RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
आज कल हमारे देश मे बहुत सारे धरम गुरु है...कुच्छ फ़र्ज़ी है तो कुच्छ धर्म की आड़ मे अपना काला धंधा चलाते है....इसलिए इनके पास जाकर अपनी प्राब्लम बताना मतलब एक दूसरी प्राब्लम मे फँसना है...मैं जब अकेले रहता हूँ तो अपने दिमाग़ मे बैठे आतिन्द्र को दूर करने के लिए बहुत सोचता हूँ और कुछ नये प्लान बनाता हूँ...लेकिन पता नही क्यूँ आतिन्द्र को देखते ही जैसे मुझे कुच्छ याद ही नही आता. उस वक़्त मुझे ऐसा लगता है जैसे इस पूरी दुनिया मे मेरे सिवा सिर्फ़ और सिर्फ़ वो ही है...मेरे सपने के आस-पास का द्रिश्य आज भी ठीक वैसा ही था जैसे कि हरदम होता था, यानी कि आस-पास हम दोनो के आलवा कोई तीसरा नही था ,जिसे मैं मदद के लिए पुकार सकूँ....
मैने कयि बार सोचा कि किसी बाबा,पंडित के पास जाकर अपनी प्राब्लम उन्हे बताऊ कि मुझे मेरा मरा हुआ दोस्त सपने मे मुझे बहुत परेशान करता है लेकिन फिर मैने अपना विचार बदल दिया और इन फ़र्ज़ी बाबाओं से मदद लेने की बजाय गूगल महाराज के दरबार मे शरण ली....मैने गूगल की साइट पर जाकर सर्च किया कि एक बुरे सपने से कैसे बचा जा सकता है. मेरे सर्च करने के बाद अपनी आदत अनुसार गूगल महाराज ने हज़ारो तरीके मुझे बताए और मेरा 3-4 घंटे का समय खाया...लेकिन सिर्फ़ एक काम की बात मुझे उस 3-4 घंटे मे समझ आई और वो काम की बात ये थी कि "उस बुरे सपने से निकलने की जल्द से जल्द कोशिश करो..."
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गूगल महाराज ने मुझे ये भी बताया कि मैं जो सपने मे करूँगा उसका थोड़ा- बहुत एफेक्ट मेरे वास्तविक जीवन पर भी पड़ेगा.....
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"अरमान...अरमान..."आतिन्द्र सीधे कूदकर मेरे उपर चढ़ गया और अपनी डरावनी हँसी से मेरे कान मे दर्द पैदा करने लगा....
मैने आस-पास कुच्छ जुगाड़ देखा, जिससे कि मैं सपने से बाहर आ जाउ और तभिच मेरे 1400 ग्राम के दिमाग़ ने पहली बार आतिन्द्र के सामने अपनी बत्ती जलाई और मैने अपना सर पास की दीवार मे ज़ोर से दे मारा.....
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इधर मैने अपना सर दीवार पर मारा और उधर दूसरी तरफ मेरी नींद डेस्क मे मेरे सर टकराने से खुली...
"आहह..."अपने सर को सहलाते हुए मैने क्लास की तरफ देखा .
"क्या हुआ अरमान...."विभा अपनी हँसी दबाते हुए बोली"अपना सर डेस्क पर क्यूँ पटक रहे हो..."
"अभी-अभी मैने सपने मे भूत देखा और सपने से बाहर आने के लिए अपना सर ज़ोर से दीवार पर दे मारा..."
"अच्छा...भूत ने और क्या-क्या किया..."
"बस इतना ही किया, आगे मैने कुच्छ करने ही नही दिया उसे..."
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विभा ने और भी तरह-तरह के सवाल पुच्छे और उसके हर सवाल पर मैने एक दम सही जवाब दिया ,लेकिन वो और पूरी क्लास हंस रही थी...सबको लग रहा था कि मैं कॉमेडी कर रहा है...
"कमाल है यार, साला सच बोलो...तब भी किसी को यकीन नही होता "
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"रुक...रुक...रुक...एक इंपॉर्टेंट कॉल है..."वरुण बोला और अपना मोबाइल लेकर वहाँ से उठ गया...
वरुण के जाने के बाद अरुण अपनी आँखे बड़ी किए हुए और मुँह फाडे हुए मुझे देख रहा था....
"तुझे क्या हुआ..."
"सच मे वो लौंडा तेरे सपने मे आता है या तू मिर्च मसाले लगाकर कहानी को इंटरेस्टिंग बनाने की कोशिश कर रहा है..."
"कहानी को इंट्रेस्टिंग बनाने के लिए मेरे पास और भी कयि फ़ॉर्मूले है चोदु...क्या तुझे यकीन नही हो रहा "अरुण का कॉलर पकड़ते हुए मैं बोला...
"मुझे याद आ गया और ये यकीन भी हो गया कि तू सच बॉलिंग...क्यूंकी जब मैं और सौरभ, भू से मिलने के बाद अपने कॉलेज पहुँचे थे तो किसी ने मुझसे कहा था कि तू एक दिन चलती क्लास के बीच मे अपना सर फोड़ रहा था...."
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"ओके..ओके मैं कर दूँगा...काम हो जाएगा..."फोन पर किसी से बात करते हुए वरुण वापस मेरे सामने बैठा"वो सब तो सही है लेकिन एक बात समझ मे नही आई कि ,गौतम को तो तूने सर पर रोड मारी थी,फिर वो लंगड़ा कर कैसे चल रहा था..."
"अपना चेहरा ज़रा करीब लाना..."
"क्यूँ..."
"चुम्मा लूँगा अबे चोदु ,उस वक़्त ,जब हॉस्टिल मे मेरी गौतम से लड़ाई हुई थी तो, वहाँ हमलोग लुडो और साँप-सीढ़ी का गेम नही खेल रहे थे...लड़ाई कर रहे थे और कौन कब किसकी बजा के निकल जाए ,इसकी हवा तक नही लगती...किसी ने पेल दिया होगा गौतम के पैर मे..."
"ह्म....ये हो सकता है.."
"ये हो सकता है...नही ये हुआ है "
" फिर तूने दीपिका को कैसे चोदा , आइ मीन उससे अपना बदला कैसे लिया...और वो लड़का कौन था जिसने पत्थर के उपर से कूदकर तेरी ठुकाई स्टार्ट की थी..."
"दीपिका को मैने बहुत अच्छे से चोदा और वो लड़का वही था,जिसने फर्स्ट एअर मे मेरी रॅगिंग ली थी..."
"क्या "चौुक्ते हुए वरुण ने अपने सर पर अपना हाथ फिराया"मैने गेस किया था कि वो लड़का वरुण होगा...."
"उस रात अंधेरे मे उस लौन्डे को देखकर मुझे उसकी शकल कुच्छ जानी-पहचानी सी लगी थी...और मैने भी यही मान लिया था कि वो लड़का यक़ीनन वरुण ही है...लेकिन मेरा ये कन्फ्यूषन अमर सर ने डोर कर दिया...जब वो हॉस्पिटल मे मुझसे मिलने आए थे तो उन्होने मुझे बताया था कि उन गुन्डो मे वो लड़का भी शामिल था जिसने फर्स्ट एअर मे मेरी रॅगिंग ली थी. तब मुझे तुरंत समझ मे आ गया था कि मुझपर सबसे पहले अटॅक करने वाला वरुण नही था "
"फिर एक सवाल यहाँ ये भी पैदा होता है कि अमर को ये इन्फर्मेशन किसने दी..."बोलते-बोलते वरुण अचानक चुप हो गया और थोड़ी देर बाद उसने डरते हुए कहा"दिल पे मत लेना ,लेकिन मुझे ऐसा क्यूँ लग रहा है कि तेरी पिटाई मे अमर का भी हाथ था..."
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वरुण के ऐसा कहने पर मैं मुस्कुराए बिना नही रह सका...
"आक्च्युयली यहाँ मॅटर थोड़ा और कन्फ्यूज़ करने वाला है...अमर सर ने मुझे हॉस्पिटल मे ये भी बताया था कि सीडार को सब मालूम चल गया था...जैसे कि नौशाद ने मेरा कॉल डिसकनेक्ट कर दिया ,दीपिका ने मुझे फसाया और मेरी रॅगिंग लेने वाला सीनियर गुन्डो के उस ग्रूप मे शामिल था..."
"एक मिनिट...सर थोड़ा घूम रहा और मेरी फट भी रही है..."अरुण की तरफ इशारा करते हुए वरुण ने थोड़ी दूर रखी टेबल पर से पानी की बोतल लाने के लिए कहा....
"अब मैं जो भी बोलने वाला हूँ, उस दिल पे ना लेकर सीधे मुँह मे लेना..."
"बक.."
"सीडार कैसे मरा,एक बार फिर से बताएगा क्या ? प्लीज़ "
वरुण के इस सवाल ने मुझे कुच्छ देर के लिए सोचने पर मजबूर कर दिया...मुझे समझ नही आ रहा था कि कहाँ से शुरुआत करूँ और फिर मैने कहा..
"तुझे क्या लगता है कि मैने सीडार के बारे मे खोज-बीन नही की...वरुण ,वो 22 साल का लड़का जो उस दिन मरा था, वो मेरे लिए कोई आम नही था,जिसके बारे मे दुनिया कुच्छ भी बोले और मैं बिना किसी सबूत के सब कुच्छ मानता चला जाउ..मैने बहुत खोज बीन की ,बहुत हाथ-पैर चलाए...एनटीपीसी मे काम करने वाले उसके दोस्तो से पुछा यहाँ तक कि मैने पोलीस स्टेशन के भी कई चक्कर लगाए,लेकिन रिज़ल्ट पहले जैसा ही था...सारी कड़िया इसी बात की तरफ इशारा कर रही थी कि सीडार की मौत एक हादसा था ना कि मर्डर....."
"ओके...जब तूने सब कुच्छ पता किया था तब मैं कुच्छ नही बोल सकता,लेकिन फिर भी मुझे ना जाने क्यूँ ऐसा लग रहा है कि सीडार के साथ कुच्छ ऐसा हुआ होगा जो किसी को नही मालूम..."
"शुरू-शुरू मे मुझे भी यही लगता था..मैं घंटो अकेला हॉस्टिल की बाहर वाली कुर्सिया पर बैठकर इस बारे मे सोचता था ,लेकिन इससे कुच्छ भी हासिल नही हुआ...क्यूंकी सारी कड़िया हर बार घूम करके इसी पॉइंट पर अपनी मुन्हर लगा देती थी कि सीडार के साथ हादसा हुआ था ना कि मर्डर....."
"ठीक है ,चल छोड़...फिलहाल तो तू ये बता कि दीपिका से तूने अपना बदला कैसे लिया...मेरे ख़याल से तूने उसे लिटा-लिटा कर,रगड़-रगड़ कर...आगे-पीछे ,उपर-नीचे ...हर जगह चोदा होगा....मैं बहुत एग्ज़ाइटेड हूँ उस हॉट मोमेंट को सुनने के लिए "
"उसके लिए फिर से अतीत के समुंदर मे डुबकी मारनी पड़ेगी..."
"हां तो मार ना डुबकी..3 घंटे है मेरे पास.."घड़ी मे टाइम देखते हुए वरुण बोला...
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सौरभ और अरुण को वापस आने मे तीन से चार दिन का समय लग गया और ये तीन से चार दिन मेरे लिए बहुत बोरिंग साबित हुए...साला बिल्कुल मज़ा ही नही आ रहा था इन दोनो के बिना...कॉलेज मे तो फिर भी सुलभ के रहने के कारण थोड़ा बहुत मन लग जाता था लेकिन हॉस्टिल मे आने के बाद साला पूरा टाइम मुझे काटने को दौड़ता....
जब ये दोनो भू से मिलकर वापस आए तो जान मे जान आई .सौरभ और अरुण के वापस आने के बाद फिर से अपनी वही पुरानी ज़िंदगी शुरू हो गयी. हमलोग दिन भर कॉलेज मे टीचर्स को परेशान करते और कॉलेज से आने के बाद किसी जूनियर को पकड़ कर उससे सिगरेट मँगवाते और फ्री मे पीते , हमारे इस काम मे हमारा जूनियर राजश्री पांडे हमारी बहुत हेल्प करता था, वो खुद हमे आकर उन लड़को के नाम बता जाता जिनके पास बहुत पैसे थे और वो थोड़े फट्टू टाइप के थे...बदले मे राजश्री पांडे को हमलोग कुच्छ सिगरेट पॅकेट से निकाल कर दे देते थे....
दिन ऐसे ही बीत रहे थे कि एक दिन कॉलेज जाते वक़्त कॉलेज के बाहर मुझे दीपिका मॅम दिखी जो अपनी कार से उतर रही थी...मेरी जानकारी मे ये बात आ चुकी थी कि दीपिका मॅम ने एक नयी कार खरीदी है, जिसके बाद मुझे ये समझने मे बिल्कुल भी देर नही लगी की दीपिका के पास ये कार गौतम के बाप की मेहरबानी से आई है मतलब कि ये कार दीपिका मॅम के उस काम का मेहताना था जिसके बदौलत मैं 3 महीने तक हॉस्पिटल मे अड्मिट था...
वैसे तो दीपिका माँ को देखते ही मेरा शरीर का आधा खून जल उठा लेकिन फिर मैने जबर्जस्ति अपने होंठो पर एक मुस्कान बिखेरते हुए उसकी तरफ बढ़ा....
"उसके पास क्यूँ जा रहा है, अभी ये सही वक़्त नही है..."मुझे दीपिका की तरफ जाते देख अरुण ने मुझे रोक कर कहा...
"अब क्या मैं शुभ महूरत निकल वाउन्गा उस रंडी से बात करने के लिए...आजा टाइम पास करके आते है..."
"तू फिर लफडा करेगा यार "
"तीन महीने पहले जो हुआ ,उससे तो छोटा ही लफडा होगा और वैसे भी उस कुतिया को इसका अहसास होना चाहिए कि मैं फॉर्म मे आ चुका हूँ और उसकी *** चोदने के लिए बिल्कुल तैयार हूँ..."
"तू जा मैं तुझे डाइरेक्ट क्लास मे मिलता हूँ..."बोलते हुए अरुण कॉलेज के गेट की तरफ बढ़ने लगा तो मैने पीछे से उसका कॉलर पकड़ा और बोला..
"तू किधर खिसक रहा है बे..."
"जाने दे यार..."
"अबे समझा कर,जब किसी के सामने उसका मज़ाक उड़ाउंगा तो उसकी और भी ज़्यादा जलेगी..चल अब..."
अरुण को जबर्जस्ति खीचते हुए मैं पार्किंग की तरफ बढ़ा,जहाँ दीपिका मॅम अपना कार लॉक कर रही थी...
"और सुन बाकलोल...वहाँ उस म्सी के सामने चुप-चाप मत रहना,मतलब कि जब भी मैं उसकी छिलाइ करूँ तो ज़ोर से हँसना...समझा"
जवाब मे अरुण ने अपनी गर्दन हां मे हिलाई और शांति से मेरे साथ पार्किंग की तरफ बढ़ा.दीपिका मॅम कार को लॉक कर चुकी थी और पार्किंग से निकल ही रही थी कि मैने अरुण के साथ वहाँ पीछे से एंट्री मारी...
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