RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"कंघी......उम्म्म..."याद करते हुए मैं बोला"साला कोई आया था रूम मे कंघी माँगने,फिर मैने उसे दिया..."
अभी मैं याद ही कर रहा था कि कंघी किसके पास है,तभी अरुण ने तेज़ आवाज़ मे मुझे टोका...
"तो जा लेकर आ...मना किया था ना किसी को कंघी देने से..."
"देख..वो क्या है कि मैं दानवीर कर्ण की तरह हूँ,इसलिए सुबह-सुबह मुझसे यदि कोई मेरी जान भी माँग ले तो मैं मना नही कर सकता.उसने तो फिर भी एक कंघी माँगी थी..."
"बेटा यदि ,दानवीर बनने का इतना ही शौक है तो अपनी चीज़े दान किया कर,वरना मुँह मे लवडा पेल दूँगा और क्या कहा तूने...कि सुबह-सुबह तुझसे कोई भी आकर कुच्छ भी माँगे तो तू उसे मना नही करता..."
"यो बेबी यो..."
"तो फिर दानवीर जी, आप मुझे अपना लंड काटकर दीजिए..."
"बालक अब तेरी मुराद पूरी नही हो सकती,क्यूंकी मैने सुबह ही किसी को कंघी दान मे दे दी है...तुम कल आना बच्चा.."
"सौरभ...बम्बू देना तो ज़रा... इस दानवीर को प्रणाम करने का मन कर रहा है..."
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अरुण के हाथ मे हॉकी स्टिक आते ही एक हाथ से अपना बॅग उठाकर मैं वहाँ से भागा और मेरे पीछे अरुण भी भागा...पहले मैं सीढ़ियो से नीचे उतरकर खड़ा हो गया और ये सोचा कि शायद अरुण वापस रूम की तरफ चला गया है...लेकिन हाथ मे गदा लिए अरुण सीढ़ियो से नीचे उतरा और यमराज की स्टाइल मे अपने दाँत दिखाते हुए बोला
"हा...हा..हा..अब कहाँ जाएगा दानवीर.."
"दुनिया बहुत बड़ी है बेबी..."बोलते हुए मैं हॉस्टिल के दूसरे छोर की तरफ भागा,जहाँ से उपर जाने के लिए सीढ़िया बनी हुई थी....मैं कयि बार सीढ़ियो से उपर चढ़ा और नीचे उतरा लेकिन मेरी परेशानी ज़रा सी भी कम नही हुई क्यूंकी अरुण अब भी अपने हाथ मे वो बम्बू लिए मुझे दौड़ा रहा...
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"ये साला,एक कंघी के लिए रो रहा है, धत्त तेरी की..."भागते हुए मैं चिल्लाया"अबे कुत्ते, क्यूँ मार रिया है आज शाम को 10 कंघी लाकर तेरे मुँह पर फेकुंगा...और वैसे भी तेरी वो पीली कंघी एक दम बकवास थी."
"तू तो आज बचेगा नही,अरमान...आज या तो तू शहीद होगा या मैं..."
"ये लवडा ऐसे नही मानेगा..इसे इसकी वो पीली कलर वाली कंघी लाकर देनी ही पड़ेगी..."सीढ़ियो से नीचे उतरते हुए मैने सोचना शुरू किया"सबसे पहले जो लौंडा कंघी ले गया था ,वो मेरे रूम से दो रूम छोड़ कर रहता है...लेकिन उसने तो कंघी लाकर वापस कर दी थी...उसके बाद नीचे फ्लोर वाला लौंडा आया और कंघी लेकर गया और...और साले ने अभी तक कंघी वापस नही लौटाया,उसकी माँ की..."
सीढ़ियो से उपर चढ़ते हुए मैं उस लड़के के रूम की तरफ भागा, जिसके रूम मे अरुण की वो पीली कंघी थी..दौड़ते हुए मैं सीधे उस लड़के के रूम मे घुसा और मेरे पीछे अरुण भी रूम के अंदर आया.
"बोसे ड्के..जब समान लाते हो तो वापस भी कर दिया करो..."हान्फते हुए मैने उस लड़के को देखकर कहा,जो मेरे रूम से कंघी लेकर आया था.
मुझे देखकर उस लड़के के चेहरे के रंग अचानक बदल गये और उसने अपनी गीली टवल मुझे देखते हुए बिस्तर पर फेक दी...उसकी इस हरक़त से मैं समझ गया कि साले का कंघी लौटने का कोई विचार नही है और कंघी को छिपाने के लिए उसने अभी-अभी बिस्तर पर अपनी टवल फेकि है.
"साले कंघी चोर..कल्लू, तू साले जितना बाहर से काला कोयला है उतना ही अंदर से भी है...ला कंघी दे."
"मैने तो तेरी कंघी वापस कर दी थी,अरमान...याद कर"वो कल्लू झूठ बोलते हुए उस टवल के उपर बैठ गया ,जिसके नीचे अरुण की कंघी थी.
"अरुण,तेरे जूते का साइज़ क्या है.."मैने पुछा.
"क्यूँ..."
"अबे डाइलॉग मारना है.."
"तू पहले मुझे मेरी कंघी लाकर दे...वरना डाइलॉग तो मैं तुझ पर मारूँगा.."
"भाड़ मे जा..उसने अपने गान्ड के नीचे कंघी छिपा रखी है.तू उस साले कल्लू की गान्ड मारकर अपनी कंघी ले ले...मैं चला कॉलेज."वहाँ से बाहर निकलते हुए मैं बड़बड़ाया"बीसी अब तक तो ये लोग पेन,कॉपी ,तेल और साबुन चुराते थे ,अब सालो ने कंघी चोरी करना भी शुरू कर दिया "
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बाथरूम मे जाकर मैने अपना चेहरा धोया और अरुण को गालियाँ बकते हुए सौरभ के साथ कॉलेज के लिए निकल पड़ा...
दुनिया मे यदि आप बुरे काम करोगे तो उस बुरे काम मे साथ देने के लिए सब तुरंत राज़ी हो जाएँगे लेकिन यदि आप उस बुरे काम की जगह एक अच्छा काम करने निकलोगे तो कोई साथ नही देगा उपर से दस लोग आकर टोकेंगे...ऐसा ही कुच्छ मेरे साथ इन दीनो हो रहा था.दो दिन पहले ही मैं हॉलिडे मनाकर हॉस्टिल आया था और आते ही मैने सौरभ,अरुण से कहा कि इस साल नो मस्ती,नो पंगा ओन्ली पढ़ाई....मैने इतना क्या कहा,वो दोनो साले मुझे ऐसे देखने लगे..जैसे मैने उनका खाना छीन्कर खा लिया हो.उसी दिन से या फिर कहे की उसी पल से वो दोनो मुझे चिढ़ाने लगे और अपनी हरसंभव कोशिश करने मे जुट गये जिससे मेरे सर से पढ़ाई करने का भूत उतर जाए...लेकिन मैने उन दोनो की एक ना सुनी और आज पहली बार हर सब्जेक्ट के लिए एक रफ कॉपी ना लेजा कर हर सब्जेक्ट के लिए अलग-अलग कॉपी ले जा रहा था ,वो भी बाक़ायदा कवर चढ़ा कर.
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इस साल भी कयि टीचर्स ने हमारा साथ छोड़ा,जिसमे दंमो रानी, आप फिज़िक्स के खिलाफ नही जा सकते के जन्मदाता-श्री कुर्रे सर भी शामिल थे और सच बताऊ तो इन दोनो के जाने से मैं बेहद खुश था. लेकिन एक बॉम्ब अब भी मौज़ूद था और वो बॉम्ब थी हमारी सीसी की टीचर विभा...
मैने आज सारी क्लास मे मन लगाकर पढ़ाई की,.जो-जो टीचर्स ने बोर्ड मे लिखाया उसे बाक़ायदा अच्छे तरीके से कॉपी मे उतारा.यहाँ तक की मैने लॅब के लिए भी प्रॅक्टिकल फाइल और पेजस खरीद लिए थे,बोले तो अपुन पढ़ने के फुल मूड मे था.
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"अरमान...रोल नंबर. 11"
"प्रेज़ेंट मॅम..."हाथ खड़ा करके मैने अपनी उपस्तिथि विभा मॅम के खाते मे दर्ज कराई....
जब सबने अपनी उपस्तिति दर्ज करवा दी तो विभा अपनी जगह से उठी और 5-5 का ग्रूप बनाने को बोलकर आगे चली गयी....
"अब एक-एक करके हर ग्रूप आएगा और टर्बाइन्ज़ के मॉडेल देखेगा..."विभा मॅम ने कहा,जिसके बाद एक-एक ग्रूप बारी-बारी से जाता और टर्बाइन्ज़ के मॉडेल देखकर आता.जब सबने टर्बाइन देख लिया तो विभा ने सबको जो भी आज समझा है उसे लिखने के लिए कहा. मैने मन लगाकर समझा था इसलिए भका-भक लिखना शुरू कर दिया और नोन-स्टॉप 5 मिनिट तक लिखता रहा.
"स्टॉप राइटिंग..."बोलते हुए विभा ने सबके पेन को विराम दिया और फिर एक-एक को बुलाकर पर्सनली बत्ती देने लगी...मेरा रोल नंबर. थोड़ा पीछे था इसलिए मैं अरुण के पास गया.
"कुच्छ लिखा बे लवडे या अभी तक हिला रहा है..."
"माँ कसम यार,कुच्छ समझ ही नही आया.साली सॉलिड तरीके से इज़्ज़त को टर्बाइन मे घुमा-घुमा कर चोदेगि..."घबराते हुए अरुण बोला"कुच्छ सोच ना बे "
"एक काम कर, ये ले मेरा कॉपी तू दिखा देना और सामने वाले पेज पर जो मेरा नाम लिखा है,उसे फाड़ देना..."कुच्छ सोचते हुए मैने अपनी कॉपी अरुण के हाथ मे थमा दी.
"और तू..."
"प्यार करती है विभा मॅम मुझसे,मुझे कुच्छ नही कहेगी.तू मेरी चिंता छोड़..."
"थॅंक्स यार, आइ लव यू."
" ऐसा क्या,फिर मुँह मे लेना एक बार"
मैं अपने वॉलेट मे हमेशा एक-दो बॅंड-एड रखता ही था ,क्यूंकी क्या पता कब ज़रूरत पड़ जाए. अभी विभा मॅम रोल नंबर. 8 वाले को बत्ती दे रही थी कि मैने दो बॅंड-एड वॉलेट मे से निकाल कर लेफ्ट हॅंड मे चिपकाया और जब मेरी बारी आई तो मैं खाली हाथ विभा मॅम की तरफ बढ़ा....
"खाली हाथ क्यूँ आए, तुम्हारी कॉपी कहाँ है..."
"मॅम मैं लिख नही सकता,हाथ मे बहुत गहरा ज़ख़्म है..."लेफ्ट हॅंड विभा माँ को दिखाते हुए मैने कहा"यदि ज़रा सी भी हरकत करू तो बहुत दर्द होता है..."
विभा मॅम मेरी इस चालाकी पर पहले मुस्कुराइ और फिर चेयर मे पीछे की तरफ होकर बोली"तुम्हे बहाना बनाना बहुत आता है ,मुझे पक्का मालूम है कि तुम्हारे हाथ मे कुच्छ नही हुआ है...राइट "
"नही..नही, सच मे मेरे लेफ्ट हॅंड मे दर्द हो रहा है और यदि यकीन ना हो तो बॅंड-एड खोलकर दिखाऊ..."
"रहने दो...इसकी कोई ज़रूरत नही."
"तो फिर मैं जाउ..."
"एक शर्त पर..."चेयर पर सीधे होते हुए विभा बोली"तुम्हे दीपिका का वीडियो कहाँ से मिला..."
"दीपिका मॅम के बारे मे सुनकर मुझे बहुत दुख हुआ, वो मेरे बेहद करीब थी और आप किस वीडियो की बात कर रही है..."
"देखो अरमान...मैं जानती हूँ कि वो वीडियो तुम्ही ने प्रिन्सिपल के हाथो तक पहुँचाया था और मैं क्या,सारा कॉलेज ये जानता है..."
"मुझे नही पता कि ये अफवाह किसने फैलाई है और आप तो मेरा नेचर जानती ही हो कि ना तो मैं कभी झूठ बोलता हूँ और ना ही कोई बात किसी से छुपाता हूँ...आक्च्युयली मैं एक खुली किताब की तरह हूँ जिसे कोई भी पन्ने पलट-पलट कर पढ़ सकता है ."
"ह्म..."
"मैं ये कहना चाहता हूँ कि यदि मैने वैसा कुच्छ किया होता तो मैं सीना ठोक कर बोलता कि मैने किया है...."
"ठीक है तुम जाओ, "मुझे जाने के लिए कहकर विभा ने अगले रोल नंबर वाले को बुलाया,जो कि अरुण ही था..
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"क्या बोली वो आइटम तेरे से..."जब अरुण विभा मॅम के पास से आया तो मैने उसके आते ही पुछा.
"कुच्छ खास नही,बस मेरी बढ़ाई कर रही थी थोड़ा..."
"यानी कि मेरी बढ़ाई...अब बोल कि क्या हुआ उधर"
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