RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
मैं शांति से पीछे पलटा और शांति से सुलभ के पास गया...
"मैने कहा था ना कि,लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता..."
"तो फिर तुम ही बता दो कि बॅस्केटबॉल का बेस्ट प्लेयर कौन है..."एक बार फिर मेघा ने अपना सवाल दोहराया...
"पूरे वर्ल्ड मे माइकल जॉर्डन और इस कॉलेज मे मेरे बराबर कोई प्लेयर नही है..."
"ओ..हेलो एक्सक्यूस मी..."तमतमते हुए दिव्या खड़ी हुई"इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर मेरा भाई है ,तुम नही..."
"ये कौन है..."सुलभ की तरफ देखते हुए मैने पुछा...
इस समय दिव्या पर मुझे गुस्सा तो इतना आ रहा था कि बस का दरवाजा खोलकर उसे बाहर फेक दूं...लेकिन मैं फिर भी शांत रहा और सुलभ की हालत इस समय 'काटो तो खून नही' वाली थी...उसकी समझ मे बिल्कुल भी नही आ रहा था कि वो किसे शांत कराए,मुझे या दिव्या को....
"तुम मुझे नही जानते, याद करो लास्ट एअर मे तुमने मुझे फ़ेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजा था और मैने तुम्हारी फ्रेंड रिक्वेस्ट दो दिन बाद आक्सेप्ट की थी..."
"सॉरी, रॉंग नंबर...आइ हेवन'ट एनी फ़ेसबुक आइडी...."
मेरे ऐसा कहने पर दिव्या को कुच्छ नही सूझा कि वो मुझे आगे क्या कहे,इसलिए गुस्से से तमतमाते अपने चेहरे को लेकर वो चुप चाप अपनी जगह पर बैठ गयी. दिव्या ,एश के ठीक साइड मे बैठी थी और जब दिव्या अपनी जगह पर बैठ गयी तो एश ने बहुत ही धीमे लफ़ज़ो मे कहा कि मैं झूठ बोल रहा हूँ....एश के ये लफ्ज़ किसी और को तो सुनाई नही दिए ,लेकिन लीप रीडिंग के कारण मैने तुरंत समझ गया कि एश ने दिव्या से अभी-अभी क्या कहा है.....
"ओये सुन ,फ़ेसबुक गर्ल..."दिव्या की तरफ देखकर मैं पूरे शान से बोला"अपने बगल वाली को बोल दे कि ,मेरे बारे मे उसे जो कुच्छ भी कहना है वो ,खुलकर कहे..."
"तुम मानो या ना मानो अरमान, लेकिन मेरा भाई ही इस कॉलेज का बेस्ट प्लेयर है..."
"ख्वाबो की दुनिया से बाहर आओ बेबी और सच को देखो...सब कुच्छ अपने आप समझ आ जाएगा..."मैने कहा...
वहाँ दूसरो के लिए टाइम पास करने का एक अच्छा-ख़ासा महॉल बन रहा था कि तभी वॉर्डन ,जो कि सबसे पीछे अपने कान मे इयरफोन फसाए हुए थी, वो बोली"बाय्स आंड गर्ल्स...हम अब बस पहुचने वाले है..."
वॉर्डन की बात सुनकर सबका ध्यान हमारे इस बेस्ट प्लेयर की लड़ाई से हटा और सब अपने-अपने बॅग्स उतरने मे लग गये कि तभी मुझे वो आवाज़ सुनाई दी,जिसे मैं पिछले काई महीनो से सुनना चाहता था...तभी मुझसे उस लड़की ने बात की,जिससे मैं बात करने के लिए तड़प रहा था. उसकी आवाज़ सुनते ही दिल जैसे खुशी के मारे झूम उठा, बिना इसकी परवाह किए कि वो मुझे बोल क्या रही है....
"यदि ऐसा ही है तो कॅंप ख़त्म होने के बाद गौतम और तुम्हारा एक मॅच हो जाए,जिससे सबको पता चल जाएगा कि बेस्ट कौन है..."
एश ने ये लफ्ज़ कहे ही इस तरह थे कि अब सबकी नज़ारे मुझ पर टिकी थी , वहाँ मौजूद लगभग सभी लोग पहले जल्दी से जल्दी बस से नीचे उतरना चाहते थे लेकिन जब एश ने मेरे सामने ,गौतम के साथ मॅच खेलने का चॅलेंज रखा तो ,जैसे सब के सब वही जाम गये...कोई भी बस से नीचे नही उतर रहा था,जबकि गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन कबकि नीचे उतर चुकी थी....
उस वक़्त सभी मेरे जवाब के लिए हद से ज़्यादा उत्सुक थे ,सभी चाहते थे कि मैं एश का चॅलेंज आक्सेप्ट करूँ और उसे हां बोल दूं...मैने सुलभ की तरफ देखा तो वो भी इशारे से मुझे ,एश का चॅलेंज आक्सेप्ट करने को कह रहा था...लेकिन सवाल यहाँ ये नही था कि दूसरे क्या चाहते है ,बल्कि सवाल यहाँ ये था कि मैं ,क्या चाहता हूँ और मैं इस बकवास से दूर जाना चाहता था.....
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बस से नीचे उतर चुकी वॉर्डन ने सभी को नीचे आने के लिए आवाज़ लगाई तो जैसे सबको होश आया कि बस रुक चुकी है और उन्हे नीचे उतरना है....
"मेरे ख़याल से तुम सबको नीचे जाना चाहिए..."मैने कहा.
मेरे ऐसा कहने से सब समझ गये थे कि मैने गौतम के साथ बॅस्केटबॉल खेलने का चॅलेंज रिजेक्ट कर दिया था और मैने जब आगे कुच्छ नही कहा तो एक तरफ जहाँ दिव्या बहुत खुश हुई वही दूसरी तरफ मेरे दोस्त बहुत उदास हुए, उनके चेहरे का सारा रंग एक पल मे छु-मंतर हो चुका था....
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"क्या हुआ तुमने कुच्छ जवाब नही दिया..."मैं बस से उतर कर आगे बढ़ ही रहा था कि एश की आवाज़ ने मेरे आगे बढ़ते हुए कदमो को रोक लिया . मैं पीछे पलटा तो एश बोली"सब तुम्हारे जवाब का इंतज़ार कर रहे है..."
मैं पहले से ही ये जानता था कि यदि हम दोनो मे फिर कभी बात होगी तो उसकी शुरुआत एश ही करेगी लेकिन मैं ये नही जानता था कि वो शुरुआत ,मुझे नीचा दिखाने के लिए होगी....मेरे दोस्त ,जो इस समय मेरे अगल-बगल,आयेज-पीछे खड़े थे ,वो सब मुझे धीरे-धीरे गालियाँ देकर बोल रहे थे कि मैं गौतम के साथ मॅच खेलने के लिए हां कह दूं..कुच्छ ने तो मेरे पैर पर ज़ोर से लात भी मारी.
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"तेरी आवाज़ मेरे कानो पर नही पड़ रही,जो बोलना है चिल्ला कर बोल..."मैने कहा.
"मैं ये कह रही थी कि तुमने कुच्छ कहा नही "मेरे पास आते हुए एश बोली और मुझसे थोड़ी दूरी बनाकर खड़ी हो गयी...
"किस बारे मे.."मैं भी उसकी तरफ बढ़ते हुए बोला...
"ओह कमोन,इतना बनो भी मत...सीधे-सीधे हां या ना मे जवाब क्यूँ नही देते कि तुम गौतम के साथ बॅस्केटबॉल का मॅच खेलोगे या नही..."
"और यदि मैं तुम्हारे बाय्फ्रेंड के साथ खेलना पसंद ना करूँ तो,दरअसल बात ये है कि मुझे उसकी शकल पसंद नही है..."
"सॉफ-सॉफ बोलो की तुम डर गये मेरे भाई से...हां"दिव्या चीखते-चिल्लाते हुए एश के साइड मे खड़ी हो गयी....
"पहली बात तो ये कि तू चुहिया की तरह चेटर-चेटर करना बंद कर,वरना चूहे मारने वाली दवा खिला कर तेरी जान ले लूँगा"अपना गला फाड़ कर मैं भी चिल्लाया "और दूसरी बात ये कि...डरते तो हम अपने बाप से भी नही ,नाम है शाहेंशाह..."
इसके बाद दिव्या की जो ज़ुबान पर ताला लगा ,वो फिर नही खुला और जब वो चुप हो गयी तो मैं भी अपने दोस्तो के पास जाने लगा.
"तुम शायद डर रहे हो कि कही उस दिन की तरह तुम फिर ना हार जाओ..."एश ने फिर कहा.
माँ कसम खाकर कहता हूँ कि यदि वो लड़की एश के सिवा कोई और होती तो उसे सीधे माँ-बहन की गाली देता, लेकिन वो एश थी इसलिए मैने उसे कुच्छ नही कहा क्यूंकी मेरे अंदर से ,मेरे दिल से मुझे इजाज़त नही मिली कि मैं एश को कुच्छ बुरा-भला कहूँ....मैं एक बार फिर से पीछे मुड़ा और एश की तरफ जाकर बड़े ही शांत भाव से बोला...
"कभी-कभी एक हार बहुत कुच्छ सिखा देती है जो सौ जीत भी नही सिखा पाती और मेरा लेवेल थोड़ा उँचा है इसलिए मैं गली मे चलते हर किसी के साथ मॅच नही खेलता...मैं मॅच उसी के साथ खेलता हूँ,जिससे मुझे कुच्छ सीखने को मिले,चाहे मैं हार ही क्यूँ ना जाउ...और एक बात बताऊ तुम्हारे बाय्फ्रेंड ,गौतम के अंदर एक भी ऐसी काबिलियत मुझे नही दिखती जो मेरे काम आ सके..."अपने शर्ट मे फँसे गॉगल्स को अपनी आँखो मे चढ़ाते हुए मैने कहा"इसलिए भाड़ मे जाओ तुम और तुम्हारा गौतम..."
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"क्या सॉलिड डाइलॉग मारा है बीड़ू..मूँहाअ..."
"चल साले दूर हट,गे कही का..."अरुण के पेट मे एक पंच मारते हुए मैने कहा"और तू ये बता कि वो लवडा सुलभ किधर है..."
"वो देख आगे..."आगे की तरफ इशारा करते हुए अरुण बोला"अपनी फॅंटेसी के साथ भाई बिज़ी है..."
"कौन मेघा..."
"यस, फर्स्ट एअर का प्यार है उसका बोले तो लेफ्ट साइड वाला..."
"सच"कहते हुए मैं जहाँ था वही रुक गया ,क्यूंकी सुलभ किसी पर दिल से फिदा है ये मुझे आज पता चला रहा था...
"अब क्या खून से लिखकर दूं..."
"फिर मुझे क्यूँ नही पता चला आज तक..."
"बेटा ,कभी दोस्तो के लिए टाइम निकालेगा तब ना कुच्छ पता चलेगा...मुझे तो पिछले साल से ही मालूम था,सौरभ ने बताया था मुझे..."
"तभी मैं सोचु की लौंडा बस मे लड़कियो से इतना घुल-मिल कैसे रहा है...."
"अब चल,वरना यहाँ जंगल मे पीछे छूट जाएँगे..."
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जिस जगह हम कॅंप के लिए आए थे वो एक जंगली एरिया था,साथ मे पहाड़ी भी...हमारे दोनो वॉर्डन के साथ दो लोग और थे जिन्हे मैने पहली बार देखा था...शायद वो इसी इलाक़े के थे,जिन्हे हमारी मदद के लिए हीरे किया गया था. जिस जगह हम लोग घूमने आए थे वहाँ एक नदी भी बहती थी,जिसके पानी को सरकार. ने बाँधा हुआ था ,जिसके ज़रिए उस जंगल से लगे शहर मे वॉटर की सप्लाइ होती थी,दूसरे शब्दो मे कहे तो वो रिवर, वहाँ के आस-पास रहने वाले लोगो को जीवन देने वाली नदी थी.नदी के आस-पास का नज़ारा भी काफ़ी बढ़िया था जिसकी वजह से अक्सर उस जंगल से लगे शहर के लोग वहाँ घूमने आया करते थे, एक तरह से वो कपल्स के लिए लवर पॉइंट भी था. जिसका अंदाज़ा मुझे तब हुआ जब मैने वहाँ कोने-कोने मे काई लड़को को लड़कियो के साथ बैठे हुए देखा.
"बहुत मज़ा आने वाला है यहाँ तो..."मैने दिल ही दिल मे कहा...
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उस नदी के बहाव को रोकने के लिए जो तरीका अपनाया गया था,वो कुच्छ-कुच्छ किसी डॅम से मिलता था,इसलिए उस इलाक़े के लोग उस जगह को डॅम भी कहते थे.डॅम के अंदर जाने के लिए टिकेट लगता था और जब हम लोग डॅम के अंदर घुसे तो मुझे वहाँ कुच्छ कॉफी हाउस भी दिखे, जहाँ भारी मात्रा मे लड़के-लड़कियो का प्रेमी जोड़ा मौज़ूद था....
"इधर तो सच मे बहुत मज़ा आने वाला है..."कॉफी हाउस के अंदर जब मैने प्रेमी जोड़ो को देखा तो मैने एक बार फिर खुद से कहा....
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यूँ तो वहाँ दिन भर मे हज़ार लोग घूमने आते थे जो कुच्छ घंटे बिताने के बाद वहाँ से चले जाते थे, लेकिन हमारे कॉलेज का ग्रूप 3 दिन तक वहाँ रुकने वाला था और ऐसा करने वाले हम लोग अकेले नही थे...वहाँ हमारे कॉलेज के अलावा भी काई दूसरे कॉलेज के स्टूडेंट्स आए थे जिनके कॅंप मुझे दिखाई दिए.
"चल बे ,दूसरे कॉलेज की लड़कियो को ताड़ कर आते है..."अपने कॅंप के अंदर समान रखने के बाद मैने अपने दोस्तो से कहा...
"नही बे, लफडा हो जाएगा..."सुलभ ने कहा.
"तू लवडे चुप रह और जाके अपनी आइटम के साथ रह...मैं तो इन चूतियो से पुच्छ रहा हूँ..."
सुलभ की तरह अरुण,सौरभ ,राजश्री पांडे और मेरे माइनिंग ब्रांच का दोस्त नवीन भी उलझन मे फँसे थे कि उन्हे दूसरे कॉलेज की लड़कियो को छेड़ना चाहिए या नही. शायद उनके अंदर ये डर बैठ चुका था कि कही दूसरे कॉलेज के लड़को से कोई पंगा ना हो जाए. उन सबको गहरी सोच मे डूबा हुआ देख मैं बोला...
"किसी महान व्यक्ति ने कहा है कि...तो थिंक टू लोंग अबाउट डूयिंग आ थिंग ऑफन बिकम्स इट्स अनडूयिंग..."गॉगल अपने आँख मे चढ़ाते हुए मैने कहा"अब चलो,दूसरे कॉलेज की लड़किया मेरा इंतज़ार कर रही होगी "
पता नही क्यूँ पर जब मैने दूसरे कॉलेज की लड़कियो को छेड़ने के लिए कहा तो ,मेरे दोस्तो ने अपने हाथ खड़े कर दिए, वो मेरे साथ आने को तैयार ही नही थे और उनके बिना मैं जाना नही चाहता था...उनके बिना मैं इसलिए नही जाना था कि मुझे उन सबसे बेहद लगाव था बल्कि इसलिए ताकि जब बाइ चान्स यदि दूसरे कॉलेज के लड़को से मेरा लफडा हो तो मैं अकेला होने की वजह से कहीं पिट ना जाउ...इसलिए चाहे मुझे जो भी करना पड़े,उन्हे अपने साथ लेकर तो जाना ही था.
"सब कॅंप से बाहर निकलो ,बाहर वॉर्डन सबको कुछ इन्स्ट्रक्षन देने वाले है..."एक लड़का भागता हुआ हमारे कॅंप के अंदर घुसा और वॉर्डन सबको बाहर बुला रहे है,ये बोलकर वापस भाग गया.....
हम लोग बाहर आए और उस तरफ बढ़ने लगे,जहाँ सब इकट्ठे हो रहे थे.
वहाँ कॅंप लगाने के लिए अलग ही सुविधा थी और जो जगह कॅंप लगाने के दिया जाता था...वो एक उँची जगह पर था,जहाँ से दम और उसके आस-पास का नज़ारा बहुत ही सुंदर दिखता था.हमारे कॉलेज के कॅंप के पास ही दूसरे कॉलेज के कॅंप भी लगे थे.
"सब आ गये या अब भी कोई बचा है..."हमारे वॉर्डन ने ताव देते हुए कहा"आज अब शाम हो चुकी है तो कोई भी नीचे घूमने नही जाएगा."
"बाप का राज है क्या,जो कोई घूमने नही जाएगा..."मैने मन ही मन मे कहा....
"मैं ,हमारे दोनो गाइडेन्स के साथ सबसे आगे वाले कॅंप मे रहूँगा ,जिसके बाद कुच्छ लड़के फिर बीच मे लड़कियो का कॅंप होगा और आख़िरी मे फिर लड़के रहेंगे, ईज़ तट क्लियर..."
"क्लियर सर..."सब एक साथ ज़ोर से चीखे.
"सभी लड़किया अपने कॅंप मे जाएँगी और लड़के मेरे साथ यही रुकेंगे, हमे आज रात के लिए कुच्छ इंतज़ाम वगेरह करने है...."
लड़कियो को उनके कॅंप मे भेज दिया गया, गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन लड़कियो के ही किसी कॅंप मे उनके साथ थी. जब सारी लड़किया वहाँ से रफ़ा-दफ़ा हो गयी तो हमारे वॉर्डन ने हम सबको अपने पास बुलाया...
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"देखो बाय्स, वो सामने जो कॅंप दिख रहे है ना, वो एक बेहद ही बेकार कॉलेज के है ,इसलिए वहाँ के लड़के भी बड़े लोफर और बेकार है...तुम सब बस इस बात का ध्यान रखना कि उनसे किसी तरह का झगड़ा मोल मत लेना....समझे सब."
"यस सर..."
"और सुनो, दूसरे कॉलेज की लड़कियो से कोई बात करने नही जाएगा, ये मेरा ऑर्डर है...क्यूंकी मैं नही चाहता कि कोई झमेला खड़ा हो.हम लोग यहाँ तीन दिन शांति से रहेंगे और फिर चले जाएँगे...ईज़ दट क्लियर..."
"यस सर..."
"क्या पका रहा है यार, "अपने अगल-बगल खड़े लौन्डो से मैने कहा"मेरा दिल कर रहा है कि साले के मुँह पे जूता फेक के मारू...."
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हम सबको दुनिया भर का ज्ञान देने के बाद हमारे वॉर्डन ने उन दो लोगो से सबका परिचय कराया,जो हमे इन तीन दिनो मे यहाँ के वातावरण को समझने मे हमारी मदद करने वाले थे. वॉर्डन ने 10-10 लड़को का ग्रूप बनाने के लिए कहा और बोला कि उन 20 लड़को को गाइडेन्स के साथ बाहर जाकर कुच्छ समान लाना है....
"सर, मैं जाउन्गा..."मैने अपना हाथ सबसे पहले खड़ा करते हुए कहा.
"अरमान...तुम और तुम्हारी मंडली कही नही जाएगी..तुम लोग सीधे अपने कॅंप पर जाओ और यदि मुझे तुम लोग बाहर दिखे तो यही से नीचे फेक दूँगा...."
"तेरी *** की चूत...तेरी *** का भोसड़ा, हाथ लगा के देख तो साले...लंड काटकर मुँह मे दे दूँगा ,म्सी,बीसी."साइलेंट मोड मे मैने ये शुभ वचन अपने वॉर्डन को कहे और अपने कॅंप की तरफ बढ़ गया.
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"वो साला,कल का लौंडा...हमे सिखा रहा है कि हमे क्या करना चाहिए,उसकी तो मैं...."कॅंप के अंदर आने के बाद मैने अपना जीन्स उतारा और बॅग से दूसरा जीन्स निकाल कर पहनते हुए बोला"उसकी *** की चूत, तुम लोग फिक्र मत करो...हम लोग नीचे घूमने ज़रूर जाएँगे..."
"वो सब तो ठीक है ,लेकिन तू ये कपड़े क्यूँ बदल रहा है..."एक तरफ लेटे-लेटे अरुण ने पुछा...
"अबे उल्लू,नीचे इतनी सारी राजकुमारियां है तो अपना भी फ़र्ज़ बनता है ना कि राजकुमार की तरह दिखे...सौरभ,तू वो पर्फ्यूम निकाल अपने बॅग से."
"किधर जा रहा है..."चौुक्ते हुए अरुण तुरंत खड़ा हो गया और अपने दाँत चबाते हुए मुझसे कहा"भूल गया क्या ,वॉर्डन ने क्या वॉर्निंग दी है..."
"अबे डरता तो मैं ओसामा-बिन-लादेन से नही ,तो फिर उस वॉर्डन की क्या औकात...जो मुझे रोक ले...तुम लोग बस जल्दी से तैयार हो जाओ,बाकी मैं संभाल लूँगा"
"क्या संभाल लेगा बे..."मुझे पकड़ कर नीचे धक्का देते हुए सौरभ बोला"कोई कही नही जाने वाला और ना ही तू कहीं जाएगा..."
"अब ये मत बोल देना कि ,यदि तुझे यहाँ से बाहर जाना है तो मेरी लाश पर से जाना होगा "
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मैने सबको बहुत मनाया नीचे जाने के लिए लेकिन सबमे वॉर्डन का दर इस कदर बैठा हुआ था की कोई मेरी बात सुनने तक को तैयार नही था, मैं जिसे भी मेरे साथ चलने को कहता ,वो अपने कान पर अपने दोनो हाथ रखकर कहता कि"मुझे कुच्छ सुनाई नही दे रहा है..."
"अबे कुत्तो,डरो मत...मैं ये सब पहले भी कर चुका हूँ..."
"कब ,कहा...कैसे.."
"स्कूल मे किया था ,वो भी एक बार नही बल्कि...1 ,2,3,4 और राउंड फिगर मे लेकर बोले तो टोटल 5 बार..."
"कोई ,कही नही जाएगा...वरना मैं वॉर्डन को बोल दूँगा "सौरभ ने ब्रह्मस्त्रा चलाते हुए कहा...जिसके बाद मेरे बाकी के दोस्त और भी डर गये.
मैं कुच्छ देर तक वही उल्लू की तरह खड़ा होकर उन सबको देखता रहा ,कुच्छ सोचता रहा और फिर अरुण के पास जाकर बोला...
"सोच अरुण, जब तू अपनी वो ब्लू कलर की शर्ट और ब्लॅक कलर की जीन्स पहनकर बाहर निकलेगा तो सारी लड़किया अपने कपड़े फाड़ लेगी और कहेंगे कि ,वाउ...आज तक उन्होने तुझ जैसा हॉट लौंडा नही देखा, सोच ज़रा कि तुझे उस वक़्त कितना मज़ा आएगा..."
"सच... : "
"और नही तो क्या..."अरुण को चोदु बनाते हुए मैने कहा"इतना ही नही ,वो तेरे पीछे-पीछे दौड़ेंगी और फिर तुझे लेटा-लेटा कर...लेटा-लेटा कर..."
"मैं तैयार हूँ...." ख़याली पुलाव पकाते हुए अरुण ने मेरे साथ जाने के लिए हां कहा तो मैं सौरभ की तरफ बढ़ा....
"सौरभ ,सोच...जब एक दम फ़िल्मो के माफिक हॉट लड़किया...तुझे देखते ही तेरे पास आएगी और सीधे तेरे लंड पर अपना हाथ रखकर ,तेरा सर अपने दोनो दूध के बीच मे घुसा देंगी तो सोच तुझे उस वक़्त कितना मज़ा आएगा..."
"बहुत मज़ा आएगा ,मैं एक मिनट. मे तैयार होता हूँ..."
इसके बाद मैं राजश्री पांडे की तरफ बढ़ा...
"पांडे जी, उस लम्हे के बारे मे सोचो ,जब तुम्हे एक तुम्हारी टाइप की राजश्री खाने वाली लड़की मिलेगी...तू भी राजश्री चबा रहा होगा,वो भी राजश्री चबा रही होगी...तुम दोनो एक दूसरे के करीब आओगे और करीब...और करीब...."
"आआहह...आगे बोलो अरमान भाई"
"फिर तुम दोनो एक दूसरे को राजश्री का एक-एक पाउच देकर अपने प्यार का इज़हार करोगे और फिर वो राजश्री चबाते हुए तेरे पैंट की ज़िप खोलेगी..."
"आआहह...आगे बोलो अरमान भाई."
"और फिर तेरे लंड पर और फेस पर राजश्री थूक कर भाग जाएगी... "
"क्या अरमान भाई ,केएलपीडी कर दिया."
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