RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
उस दिन साला मैने छत्रपाल और एश को ऑडिटोरियम मे कैसे झेला, ये मैं ही जानता हूँ.यदि नाम कमाने का लालच ना होता तो मैं सीधे ऑडिटोरियम से बाहर आता...खैर मैने ऐसा नही किया,इसलिए इस बारे मे ज़्यादा बोलने का कोई मतलब नही लेकिन उसी दिन रात को जब मैं दारू पीने के बाद इस पूरे मसले को नये सिरे से देख रहा था तो तभिच मेरे दारू मे टॅन 1400 ग्रीम के दिमाग़ मे ये बात आई कि...'कही छत्रपाल मेरे साथ कोई गेम तो नही खेल रहा...यदि ऐसा है तो फिर छत्रपाल का बॅकग्राउंड चेक करना पड़ेगा बीड़ू,वरना ये तो मईक हाथ मे पकड़ा कर पिछवाड़े मे सरिया डालेगा... '
लड़कियो से मेरे कनेक्षन के मामले मे मेरी 8थ सेमेस्टर की लाइफ बाकी के सेमएस्टेर्स के मुक़ाबले बहुत ही बढ़िया चल रही थी..जहाँ पहले एक तरफ मेरे कॉलेज मे ऐसी एक भी लड़की नही थी ,जो मुझे मुस्कुरा कर देखे वही इस सेमेस्टर के स्टार्टिंग मे मेरी एश से बात चीत शुरू हुई तो वही दूसरी तरफ आराधना से भी मेरी थोड़ी-बहुत पहचान हुई थी, लेकिन कल एश ने मुझे खुद से दूर तो किया ही साथ मे आराधना डार्लिंग भी मुझसे खफा हो गयी...जिसका अंदाज़ा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पहले जहाँ वो ऑडिटोरियम मे घुसते ही मुझे एक प्यारी स्माइल के साथ गुड मॉर्निंग विश करती थी...वही अब वो एक तरफ अपना गाल फुलाए बैठी हुई थी....
.
"सोच रही होगी कि मैं उसके पास जाकर उसे सॉरी बोलूँगा...चूस ले फिर मेरा सॉरी के नाम पर..."आराधना की तरफ देखते हुए मैं बड़बड़ाया और फिर अपनी लाइन्स याद करने लगा....
वैसे तो हमे गोल्डन जुबिली के फंक्षन मे आंकरिंग के वक़्त जो-जो बोलना था, उसका मनुअल मिलने वाला था,लेकिन फिर भी छत्रपाल ने सबको सॉफ हिदायत दी थी कि प्रॅक्टीस के दौरान कोई भी मनुअल को च्छुएगा तक नही... हमसे इतना हार्ड वर्क करने के पीछे च्छत्रु का एक लॉजिक था ताकि लौन्डे फंक्षन के वक़्त कही भी ना रुके....अगेन आ बकवास ट्रिक्स यूज़्ड बाइ छत्रपाल
.
"क्या मैं यहाँ बैठ सकती हूँ..."
आवाज़ मुझे पहचानी सी लगी और मैं जानता भी था कि इस आवाज़ का मालिक कौन है ,लेकिन फिर भी मैने कन्फर्म करने के लिए उपर की तरफ देखा...
"पूरा ऑडिटोरियम खाली है ,कही भी बैठ जा,कौन रोक रहा है...लेकिन यहाँ मेरे पास नही..."मैने बिना कुच्छ सोचे, बिना कोई पल गँवाए एश को देखते ही कह मारा...
"लेकिन मैं तो यही बैठूँगी....तुम्हे कोई दिक्कत हो तो उठकर दूसरी जगह बैठ जाना..."कहते हुए वो ठीक मेरे बगल मे बैठ गयी...
एश को अपने ठीक बगल वाली चेयर पर बैठा देख मैं वहाँ से उठा और दो कुर्सी छोड़ कर तीसरी पर आ बैठा और आँखे बंद करके मनुअल याद करने लगा.....
"क्या कर रहे हो...ह्म"
"मैं ये याद कर रहा था कि मैने किसको-किसको लोन दिया है... अब चुप रहना वरना मेरा मुँह खुल जाएगा..."एश को खा जाने वाली नज़रों से देखकर मैने कहा और फिर आँखे बंद कर ली...
लेकिन एसा मुझे डिस्टर्ब करने से बाज़ नही आई ,वो बीच-बीच मे मुझे कुच्छ ना कुच्छ बोलती ही रहती...लेकिन मैं फिर किसी सन्यासी की तरह अपनी तपस्या मे लीन ही रहा,मैने दोबारा अपनी आँख नही खोली....लेकिन इस बीच मैं अपनी आँखे बंद करके मनुअल याद करने के बजाय एश के बारे मे सोच रहा था...
"ये मुझसे बात क्यूँ करने लगी...बड़ी उल्लू है यार, जब लड़ाई हुई है तो कुच्छ दिन तो निभाना ही चाहिए...या तो इसकी याददाश्त चली गयी है या फिर शायद इसे इसकी ग़लती का अहसास हो गया है और ये मुझसे अब सॉरी बोलने वाली है "
यही सब सोचते हुए मैने अपनी आँख खोली और एश की तरफ देखा..मैने जैसे ही एश की तरफ देखा तभी मुझे एक जोरदार हिचकी आई क्यूंकी एश अपनी जगह से उठकर मेरे ठीक बगल मे बैठी हुई चॉक्लेट खा रही थी....उसकी इस हरक़त पर मेरा सर चकराने लगा और जितना मुश्किल उसे समझना मेरे लिए पहले था ,वो मुश्किल अब और भी बढ़ गयी थी....पता नही एश ऐसा क्यूँ कर रही थी..कही गौतम से इसका ब्रेक अप तो नही हो गया ?
कही ये मुझपर फिदा तो नही हो गयी ?
या फिर ये आर.दिव्या का तो कोई माइंड गेम नही ?
एश के उस प्यार भरे लेकिन ख़तरनाक बर्ताव को देख कर ऐसे कुच्छ पायंट्स मेरे दिमाग़ मे आने लगे थे और उन पायंट्स पर मैं गहराई से सोचता उससे पहले ही एसा ने मेरी तरफ एक चॉक्लेट बढ़ाते हुए कहा...
"कल के लिए सॉरी अरमान, वो मैं कल थोड़ा अपसेट थी,इसलिए इतना सब कुच्छ बोल गयी..लेकिन बाद मे मुझे रियलाइज़ हुआ कि ग़लती मेरी थी...इसलिए तुम्हारे लिए ये चॉक्लेट लाई हूँ..."
"बच्चा समझ के रखी है क्या मुझे जो मैं चॉक्लेट खाउन्गा...मर्द हूँ सीधे जंग के मैदान मे गोली खाउन्गा...बोल जय हिंद..."कड़क कर मैने कहा,जिसके बाद एश तुरंत खड़ी हुई और एक कुर्सी छोड़ कर बैठ गयी....
"ऐज युवर विश..."जो चॉक्लेट वो मुझे देने वाली थी, उसे खुद के मुँह के अंदर डालते हुए बोली"अरमान, वैसे सॉरी तुम्हे भी बोलना चाहिए...क्यूंकी तुमने भी मुझे बहुत कुच्छ कहा था..."
"मैं लड़कियो को सॉरी बोल दूँगा तो ये दुनिया नही पलट जाएगी...."
.
उस दिन की हमारी प्रॅक्टीस बड़ी जोरदार हुई ,एश से फिर मेल-जोल बढ़ जाने के कारण मैं एक दम जोश मे था और उसका प्रभाव मेरे परर्फमेन्स मे दिखा, यहाँ तक कि छत्रपाल जो कभी किसी को 'गुड...नाइस' से ज़्यादा नही बोलता, उसने उस दिन मेरी तारीफ की....
जब हमारे प्रॅक्टीस का टाइम ख़त्म हुआ तो छत्रपाल ने मुझे दबी मे लेजा कर कहा कि 'यदि मैं चाहू तो एश की जगह किसी दूसरी लड़की को सेलेक्ट कर सकता हूँ ,लेकिन एक शर्त पर की परर्फमेन्स गिरनी नही चाहिए....'
छत्रपाल ने तो मुझे आराधना के साथ तक ग्रूप बनाने को बोल दिया और साथ मे ये भी कहा कि यदि आराधना मेरे साथ रही तो एश को फिर बाहर बैठना पड़ेगा...यदि यही ऑफर च्छत्रु ने मुझे कल दिया होता तो यक़ीनन मैं इसे आक्सेप्ट कर लेता लेकिन आज की बात अलग थी और आज का दिन भी मेरे लिए बहुत खास था...इसलिए मैने छत्रपाल के नये प्लान पर तुरंत ताला मारा और क्लास की तरफ बढ़ा.....जब मैं क्लास मे पहुचा तो वहाँ से टीचर गायब था, बोले तो हर पीरियड के बीच मिलने वाले 5 मिनिट के गॅप को किसी दूसरे टीचर ने गॅप नही किया था.....मैं अपनी जगह पर जाकर हर दिन की तरह चुप-चाप बैठ गया और सामने बोर्ड पर नज़र डाली और बोर्ड पर जो लिखा था उसे देखकर जैसे मुझे हार्ट अटॅक आ गया....मैने एक बार अपनी आँखे मलि और फिर बोर्ड की तरफ देखा...बोर्ड पर राइटिंग तो सुलभ की थी ,लेकिन नाम मेरा लिखा हुआ था,...मेरे नाम के आगे दो शब्द और लिखे हुए थे और वो दो शब्द थे 'हॅपी बर्तडे'
|