RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"अरमान ,तेरा बॅग खाली है क्या..."
मैं आवाज़ की तरफ पलटा तो देखा कि अरुण अपने हाथ मे एक जीन्स को मोड़ कर खड़ा था.
"क्यूँ क्या हुआ..."
"ले मेरा ये जीन्स अपने बॅग मे डाल ले..."
मुझे अपना जीन्स देने के बाद ,अरुण ,सौरभ के पास गया और उससे भी वही सवाल पुछा,जो कुच्छ देर पहले उसने मुझसे पुछा था....जब सवाल सेम था तो आन्सर भी सेम ही होगा और ऐसा ही हुआ .
"बेटा मेरे बॅग मे जगह तो इतनी खाली है कि ,तुझे भी भर दूँगा...काम बोल"
"ले मेरा एक जीन्स और दो शर्ट रख ले...वो क्या है कि मेरा बॅग थोड़ा सा फटा हुआ है और मैं नही चाहता कि मेरी बेज़्जती हो जाए..."अपनी बकवास जारी रखते हुए अरुण बोला"तू खुद सोच बे, तुझे उस समय अच्छा लगेगा क्या...जब कॉलेज की लड़किया मुझे देख कर ये कहेंगी कि....अवववव, कॉलेज के सबसे डॅशिंग,स्मार्ट लड़के का बॅग फटा हुआ है.अववव...अवववव...."
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"सब समान भर लिया अब चलो 2-3 वर्ल्डकप लेकर आते है...."पॅकिंग करने के बाद अंगड़ाई लेते हुए मैने एक लंबी जमहाई मारी...
"इतनी जल्दी क्या है बे...आराम से चलेंगे..वर्ल्डकप लेने"
" सब काम भले ही छूट जाए,लेकिन ये काम नही छूटना चाहिए...चल जल्दी "
"वर्ल्डकप "अपना दिमाग़ पर ज़ोर डालते हुए सुलभ ने पहले मेरी तरफ देखा और फिर जब उसे समझ आ गया कि मैं किस वर्ल्ड कप की बात कर रहा हूँ तो वो बोला"अबे ,दारू पियोगे तो पेला जाओगे...प्रिन्सिपल सस्पेंड कर देगा..."
"आइ लव दारू मोर दॅन माइ इंजिनियरिंग अब अपना मुँह बंद कर"
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दूसरे दिन जब हम लोग हॉस्टिल से अपना-अपना बॅग लटकाए बाहर निकले तो राजश्री पांडे हमे हॉस्टिल के बाहर ही मिल गया...राजश्री को हॉस्टिल के बाहर देखते ही मैं समझ गया कि वो यहाँ इस वक़्त क्यूँ आया है....
"अरमान भाई,सौरभ भाई,अरुण भाई ,सुलभ भाई...अपुन को आप लोगो के साथ रहना है..."उसने कहा और सिगरेट का एक पॅकेट रिश्वत के तौर पर मेरे तरफ बढ़ा दी...
सिगरेट की एक फुल पॅकेट देखते ही मेरा दिल किया कि अभी अपना बॅग नीचे फेकू और सारे के सारे सिगरेट पी लूँ ,क्यूंकी पिछले एक दो दिनो से मैने सिगरेट को छुआ तक नही था...सिगरेट का पॅकेट लेने के लिए मैने अपना हाथ आगे बढ़ाया ही था कि मेरा 1400 ग्राम का ब्रेन मुझपर चिल्लाया"क्विट स्मोकिंग ऐज अर्ली ऐज पासिबल..." और फिर मैने राजश्री पांडे के हाथ से सिगरेट का पॅकेट लेकर अरुण को सौंप दिया.....
"ये क्या अरमान भाई,आप मुझसे नाराज़ हो क्या..."मेरी इस हरकत पर चौुक्ते हुए राजश्री पांडे ने पुछा...
जवाब मे मैं आगे बढ़ा और उसके कंधे पर एक हाथ रखकर अपना बॅग उसे पकड़ाया और बोला"नही रे पगले...तुझसे कैसी नाराज़गी ,तू तो भाई है अपना...वो तो आजकल मेरे ही दिन खराब चल रहे है...."
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कॉलेज के ठीक सामने दो बस खड़ी थी, उसमे से एक बस के अंदर मैं और मेरी छोटी सी मंडली घुसी...हमने पहले से ही डिसाइड कर रखा था कि हम लोग किस सीट नंबर पर बैठेंगे.लेकिन जब बस के अंदर पहुँचे तो हमारी सीट पर वो कल्लू कंघी चोर एक हाथ मे चना लिए बैठा हुआ था...
"ओये चल सरक इधर से..."उसको देखकर मैने कहा और वो कल्लू अपना मुँह चलाते हुए खिड़की की तरफ खिसक गया...
"साले कंघी चोर, तुझे मैने खिड़की की तरफ सरकने के लिए नही कहा...मैने तुझे कहा कि सीट पूरी खाली कर..."
"तो फिर मैं कहाँ बैठू..."चने के एक और फेंक मुँह मे डालकर चबाते हुए वो बोला...
"साले मुझे देखकर,तुझे डर नही लगता क्या...बोला ना उठ यहाँ से..."
"तू कोई भूत है क्या, जो तुझसे डरूँ..."
"तेरी माँ की..."बोलते हुए मैने कल्लू को पकड़ा और खिचकर सीधे बाहर फेका"कंघी चोर,साला...मुझे ज़ुबान लड़ाता है..."
उस कल्लू कंघी चोर को बाहर फेकने के बाद मैं खिड़की की तरफ बैठा और कान मे हेडफोन फँसा कर अपनी आँखे बंद कर ली...
मैं बहुत कोशिश कर रहा था कि मुझे सिगरेट का ख़याल ना आए ,लेकिन जब से मैने अपनी आँखे बंद की थी...तब से मुझे सिर्फ़ और सिर्फ़ सिगरेट का वो पॅकेट नज़र आता...जो आज मुझे राजश्री पांडे ने दिया था और मैने अरुण को....
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"अरमान भैया,थोड़ा साइड हटना तो..."मुझे साइड करके राजश्री पांडे ने अपना सर खिड़की से बाहर निकाला और गुटखे की पीक बाहर थूक कर एक दो लौन्डो को गालियाँ बाकी और वापस अपनी जगह पर ढंग से बैठ गया.....
"लवडे यदि एक और बार तूने मुझे साइड होने के लिए कहा तो बहुत पेलुँगा...."
"सॉरी ,अरमान भाई..."बोलते हुए राजश्री पांडे ने अबकी बार राजश्री अंदर ही निगल लिया....
आँखे बंद करके फिर से मैने कोशिश कि...कि सिगरेट का ख़याल मुझे ना आए लेकिन सिगरेट पीने की तलब ब समय के साथ लगातार बढ़ती ही जा रही थी और जब मुझसे कंट्रोल नही हुआ तो मैने बाहर जाकर चुप-चाप सिगरेट पीने की सोची....
"किधर जा रहा है बे..."
अरुण के इस सवाल पर मैने अपनी फिफ्थ फिंगर(पिंकी) उठा दी और बस से बाहर आकर सीधे हॉस्टिल की तरफ भगा....हॉस्टिल मे मैने दो सिगरेट सुलगाई और जब मन को ठंडक पहुचि तो हॉस्टिल से ठंडा पानी पीकर वापस कॉलेज की तरफ बढ़ा लेकिन मैं बस के करीब पहुचता उससे पहले ही मेरे सामने ब्लॅक कलर की एक लॅंड रोवर कार रुकी.
"एक दिन साला मेरे पास भी ऐसिच कार होगी..."उस चमचमाती हुई कार को देखकर मैने मन मे कहा....
उस ब्लॅक कलर की कार को देखकर मुझे ये अंदाज़ा तो हो गया था कि उसके अंदर बैठा हुआ शक्स करोड़पति है...लेकिन मुझे जोरदार झटका तब लगा,जब उस कार के अंदर से एश एक आदमी के साथ निकली....
"ओह तेरी...ससुर जी "
एश के साथ जो आदमी था उसकी उम्र मेरे हिसाब से 45-50 के बीच रही होगी,इसलिए मैने अंदाज़ा लगा मारा कि हो ना हो ये रहीस बंदा एश के पॅपा जी है बोले तो अपुन के ससुर जी
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