RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"आइ नो, यू नो, डॉन'ट नो,हू नो...बहुत कन्फ्यूषन है..."मैं बोला"वो तुम लोग नीचे नही गये थे खाना खाने...तो मुझे फिक्र होने लगी कि कही तुम लोगो का भूख के मारे पेट ना खराब हो जाए,इसलिए तुम तीनो के लिए खाना पॅक करवा के लाया हूँ...लेकिन सुलभ की मेहरबानी से सारे खाने का सत्यानाश हो गया..."
"क्य्ाआआआअ......."बोलते हुए एश ज़मीन मे गिरते-गिरते बची.
शुरू मे सोचा कि मस्त कूदकर एश को लपक लूँ लेकिन तभी मेरे दिमाग़ ने कहा कि'ना बेटा ना...लफडा हो सकता है' और मैने फिर वैसा कुच्छ भी नही किया....
"मुझे तो पहले से ही अंदाज़ा था कि इसका कुच्छ यही हाल होगा....अभी इसको हार्ट अटॅक भी आएगा "
"मुझे यकीन नही हो रहा कि तुम हमारे लिए खाना लाए हो, थॅंक्स...लेकिन दिव्या और मेघा भी चोरी-चोरी नीचे गयी है...."
"उस आर.दिव्या मे इतना टॅलेंट और हिम्मत कहाँ से आ गया"
"आर.दिव्या का मतलब..."
"आर.दिव्या का मतलब.....ह्म्म...रेस्पेक्टेड दिव्या "सुलभ के हाहाकार से जो खाने के पॅकेट बच गये थे उन्हे एश को पकड़ाते हुए मैने मन मे सोचा"चल अब आइ लव यू बोल और किस कर "
"मुझे समझ नही आ रहा कि मैं तुमसे डिन्नर लूँ या रहने दूं..."हाथो की तरफ देखते हुए एश बोली....
"ज़्यादा मत सोच...दिमाग़ पर असर पड़ता है, बिंदास होकर खाने का फिर सो जाने का बोले तो ख्पस "
"ख्पस मीन्स कृष्णा पब्लिक स्कूल..."
"ये ले अरे हमारी डिक्षनरी मे तो आइआइटी का फुल फॉर्म भी ' इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ टेक्नालजी' नही होता तो फिर ख्पस का फुल फॉर्म कृष्णा पब्लिक स्कूल कैसे होगा...ख्पस का मतलब है खाओ,पियो और सो जाओ..."
"ओके..देन ख्पस टू यू..."बोलकर एसा ऐसे खुश हुई जैसे कितना भारी डाइलॉग मार दिया हो...
"तो मैं चलता हूँ..."(आइ लव यू बोल...)
"हां जाओ..."पलट कर जाते हुए एश बोली, लेकिन कुच्छ दूर आगे जाने के बाद पता नही उसको क्या हुआ ,जो वो एक दम से पलटी...उसके तेवर देखकर मैं हैरान परेशान हो गया....
"अपना खाना अपने साथ ले जाओ...मुझे कोई ज़रूरत नही..."वही से खाने की पॅकेट्स मेरी तरफ फेक कर एश बोली"और दोबारा मुझसे बात करने की कोशिश मत करना यहाँ तक कि मेरे करीब भी मत भटकना,..."
"तेरी माँ की इसको क्या हुआ...अभी तो अच्छे से बात कर रही थी..."हज़ार वोल्ट्स करेंट के झटके खाते हुए मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी थी और मुँह कयि इंच तक खुल गया था....एश का ऐसा रूप मैने अब से पहले कभी नही देखा था, उसे गुस्से मे देखा था लेकिन ऐसा काली माँ वाला रूप पहली बार देख रहा था.....दिल और दिमाग़ मे काई सवाल लिए मैने उससे पुछा...
"क्या हुआ..."
"अपना ये अहसान जो ज़मीन पर पड़ा है उसे उठाओ और यहाँ से दफ़ा हो जाओ..."
"अरे लेकिन ये तो बता हुआ क्या....तुझमे ये ज़ीरो टू इन्फिनिट वाला परिवर्तन कैसे और क्यूँ आ गया..."भड़क मैं भी सकता था लेकिन एश का लिहाज करते हुए खुद पर कंट्रोल करके रखा हुआ था....
"एक बार मे सुनाई नही देता क्या...मैने कहा ना दफ़ा हो जाओ यहाँ से..."
"देख बिल्ली, मेरा बॉडी का टेम्परेचर मत बढ़ा...नही तो..."
"नही तो क्या...तुमने गौतम के साथ जो किया उसके बाद तुम इसकी उम्मीद रखते हो कि मैं तुमसे सही ढंग से बात करूँगी...कुच्छ देर पहले तो मैं एक पल के लिए जैसे सब कुच्छ भूल ही गयी थी,वरना कॅंप के अंदर घुसने नही देती.अब ये अपना सड़ा सा खाना उठाओ और चलते बनो..."
"कंट्रोल कर बे...गाली मत देना इसको..."जब तक मैं एश के कॅंप मे था तब तक मैं हर पल खुद से यही कहता रहा और इसपर कामयाब भी हुआ....एश को यूँ मुझ पर भड़कता देख मेरा दिल कर रहा था कि अपना कॉलर उपर करू, गॉगल आँख मे चढ़ा कर एसा पर अपनी गालियों की पूरी डिक्षनरी खाली कर दूँ....
लेकिन दिक्कत ये थी कि मेरा शर्ट विदाउट कॉलर था ,गॉगल तो एक दिन पहले ही खो चुका था और एश का चेहरा देखकर मेरी गालियों की डिक्षनरी खुल ही नही रही थी....मैने ज़मीन पर पड़े हुए खाने के पॅकेट उठाए और वहाँ से जाते हुए एश से बोला...
"मेरी नही तो कम से कम इस खाने की तो इज़्ज़त की होती...खैर कोई बात नही, ख्पस"
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एश के कॅंप से निकल कर मैं अपने कॅंप की तरफ बढ़ा...मुझे समझ नही आ रहा था कि एश मुझपर अचानक इतना भड़क क्यूँ गयी ? क्यूंकी यदि उसे मुझपर भड़कना ही था तो शुरू से ही भड़कती...शुरू मे प्यार-मोहब्बत दिखा कर बाद मे गाली देना ये कहाँ का व्यवहार है...इन लड़कियो को कभी हम ग़रीब लड़को के अरमानो की कद्र ही नही होती.शुरू मे उसके हाव-भाव से ऐसा लग रहा था कि अभी मुझे ' आइ लव यू' बोल देगी...लेकिन सारी उम्मिदो को जला कर राख कर दिया
"तो बेटा और भागो उसके पीछे,अपुन तो कॉलेज के पहले दिन से ही उससे दूर रहने को बोला था लेकिन नही...तुम्हारे ही पिछवाड़े मे उंगली हो रही थी अब भुग्तो..."अपनी कॅंप की तरफ जाते हुए मैं खुद से लड़ रहा था....कभी मैं एक पहलू से एश की बुराई करता तो कभी दूसरे पहलू से उसका बचाव करता....
"अरे बेटा...डर मत,मर्द बन....ये मेघा,विभा..जैसी लौंडिया तो बाए हाथ का खेल है...यदि दमदरी दिखानी है तो एश जैसी किसी खूबसूरत आइटम को सेट करने का....वरना ज़िंदगी भर मूठ मारने का...."
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"धत्त तेरी की..."अपना सर पकड़ कर मैं जहाँ था वही खड़ा हो गया और खुद से बोला" आइ लव दारू मोर दॅन एश...नही...आइ लव एश मोर दॅन दारू....नोप, आइ लव दारू मोर दॅन एश...चुप हो जा बोसे ड्के ,आइ लव एश मोर दॅन दारू...तुझे तेरे लंड की कसम ...आइ लव दारू मोर दॅन....................."
"तुम्हारी माँ की "मैं चीखा ,चिल्लाया और जब खुद से जूझते हुए ध्यान दिया तो पाया कि मैं पहाड़ी के एक दम किनारे मे खड़ा हूँ.जहाँ से दो-चार कदम यदि मैं और आगे बढ़ता तो सीधे भगवान से फेस टू फेस मिलता....
"बीसी, मुझे नही लगता कि ऐसे मे मैं ज़्यादा दिन तक ज़िंदा रहूँगा...इस एश का कुच्छ तो करना पड़ेगा..."बड़बड़ाते हुए मैं तुरंत वहाँ से पीछे कुदा...
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अपने कॅंप की तरफ बढ़ते हुए मैने घड़ी मे टाइम देखा ,रात के 11 बज रहे थे....मेरे दिल और दिमाग़ के वर्ल्ड वॉर के बाद मैं अब एक-दो पेग मारकर शांति से सोना चाहता था....लेकिन जब कॅंप के अंदर पहुचा तो वॉर्डन वहाँ पहले से मौजूद था...
"म्सी सला..."वॉर्डन को कॅंप के अंदर देख मैने दिल ही दिल मे कहा....
"कहाँ गये थे सर..."गधे की गान्ड जैसा मुँह बनाते हुए वॉर्डन ने पुछा...
"पेशाब करने गया था..."
वॉर्डन ने मुझे अपने बगल मे बैठाया और 'बेटा-बेटा' बोलकर बहुत सारी नसीहत दी और वहाँ से चला गया......जब वॉर्डन वहाँ से खिसका तो मैने सोचा कि अब चुप-चाप दो पेग मारकर सो जाता हूँ लेकिन मेरे खास दोस्त अरुण के गान्ड मे इल्ली थी....
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"तूने आज मेरा बहुत दिल दुखाया है..."जब मैं अपनी आँखे बंद करके लेट गया तो मुझे हिलाते हुए अरुण ने कहा...
"एक काम कर...तू गान्ड मरा और दोबारा मुझे टच किया तो गान्ड फाड़ डालूँगा..."
"तू एक बार बोल दे कि ' आइ लव दारू मोर दॅन एश'...बस बात ख़त्म..."
"नही बोलूँगा...जो उखाड़ सकता है उखाड़ ले..."
"तेरे पास है ही क्या उखाड़ने को...तू बोल दे आज ,वरना सोने नही दूँगा..."
"बेटा जितना बड़ा तू नही है,उससे बड़ा तो मेरा लंड है...और एक बात बता, तू साले कही गे तो नही है..."
"अरुण चाहे गे हो या लेज़्बीयन, पहले तू ये बता कि तुझे एश ज़्यादा प्यारी है या हम लोग..."अबकी बार सौरभ के पिछवाड़े मे इल्ली हुई और वो भी उठकर बैठ गया....
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