RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं इस दौरान कुच्छ नही बोला और नाश्ता करने के बाद अपना मुँह सॉफ किया और फर्स्ट एअर का एक लड़का जो उनमे मौज़ूद था उसे घुमा के एक हाथ मारा....
"चल बेटा अब निकल...अभी तू फर्स्ट एअर मे है और अभी से इतने तेवर...चुप चाप काट ले इधर से वरना अगली बार सीधे जाइरोसकोप सर पर दे मारूँगा...."
अपनी इज़्ज़त सबके सामने नीलाम करवाकर फर्स्ट एअर का वो लौंडा उठा और वहाँ से चलते बना....उसके बाद मैने अपना गॉगल उतारकर टेबल पर रख दिया और बोला...
"मैने उसे वॉर्न किया था लेकिन उसने सोचा कि तुम अखंड चूतिए उसकी कोई हेल्प कर सकोगे.खैर कोई बात नही,होता है ऐसा...वैसे किसी महान आदमी ने कहा है कि सुअरो से लड़ने की बजाय उन्हे सीधे मार देना चाहिए क्यूंकी यदि आप उनसे लड़ोगे तो इसमे उसे मज़ा भी आएगा और आप बदनाम भी होंगे.....लेकिन मैं थोड़ा और महान हूँ इसलिए तुम सुअरो को एक और मौका देता हूँ ,चुप चाप यहाँ से निकल जाओ और कॉलेज मे शांति का वातावरण बनाए रखो वरना आज के बाद जिस दिन भी तुम मे से कोई अपनी औकात से बाहर आया तो उसी दिन तुम लोग कॉलेज से घर नही बल्कि हमारे वर्ल्ड फेमस खूनी ग्राउंड पर जाओगे....आगे तुम लोगो की मर्ज़ी ,क्यूंकी अगले 5 मिनिट मे हॉस्टिल से 100 लौन्डे यहाँ आने वाले है...."
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इसके बाद उनमे से कोई कुच्छ नही बोला और अपने जबड़ो के बीच फ्रिक्षन लाते हुए वहाँ से चले गये....उन लोगो के जाने के बाद मैं वापस उसी टेबल पर बैठा और जिस लड़की के ग्लास मे उन लौन्डो से झूठा पानी डाला था उसे अपने पास बुलाया....
वो लड़की फर्स्ट एअर की ही थी और जब मैने उसे अपने पास बुलाया तो उसके अंदर डर और झिझक का अद्भुत कॉंबिनेशन था....दिखने मे तो वो कोई आवरेज लड़की थी ,लेकिन उसके अंदर की डर और झिझक ने मुझे स्माइल करने पर मज़बूर कर दिया....
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"चल बैठ और अपना इंट्रो दे..."उस लड़की को बैठने का इशारा करते हुए मैने कहा...
"थ...थ...थॅंक्स ,सर...."बैठने के बाद वो बोली...
"ये शाहरुख वाली स्टाइल मुझे चिढ़ाने के लिए कर रही है या शाहरुख की फॅन है..."
"वो...वो तो बस..बस थोड़ा...थोड़ा..."
"रहने दे एक साल निकल जाएगा तेरे बोलते-बोलते तक...अपना इंट्रो दे..."
"इंट्रो...ओके...सर,माइसेल्फ आराधना शर्मा, सोन ऑफ मिस्टर. कृष्णबिहारी शर्मा आइ आम फ्रॉम सागर,एम.प. आअन्न्णन्द...."
"आराधना शर्मा..."उसे बीच मे ही मैने रोका और कहा"दोबारा यदि कभी कोई परेशान करे तो इस उम्मीद मे मत रहना कि अरमान सर,तुम्हे वापस बचाने आएँगे...गुड लक और ये तो सिर्फ़ शुरुआत है..."
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मिस. आराधना शर्मा पर अपना रौब झाड़ कर मैं वहाँ से उठा और कॅंटीन से बाहर जाने लगा कि तभी मैने देखा कि एश और दिव्या एक टेबल पर अपनी कुच्छ फ्रेंड्स के साथ बैठी हुई है...इसलिए मैने अपने कॉलर उपर किए और कॅंटीन वाले को हाथ दिखाकर ज़रा तेज़ आवाज़ मे बोला...
"कोई और प्राब्लम ,छोटू...यदि होगी तो मुझे मैल कर देना मैं देख लूँगा...."
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कॅंटीन से बाहर आते ही मेरी टक्कर कल्लू कंघी चोर से हुई...
"साला अपनी तो किस्मत ही खराब है...जहाँ बाकी लौन्डे लड़कियो से टकराते है,वहाँ मैं टकराया भी तो उस कल्लू से. अपनी तो किस्मत मे ही जैसे ग्रहण लगा हुआ है..."
मैने कल्लू को दो तीन गालियाँ बाकी और वहाँ से क्लास की तरफ बढ़ा....
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अब मुझे फुल आज़ादी मिल गयी थी और अपना नया वॉर्डन भी अपने ही किस्म का था ,इसलिए हमारा रूम हर रात बियर बार बन जाता था,जहाँ से शराब और बियर की नादिया..,सिगरेट के धुए के साथ बहती थी....जिसमे पूरा हॉस्टिल डुबकी लगाता था...उस रात बियर और शराब की नदी मे डुबकी मारने के चक्कर मे मैं ये भूल बैठा कि मुझे रात को 11 बजे रेलवे स्टेशन विभा माँ से मिलने जाना है...इसकी सुध मुझे तब हुई जब रात को 12 बजे विभा मॅम ने मुझे खुद फोन किया....अब जब मैं दारू पीकर टन था तो मेरे मुँह से अन्ट-शन्ट निकलना तो ज़रूरी ही था...लेकिन फिर भी मैने विभा की कॉल रिसीव की....
"मैं जानती थी कि तुम नही आओगे..."
"आइ लव यू, जानेमन...तू कह दे तो अभिच तेरे वास्ते अपना प्राइवेट प्लेन लेकर आ जाउ...बोल ,क्या बोलती है...आउ..."
"फक यू..."
"मेरा भी कुच्छ यही इरादा है...डबल फक यू...अब फोन रख, नेक्स्ट पेग लेने का टाइम हो रेला है...साली बबूचड़ कही की,"
उस कॉल के दौरान मेरे और विभा के बीच जो बात-चीत हुई,वो हमारी आख़िरी बात-चीत थी...उसके बाद विभा राजस्थान गयी और मैने जब भी उसका नंबर ट्राइ किया तो उसका नंबर हर बार स्विच्ड ऑफ ही आया...
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उसके दूसरे दिन सुबह-सुबह मुझे एक और कॉल आया ,जिसने मेरी रातो की नींद नही,बल्कि दिन की नींद हराम कर दी....
"सुनो मिसटर...यदि इस नंबर पर दोबारा कॉल किया तो वन ज़ीरो ज़ीरो डाइयल करके तुम्हारे खिलाफ फ.आइ.आर. करवा दूँगी..."मेरे कॉल उठाते ही दूसरी तरफ से किसी लड़की ने मेरे सर पर डंडा मारा....
"एफ.आइ.आर. , ये क्या लफडा है यार..."कान से मोबाइल हटाकर मैने अपने आँखो के सामने किया , नंबर न्यू था...
"देखिए कहीं आपको कोई ग़लतफहमी तो नही हो रही...क्यूंकी मैने तो किसी को कॉल नही किया..."
"मुझे क्या अँधा समझ रखा है...कल रात से लेकर अभी तक मे दसियों कॉल आ चुके है तुम्हारे नंबर से....और हर बार तुमने रूबिश लॅंग्वेज का इस्तेमाल किया है..."दूसरी तरफ वाली लड़की मुझपर और भड़कते हुए बरसी....
"एक मिनिट....मैं ज़रा चेक करके बताता हूँ..."बोलते हुए मैने अपने मोबाइल की कॉल हिस्टरी चेक की,जिसके अनुसार मेरे मोबाइल से लास्ट कॉल कल का था ,जब मैने अपने घर पर बात की थी....मैने वापस मोबाइल को अपने कान मे लगाया और एक दम प्यार से बोला"देखिए ,मेरे मोबाइल की कॉल हिस्टरी मे तो आपका नंबर नही है...ज़रूर आपको ग़लतफहमी हुई होगी..."
"अरे मैने कहा ना...कि इस नंबर से डूस कॉल कल रात मेरे नंबर पर आए थे...मैं तो एफ.आइ.आर. करवाने जा रही हूँ...."
"एक...एक मिनिट...रुकिये तो ज़रा..."एफ.ई.आर. का नाम सुनकर मेरी पूरी तरह फट पड़ी....
क्यूंकी ऐसा ही एक केस मेरे एक दोस्त के साथ हुआ था..हुआ कुच्छ ये था कि एक बार वो अपने किसी दोस्त का मोबाइल नंबर सेव कर रहा था तो ग़लती से अपने दोस्त के मोबाइल नंबर के कुच्छ डिजिट उससे ग़लत टाइप हो गये और फाइनली जो नंबर सेव हुआ वो उसके दोस्त का ना होकर किसी अननोन लड़की का था....अब बात यहाँ से शुरू हुई. मेरा वो दोस्त ,अपने मोबाइल पर सेव्ड उस नंबर पर अडल्ट मेसेज भेजा करता था,ये सोचकर कि ये मेसेज उसके दोस्त के पास जा रहे है...वो भी दिन मे तक़रीबन 10-12 मेसेज..और फिर एक दिन उसे पोलीस स्टेशन से फोन आया,जिसमे उसे पोलीस वालो ने धमकी दी कि वो पोलीस स्टेशन मे आए वरना उसके खिलाफ एफ.आइ.आर. दर्ज कर दी जाएगी....अब मेरे उस दोस्त की चारो तरफ से फटी ,जैसे अभी मेरी फटी पड़ी थी और मेरा वो दोस्त जहाँ रहता था,वहाँ से 200 कीलोमेटेर दूर ,दूसरे शहर के उस पोलीस स्टेशन मे गया...जहाँ उसके खिलाफ कंप्लेन हुई थी. जब मेरा दोस्त वहाँ पहुचा तो पोलीस वालो ने उस लड़की को भी बुलाया ,जिसके नंबर पर मेरे मासूम से दोस्त ने अडल्ट मेसेज भेजे थे....और फिर बाद मे ये खुलासा हुआ कि मेरे दोस्त ने नंबर सेव करते वक़्त कुच्छ डिजिट को टाइप करने मे ग़लती कर दी थी....उसने ये बात पोलीस को बताई लेकिन पोलीस नही मानी और मेरे उस दोस्त को खम्खा 10,000 का जुर्माना भरना पड़ा....
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और अब यही डर मुझे भी सता रहा था कि कही यही सब मेरे साथ ना हो जाए,वरना खम्खा मुझे भी फाइन भरनी पड़ेगी..लेकिन जब मैने कॉल किया ही नही किसी को तो फिर ये लौंडिया मुझपर क्यूँ भड़क रही है....कही कल दारू के नशे मे अरुण लोगो ने तो ये बक्लोलि नही की और फिर मुझे पता ना चले इसलिए नंबर मिटा दिया होगा.....या फिर ये लौंडिया मुझे चोदु तो नही बना रही...
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"हेलो...तो मैं क्या करूँ..."वो लड़की फिर मुझपर चीखी...
"दो मिनिट आप,होल्ड कर सकती है क्या...मैं अपने दोस्त से पुच्छ लेता हूँ कि कहीं उसने तो कॉल नही किया...प्लीज़..."
"ओके...ओके, "
"थॅंक्स..."
बोलकर मैने कस्टमर केयर को कॉल किया और अपने लास्ट थ्री कॉल्स की डीटेल्स माँगी और जो बात मेरे सामने आई ,वो ये कि मेरे नंबर से लास्ट कॉल कल का था...यानी ये लौंडिया जो बहुत देर से एफ.आइ.आर. -एफ.आइ.आर. कर रही थी...उसने या तो ग़लती से मेरा नंबर डाइयल कर दिया था,या फिर मेरे मज़े ले रही थी...इसकी माँ का
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"ओह ,हेलो...जानेमन..."
"ये क्या बदसलूकी है..."
"देखो बेब्स....आवाज़ नीचे करके बात कर,वरना मैं तेरे खिलाफ एफ.आइ.आर. दर्ज करवा दूँगा कि तू सुबह-सुबह एक रहीस, शरीफ और भावी इंजिनियर को कॉल करके धमका रही है...."
"ये तो उल्टी ही बात हुई की...पहले खुद रात भर कॉल करके रूबिश लॅंग्वेज मे बात करो और फिर सुबह उल्टा धमकिया दो..."
"मैने तुझे कॉल किया ? अबे मैं अपने बाप को कॉल नही करता तो फिर तुझे क्या खामखा कॉल करूँगा...चल फोन रख दे,वरना ऐसे बजाउन्गा कि ज़िंदगी भर बजती रहेगी...."अपना गला फाड़ते हुए मैने कॉल डिसकनेक्ट किया और मोबाइल दूर पटक दिया....
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"क्या हुआ ,अरमान भाई....ये सुबह-सुबह किसे बजा रहे हो..."मेरे कानो मे राजश्री पांडे की आवाज़ पड़ी....
मैने रूम मे चारो तरफ देखा ,लेकिन पांडे जी कहीं दिखाई नही दिए,
"ये कही मेरे कान तो नही बज रहे...मुझे अभी ऐसा लगा कि राजश्री ने मुझसे बात की..."
"अरे इत्थे देखो,अरमान भाई...इत्थे..."
"लवडा फिर मेरा कान बजा...."
"अरे कान नही बज रहा, मैं बिस्तर के नीचे पड़ा हूँ..."पांडे जी ने एक बार फिर मुझे आवाज़ लगाई...
"तू साले, पांडे...यहाँ मेरे बेड के नीचे क्या कर रहा है...निकल बाहर, बोसे ड्के...."
बोलने के साथ ही मैने पांडे जी का पैर पकड़ा और घसीट कर बिस्तर के नीचे से बाहर किया...
मेरा पूरा रूम बिखरा पड़ा था , मेरे रूम की हालत ऐसे थी ,जैसे कल रात यहाँ चोरी हो गयी हो...और तो और इस वक़्त अरुण ,सौरभ का भी कहीं अता-पता नही था....
राजश्री पांडे को बेड के नीचे से घसीट कर बाहर निकालने के बाद मैं वही उसके पास बैठ गया और उससे अरुण और सौरभ के बारे मे पुछा....
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"जब आप सो गये थे तब वो दोनो माल चोदने गये थे...लगता है वापस नही आए...और सूनाओ क्या हाल है..."
"एक दम घटिया हाल है और ये बता ये रूबिश लॅंग्वेज का मतलब क्या होता है..."
"अगर इतना ही पता होता तो मैं आज यहाँ नही बल्कि एमआइटी या ऑक्स्फर्ड यूनिवर्सिटी मे होता...आप भी ना अरमान भाई,कमाल करते हो..."
"चल ठीक है और यहाँ से जाने के पहले पूरा रूम सॉफ करके जाना वरना बहुत चोदुन्गा..."
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वहाँ से उठकर मैं नहाने पहुचा और नाल खोलकर अपना सर ठंडे पानी के नीचे किया, जिसके कारण मेरा सर कुच्छ हल्का हुआ....
"ये लौंडी कौन थी,इसकी माँ का...साली ने तो एक पल के लिए डरा ही दिया था....यदि मेरे कॉलेज की होती तो चूत फड़कर पूरा कॉलेज उसके अंदर घुसा देता...साली म्सी बीकेएल"
दारू का असर कॉलेज जाते वक़्त भी था...कॉलेज जाते वक़्त मेरा थोबड़ा ऐसे मुरझाया हुआ था जैसे अभी कुच्छ देर पहले किसी ने मुझे पकड़ कर दो चार हाथ जमा दिए हो...
"आज से दारू बंद..."एक सौ एक्किसवि बार झूठ बोलते हुए मैने खुद से कहा और क्लास के अंदर घुसा...
अब जब दिन की शुरुआत ही इतनी कन्फ्यूषन भरी रही हो तो बाकी का दिन कैसे अच्छा जाने वाला था...उपर से हमारे मेकॅनिकल डिपार्टमेंट की लड़कियो की शकल देखकर तो नोबेल पुरस्कार जीतने वाले बंदे का भी खुशी से झूम उठा हुआ मूड खराब हो जाए...साली एक तो अखंड काली उपर से किसी खून पीने वाले जानवर की तरह दाँत और जब वो मुझे देखकर मुस्कुराती थी तो दिल करता कि अपना सर अपनी डेस्क पर दे पटकु कि क्यूँ मैने उसकी तरफ देखा..क्यूँ
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शुरू के दो पीरियड मैने शांत गुज़रे और तीसरे पीरियड मे मेरे दोस्तो की एंट्री होने के बाद मैं कुच्छ रिलॅक्स हुआ....
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"क्यूँ बे अरुण, मुझे राजश्री पांडे ने बताया कि तुम लोग कल रात रंडी चोदने गये थे ,साले कुत्तो..."चलती हुई क्लास के बीच मे मैने खीस-पिश की....
"तो इसमे क्या बुरा किया...लेकिन साली कोई चोदने को मिली नही..."
"क्यूँ...सब सुधर गयी क्या.."
"सुधरी नही...म्सी ,सब दिन भर चूत मरवा-मरवा के थक कर सो गयी थी और जब रात के 1 बजे हम दोनो ने उनका दरवाजा खटखटाया तो सालियो ने माँ-बहन की गालियाँ देते हुए हमे वहाँ से भगा दिया..."
"इसीलिए....इसीलिए मैं रंडी चोदने नही जाता हूँ...सालो कुच्छ तो लेवेल रखो अपना..."
"काहे का लेवेल बे....सीधे-सीधे बोल ना कि तेरा लंड खड़ा नही होता है..."
"नो बेब्स...ऐसा नही है, मेरा लंड जब खड़ा होता है तो जितना बड़ा तू है,उतना बड़ा होता है...लेकिन वो क्या है ना कि ' आइ डॉन'ट लाइक दट चूत विच कनेक्ट वित माइ लंड ड्यू टू मनी'...."
"रहने दे...सब मालूम है मुझे, तभी दीपिका रंडी ने अच्छे से चूसाया था थर्ड सेमेस्टर मे...मुँह मत खुलवा मेरा,वरना..."
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"तुम दोनो खुद बाहर जाओगे या मैं धक्के मार कर बाहर निकालु..."हमारे पवर प्लांट इंजीनियरिंग. सब्जेक्ट के प्रोफेसर ने हमे देख कर बड़े ही शालीनता से कहा...जैसे वो हमे बाहर जाने के लिए नही बल्कि किसी बात पर हमे शाबाशी दे रहे हो.....खैर हम दोनो वहाँ से बाहर आए और 5थ, 6थ और 7थ सेमेस्टर के बाद ये पहला मौका था,जब मुझे क्लास से निकाल दिया गया था.....
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प्रोफेसर ने हम दोनो को क्लास से बाहर निकाल फेका और साथ मे ये भी कहा कि हम दोनो यही क्लास के बाहर ही खड़े रहे...फिर क्या था,हम दोनो पूरी पीरियड भर क्लास के सामने खड़े रहे...इस बीच जो भी वहाँ से गुज़रता उससे हम दोनो हाई..हेलो कहते और उसके पुछने पर कि हम दोनो यहाँ बाहर क्यूँ खड़े है,क्लास के अंदर क्यूँ नही जाते तो हमारा जवाब होता कि हम दोनो क्लास आने मे लेट हो गये थे, इसलिए नेक्स्ट क्लास से अंदर जाएँगे...
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