Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
12-14-2018, 02:30 AM,
#58
RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
"सुलभ,सौरभ..अरुण-अरमान,क्या बात-चीत चल रही है तुम लोगो के बीच...."विभा ने चॉक का एक छोटा सा टुकड़ा हमारी तरफ फेक कर हमे खड़े होने के लिए कहा"अरमान क्या बाते चल रही है उधर..."

विभा के पुछने के साथ ही मैने अपना चेहरा दूसरी तरफ घुमा लिया...मैं तो ये अपने प्लान के लिए कर रहा था,लेकिन मेरे तीनो खास दोस्त भी मेरी कॉपी करेंगे ,ये मुझे नही मालूम था...सौरभ और अरुण बीच मे बैठे थे और चेहरा घुमाते वक़्त(--> <--)दोनो का सर एक दूसरे से टकराया भी था....

"मैने तुम चारो से कुच्छ पुछा है,उसका जवाब दो..."कुच्छ देर तक विभा इस इंतज़ार मे रही कि हम मे से कोई कुच्छ बोलेगा ,लेकिन जब हम चारो चुप रहे तो उसने सामने वाले बेंच पर बैठे एक लड़के से एक पेज माँगा और उसपर हम चारो का नेम लिखकर बोली"जाओ इस पर प्रिन्सिपल से साइन करा कर लाओ..."

"मैने सुना नही ठीक से..आपने क्या बोला.."विभा को आँखो से ब्लॅकमेल करते हुए मैं मुस्कुराया जिसके बाद विभा हड़बड़ा गयी और पनिशमेंट के तौर पर एक-एक असाइनमेंट का हथौड़ा हमारे सर पर दे मारा.....
.
"मॅम यहाँ पास ज़ीरो कैसे आया..."हमारे क्लास के टॉपर ने खड़े होकर विभा पर अपना सवाल दागा और सवाल सुनते ही विभा ढेर हो गयी..

वो 10 मिनिट्स तक पहले बुक पर झाँकती रही और फिर अपने नोट्स पर...लेकिन सिचुयेशन पहले के माफिक गुरु-घन्टाल ही रही....उस क्वेस्चन के आन्सर के लिए विभा ने अपनी चूत और गान्ड एक कर डाली ,लेकिन चूत और गान्ड को एक करने के बाद भी उसे जब आन्सर नही मालूम चला तो उसने क्लास के ब्रिलियेंट स्टूडेंट्स की तरफ ये सवाल फेक दिया...और क्लास के उन ब्रिलियेंट स्टूडेंट्स मे से सिर्फ़ एक का हाथ उपर उठा,जो सही मायने मे ब्रिलियेंट था.....

"यस सुलभ...यहाँ आकर समझाओ..."विभा ने रिक्वेस्ट की...

विभा की उस गान्ड-चूत को एक कर देने वाली रिक्वेस्ट पर हमारे सुलभ बाबू का बिहेवियर कुच्छ रूखा-रूखा सा था...वो बोले"मॅम ,मुझे इसका आन्सर तो पता है ,लेकिन मुझे इंटेरेस्ट नही है..."

"क्या मतलब इंटेरेस्ट नही है..."

"मतलब की इसका कोई मतलब नही है...बस मैं आन्सर देने मे इंट्रेस्टेड नही हूँ..."

"अरे मुझे भी इसका आन्सर मालूम करना है, इनको नही बताना चाहते तो मत बताओ...पर मुझे तो बताओ..."और उसके बाद विभा ने बड़ा सा प्लीज़ ! कहा....
.
सुलभ भी क्या करता, आख़िरकार वो भी तो एक आम लड़का था,जिसका लंड खड़ा होता था, और विभा मॅम की इस सेक्सी रिक्वेस्ट को रिजेक्ट कैसे करता,इसलिए सुलभ अपनी बेंच से उठा और चॉक उठाकर उस क्वेस्चन से रिलेटेड एक लंबा-चौड़ा फ़ॉर्मूला लिखा ,उस फ़ॉर्मूले मे कॉस@ भी था, उसके बाद हमारे सुलभ महाशय सुलभ प्रदर्शन करते हुए @ के प्लेस पर 90 डिग्री रखा और बोले" सभी जानते है कि कॉस90 की वॅल्यू ज़ीरो होती है...प्राब्लम सॉल्व्ड "
.
"वेरी गुड ,सुलभ...तुम्हारा असाइनमेंट कॅन्सल और तुम तीनो का भी"

"थॅंक यू मॅम "हम चारो एक साथ चीखे.....
.
रिसेस मे क्लास के बाहर खड़े होकर हम सब बक्चोदि कर रहे थे कि हॉस्टिल मे रहने वाले फर्स्ट एअर के लौन्डे उधर से गुज़रे...
"अबे सुन..."एक को पकड़कर अरुण बोला"जा कॅंटीन मे देख कर आ कि दिव्या है या नही..."

"लेकिन मैं तो हॉस्टिल जा रहा हूँ और कॅंटीन उसके रॉंग डाइरेक्षन मे है..."

"जाके कॅंटीन मे देखकर आ, वरना छोड़ूँगा...समझा,अब जा..."

उस लड़के को कॅंटीन की तरफ भेजकर अरुण फिर से हमारे साथ बक्चोदि करने लगा...

"दिव्या कॅंटीन मे है..."हान्फते हुए फर्स्ट एअर के लड़के ने कहा...

"धन्यवाद ,चल अरमान..."

"घंटा जाएगा मेरा...."

"अबे चल ना,तेरी भाभी बैठी है कॅंटीन मे..."

"बोला ना एक बार ना..."

"वैसे दिव्या के साथ एश भी है अरमान भैया...."मुस्कुराते हुए फर्स्ट एअर के उस लड़के ने कहा....

"सच और कौन-कौन है वहाँ..."

"दोनो अकेली बैठी है...जब मैं वहाँ गया तो दिव्या किसी लड़के से बहस कर रही थी...पता नही क्या लफडा है..."

"ऐसा क्या, अच्छा ये बता गौतम भी है क्या उधर..."

"नोई..."

"अरुण चल,आज तेरी माल पर हाथ सॉफ करके आते है..."

"क्या बोला बे "

"बोले तो उसपर हाथ सॉफ करके आते है,जो तेरी माल से उलझ रहा है..."

हम दोनो कॅंटीन की तरफ बढ़े ही थे कि सौरभ और सुलभ ने हमे पकड़ कर पीछे खीचा और बोला"दो से भले चार..."

.
"चार से भले दो..."उन दोनो को रोक कर अरुण बोला"वहाँ माल हम दोनो की फसि है और बचाने तुम दोनो जाओगे और वैसे भी झुंड मे कुत्ते आते है और हम शेर है ,चलो अभिच फुट लो इधर से ,दिखना मत इधर अब..."

सौरभ और सुलभ को वापस भेजने के बाद हम दोनो कॅंटीन की तरफ तेज़ी से भागे,

ना जाने मैं क्या-क्या सोच कर आया था...मैने सोचा था कि मेरे उल्लू दोस्त अरुण की तरह किसी दूसरे उल्लू का दिल दिव्या पर आ गया होगा और वही लफडा चल रहा होगा या फिर किसी ने गान्ड कॉमेंट उन दोनो को देखकर मार दिया होगा,या फिर किसी ने उनका सबके सामने मज़ाक उड़ाया होगा...या फिर ऐसा ही कुच्छ दूसरा कांड हुआ होगा,लेकिन जब हम वहाँ पहुँचे तो दूसरा ही नज़ारा देखने को मिला....एश आराम से अपनी जगह पर बैठकर कोल्ड ड्रिंक की चुस्किया ले रही थी और दिव्या उससे दूर काउंटर पर खड़ी होकर कॅंटीन मे काम करने वाले लड़के से लड़ाई कर रही थी....

"ये चिप्स बाहर 15 मे मिलता है तो फिर यहाँ 20 मे क्यूँ..."दिव्या जोरदार आवाज़ मे बोली..

"वो सब मेरे को नही मालूम,अपने को तो 20 मे देने को कहा गया है,इसलिए अपुन तो 20 ही लेगा..."

"ऐसे कैसे 20 लेगा..."उस लड़के को घूरते हुए दिव्या चीखी...

"वो तो अपुन लेकर ही रहेगा..."वो लड़का भी दिव्या को घूरते हुए चीखा...
.
"अरुण,जा 5 तू अपनी तरफ से दे दे और मामला ख़त्म कर "

"लेकिन मेरे पास खुल्ले नही है यार..."

"अबे तो 10 का नोट दे देना बक्चोद..."

"ठीक है..."बोलकर अरुण दिव्या की तरफ बढ़ा और मैं अपनी गोरी बिल्ली की तरफ जा पहुचा....
.
"हाई..."जहाँ एश बैठी थी ,वही उसके पास बैठकर मैने कहा..

"हाई.."कुच्छ देर के लिए उसने अपने मुँह से स्ट्रॉ निकाला और मुझे ही बोलकर वापस कोल्ड ड्रिंक पीने लगी...

"सुन तो.."उसकी तरफ थोड़ा झुक कर मैं बोला...

"क्या है..."वो भी मेरी तरफ झुकी...

"तुम दोनो के रहीस बाप 20 भी नही देते क्या,जो तेरी वो चुहिया फ्रेंड 5 के लिए उस कॅंटीन वाले से लड़ रही है...और तू उसे समझाने की जगह बोतल मे स्ट्रॉ डालकर दारू के शॉट मारे जा रही है...इसलिए मैं तुझे बिल्ली बोलता हूँ..."

"आँख फुट गयी है क्या,ये दारू नही पेप्सी है...और तुम्हे क्या मतलब कि हमे घर से कितने मिलते है..."

"कंजूस होंगे तुम दोनो के पप्पा..क्यूँ "उसके शोल्डर पर अपने शोल्डर से हल्का सा धक्का देकर मैने कहा,जिससे वो खांसने लगी और दिल किया कि उसकी पीठ सहला कर मस्त फिल्मी सीन बनाऊ...लेकिन मेरे सिक्स्त सेन्स और वहाँ मौज़ूद बहुत से स्टूडेंट्स के कारण मैने ऐसा बिल्कुल भी नही किया...

"तुमने मुझे धक्का क्यूँ दिया..."वो बोली और फिर खांसने लगी...

"कितनी नज़्जूक़ है तू डर है कि कही कोई तुझे फूल से ना मार दे...

कितनी प्यारी है तेरी आँखे,डर है कि इन्हे कोई प्यार से ना मार दे..."

"मतलब..."

"कुच्छ नही मैं तो बस मॅतमॅटिक्स का फ़ॉर्मूला याद कर रहा था...."बोलते हुए मैने अरुण की तरफ नज़र घुमाई ,

दिव्या अब भी उस कॅंटीन वाले लड़के से भिड़ी हुई थी और अरुण,दिव्या को बार-बार शांत करने का असफल प्रयास कर रहा था....
"तू जा के उस चुहिया को समझाती क्यूँ नही,फालतू मे लोचा कर रेली है..."

"अभी तो ये शुरुआत है,तुम देखना अभी वो इस छोटी सी बात को कन्ज़्यूमर फोरम तक ले जाने की बात करेगी..."एक प्यारी सी मुस्कान के साथ एश बोली...

और हुआ भी वैसा ही...दिव्या ने उस लड़के को धमकी दी"यदि तूने इस चिप्स पॅकेट के 5 अधिक लिए तो मैं कन्ज़्यूमर फोरम मे केस कर दूँगी..."

"ग़ज़ब,मेरी तरह तेरा भी सिक्स्त सेन्स काम करता है..."एक बार फिर से उसके शोल्डर पर धक्का देकर मैने कहा...

"ये तुम मुझे बार-बार धक्का क्यूँ दे रहे हो..."खिसियाते हुए उसने अपनी पूरी ताक़त के साथ मेरे शोल्डर पर प्रहार किया और जवाब मे मैं मुस्कुरा दिया...

"ये कौन सा पोलीस स्टेशन है..."उस लड़के ने दिव्या से पुछा...

"उपभोक्ता मंच..."अरुण ने उस लड़के को कन्ज़्यूमर फोरम का हिन्दी मे मतलब बताया...

"ठीक है ,15 ही दो...तुम भी क्या याद रखोगी.."दिव्या से परेशान होकर वो लड़का बोला....
.
दिव्या ने चिप्स का बिल पे किया और फिर आकर एश के सामने वाली टेबल पर बैठ गयी....वो अब भी गुस्से मे थी..
"ब्लडी करप्षन, यू नो एश...ऐसे ही करप्टेड लोगो के कारण हमारा देश बर्बाद है..."

"हंड्रेड पर्सेंट करेक्ट..."मैं बीच मे ही बोल पड़ा...

"ओह ! अरमान...हाई..."मुझे देखकर दिव्या बोली"तुम्हारा वो दोस्त है ना अरुण ,वो भी करप्षन मे इन्वॉल्व है...वो तो मुझे बोल रहा था कि मैं उस कॅंटीन वाले को 20 दे दूं..."

"और उसे ये आइडिया इन महाशय ने ही दिया था..."एश बोली...जिसके बाद दिव्या का चेहरा एक बार फिर से लाल हुआ और मैने वहाँ से चुप-चाप खिसकने मे ही अपनी भलाई समझी....सच मे लड़कियो के पास दिमाग़ नही होता...साली हरदम मस्त तरीके से बोर करती रहती है...

मैं और अरुण कॅंटीन मे मामला सुलझाने गये थे लेकिन दिव्या के सच्चे देशभक्त होने के चलते हम दोनो ही सुलझ गये और खाली हाथ कॅंटीन से वापस आए.....
.
"मेरी वाली एक दम सारीफ़ है बे,.."

"और बेवकूफ़ भी अब तू ही देख 5 के चलते उसने कितना बड़ा तमाशा खड़ा कर दिया..."

"बाकलोल है क्या...दिव्या सच तो बोल रही थी कि वो 5 अधिक क्यूँ दे और वो अपने मज़बूत इरादे पर कायम रही,जिसका नतीजा तूने भी देखा."अपना सीना चौड़ा करते हुए अरुण बोला..."इसमे तुझे वो बेवकूफ़ कहाँ से दिख गयी..."

"तूने अभी का नतीजा देखा,लेकिन मैने उसके इस कारनामे से आने वाले कल का नतीजा देखा...अब जानता है जब वो कल कॅंटीन मे अपना पेट भरने जाएगी तो क्या होगा..."

"क्या होगा..."

"होगा ये मेरे लल्लू लाल की कॅंटीन वाला उसे एक ग्लास पानी तक नही देगा और फिर वो यहाँ से कयि किलोमेटेर दूर सिर्फ़ एक कोल्ड ड्रिंक पीने जाएगी..."

"सत्य के रास्ते मे चलने पर ऐसी मुश्किलो का सामना करना पड़ता है बे..इसमे वो तुझे बेवकूफ़ कहाँ से दिख गयी"

"उसे बेवकूफ़ मैने इसलिए कहा क्यूंकी वो उस लड़के से लड़ाई कर रही थी,जिसकी औकात कॅंटीन मे सिर्फ़ टेबल सॉफ करने की है,यदि उसे सच मे करप्षन मिटाना है तो डाइरेक्ट कॅंटीन के मालिक से बात करना था,जो कि उसने नही किया,चल ये सब छोड़ और ये बता की आज लब किस सब्जेक्ट की है..."

"मेरे ख़याल से सी प्रोग्रामिंग की..."

"मुझे भी कुच्छ ऐसा ही लग रहा है..."

वहाँ से थोड़ी दूर आगे जाने के बाद हम दोनो एक दूसरे पर चिल्लाए"लवडे,हमारी क्लास तो पीछे छूट गयी..."

.
सी प्रोग्रामिंग की लॅब मे एक 5 फ्ट की पतली-दुबली लेडी टीचर कंप्यूटर को कमॅंड पे कमॅंड दिए जा रही थी और इधर मैं कन्फ्यूज़ पे कन्फ्यूज़ हुए जा रहा था कि ये लोडी कर क्या रही है...क्लास के कुच्छ होशियार स्टूडेंट्स ,जो कि यहाँ के लोकल थे और घर मे दिन भर कंप्यूटर से चिपके रहते थे ,उन्हे ही सब समझ आ रहा था, मैं तो इस सब्जेक्ट मे वर्जिन था इसलिए फिलहाल तो मैं चुप होकर उन सबको देख रहा था.....

"अरमान लंड, तुझे कुच्छ समझ आया क्या.."अरुण बेचैन होते हुए मुझसे पुछा...

"पूरा समझ गया, बता तुझे क्या बताऊ "

"तेरी भी हालत मेरी तरह है..."

अरुण ने इस बार सौरभ को पकड़ा और उससे पुछने लगा कि कंप्यूटर के अंदर ये कैसा जादू चल रहा है....

"मैं वर्जिन हूँ इस मामले मे..."सौरभ बोला..

"और तू सुलभ,क्या तू बता सकता है कि ये जादू जो कंप्यूटर के अंदर चल रहा है ,उसका राज़ क्या है..."

"मी टू वर्जिन इन दिस माइंड फक्किंग ,लवडा टेकिंग आंड गान्ड मे बवासीर होइंग ,सब्जेक्ट..."

"साले सब देहाती हो,किसी को कुच्छ नही आता..."

"टेन्षन कैकु ले रहा है बावा, दूसरे की कॉपी से कॉपी करने का..."सामने कंप्यूटर के अंदर हो रये जादू को देखकर सौरभ ने कहा...

"तब तक क्या लंड हिलाऊ, 2 अवर्स के लॅब मे कुच्छ तो करने माँगता,जिससे अपना टाइम मक्खन के माफिक कट जाए..."

"अब तो साला हमारे साथ जंगल का राजा भू भी नही है,जो लॅब के खाली टाइम मे पूरे कॉलेज की न्यूज़ सुनाए..."मॅम ने जब एक और जादू किया तो उसे देखते हुए मैं खिसिया गया और भू को याद करने लगा...

"एक आइडिया है..."मोबाइल निकाल कर सौरभ बोला"वाईफ़ाई से नेट चलकर कुच्छ डाउनलोड करते है..."

"सॉलिड आइडिया है...2 घंटे मे तो गान्ड फाड़ बीएफ डाउनलोड कर लेंगे..."

"मेरे ख़याल से हमे सी प्रोग्रामिंग का वीडियो डाउनलोड करके ,देखना चाहिए...क्या पता इस जादू की कोई ट्रिक समझ मे आ जाए.."सुलभ ने कहा और हम तीनो शांत होकर उसे देखने लगे...
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RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू - by sexstories - 12-14-2018, 02:30 AM

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