RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
पहले तो मैं उसकी बात सुनकर बहुत हंसा लेकिन जब अरुण ने इशारा करके चुप रहने को कहा तो मैं ऐसे सीरीयस हुआ जैसे कि मुझपर किसी ने गन तान के रखी हो और बोल रहा हो कि"ले बेटा अब हंस कर दिखा...."
"तू कहना क्या चाहता है....तू कहीं का तुर्रमखाँ है क्या...सबको ये झेलना पड़ता है ,बीसी क्या हमने नही झेला ये सब...बेटा हमारा टाइम पर तो नंगा करके छत पर ले जाते थे और लाइन मे खड़ा करके एक-दूसरे के लुल्ली हाथ मे पकड़वा कर बोलते थे...लो बेटा ट्रेन चलाओ...."उसको बैठाकर अरुण बड़े शान से बोला, जबकि इसमे शान वाली कोई बात नही थी....
"बात वो नही है कि उसने मुझे मारा....लेकिन उसने मुझे नींद से उठाकर मारा ,बात ये है....सामान मेरा सब पॅक है, बस आपको बताने आया था...."
"ना दिल पे ले ,ना मुँह मे ले...लंड मे ले और जाकर अपना सामान वापस रख दे..."
"फ़ायदा क्या, आज रात फिर कोई दूसरा आएगा और फिर मारेगा..."
"तो हमलोग मर गये है क्या...अब से कोई भी आए तो बोल देना कि मिस्टर.अरमान से मिल ले..."
"तू क्या कही का तोपचंद है जो तेरा नाम ले...मेरा नाम लेना बे...बोल देना कि'यदि तुम लोगो ने मुझे छुआ भी तो अरुण तुमलोगो की मदर फक्किंग कर देगा...."
"अरमान बोलना बे, ज़्यादा पवर है इस नाम मे....इस झाटुए को तो कोई पहचानता भी नही..."
"यदि तूने इसका नाम लिया,तो अगले दिन से मैं तुझे मारूँगा..."
"इधर सुन बे..."अरुण का हाथ मरोड़ कर मैने कहा"ए आर यू एन= 4 लेटर और आ र म आ न=5 लेटर...मेरे नाम मे ज़्यादा दम है...तू जा अपना सामान वापस वही रख दे जहाँ से उठाया था....बाकी मैं देख लूँगा...."
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उस लड़के के जाने के बाद अरुण ने फिर से आराधना का टॉपिक छेड़ा...
"यार आराधना की चूत दिलाना, एक खंबा दूँगा...."
" दुनिया चाँद पर पहुच गयी और तू अबतक चूत पर अटका हुआ है....चल जल्दी ,कॉलेज के लिए लेट हो रहे है..."
हमलोग एक दम टाइम पर कॉलेज पहुँचे थे या फिर कहे कि थोड़ा पहले ही पहुच गये थे...टीचर लापता था इसलिए टाइम पास करने के लिए इधर-उधर की फालतू बाते कर रहे थे...जैसे कि'अबे उस लड़की की गान्ड देख चोद-चोद कर चूतड़ का चबूतरा बना दिया है...रंडी है लावदि..माँ-बाप ने यहाँ बी.टेक करने भेजा है और ये यहाँ सी.टेक कर रही है....."
मेरी नज़र एक दूसरी लड़की की गान्ड पर जा टिकी और मेरे मुँह से अनमोल वचन निकालने ही वाले थे कि दरवाजे पर दस्तक हुई और किसी ने मेरा नाम पुकारा.....मैं उस समय फुल जोश मे था इसलिए बिना दरवाजे की तरफ देखे मैं ये बोल गया कि'बाद मे आना टाइम नही है' लेकिन फिर मुझे लगा कि ये आवाज़ किसी लड़की की है और फिर मेरे सिक्स्त सेन्स ने मुझे उस आवाज़ की पहचान एश के रूप मे करती,तब मेरी फटी और मैं धीरे-धीरे, स्लो मोशन मे अपना प्यारा सा मुखड़ा दरवाजे की तरफ किया और खड़ा होकर अरुण पर चिल्लाया...
"बोला ना बे तुझे कि बाद मे ये सब बताना ,अभी मेरे पास टाइम नही है...एश तुम एक मिनट. रूको,मैं अभी आया...."
(ये पक्का आज मुझे आइ लव यू बोलेगी, आइ नो शी लव्स मी, लेकिन कहने मे शरमाती है...हाउ स्वीट
जब एक कसाई के बकरे को अच्छा खाना मिलने लगता है तो वो बकरा बहुत खुश होता है और सोचता है कि उसका मालिक कितना अच्छा है ,जबकि कहानी इसके ठीक उलट होती है जिसका अंदाज़ा उस बकरे को थोड़े दिनो बाद लगता है,जब उसके काटने की बारी आती है....
कॉलेज के उन अंतिम दिनो मे मेरा भी हाल कुच्छ उसी बकरे की तरह था जिसे भरपूर खाना मिल रहा था.मेरे जैसे लौन्डो की सबसे बड़ी डिमॅंड होती है चूत...बीसी रात यही सोचते-सोचते गुज़ार देते है कि कहीं से चोदने को मिल जाए .लेकिन मेरी डिमॅंड थी रूम और मेरी रात ये सोचते-सोचते गुजरती थी कि बीसी अब किसका रूम जुगाड़ किया जाए ताकि आराधना को चोद सकूँ.....खैर कहानी मे आते है....
उस टाइम जब मैं एश के साथ बाहर आया तो मुझे ये तो पक्का यकीन था कि कुच्छ ना कुच्छ लफडा है इसलिए मैं फ्लॅशबॅक मे गया और याद करने लगा कि अबकी बार मैने क्या किया ,जो एश जानेमन मेरा पता ढूंढते-ढूंढते मेरे क्लास तक पहुच गयी.....
"कुच्छ बकेगी भी ,सॉरी मेरा मतलब कुच्छ बोलेगी भी कि ऐसे ही साइलेंट मोड मे रहेगी....कहीं तू मेरा खून तो नही करने वाली ना..."
"मन तो मेरा यही करने का कर रहा है, लेकिन प्राब्लम ये है कि मेरे पास चाकू नही है,वरना खून तो कब का हो चुका होता..."
"ओये चाकू मार के बेज़्ज़ती करेगी मेरी, पूरा का पूरा तलवार घुसेड़ना...फला कोई इज़्ज़त ही नही रखी...खैर,वो सब छोड़ और टॉपिक मे आ, "
"फेरवेल फंक्षन मे आंकरिंग करने के लिए जो-जो इंट्रेस्टेड है,उसे छत्रपाल सर ने बुलाया है...."
"तो मैने कब कहा कि मैं इंट्रेस्टेड हूँ...भाड़ मे जाए छत्रपाल और भाड़ मे जा तू,उूुुुउउ.....तुषार कपूर "
"छत्रपाल सर ने कहा है कि जिन्होने गोल्डन जुबिली मे आंकरिंग की थी ,उनमे से दो ग्रूप को सेलेक्ट करना है...और कसम से मुझे तुम पर इतना गुस्सा आ रहा है कि बता नही सकती....इसलिए अब सारी ज़िम्मेदारी तुम्हारी है , जाओ और कुच्छ भी करके हमारी टीम का सेलेक्षन कर्वाओ....वरना..."
"क्यूँ दिल पे ले रही है इतना और आंकरिंग नही करेगी तो मर नही जाएगी...इसलिए तू अपनी क्लास मे जा और मैं अपनी क्लास मे जाता हूँ...खम्खा मेरा कीमती वक़्त बर्बाद कर दिया..."वहाँ से अपनी क्लास की तरफ चलते हुए मैने कहा....
"यदि तुमने ऐसा किया तो मैं तुमसे बात नही करूँगी..."
"तो मत कर , कौनसा तू मुझे दारू खरीद के देती है..."अपना को-ओर्डीनटेस ज़रा सा भी चेंज किए बिना मैं क्लास की तरफ बढ़ता रहा.....
"अरमान, आइ लव यू..."
"ये क्या था बीसी ...".डाइनमिक सिचुयेशन से डाइरेक्ट स्टॅटिक सिचुयेशन मे आते हुए मैने खुद से पुछा....एश के होंठो से निकले ये चार शब्द'अरमान ,आइ लव यू' मुझ पर हाइड्रोजन बॉम्ब की तरह फटे और मेरे अंदर त्राहि-त्राहि मच गयी....अचानक से मेरे बॉडी मे ब्लड सर्क्युलेशन इतना बढ़ गया कि पूरा शरीर लाल हो गया और साथ मे टेंपरेचर जो बढ़ा वो अलग....मुझे ऐसा लगने लगा जैसे मैं धीरे-धीरे कोमा मे जा रहा हूँ.मेरे सोचने समझने की सारी क्षमता एक पल मे जवाब दे गयी,कुच्छ समझ मे ही नही आ रहा था कि किधर देखु ,किधर ना देखु...पीछे मुड़ु या ना मुड़ु...एश से कुच्छ बोलू या ऐसे ही मूर्ति की तरह खड़े होकर उसका इंतज़ार करू....हालत तो ये थी कि लवडा अपना नाम भी लेते हुए जीभ लड़खड़ा रही थी...हालत तो ये थी कि मैं बीच-बीच मे साँस लेना भी भूल जा रहा था और जब एका-एक पेल के साँस लेता तो ऐसी आवाज़ आती जैसे मैं अस्थमा का मरीज हूँ और खुशी तो पुछो मत...दिल कर रहा था कि होड़ को बाहर निकाल कर खूब पेलू और उससे बोलू की "बोल लवडे ,और असाइनमेंट देने के लिए टीचर्स को बोलेगा...तेरी माँ का...."
आइ,एल,ओ,वी,ई,Y,ओ,यू आल्फबेट से बने जिन शब्दो को सुनने के लिए मैने चार साल बिता दिए थे और जिन शब्दो को सुनने की मुझे अब उम्मीद तक नही थी ,आज वो शब्द मेरे कान के रास्ते सीधे दिल तक पहुच गये थे, जिसके कारण मेरी हार्टबीट इतनी ज़्यादा तेज़ हो गयी की मुझे लगने लगा कि अब मेरा हार्ट फैल हो जाएगा, अब मरा.....लेकिन जब अगले 5 मिनिट तक मैं ज़िंदा रहा तो मैने खुद के सिस्टम को वापस ऑन किया,जो कि एश के कारण कुच्छ देर पहले शट डाउन हो गया था.....
मुझे उस वक्त कुच्छ भी समझ नही आ रहा था कि क्या बोलू,क्या पुच्छू ,क्या करू,क्या सोचु और आप सभी सज्जन पुरुष और महिला कह सकते हो कि अट लास्ट मैं भी शरमाने लगा.....
"मुझे कुच्छ समझ नही आ रहा कि क्या जवाब दूं..."दिल से हँसते-मुस्कुराते और चेहरे से गंभीर होते हुए मैं बोला....
"इसमे कहना क्या है,जो सच है वो कह दो..."
"सच...."(बीसी आज मालूम चला कि सच मीठा भी होता है,वरना लोग तो सच को कड़वा बोल-बोल कर सच की माँ-बहन करते है...")
"तुम्हे देखकर नही लगता कि तुम मुझसे प्यार करते हो..."अब एश सीरीयस होते हुए बोली...
"माँ कसम ,बहुत प्यार करता हूँ...यकीन ना हो....अम्म यकीन ना हो तो......"(कोई डाइलॉग क्यूँ नही सूझ रहा )
"यकीन दिलाने की ज़रूरत नही,मुझे पता है...."
"ओके...अब चल,छत्रपाल के पास चलते है...आंकरिंग तो हम दोनो ही करेंगे,फिर चाहे मुझे बाकी ग्रूप वालो का खून ही क्यूँ ना करना पड़े...लेट'स गो बेबी "
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रास्ते भर मैं एश के सामने कुच्छ भी आंट-शन्ट बकता रहा और हम दोनो हँसते-खिलखिलाते हुए ऑडिटोरियम पहुँचे,जहाँ छत्रपाल बेसब्री से हमारा इंतज़ार नही कर रहा था
"तुम दोनो..."हमे देखते ही छत्रपाल बोला...
"तू इधारीच रुक,अपुन अभिच आया..."
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"गुड मॉर्निंग सर, "(तेरी *** की चूत)
"गुड मॉर्निंग"
"सर,मैने सुना की फेरवेल मे आंकरिंग के लिए आप कॅंडिडेट ढूँढ रहे है..."
"ग़लत सुना है...जिन्होने गोल्डन जुबिली मे पर्फॉर्म किया था उनमे से बेस्ट फोर को मैने सेलेक्ट कर लिया है...."
"लेकिन उस टाइम तो मैं नही था और बेस्ट मैं हूँ, यकीन ना हो तो आडिशन करवा लो अभी..."
"रियली ,तुम्हे लगता है कि मुझे इसकी ज़रूरत है....मुझे और भी बहुत से काम है..."
"क्या सर, एक चान्स तो दो..."
"सर जी,चान्स तो आपने खुद मिस किया था..."
"फिर भी एक बार....."आख़िरी बार पुछते हुए मैने कहा...
"ओके...अभी आडिशन ले लेते है...तुम अगले 5 मिनिट मे अपना दिमाग़ दौड़ा कर ऐसी 5 लाइन स्टेज मे बोलो जिसे सुनकर मैं अंदर से हिल जाऊ..."
"5 लाइन ? "
"हां..."
"डॉन'ट वरी सर, 5 से कम मे ही हिला दूँगा...."बोलकर मैं स्टेज की तरफ बढ़ा....
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