RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
अरुण अपना सर खुजाते हुए कुच्छ देर तक किसी सोच मे डूबा रहा और फिर वो भी फाइल पकड़ कर लिखने बैठ गया बोले तो अब मैं और अरुण एक दम शांत थे.
"मारो सालो...अभी तो मस्ती के दिन है...जब ये दिन निकल जाएँगे तब रोते रहोगे कि काश...काश वो एक दिन फिर से आ जाए,जब दोबारा से वही थर्ड क्लास की लाइफ जीने का मज़ा लिया जा सके..."तेज तर्रार तेवर मे हम दोनो को बोलते हुए सौरभ वहाँ से बाहर निकल गया और मैं और अरुण एक दूसरे का मुँह तकने लगे....
"भाड़ मे जाए..."बोलते हुए मैने वापस से सीसी की बुक खोली और दूसरे पेराग्राफ से रीडिंग शुरू की....
"गान्ड मराए ..."बोलते हुए अरुण भी फाइल कंप्लीट करने मे बिज़ी हो गया....
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मैं जानता था कि यदि सौरभ और अरुण मे से किसी एक को अपनी तरफ करना हो तो सबसे पहले अरुण पर जाल फेकना चाहिए क्यूंकी अरुण थोड़ा भोला किसम का था और यदि उसे किसी चीज़ के लिए डरा दिया जाए तो वो थोड़ा-थोड़ा डरने भी लगता था...जैसा कि मैने अभी कुच्छ देर पहले होड़ का डर उसके दिल मे बिठा दिया,जिसकी वजह से वो इस समय फाइल कंप्लीट कर रहा था. आक्च्युयली मुझे पहले से ही मालूम था कि सौरभ और अरुण ,मेरी स्टडी मे काँटे की तरह चुभेंगे
इसलिए मैने पहले से ही तय कर रखा था कि अरुण को किसी तरह से मनाकर अपने साइड मे करना है और इसीलिए मैने आज सीसी की लॅब मे अरुण को अपनी कॉपी थमा दिया था...जिससे वो बाद मे मेरा साथ दे. सीसी की लॅब के बाद अरुण को थोड़ा-थोड़ा यकीन हो चला था कि क्लास मे या फिर लॅब मे ,उससे जब भी कोई सवाल पुछा जाएगा तो मैं उसे उस सवाल का जवाब देकर उसकी इन्सल्ट होने से बचा लूँगा...लेकिन उन सवालो के जवाब देने के लिए मुझे पेलम-पेल पढ़ाई करनी थी...जो कि मैं इस वक़्त मन लगाकर कर रहा था.....
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"अबे ये लवडी पढ़ा रही है या रेप कर रही है...साला 12 घंटे फुल नींद लेकर आया हूँ,लेकिन इसको देखकर ऐसा फील हो रहा है कि यही पर सो जाउ...फला इतनी नींद तो मुझे तब भी नही आई होगी जब बचपन मे मेरी माँ मुझे लोरिया सुनाकर सुलाती थी...."विभा मॅम की क्लास मे कहर धाते हुए अरुण ने कहा और अपना कहर जारी रखते हुए वो बोला"अरमान ,एक काम करते है...मैं ना इसकी आवाज़ को रेकॉर्ड कर लेता हूँ और रात को जब नींद नही आएगी तो हेडफोन फँसाकर इसका लेक्चर सुनेंगे...मैं गारंटी देता हूँ इसकी आवाज़ सुनने के बाद सॉलिड नींद आएगी..."
"चुप कर गान्डु,वो तुझे ही देख रही है..."
"इसको मेरा लंड चाहिए इसीलिए सारा पीरियड भर मुझे लाइन देती रहती है ,कुतिया,साली..."
"ऐसा मत बोल बे,थोड़ा सा तो रेस्पेक्ट दे...टीचर है वो अपुन की..."
"अरे लंड मेरा...इससे अच्छा तो मैं पढ़ा लूँगा और बीसी ये रिसेस क्यूँ नही हो रहा आज"
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अरुण की खुन्नस देखकर मैं समझ गया कि उसे इस समय समझाना बेकार है इसलिए मैं अरुण से थोड़ा खिसक कर बैठ गया,ताकि विभा मॅम जब हमारी तरफ नज़र मारे तो उसे ये ना लगे कि अरुण के साथ मैं भी बात कर रहा हूँ....
"अरमान तूने वरुण के बारे मे सुना क्या..."जमहाई मारते हुए अरुण मेरी तरफ खिसका"उसपर एनएफटी लग गया है ,एनएफटी बोले तो..."
"नोट फॉर टेक्निकल...आइ नो, तूने ही कल बताया था...अब जहाँ से खिसका है वापस वही पहुच जा..."अरुण से थोड़ी दूरी और बनाते हुए मैने कहा....
क्लास ख़त्म होने मे या फिर कहे कि रिसेस होने मे जब थोड़ा समय बाकी था तो विभा मॅम ने अरुण को खड़ा किया और लास्ट क्वेस्चन का आन्सर पुछा....
"56.68 केएन..."धीरे से मैने कहा और फिर अरुण ने यही आन्सर ज़ोर से कहा....जिसके बाद सारे स्टूडेंट्स का मुँह फटा का फटा रह गया...खुद विभा मॅम कुच्छ देर के लिए शॉक्ड हो गयी थी.....
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आख़िरकार वो वक़्त आ ही गया,जब रिसेस की घंटी बजी और मेरे खास दोस्त अरुण के जान मे जान आई...
"अच्छा हुआ,जो क्लास छूट गयी,मेरी तो भूख के मारे गान्ड ही फट गयी है...चल कुच्छ चरकर आते है हॉस्टिल से."
"भूख तो अपुन को भी लगी है..चल"
अभी हम दोनो हॉस्टिल जाने के लिए क्लास से निकले ही थे कि स्टूडेंट्स की भारी भीड़ देखकर हम दोनो रुक गये...उस भीड़ मे बहुत से स्टूडेंट्स ने किसी को घेर रखा था और अपना नाम, अपनी ब्रांच के साथ चिल्ला-चिल्ला कर बता रहे थे....
"तू रुक,मैं देख कर आता हूँ..."बोलते हुए अरुण कुच्छ देर के लिए उस भीड़ मे शामिल हो गया...
अरुण जब वापस लौटा तो उसका चेहरा एक दम खुशी के मारे ऐसे खिला हुआ था जैसे की कॉलेज की किसी लड़की ने उसे अपनी चुदाई करने का ऑफर दे दिया हो
"क्या हुआ बे,इतना काहे खुश है..."
"लौन्डे लोग पिक्निक प्लान बना रहे है..."
"साले गेज़ कही के..."
"अबे लौंडिया भी जाएँगी उस पिक्निक मे...सोच साला कितना मज़ा आएगा. तू देखना अरमान 10-12 माल तो मैं यूँ चुटकी बजाकर पटा लूँगा...."
"क्या कहा तूने ,लड़किया भी जाएँगी "
"यस तू बोले तो अभिच अपना,तेरा,सौरभ और सुलभ का नाम एंट्री करवा दूं क्या..."
"हां...जा जल्दी जाके एंट्री करवा..."अरुण को धक्का देते हुए मैने कहा...लेकिन फिर अचानक मुझे मेरे थर्ड प्लान की याद आई .
"प्लान नो. #3-स्टे अवे फ्रॉम गर्ल्स...."
जिसका सॉफ मतलब था कि मुझे पिक्निक मे नही जाना चाहिए
जिनके घर तूफान मे तबाह हो जाते है और जब वो दोबारा अपना घर बासाते है तो मेरे ख़याल से उनके दिल और दिमाग़ मे उस तूफान का डर बैठा रहता है कि कही एक बार फिर से कोई तूफान आकर उनके घर को बर्बाद ना कर दे...ये डर उनके जेहन मे ज़िंदगी भर के लिए बैठ जाता है की कही फिर से कोई आँधी और तूफान ना आ जाए...
और ऐसा ही कुच्छ-कुच्छ इस समय मुझे लग रहा था. मैं निशा के साथ एक पार्क मे बैठा हुआ था और यही सोच रहा था कि 8त सेमेस्टर की कहानी किस्मत दोबारा ना दोहरा दे. दोबारा अपना घर बसाने वाले की तरह मेरे दिल मे उस तूफान का डर था,जो 8थ सेमेस्टर मे आया था.
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"अरमान...तुमने अभी तक बताया नही कि मैं कैसी लग रही हूँ..."अपने उंगलियो से मेरे हाथ को सहलाते हुए निशा पुछि
"एक दम धाँसू..."बोलकर मैं चुप हो गया...
मुझे चुप देखकर निशा एक बार फिर मुझे अजीब नज़रों से देखने लगी.
"क्या हुआ ? तुम मुझसे बात क्यूँ नही कर रहे और ये एक-एक लाइन बोलकर खो कहाँ जाते हो..."निशा बोली. वो अब भी मेरे हाथ को सहला रही थी.
"अंकल जी की तबीयत कैसी है अब...."निशा ने जब मेरा हाथ सहलाते हुए अपना नाख़ून गढ़ाया तो मैं अपने ख़यालात से बाहर आया.
"ये तुम लगातार तीसरी बार पुच्छ रहे हो कि ,डॅड की तबीयत कैसी है...सो बोरिंग "
"अच्छा..."निशा की तरफ अपना चेहरा करते हुए मैने कहा"यदि ऐसा है तो फिर कुच्छ इंट्रेस्टिंग करे..."
"नो...नो...नो"
"यस...यस...यस "
"अरे वो सब करने के लिए ये सही जगह नही है..."मुझे दूर धकेलते हुए निशा बोली"एक बात पुच्छू..."
"क्या..."
"पहले प्रॉमिस करो कि बुरा नही मनोगे...."
"ओये...ये पकाऊ लड़कियो वाली हरकत मत कर मतलब कि जो पुच्छना है पुच्छ और वैसे भी बुरा वो मानता है जिसके पास ......."बोलते हुए मैं बीच मे ही रुक गया
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"वो तुम्हारे मोबाइल मे एक वीडियो है,जिसमे तुम एक लड़की से अजीब सी लॅंग्वेज मे कुच्छ कह रहे हो और फिर वो लड़की ,जो तुमने कहा है,उसे रिपीट करती है लेकिन वो बार-बार ग़लत बोलती है जिसके बाद तुम अपना सर पकड़ लेते हो और फिर एक कागज मे उसे क्या बोलना है ,वो लिखकर देते हो...."
"वो...वो कुच्छ नही है,वो तो बस ऐसे ही कॉलेज की एक फ्रेंड थी...जिसे मैं तीन अलग-अलग लॅंग्वेज मे सॉरी बोल रहा था...."बड़ी आसानी से बिना एक पल हिचकिचाए मैने,निशा से तुरंत झूठ बोल दिया...क्यूंकी सच बताने पर वो और भी बहुत कुच्छ पूछती या फिर कहे कि सब कुच्छ पूछती....
"अरमान...."
"यस..."निशा के कंधे पर अपना हाथ रखकर उसे अपने पास लाते हुए मैने कहा...
"अरमान , मुझे मालूम है कि तुम उस लड़की को सॉरी नही बल्कि आइ लव यू बोल रहे थे...."
इतना बोलकर निशा चुप हो गयी और मेरी तरफ मासूम सी नज़रों से देखने लगी और मैं उसकी मासूम सी आँखो मे देखते हुए एक नया बहाना ढूँढ रहा था और फिर मुस्कुराते हुए मैने कहा....
"ऐसा कुच्छ भी नही है,आक्च्युयली उस दिन मैने अपने एक दोस्त से शर्त लगाई थी कि मुझे उस वीडियो वाली लड़की को आइ लव यू बोलना है और वो लड़की मेरे आइ लव यू बोलने पर बिल्कुल भी नाराज़ ना हो....इसलिए मैने तीन अलग-अलग लॅंग्वेज मे उसे आइ लव यू बोला जिसकी भनक उस लड़की को नही लगी और मैं शर्त जीत गया.."
"ओह ! टू फन्नी...गुड ट्रिक टू से आइ लव यू तो सम्वन...मुझे भी तुम वो तीन लाइन्स बोलो और फिर मैं उन्ही तीन लाइन्स को रिपीट करूँगी..."
"क्या बात है बड़े ही रोमॅंटिक मूड मे लग रही है "
"अरे तुम बोलो ना..."
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