RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
सुलभ सच कह रहा था, यदि हम उस वक़्त सी प्रोग्रामिंग का वीडियो डाउनलोड करते तो कुच्छ ना कुच्छ तो भेजे मे घुसता ही...लेकिन हमने ऐसा नही किया,हम चारो ने ऐसा नही किया....
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"अब क्या लवडा दिन भर पढ़ाई ही करेंगे,थोड़ा टाइम तो हमे खुद के लिए निकालना चाहिए..."सुलभ को एक मुक्का जड़कर अरुण बोला..
"बोसे ड्के ,बोल तो ऐसे रहा है...जैसे शाम को 5 बजे हॉस्टिल जाने के बाद से लेकर सुबह के 9 बजे तक बुक खोलकर बैठा रहता है..."सुलभ बोला और अपना हाथ सहलाने लगा...
"जो-जो सी प्रोग्रामिंग का वीडियो डाउनलोड करना चाहता है ,वो अपना लंड खड़ा करे...मतलब कि हाथ"मैने कहा और सुलभ के सिवा किसी और ने अपना हाथ खड़ा नही किया...
"अब वो लोग अपना लंड खड़ा करे जो दूसरी ज्ञान देने वाली चीज़े डाउनलोड करना चाहते है..."
और इस बार हम चारो मे से मैने,सौरभ और अरुण ने अपना-अपना हाथ खड़ा किया और तय ये हुआ कि हम सी प्रोग्रामिंग का ब्वासीर वीडियो डाउनलोड ना करके कुच्छ ज्ञान देने वाली अदर फाइल्स डाउनलोड करेंगे....
"मैं सारी अपकमिंग मूवी के ट्रैलोर डाउनलोड करता हूँ..."सौरभ ने कहा और काम मे लग गया..
"मैं कुच्छ मूवीस डाउनलोड करता हूँ..."किसी हारे हुए शक्स की तरह सुलभ बोला और वो भी काम मे लग गया...
"मैं एचडी मे पॉर्न वीडियो डाउनलोड करता हूँ और फिर बाथरूम को स्पर्म डोनेट करेंगे..."बोलते हुए मैं भी काम मे लग गया...
"मैं क्या करूँ..."
"तू.....ह्म्म्म्..."कुच्छ सोचकर सुलभ बोला"तू सी प्रोग्रामिंग का वीडियो डाउनलोड कर ले..."
सुलभ के मुँह से एक बार और सी प्रोग्रामिंग वर्ड सुनकर हम तीनो ने उसे खा जाने वाली नज़र से देखा और इशारा किया कि यदि उसने एक बार फिर यदि इस जादुई वर्ड का नेम लिया तो उसे बहुत पेलेंगे.....
"अबे मैं क्या करू..."अरुण ने एक बार फिर पुछा...
"तू....फ़ेसबुक से लड़कियो की फोटो डाउनलोड कर..."
"घंटा..."फिर जैसे ही अरुण को कुच्छ याद आया वो बोला"मैं हवेली डाउनलोड करता हूँ..."
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हम लोग इधर दबी मे कॉलेज की वाईफ़ाई का फुल उसे करके अपना काम निकल रहे थे और उधर वो 5 फुट की दुबली-पतली मॅम अब भी कमॅंड पर कमॅंड दिए जा रही थी और लौन्डो के दिमाग़ मे बवासीर फैला रही थी......
जब लॅब ख़त्म हुआ तो हम चारो हॉस्टिल पहुँचे,जहाँ से अपने मोबाइल का सारा मेटीरियल अमर सिर के लॅपटॉप मे डाला और फिर अपने-अपने मोबाइल मे लिया....
"अरमान एक मस्त न्यूज़ है..."अपना बॅग टाँग कर सुलभ बोला
"चल सुना.."
"एक शर्त पर...पहले बोल कि कल कॅंटीन मे मेरा सारा खर्चा कल तू उठाएगा..."
"रहने दे फिर..."
"एश के बारे मे है...सोच ले"
"चल ठीक है...न्यूज़ बता"
"गौतम बॅस्केटबॉल टूर्नमेंट मे जा रहा है,इसलिए 3-4 दिन तक एश तुझे कॉलेज मे दिव्या के साथ ही दिखेगी..."
"परसो मैं तेरे कॅंटीन का बिल दूँगा..."अरुण बोलते हुए बिस्तर से नीचे गिर गया...
"चल पहले मेरे ऑटो का किराया दे,ताकि मैं अपने रूम तक पहुच जाऊ..."
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सुलभ के जाने के बाद सारा दिन कॉलेज के वाईफ़ाई से डाउनलोड किए गये वीडियो को देखने मे बीता और रात के 12 बजे अरुण के दिमाग़ मे ना जाने फर्स्ट एअर के हॉस्टिल जाने का विचार कहाँ से आ गया...हम दोनो फर्स्ट एअर के हॉस्टिल गये और वहाँ अरुण ने अपने दोस्तो को एचडी क्वालिटी मे डाउनलोड की गयी वीडियो दी, वहाँ से हमे एक बहुत ही रोचक इन्फर्मेशन मिली और वो इन्फर्मेशन ये थी कि दीपिका मॅम आज कल फर्स्ट एअर के एक लड़के पर कुच्छ ज़्यादा मेहरबान है...वो अक्सर रिसेस के वक़्त उस लड़के को कंप्यूटर लॅब मे बुलाती है...ये सब जानकार मुझे समझने मे कोई परेशानी नही हुई कि रिसेस मे दीपिका मॅम और उस लड़के के बीच मे क्या होता है....हॉस्टिल के जिस लड़के पर दीपिका मॅम आजकल मेहरबान थी मुझे उससे थोड़ी जलन भी हुई की वो लड़का अब मेरी जगह ले रहा है...खैर कोई बात नही ,क्यूंकी मुझे मालूम था कि दीपिका मॅम मेरे कारनामे को कभी नही भूलेगी और ना ही मुझे...क्यूंकी वो लड़का भले ही मुझसे ज़्यादा हॅंडसम और वेल मेच्यूर हो,वो भले ही सेक्स आर्ट मे मुझसे माहिर हो,लेकिन वो ऐसा लड़का नही था,जैसा कि मैं....मतलब कि वो मुझसे ज़्यादा पॉपुलर नही था और ना ही उसने अपने फर्स्ट एअर के दौरान 7 साल से इंजिनियरिंग कर रहे अपने सूपर सीनियर को मारा था और जहाँ तक मेरा अंदाज़ा है उस लड़के मे इतनी हिम्मत नही थी कि वो एक डॉन के बेटे से बार-बार पंगा ले और उसकी गर्लफ्रेंड को अपने लेफ्ट साइड मे बसा ले..इसलिए मेरी जलन दूसरे पल ही कूलिंग रिक्षन के कारण बुझ गयी...जिसकी(कूलिंग रिक्षन) एक वजह ये भी थी कि मुझे फर्स्ट एअर से ही मालूम था कि दीपिका मॅम और मेरा साथ महज कुच्छ दिनो का है....
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मैं अपने अतीत के पन्ने खोलने मे तुला हुआ था कि हमारे फ्लॅट पर किसी ने दस्तक दी...जिसे देखकर वरुण तुरंत गेट की तरफ भागा....
"अरे सोनम ,तुम यहाँ...ऐसे अचानक..."वरुण हड़बड़ा कर बोला...वरुण की हालत देखकर कोई भी कह सकता है कि जो लड़की इस वक़्त हमारे रूम के दरवाजे पर खड़ी है,उसे यहाँ देखने की कल्पना वरुण ने कभी नही की होगी....
"वरुण, हाउ आर यू..."
"फाइन...लेकिन तुम यहाँ कैसे..."
"पहले दरवाजे से तो डोर हटो..."वरुण को धक्का देकर रेड स्कर्ट और ब्लू जीन्स मे चमचमाती हुई एक लड़की ने अंदर कदम रखा,जिसे देखकर अरुण का मुँह 2 इंच फट गया और मैं रूम मे इधर-उधर पड़ी दारू की बोतल को छिपाने मे लग गया....
"अरे बताओ तो कि तुमने अचानक अपने दर्शन कैसे दे दिए..."
"पहले ये बताओ कि ये दो नमूने कौन है.."और फिर अरुण की तरफ इशारा करते हुए सोनम बोली"इसे बोलो कि मुझे लाइन मारना बंद करे..."
"इसने हम दोनो को नमूना बोला..."गुस्से मे मैने अरुण से कहा...लेकिन मेरी आवाज़ इतनी धीमी थी कि सिर्फ़ अरुण ही सुन पाए...
"रंडी है साली,चुदने आई होगी..."अरुण भी धीरे से चीखा...
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"सोनम,बाल्कनी मे चलते है..."हम दोनो के सामने वरुण ने उस रेड स्कर्ट वाली लड़की का हाथ पकड़ा लेकिन उस रेड स्कर्ट वाली लड़की ने तुरंत वरुण का हाथ झड़कर दूर कर दिया....
"वरुण , तुम नही जानते कि इस कॉलोनी मे मेरी एक फ्रेंड भी रहती है और मेरी उसी फ्रेंड ने मुझे आज सुबह कॉल किया और बोली कि मैं एक लड़के से मिलकर अपनी उस फ्रेंड का मेस्सेज उसके प्रेमी को दे दूं..."
"तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ..."
"असल मे हम दोनो की बात पूरी नही हो पाई और जब मेरी वो दोस्त मुझे उस लड़के का अड्रेस दे रही थी तो कॉल डिसकनेक्ट हो गयी..."
"क्या नेम है उन दोनो प्रेमी जोड़े का..."
"मेरी फ्रेंड का नेम है ,निशा...और उस लड़के का नेम..."
"अरमान..."मैने बीच मे बोला...
"या,राइट...लेकिन तुम्हे कैसे पता, कही तुम कोई तांत्रिक तो नही..."
"वो लड़का मैं ही हूँ...जिसे तुम ढूँढ रही है..."
"ओह ! दट'स ग्रेट,तो तुम ही हो निशा के वो चंपू बाय्फ्रेंड..."
"हां ,मैं ही हूँ निशा का वो चंपू बाय्फ्रेंड..तो चल बता छछुन्दर क़ी निशा ने क्या मेस्सेज दिया है... "
सोनम के द्वारा मुझे चंपू कहने पर मैं भड़क उठा ,जिसका अंदाज़ा सोनम को भी तब हो गया,जब मैने उसे छछुन्दर कहा...साली खुद को बड़ी होशियार समझ रेली थी, लेकिन उसे मालूम नही था कि मैं कौन हूँ....बोले तो उसे इसका ज़रा सा भी अंदाज़ा नही था कि अरमान क्या चीज़ है
"निशा ने फोन पर कहा कि मैं तुम्हे उसकी ईमेल आइडी दे दूं और तुम उससे ईमेल पर बात करो..."मेरे द्वारा छन्छुन्दर बोले जाने पर वो जल-भुन कर बोली...
"ये तुम लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता क्या...अब ईमेल-ईमेल खेलने का कौन सा जुनून निशा को सवार हो गया है..."
"लड़कियो के पास तुम लड़को से ज़्यादा दिमाग़ होता है और निशा ने ऐसा इसलिए कहा क्यूंकी उसके डॅड ने उसपर पाबंदी लगा रखी है, वो अब ना तो किसी से बात कर सकती है और ना ही किसी से मिल सकती है...मेरा अंदाज़ा सही था ,यू आर आ चंपू "
"उस डायन की ईमेल आइडी क्या मुझे सपने मे आएगी..."
"आइ हॅव हर ईमेल आइडी..."अपना छाती चौड़ा करते हुए सोनम ऐसे बोली जैसे ओलिंपिक मे गोल्ड मेडल जीत लिया हो और ना चाहते हुए भी मेरी नज़र उसके सीने पर जा पड़ी...
"वरुण,तुम्हारा दूसरा दोस्त भी मुझे लाइन मार रहा है...."
"क्या अरमान,एक तो ये तेरी मदद करने आई है और उसपर तू इसे अनकंफर्टबल कर रहा है..."सोनम और मेरे बीच खड़े होकर वरुण ने मुझे घूरा...
"मैं इसे अनकंफर्टबल कर रहा हूँ या ये मुझे अनकंफर्टबल कर रही है..."
"हे मिस्टर. मैं कोई ऐसी वैसी लड़की नही हूँ ,समझे..."वरुण को सामने से धक्का देकर सोनम ने मेरी आँखो मे आँखे डालते हुए फाइयर किया....
"वैसे मेरा सवाल ये था कि निशा की ईमेल आइडी मैं कहाँ से लाऊ..."मैने तुरंत टॉपिक चेंज किया और मुद्दे पर आया...
"मैने कहा ना कि उसकी ईमेल आइडी मुझे मालूम है..."सोनम भी मुद्दे पर आते हुए बोली"आक्च्युयली...उसकी ईमेल ईद मैने ही बनाई थी..."
निशा की ईमेल आइडी सोनम ने बनाई है ये जानकार मैं थोड़ी देर तक इंतज़ार करता रहा कि अब वो मुझे निशा की ईमेल आइडी देगी...लेकिन वो चुप चाप खड़ी मुझे देखती रही और जब कुच्छ देर तक और वो एक लफ्ज़ तक नही बोली तो मैं खीज उठा...
"निशा की ईमेल आइडी बताने का क्या लोगि"
"ओह , सॉरी..मैं भूल ही गयी थी.."
"अपुन का स्टाइल ही कुच्छ ऐसा है कि लड़किया मुझे देखकर सब कुच्छ भूल जाती है..."
"ऐसा कुच्छ भी नही है..."एक कागज पर निशा की ईमेल आइडी लिखकर सोनम बोली"अब मैं चलती हूँ..."
"सोनम...रूको,कुच्छ बात करनी है तुमसे...अकेले मे"
"कैसी बात करनी है तुझे"वहाँ मौज़ूद टीने हमान ने मुझसे पुछा...सोनम भौचक्की थी,अरुण ,सोनम को देखकर लार टपका रहा था और वरुण आँखो मे अँगारे लिए बस सोनम के जाने का इंतज़ार कर रहा था,ताकि वो मेरी ठुकाई कर सके....
"वरुण,वैसा कुच्छ भी नही है मेरे भाई,जैसा तू सोच रहा है "वरुण को एक कोने मे लेजा कर मैने समझाया कि मैं सोनम से निशा के बारे मे कुच्छ पुछना चाहता हूँ,जिससे जो उलझन इस समय मेरे दिमाग़ मे है ,वो सुलझ जाए....
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"कब से निशा को जानती हो..."बाल्कनी मे आने के बाद मैने सोनम से पहला सवाल किया...
"लगभग तब से जबसे हम दोनो ने स्कूल जाना शुरू किया,वी आर चाइल्डहुड फ्रेंड्स..."
"तब तो ,तुम मुझे निशा के बारे मे बहुत कुच्छ या फिर ये कहे कि सब कुच्छ बता सकती हो..."
"और तुम्हे ऐसा क्यूँ लगता है कि मैं ऐसा करूँगी..."मेरे ठीक बगल मे खड़े होकर वो बोली"मैं निशा के बारे मे सबकुच्छ जानती हूँ,लेकिन इसका मतलब ये नही कि मैं तुम्हे उसके बारे मे कुच्छ बताने वाली हूँ....तुम्हारा ये घटिया प्लान फ्लॉप है..."
"यहाँ बात फ्लॉप ,हिट,सुपेरहित,ब्लॉकबसटर,ऑल टाइम ब्लॉकबसटर की नही है...यहाँ बात निशा की है..तुम्हे अंदाज़ा भी नही है कि इस वक़्त निशा किस हालत मे है,इसलिए मुझे उसके बारे मे सबकुच्छ जानना ज़रूरी है..."
सोनम कुच्छ देर तक वहाँ चुप चाप खड़ी सोचती रही और फिर दीवार की तरफ जाकर नाख़ून से दीवार को खरोचने लगी....
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"पुछो...क्या पुछना चाहते हो..."मेरी तरफ पलट कर उसने कहा..
"सबसे पहले ये बताओ कि क्या तुम अब भी निशा के घर जाकर उससे मिल सकती हो..."
"नो...यदि मैने ऐसा किया भी तो उसके माँ-बाप मेरी खटिया खड़ी कर देंगे..."
"मैने ठीक ऐसा ही सोचा था,अब ये बताओ कि क्या तुम सोनम के साथ कॉलेज मे पढ़ती थी..."
"हां,हम दोनो एक दूसरे के बेस्ट फ्रेंड थे..."
"तो फिर मुझे ये बताओ कि विश्वकर्मा और निशा का क्या रीलेशन था..."
"तुम विश्वकर्मा को जानते हो..."
"कल ही उसे जाना है..."
"निशा हमेशा से ही अकेली रही थी,उसके माँ-बाप सिर्फ़ नाम के माँ-बाप थे...वो अक्सर मुझसे कहती कि उसे कोई प्यार नही करता...जबकि उसने किसी के साथ कभी ज़रा सा भी ग़लत नही किया और फिर उसकी ज़िंदगी मे विश्वकर्मा नाम का एक तूफान आया ,जिसने पहले शांति से निशा को अपने जाल मे फसाया और फिर निशा को बदनाम करने लगा...उसने पूरे क्लास के सामने निशा को रंडी कहा था, विश्वकर्मा के धोखे से निशा लगभग पूरी तरह मर चुकी थी...लेकिन कॉलेज के आख़िरी दिनो मे कुच्छ चमत्कार सा हुआ, निशा को देखकर ऐसा लगने लगा...जैसे कि उसे जीने की कोई वजह मिल गयी है,जैसे कि उसने अपने लिए एक सहारा ढूँढ लिया हो,वो सहारा तुम थे अरमान...यदि तुम निशा से ना मिले होते तो शायद वो अब तक ज़िंदा नही बचती...यदि तुम उसकी ज़िंदगी मे नही आए होते तो शायद अबतक वो घुट-घुट कर मर गयी होती या फिर स्यूयिसाइड कर लेती..."
"फिर उसने मुझसे झूठ क्यूँ कहा कि उसकी ज़िंदगी मे मैं पहला लड़का हूँ..."निशा के अतीत ने जब मेरे दिल को चीर डाला तब मैने अपना अगला सवाल किया...
"अरमान,कोई शक्स नही चाहेगा कि उसकी एक ग़लती की वजह से उसके आज और आने वाला कल पर बुरा प्रभाव पड़े और शायद इसीलिए निशा ने तुमसे ऐसा कहा...विश्वकर्मा,निशा की ज़िंदगी की सबसे बड़ी ग़लती थी जिसकी सज़ा वो भुगत चुकी है...और अब वो नही चाहेगी कि उसकी ज़िंदगी का सबसे बुरा दौर उसके आज के अच्छे दौर को ख़त्म कर दे..."
"थॅंक्स,अब तुम जा सकती हो..."बाल्कनी के बाहर आसमान की तरफ देखते हुए मैने सोनम को जाने के लिए कहा...
"अरमान..."वहाँ से जाते हुए सोनम बोली"यदि तुमने ज़िंदगी मे कभी कोई ग़लती की होगी तो तुम्हे इसका अहसास ज़रूर होगा...आगे तुम्हारी मर्ज़ी..."
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सोनम के जाने के बाद मैं बहुत देर तक आसमान को निहारता रहा...आज बहुत दिन बाद सूरज ने अपने दर्शन दिए थे,बादलो को भेदती सूरज की किरण मेरे अंदर एक नया जोश ,एक नया उत्साह भर रही थी...मैने टेबल पर रखे उस कागज को उठाया जिसपर निशा का ईमेल अड्रेस था और तुरंत निशा को मैल कर दिया कि, मैं सोनम से मिल चुका हूँ.....
अब मुझे वो सब बीते पल याद आ रहे थे,जब निशा हर वक़्त मेरे पीछे पागलो की तरह पड़ी रहती थी...मैं समझ चुका था कि उसका वो रुबाब सिर्फ़ एक दिखावा,सिर्फ़ एक छलावा था...ताकि मैं ये ना जान पाऊ कि वो मुझे दिल-ओ-जान से प्यार करती है...शायद उसे डर था कि कही मैं उसकी मज़बूरी का विश्वकर्मा की तरह फ़ायदा ना उठाऊ...लेकिन मैं ऐसा नही था..बेशक मुझमे कयि बुराई है लेकिन मैं दूसरो के अरमानो की कद्र करना जानता हूँ..इसीलिए शायद मेरा नाम अरमान पड़ा या फिर यूँ कहे कि मेरा नाम अरमान होने की वजह से मैं इस शब्द की परिभाषा,इस अरमान शब्द का मतलब समझ पाया...और मुझे मालूम ही नही बल्कि इसका अहसास भी है कि अधूरे अरमानो का गम क्या होता है.... पहले जहाँ मैं निशा की कॉल को इग्नोर करता था वही अब मैं चाहता था कि अब वो मुझे एक कॉल करे तो मैं उसकी आवाज़ सुन लूँ...पहले जहाँ मैं किसी ना किसी बहाने निशा के मेस्सेज को टाल देता था अब मैं वही कंप्यूटर स्क्रीन के सामने पिछले एक घंटे से अपनी ईमेल आइडी खोलकर उसके मेस्सेज का इंतज़ार कर रहा था...मैं देखना चाहता था कि वो अपनी खुशी को शब्दो मे कैसे बयान करती है...मेरे लिए अपने लेफ्ट साइड मे धड़क रहे दिल की धड़कनो को वो किस तरह शब्दो मे उतारती है...और यदि इन शॉर्ट कहे तो "नाउ,आइ आम मॅड्ली लव हर "
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निशा के रिप्लाइ के इंतज़ार मे एक और घंटा बीता लेकिन मेरा इनबॉक्स अब तक खाली था, मैने टेबल पर एक साइड रखा हुआ वो कागज का टुकड़ा उठाया ,जिस पर निशा की ईमेल आइडी लिखी हुई थी,और उसे पढ़ने लगा....
"निशा_लव_अरमान@लाइव.कॉम" पढ़ते हुए मेरे होंठो पर एक मुस्कान छा गयी और मैने एक और ईमेल निशा को टपका दिया.....
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"अबे ओये,4 घंटे हो गये कंप्यूटर स्क्रीन के सामने बैठे हुए...बोल तो तुझे ही मैल कर दूं..."एक चेयर खीचकर वरुण मेरे बगल मे बैठा और खाने की प्लेट मेरे सामने रख दी"ले भर ले.."
"मैं तो खाना खाने के बारे मे भूल ही गया था..."खाने की प्लेट को लपक कर मैने कहा"अरुण कहाँ है..."
"पता नही,वो बोला कि कुच्छ ज़रूरी काम आ गया है..."
"सिगरेट-दारू लेने गया होगा साला..."
"अरुण को गाली बकना बंद कर और सामने देख ,शायद उसने रिप्लाइ कर दिया है..."
मैने तुरंत प्लेट नीचे रख कर कंप्यूटर स्क्रीन पर नज़र गढ़ाई..निशा ने रिप्लाइ कर दिया था....
"जैल मे कैसा लग रहा है,जानेमन..."
"बहुत अच्छा,मैं तो इतनी ज़्यादा खुश हूँ कि बता नही सकती...तुम सूनाओ "
"अपुन तो बस मज़े मे है...वैसे तुम्हारा नाम क्या है..."
"मेरी ईमेल आइडी मे मेरा नाम है..."
"अरे मैं तो ओरिजिनल नाम पुच्छ रहा हूँ...डायन"
"फ़ेसबुक पर आइडी है तुम्हारी..."
"नही..मैं तो अनपढ़ गावर हूँ,मेरी आइडी फ़ेसबुक मे कैसे होगी..."
"लिंक मैल करो..."
"कुच्छ लफडा है,लोग इन करते वक़्त कुच्छ एरर आता है..."
"नो प्राब्लम, अरमान मुझे तुमसे कुच्छ बात करनी है..."
"हां बोलो..."
"मेरा मोबाइल छीन लिया गया है..."
"तो मैल कर दे...लड़कियो का दिमाग़ हमेशा घुटनो मे क्यूँ रहता है "
"नही..मुझे बात करनी है..."
"तेरा वो हिट्लर बाप गला दबा देगा मेरा यदि मैं उसे तेरे आस-पास दिख भी गया तो..."
"कोई नही...रात को 12 बजे जब सब सो जाएँगे तब मैं कॉल करूँगी ,मेरे पास एक एक्सट्रा मोबाइल है अभी के लिए बाइ..."
"डायन रुक जा किधर काट रेली है"मैने जल्दी से उसे मेस्सेज भेजकर उसके रिप्लाइ का इंतज़ार करने लगा...लेकिन उसके बाद निशा का कोई मेस्सेज नही आया...और वो रात को कॉल करेगी इस उम्मीद मे मैने कंप्यूटर शट डाउन किया और बिस्तर पर लेट गया....मैं चाहता था कि जल्द से जल्द रात के 12 बजे और निशा का कॉल आए...अभी रात के 8 ही बजे थे कि मुझसे थोड़ी दूर रखा मेरा मोबाइल बजने लगा और मैं लपक कर मोबाइल के पास जा पहुचा और कॉल रिसीव की...
"हां मुर्गियो के अन्डो का सिर्फ़ एक ट्रक पहुचा है ,दूसरा अभी तक नही आया,भाई देखो माल कहाँ फसा पड़ा है..."
"रॉंग नंबर..."मैने कहा और कॉल डिसकनेक्ट कर दी...लेकिन उसके अगले ही पल एक बार फिर उसी नंबर से कॉल आया....
"अरे यार देखो माल कहाँ फसा है, यदि दोनो ट्रक नही आए तो मैं तेरी बीवी को आकर चोदुन्गा..."
"*** चुदा अपनी तू,बीसी यदि दोबारा कॉल किया तो फोन के अंदर घुसकर गान्ड मारूँगा,साले हरामी ,बक्चोद..."गालियाँ बकते हुए मैने मोबाइल बिस्तर पर पटक दिया...
"बेटा अभी तो चार घंटे बाकी है...मुझे तो डर है कि 12 बजे तक कही तू पागल ना हो जाए..."एक पैर बिस्तर से नीचे हिलाते हुए अरुण बोला
"टाइम पास कैसे करू..."
"अपुन के पास एक सुझाव है..."बीच मे वरुण बोला...
"ना..नही....नेवेर..."वरुण का इशारा समझ कर मैने कहा..
"हां...अभी...इसी वक़्त..."
"अबे हर टाइम तुझे मैं कहानी सुनाते रहूं क्या...साले मैं भी इंसान हूँ...बोलते-बोलते मेरा भी मुँह थक जाता है"
"यही तो प्यार है पगले..."
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मन थोड़ा भारी था और बेचैन भी...इसलिए एक स्माल पेग मारकर मैं बिस्तर पर बैठा और मेरे अगल-बगल अरुण-वरुण तकिये पर टेक देकर पसर गये...
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