RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
दोपहर शाम मे ढली और शाम रात मे तब्दील हुई और फिर सवेरा हुआ...सवेरा होते-होते कल के ग्राउंड वाले कांड की खबर लगभग हर एक के कानो तक पहुच चुकी थी...कोई कहता कि फर्स्ट एअर के उन दोनो लड़को को अरमान ने और उसके दोस्तो ने मारा,तो कोई कहता कि सिटी वाले सीनियर के साथ उनका कुच्छ लोचा था , कुच्छ तो ये भी कहने वाले थे कि शायद उन दोनो को दिव्या के बाप ने मारा था.....उन्दोनो की हालत इस वक़्त खराब थी और दोनो सिटी के बेस्ट हॉस्पिटल मे अड्मिट थे...किसी को शक़ ना हो इसलिए मैं दूसरे दिन नॉर्मल सा बिहेव करते हुए नॉर्मल तरीके से कॉलेज गया और साथ मे बीमार होने का धंसु आक्टिंग भी किया... मेरा और मेरे खास दोस्तो का अंदाज़ वही था,जिसके लिए हम जाने जाते थे...और क्लास मे हम आज भी लास्ट बेंच पर लड़कियो के पीछे बैठे...बोले तो हम पहले की तरह आज भी बॅक बेन्चेर्स थे...क्लास के कुच्छ लड़को ने मुझसे पुछा कि क्या मैने फर्स्ट एअर के लड़को को मारा है...ऐसा सवाल करने वालो की लिस्ट मे मेरे क्लास के साथ-साथ मेरा दोस्त नवीन और कयि टीचर्स भी शामिल थे...वो सब जितनी भी बार मुझसे ये सवाल पुछ्ते मेरा जवाब हर बार एक होता और वो जवाब था कि"मैं तो कल लंच के बाद तबीयत खराब होने के कारण हॉस्टिल जाकर सीधे सो गया था....मुझे तो आज कॉलेज आने पर इस झगड़े के बारे मे मालूम चला..."
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एमओएस की चलती क्लास के बीच मे हमारे होड़ सर क्लास मे घुसे और मुझे प्रिन्सिपल के ऑफीस मे चलने के लिए कहा ,जहाँ प्रिन्सिपल सर और थ्री स्टार की खाकी वर्दी पहने हुए एक पोलीस वाला मेरा इंतज़ार कर रहा था.....
"मे आइ कम इन सर..."रूखे आवाज़ मे मैने प्रिन्सिपल सर से अंदर आने की इजाज़त माँगी....
किसी को मुझपर शक़ ना हो इसलिए मैने आज ना तो सर मे तेल लगाया था और ना ही कंघी किया था...जिससे मेरे सर के बाल बिखरे हुए थे और मेरे बीमार होने की गवाही दे रहे थे...प्रिन्सिपल के ऑफीस मे आते वक़्त मैने अपनी दो उंगलियो को आँखो मे डाल लिया था,जिससे मेरी आँखे इस वक़्त एक दम लाल थी और जलन पैदा कर रही थी....जिससे मैं थ्री स्टार की वर्दी धारण किए पोलिसेवाले को यकीन दिला सकूँ मैं सचमुच मे बीमार हूँ और बड़ा कष्ट झेलकर कॉलेज आया हूँ,फिलहाल खुद को ग़लत होते हुए भी सही साबित करने की धुन मे मैने ब्रश तक नही किया था जिससे इस वक़्त मेरे मुँह से एक शानदार खुश्बू भी निकल रही थी जिसका असर वहाँ पर बैठे प्रिन्सिपल सर और उस पोलीस वाले पर हो रहा था.... मुझे सर्दी बिल्कुल भी नही थी लेकिन मैं वहाँ प्रिन्सिपल के ऑफीस मे खड़ा होकर अपनी नाक को सुड़कता और बीच-बीच मे खाँसता...ऐसी आक्टिंग करते हुए एक समय जब मैने खांसने का झूठा अभिनय किया तो उस वक़्त मुझे सच मे जोरो की खाँसी आ गयी और मेरी आँख लाल हो गयी ,ये खाँसी इतनी जबर्जस्त थी कि मेरे आँखो से आँसू भी निकल आए और मुँह से लार भी टपक गया
"अरे भाई,पानी पिलाओ इसको..."थ्री स्टार की वर्दी पहने हुए उस शक्स ने कहा और मुझे अपने पास,बगल वाली चेयर मे बिठाया...
वैसे मुझे बीमार बनकर प्रिन्सिपल के ऑफीस मे आने की कोई ज़रूरत नही थी ,क्यूंकी हमारा हॉस्टिल वॉर्डन ऑलरेडी हमारे पक्ष मे गवाही देने के लिए तैयार था...जिसके बाद कोई कुच्छ नही कर सकता था, लेकिन मैने सर मे तेल और बालो मे कंघी इसलिए नही किया क्यूंकी मैं देखना चाहता था कि यदि सीडार का हाथ मेरे सर पर नही होता तो क्या मैं तब भी खुद को बचाने मे कामयाब होता, मैं ये एक्सपेरिमेंट करना चाहता था कि यदि सीडार का पॉवर मेरे साथ नही होता तो क्या मैं तब भी खुद को पवरफुल साबित कर पाता या नही, ये एक्सपेरिमेंट थोड़ा हटकर था और साथ मे हमारे कॉलेज की लॅबोरेटरी मे होने वाले बोरिंग एक्सपेरिमेंट से ज़्यादा इंट्रेस्टेड भी था, सो आइ डिड....लेकिन मेरा ये एक्सपेरिमेंट तब फैल हो गया जब मेरे साइड वाली चेयर मे थ्री स्टार की वर्दी पहने हुए उस पोलीसवाले ने मेरी तरफ झुक कर कहा...
"मेरे कंधे पर थ्री स्टार यूँ ही नही लगी है मिसटर....मुझे हक़ीक़त की खाँसी और दिखावे मे फरक करना बहुत अच्छी तरह आता है,तूने क्या मुझे अपने कॉलेज का टीचर समझ रखा है जिसे तू जब चाहे तब बेवकूफ़ बना दे...हुह्म"
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उस पोलीस वाले के ऐसा कहते ही मेरी साँस मानो एक पल के लिए रुक गयी थी,मैं उसकी तरफ एकटक देखे जा रहा था...
"पसीना सॉफ कर लो..."उस थ्री स्टार वाले ने अब प्रिन्सिपल की तरफ देखते हुए कहा"इस पर उन दोनो लड़को के दोस्तो ने रिपोर्ट की है और रिपोर्ट के मुताबिक इसने फर्स्ट एअर के दोनो लड़को को हॉस्टिल के पास वाले ग्राउंड पर ले जाकर बुरी तरह से मारा,पीटा...जिसकी वजह ये हो सकती है कि उन्होने कुच्छ दिनो पहले ही इसपर एफ.आइ.आर. किया था,जिसका बदला इसने उन्हे बुरी तरह से मारकर लिया...इसे हमारे साथ पोलीस स्टेशन चलना होगा....तू तो गया बेटा लंबे से"
"मैं तो परेशान हो गया हूँ इस लड़के से...मैं एक काम करता हूँ,इसके घरवालो को खबर करके कह देता हूँ कि इसकी टी.सी. कॉलेज से ले जाए और इसे पोलीस स्टेशन से ले जाए..."प्रिन्सिपल सर ने मेरी तरफ देखकर गुस्से से कहा और बाहर खड़े पीयान को अंदर बुलाया
जब पीयान प्रिन्सिपल के कॅबिन मे आया तो प्रिन्सिपल सिर ने उसे मेरे अड्मिशन फॉर्म से मेरे घर का कॉंटॅक्ट नंबर लाने को कहा...
मेरी खाँसी ये सब देखकर एक दूं ठीक हो चुकी थी,अब आँख भी लाल से सफेद हो गयी थी और मेरा पूरा शरीर पसीने से भीग चुका था और यही वो वक़्त था जब सीडार के पॉवर का उसे करके खुद को बचाया जा सकता था...
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"प्लान नंबर. 2 आक्टीवेटेड...."मैने खुद से कहा और फिर अपने चेहरे पर आए पसीने को सॉफ करके बोला"सर,आप बेवजह मेरे घरवालो को परेशान कर रहे है...मैने कुच्छ किया ही नही है ,मैं तो कल रिसेस के बाद से ही हॉस्टिल मे कंबल ओढ़ कर सोया हुआ था..."
"सच मे "मुझपर तिरछि नज़र मारते हुए थ्री स्टार वाले ने पुछा....
"यदि आपको यकीन ना हो तो हमारे हॉस्टिल वॉर्डन से पुच्छ लीजिए...उन्ही के रूम से मैं फीवर की टॅबलेट और झांदू बॉम लेकर गया था...जिसके बाद मैं अपने रूम मे जाकर सो गया और रात के 9 बजे मेरी नींद वॉर्डन के उठाने से खुली...जो उस समय हॉस्टिल का राउंड लगा रहे थे..."
ये सुनते ही प्रिन्सिपल सर ने सामने रखे फोन से हॉस्टिल के फोन पर घंटी मारी,जिसके बाद हमारे वॉर्डन ने उन्हे वही सब बताया जो मैने अभी-अभी बताया था....
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"सॉरी ,पर अरमान सच कह रहा है और मेरी अतॉरिटी मुझे इज़्जजत नही देती कि मैं किसी स्टूडेंट को बेवजह परेशान करूँ...."प्रिन्सिपल सर ने अपना चश्मा टेबल पर रखते हुए पोलीस वाले से कहा और फिर वापस अपने चश्मे को आँखो मे फिट करते हुए एक ए-4 साइज़ के पेपर मे कुच्छ लिख कर,कॉलेज के सील का ठप्पा लगाया और उस कागज को पोलीस वाले के हाथ मे सौंप दिया......
उसके बाद पोलीस वाले ने कुच्छ देर मुझे देखा और वो कागज लेकर वहाँ से चलता बना....
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प्रिन्सिपल के ऑफीस से बाहर निकल कर मैने एक मस्त लंबी साँस ली और ठंडा पानी पीकर क्लास की तरफ खुशी से कूदते-फान्दते गया...इस समय दंमो रानी की क्लास चल रही थी ,पहले तो उसने मुझे अंदर आने की पर्मिशन नही दी लेकिन जब मैने उसे बताया कि मुझे प्रिन्सिपल सर ने एक अर्जेंट काम से बुलाया था तो वो मान गयी और मुझे अंदर आने के लिए....
"बीसी, मेरी जगह पर इसे क्यूँ बैठाया...अब क्या मैं ज़मीन पर बैठू..."लड़कियो के पीछे वाली बेंच पर 7 लड़को को बैठे देखकर मैं धीरे से चिल्लाया और एक साइड अपना पिछवाड़ा टिका कर बैठ गया.....
"अरमान, आया समझ मे कि आन्सर कैसे आया..."चलती क्लास के बीच मे दमयंती ने मुझे खड़ा करके पुछा....
"सब समझ मे आ गया मॅम..."(लवडा समझ मे आया, मुझे तो ये तक नही मालूम की क्वेस्चन क्या था,साली चुदि चुदाई औरत...)
"तो फिर सामने आकर एक्सप्लेन करो..."
"आज थोड़ा...आननह "ज़ोर से खाँसते हुए मैने कहा और फिर रुमाल निकाल कर नाक सॉफ किया"आज तबीयत खराब है मॅम, कभी और एक्सप्लेन करूँगा..."
"ओके,सिट डाउन..."
"थॅंक्स "
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दंमो गयी तो दंमो के बाद एमएस का टीचर आ टपका और भका भक लिखवाना शुरू कर दिया, साला एक तो ढंग से बैठा नही था उपर से वो ऐसे स्पीड मे बोले जा रहा था जैसे कि उसके गान्ड मे किसी ने लंड डाल दिया हो, बक्चोद कही का.....
"म्सी, बाद मे कौन आया है...वो उठकर अपनी जगह जाए..."फ्रस्टेशन मे मैं भड़क उठा....
"कोई कहीं नही जाएगा...जिसको प्राब्लम हो वो दूसरे बेंच मे जाकर बैठे..."
"सुन बे ,यदि ऐसा है तो भूल जा फिर कि दिव्या से मैं तेरी सेट्टिंग करवाउन्गा..."
"सॉरी यार,तू तो बुरा मान गया..."
"बुरा वो मानता है जिसके पास बुर होता है और मेरे पास बुर नही लंड है "
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मेरी ये धमकी असर कर गयी और अरुण ने तुरंत वहाँ से 3 लड़को को आगे भगा दिया ,अब वहाँ सबसे पीछे वाली बेंच पर सिर्फ़ मैं,अरुण,सौरभ और सुलभ बैठे थे...एमएस वाला टीचर अब भी भका भक स्पीड से लिखाए पड़ा था बिना इस बात की परवाह किए की आधे से अधिक लौन्डो-लौन्डियो ने लिखना बंद कर दिया है...लेकिन हम चारो अब भी लिख रहे थे और साथ-साथ मे बक्चोदि भी कर रहे थी....
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"बेटा मुझे कुच्छ दो,वरना मैं सबको बता दूँगा कि उन दोनो को तुम लोगो ने ही ठोका है..."हमारी भका भक लिखाई के बीच मे सुलभ बोला...
"बोल क्या चाहिए तुझे...कार,बंग्लॉ,दमयंती की चूत...तू बोल क्या चाहिए तुझे...तू कहे तो तेरे लिए चाँद-सितारे तोड़ कर ले आउ "
"रहने दे ,तू बस तीन दिन के कॅंटीन का बिल दे देना अरुण...और तू सौरभ,तू बाकी के तीन दिन का बिल दे देना...."
"हम दोनो अपने लंड पर हाथ रख कर तुझे वचन देते है..."अरुण और सौरभ ने एक साथ कहा और अपना एक-एक हाथ अपने लंड पर रख लिया...
"और तू अरमान..."सुलभ की नज़रें अब मुझपर जम गयी...
"मैं तुझे हमारी अगली फाइट मे शामिल करूँगा...."
"ये हुई बात,तू ही है मेरा सच्चा मित्र...आइ लव यू "
"आइ लव यू टू...चल एक पप्पी दे "मज़ाक करते हुए मैं सुलभ की तरफ बढ़ा ही था कि एम एस वाले सर की नज़र हम पर पड़ गयी और वो ज़ोर से चीखा"क्या यार,ये तुम लोग क्या कर रहे हो...बेशर्मी की भी हद होती है..."
"कुच्छ नही सर,वो सुलभ की आँख मे कुच्छ घुस गया था,बस उसे निकाल रहा था..." बिना देरी किए मैं झटपट बोल उठा...
"मुझे मत सीखा तू...और यदि अगली बार से ऐसी हरकत की तो मार-मार के भरता बना दूँगा...समझा..."
"सब समझ गया सर..."
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"अबे उसने हम दोनो को गे तो नही समझ लिया..."कुच्छ देर बाद सुलभ ने पुछा...
"यही तो प्यार है पगले और वैसे भी वो हमारा क्या उखाड़ लेगा..."
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उसके बाद जब तक कॉलेज चला अरुण मेरी जान ख़ाता रहा वो मुझसे कयि बार पुछ चुका था की मैं उसकी,दिव्या से सेट्टिंग कब करवा रहा हूँ...जवाब मे मैने उसे कुच्छ देर रुकने के लिए कहा और जब कॉलेज ऑफ हुआ तो बाहर निकलते वक़्त मैने अरुण का मोबाइल माँगा....
"अब क्या करेगा मेरे मोबाइल का..."
"सीडार का नंबर ऑफ आ रहा है ,एक मेस्सेज कर देता हूँ कि सब कुच्छ कंट्रोल मे है..."
"तो तेरा मोबाइल कहाँ गया..."
"मेस्सेगे पॅक नही है अंकिल..."
अरुण से मैने कुच्छ देर के लिए मोबाइल लिया और फिर उसे वापस कर दिया....जब हम दोनो कॉलेज से हॉस्टिल की तरफ आ रहे थे तभी अरुण अचानक अपने मोबाइल को देखते हुए खुशी से रोड पर ही गिर पड़ा....
"मिर्गी मार गयी क्या बे "
"अबे अरमान...ये देख..."अरुण ने रोड पर लेटे-लेटे अपना मोबाइल मेरी तरफ बढ़ाया ,मैने उसके हाथ से मोबाइल लिया और मोबाइल की स्क्रीन पर नज़र डाली....
"आइ लव यू टू....सेनडर:-दिव्या..."पढ़ते हुए मैने अरुण को हाथ देकर उठाया...
अब अरुण की चाल ही बदल गयी थी...जहाँ हर दिन कॉलेज के बाद हमारी हालत खराब हो जाती थी,वही आज दिव्या के एक मेस्सेज ने अरुण के अंदर एनर्जी ला दी थी...वो इस समय उस छोटे बच्चे की तरह खुश हो रहा था,जिसे उसका मन पसंद खिलौना लाकर दे दिया गया हो....वो बार-बार दिव्या के मेस्सेज को पढ़ता और बीच-बीच मे मोबाइल की स्क्रीन को चूमने लगता...तो कभी अपने मोबाइल को सीने से लगाकर दिव्या का नाम लेने लगता....पूरे रास्ते भर अरुण ने ऐसी हरकते करके मुझे पकाया और जब हम हॉस्टिल के सामने आ गये तो वो रुक गया....
"अब क्या हुआ बे..."
"देखा बे,अपुन की स्मार्टनेस के आगे दिव्या फ्लॅट हो गयी...उसने मुझे खुद प्रपोज़ किया...अब मानता है ना कि मैं तुझसे और सौरभ से ज़्यादा हॅंडसम हूँ...लेकिन मुझे एक बात समझ नही आई कि इसने आइ लव यू टू ,क्यूँ लिखकर भेजा..."
"वो इसलिए मेरे लल्लू दोस्त क्यूंकी तूने उसे आइ लव यू का मेस्सेज लिख कर भेजा था इसलिए उसने आइ लव यू टू ,लिखकर रिप्लाइ किया "
ये सुनकर अरुण फिर से ज़मीन मे गिरने ही वाला था कि मैने उसे पकड़ लिया,
"मैने कब किया बे उसे मेस्सेज..."
"तूने नही,मैने किया था मेस्सेज...तेरे मोबाइल से उसके नंबर पर...कुच्छ याद आया या फ्लॅशबॅक मे ले जाउ..."
"बोसे ड्के ,तूने मुझसे कहा था कि तू सीडार को मेस्सेज करेगा "
"चल बोल पापा
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मैं आज तक यही सोचता था कि मेरी थियरी हमेशा लड़कियो के मामले मे फैल होती है लेकिन उस दिन मुझे ये भी मालूम चल गया कि अरुण भी उन चन्द ग्रेट हमंस मे शामिल है...जिनपर मेरा सिक्स्त सेन्स कभी-कभी फैल हो सकता है....मुझे ये उम्मीद थी कि जब अरुण को मेरे द्वारा दिव्या के मोबाइल पर आइ लव यू ,वाले मेस्सेज का पता होगा तो वो मुझे गले लगाएगा और बोलेगा कि"अरमान कल तेरे कॅंटीन का बिल मैं भरुन्गा" या फिर आज रात के दारू का पूरा पैसा वो देगा....लेकिन साला यहाँ तो मेरी सारी सोच का ही क्रियाकर्म हो गया....मैं चुप चाप हॉस्टिल के अंदर अपने रूम की तरफ जा रहा था और अरुण मुझे गालियाँ बके जा रहा था...
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