग रहे थे ,बोले 'देखो बेटा ,मैंने ऐसा क्यों किया ,ये मैं बाद में बताऊंगा तो शायद तुम मुझे माफ़ कर सको ! मैंने कल और आज तुम्हारे शरीर के हरेक अंग को छुआ है ,लेकिन तुम नींद में थी !मैं सिर्फ १० मिनट तुम्हारे जागते हुए तुम्हें महसूस करना चाहता हूँ , तुम्हारे साथ वो सब करना चाहता हूँ ,जो मैंने कल और आज किया है, तुम्हारी नींद में ! लेकिन जो भी मैं करूँगा वो अपने संतुष्टि के लिए करूँगा ,तुम उसमे बिलकुल शामिल न होना !अगर तुम्हारे शरीर ने मेरा साथ दिया , तो तुम शर्त हार जाओगी , और मैं समझूंगा की ये सब तुम्हें अच्छा लग रहा है ; फिर तुम वही करोगी जो मैं चाहूंगा ! और अगर तुम दस मिनट तक बगैर किसी उत्तेज़ना के चुप चाप लेटी रही तो ,मैं ज़िंदगी में कभी दुबारा तुम्हारी साथ ये सब नहीं करूँगा !
मैं बहुत असंजस में फँस गई थी , एक तरफ अपनी आत्मा को मारना था ,दूसरी तरफ भैया से हमेशा के लिए छुटकारा ! एक बात का तो मुझे पक्का यकीन था, मैं और मेरा शरीर, उनके किसी भी हरकत पर उनका साथ नहीं देंगे,क्यूंकि एक तो मुझे उनसे नफरत सी हो गई थी और दूसरा कि उनके घंटो चूमने चाटने के बाद भी मैंने अपने आप पर कंट्रोल रखा था और उनको ये पता नहीं लगने दिया था कि मैं जागी हुई हूँ !वैसे भी अगर मैं उनकी शर्त न मानती तो शायद वो अभी मेरी चुदाई कर दें ;और मुझे पता था कि मैं उनका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाऊँगी ! सब यही बोलेंगे कि बहू में ही बदचलन है ,नहीं तो जिस आदमी ने अपने परिवार कि भलाई के लिए शादी नहीं की ,वो भला कैसे छोटे भाई कि बीवी के साथ ऐसा कर सकता है !लोग तो ये भी कह सकते हैं कि तुम्हारे परिवार के लिए जिसने ज़िन्दगी सौंप दी ,उसके लिए तुम अपना शरीर नहीं सौंप सकी !
जल्दबाज़ी में मुझे कुछ नहीं सूझा.मैंने कह दिया ,"मुझे मंजूर है , लेकिन आप भी प्रॉमिस कीजिये कि मेरे शर्त जीतने पर मुझे कभी नहीं छुएंगे" ! मेरे बोलने के दौरान ही भैया ने मेरी नाईटी गर्दन से निकल कर अलग कर दी ,और पूरी तरह मेरे ऊपर लेट गए !उन्होंने मुझे चूमते हुए कहा प्रॉमिस और उनके होंठ मेरे होंठ से सिल गए और हाथ मेरे पूरे बदन को सहलाने लगे ! मैंने नज़र उठा कर देखा ,सुबह के चार बज़कर १० मिनट हो रहे थे !
भैया ने मुझे पूरी तरह से अपने कंट्रोल में कर लिया था ! मुझे चारों तरफ से घेर रखा था ! मैंने वादे के मुताबिक अपने आप को ढीला छोड़ दिया था !जो भी करना था , उनको ही करना था !मुंह को खुलवा के उन्होंने अपनी जीभ अंदर डाल दी ! मैंने अपनी जीभ अंदर खींच रखी थी !उन्होंने मेरे मुंह पर दवाब बनाया और मेरी जीभ को अपने जीभ के बीचों बीच रखकर चूसने लगे ! जब भी में जीभ हटाने का प्रयास करती , वो मुंह दबाकर विरोध करते और मैं ढीला छोड़ देती ! उनका दोनों हाथ मेरी दोनों चूचियों को हलके हलके मसल रहे थे ! उन्होंने अपना पूरा बोझ अपनी कोहनी और पैर पर बैलेंस किया हुआ था ,जिससे बीच में जगह बनी हुई थी और मैं दबा हुआ भी महसूस नहीं कर रही थी ! उनके विशाल गठीले शरीर के आगे मैं बिलकुल छुप सी गयी थी ! वैसे तो मैं भी बिलकुल दुबली नहीं थीं , पर मेरे शरीर पर कोई मोटापा नहीं था ! अपने फिगर, कपड़े और अपनी सफाई का मैं पूरा ध्यान रखती थी ! गावं आने से पहले ही मैंने पूरे बाल साफ़ किये थे ,बगल में और चूत के आसपास मैं रोज क्रीम लगाती थी ,जिससे वो बिलकुल मुलायम रहते थे ! मेरी चूची भैया के हाथों रौंदी जा रही थी ! भैया के हाथों में बिलकुल फिट हो गए थे ,जैसे उनके लिए ही नाप से बने हों ! मेरे चूचियों की घुंडियों को भैया ने अपने दो उँगलियों के बीच फसा लिया और उसको भी आहिस्ता आहिस्ता मसलने लगे ! कमाल का कंट्रोल था ,एक ही हथेली की ऊँगली अलग तरीके से काम कर रहे थे और हथेली अलग तरीके से !भैया दवाब भी इतना ही बना रहे थे ,जितना मैं बर्दाश्त कर पा रही थी ! कभी जान बूझ कर जोर से दबा देते थे , तो मेरी आह निकल जाती थी ! मेरे मुंह का सारा रस वो पीते जा रहे थे ! मैंने कभी इतनी गहरी किस नहीं की थी ! कभी कभी तो सांस रुकने लगती थी !एक साथ मेरे तीन अंग भैया का जुल्म सह रहे थे ! बदन कह रहा था कि ये हसीं पल कभी खत्म न हो , पर जमीर मुझे धिक्कार रहा था ! अभी मुश्किल से दो तीन मिनट बीते होंगे , और मैं टूटने के कगार पर थी , पर रमेश का ख्याल आते ही वापस अपने होश सम्हाल लेती थी ! अब भैया ने चूमना धीमा कर दिया था , होठ को धीरे से हटाकर मेरे गालों को चाटने लगे , फिर कान और गर्दन !जब वो कान के पीछे और गर्दन को चारो तरफ से चूमते चाटते थे , तो उनकी गर्म साँसे मुझे पागल कर देते थे !थोड़ी देर बाद वो चूचियो तक पहुंच गए ! कभी बायीं चूची तो कभी दायीं चूची मुंह में लेते और हल्का सा दांत मेरे निप्पल पर लगा देते ,मेरी सीत्कार निकल जाती थी ! मेरी चूत का तनाव बढ़ता जा रहा था, लगता था अभी बिस्फोट हो जायेगा ! चूत से पानी लगातार निकल रहा था ,जो मेरी जांघों से होकर बिस्तर गीला कर रहा था ! मेरे गोर चिट्टे बदन पर अब लाल लाल निशान बनने लगे थे !भैया जब भी चूची जोर से चूसते तो मुझे लगता कि अगर मेरा बच्चा होता तो मुझे ऐसा ही महसूस होता ! आज पहली बार मुझे पता लग रहा था कि मेरे बदन मुझे इतना सुख दे सकते है ! पूरी जिंदगी में जो नहीं मिला वो आज ५ मिनट में मिल गया था !जब भैया ने चूमना शुरू किया था तो रमेश मेरे दिमाग पर छाए हुए थे , पर अब वो बीच बीच में याद आ रहे थे और मैं अपना नियंत्रण बनाने कि कोशिश कर रही थी !
भैया अब बिस्तर पर बैठ गए थे, अपने दोनों पैर मोड़ कर ! मेरे दोनों पैर उन्होंने अपने दोनों तरफ फैला दिए और मेरी कमर के नीचे दो तकिये लगा दिए ! अब उनके मुंह के सामने मेरी चूत थी ! मैंने इससे ज्यादा शर्मिंदगी कभी महसूस नहीं किया था ! शायद मैं रमेश को भी ये नहीं करने देती !भैया नें कमर के नीचे हाथ डाल कर मेरे निचले हिस्से को ऊपर उठा लिया और भैया ने मेरी गुदा के छेद से नाभी तक जीभ फिरानी शुरू कर दी ! मैं एक खिलोने कि तरह उनके हाथ में थी ! कितनी ताक़त थी उनके हाथों में और उतनी ही नाजुक उनका स्पर्श था मेरे अंगो के लिए ! उनके चाटने से मेरी हालत पागलों वाली हो गयी थी ! चूर फड़फड़ा रहे थे ! हर स्पर्श से बदन सिहरन से भर जाता ! पूरा कमरा चाटने कि आवाज़ से संगीतमय हो गया था ! अब उन्होंने मेरे चूत को अपना निशाना बनाया !जीभ अंदर बाहर करने लगे !एक हाथ कि ऊँगली भी मेरे चूत के आस पास ही फिसल रही थी ! अचानक पता नहीं भैया ने कौन सी जगह छू दी, मुझे एक करंट सा अनुभव हुआ और मेरे चूत ने जोर से पानी का फौवारा मारा ! मुझे लगा ,जैसे मैंने झटके में जोर से पेशाब कर दिया हो !भैया का पूरा चेहरा भीग गया होगा , सोच कर ही मैं शर्म से मरी जा रही थी !पिछले कुछ देर में मुझे रमेश बिलकुल याद नहीं आये , पर जैसे ही भैया ने मुझे नीचे रखा , रमेश मेरी नज़रों के सामने महसूस होने लगे ! मैंने बहुत मुश्किल से अपने को सम्हालने कि कोशिश की, पर न तो शरीर काम कर रहा था , न ही मन ! आज मुझे समझ में आ गया था कि, औरत क्यों अच्छी चुदाई के आगे, लोक लाज की परवाह नहीं कर पाती है ! मैंने हल्का सा आँख खोलने कि कोशिश की ! दीवार पर टंगी घड़ी अभी भी ढाई मिनट का टाइम बचा हुआ बता रही थी ! मैं अब निराश होने लगी थी ! पता नहीं भैया अब क्या करने वाले है ! वैसे अगर वो इस वक़्त अपना लण्ड भी मेरी चूत के अंदर डाल देते , तो मैं शायद मन नहीं कर पाती ! लेकिन भैया की ये बात मुझे बहुत अच्छी लगी, कि उन्होंने अपना लण्ड अभी तक इन सब से अलग रखा था ! भैया अब मेरे बराबर करवट लेकर लेट गए थे ! एक हाथ को मेरे सर के पीछे से ले जाकर मेरी बायीं चूची को मुट्ठी में लेकर दबाने और सहलाने लगे ! दूसरा हाथ मेरी चूत पर हाथ फ़िर रहा था !फिर अचानक एक ऊँगली मेरी चूत में डाल दी ! मेरी चीख निकली पर तब तक उन्होंने जीभ मेरे मुंह में घुसेड़कर कर मेरे मुंह को बंद कर दिया ! फिर से एक साथ भैया के हाथ ,मुंह ,ऊँगली सब अलग अलग काम कर रहे थे !मैं हैरान थी कि , इतना परफेक्शन कितनी प्रैक्टिस के बाद आया होगा , वो भी एक बिना शादी किये हुए 45 साल के ऊपर के इंसान को ! मैं चुप चाप लेटी थी , फिर भी थक के चूर थी , और वो पुरे जोश के साथ लगे हुए थे ! एक बार ख्याल आया कि काश रमेश में ये सारे गुण होते , तो पराया मर्द मुझे हाथ लगाता, इससे पहले मैं जान दे देती !भैया ने अपनी कारवाही जारी रखी , कभी ये चूची तो कभी वो चूची ! कभी ऊँगली कि स्पीड बढ़ा देते और कभी घटा देते ! कभी उस अनजाने स्पॉट को दबा देते ! उन्होंने जीभ से मेरे मुंह के अंदर का कोना कोना चूस लिया था ! मुझे पता भी न चला कि मैं मस्ती में सीत्कार मार रही थी ,भैया के जीभ को चूस रही थी और एक हाथ से भैया कि पीठ को सहला रही थी !सब कुछ अपने आप चल रहा था , मुझे कुछ पता नहीं था कि मेरे साथ क्या हो रहा है , कौन सी शर्त थी और हार जीत पर क्या होना था !फिर अचानक चूत में एक जोर का भूचाल आया और सबकुछ शांत सा हो गया ! भैया ने हलके से जीभ बाहर निकली ,और मेरे कान में बोले, सोना बेटा, तुम शर्त हार गयी हो ! मैं जैसे बेहोशी से जागी ! मुंह से मुश्किल से निकला कैसे ? भैया बोले , बेटे मैंने तुम्हारे अंदर सिर्फ ऊँगली रखी है ! मुझे झटका सा लगा , ध्यान दिया तो महसूस हुआ कि भैया कि ऊँगली मेरी चूत में स्थिर है और मैं नीचे से उसे अंदर बाहर कर रही हूँ !फिर ध्यान में आया कि मैं भैया कि पीठ भी सहला रही हूँ ! मैं जैसे नींद से जागी , निराशा भरी नज़रों से भैया को देखा और हारे हुए जुआरी कि तरह सर झुका लिया,अभी भी ३० सेकंड बचे थे !अब मैं समझ गयी कि भैया ने मुझे छल से जीत लिया था !
|