RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
इतना सुनते ही टी.आइ. खुद पर काबू नही कर पाया और तीसरे लड़के का स्टेट्मेंट लिए बिना ही उन तीनो को भगा दिया और बाद मे हम दोनो को भी जाने के लिए कहा...
"ये चमत्कार तूने किया है क्या बे.."मुझे एक मुक्का मारते हुए अरुण ने पुछा...
"ये चमत्कार किसी और का है..."मैने डबल पवर के साथ मुक्का मारते हुए कहा...
"किसका..."उसने इस बार ट्रिपल पवर के साथ मुक्का मारा...
"वो तो कॉलेज जाकर ही पता चलेगा.."बोलते हुए मैने उसे एक लात मारी और खुशी के मारे पैदल ही कॉलेज की तरफ बढ़ गये...जबकि कॉलेज 5 कीलोमेटेर डोर था
5 किलोमेटेर पैदल चलने के कारण हम दोनो पसीने से तर-बतर हो गये थे और जब पसीने से नहाए हुए कॉलेज पहुँचे तो लंच का बिगुल बज चुका था...
"क्या हुआ बे..."क्लास के अंदर हमारे घुसते ही सौरभ ने पुछा....
"टी.आइ. की फाड़ कर आ रहा हू, साले ने मुझे सॉरी तक बोला..."ताव से बोलते हुए अरुण ,सौरभ के साइड मे बैठ गया....
"मालूम नही यार...कुच्छ चमत्कार टाइप का हुआ पोलीस स्टेशन मे..."दूसरे साइड मे बैठकर मैं बोला"उसके दोस्तो ने ऐन वक़्त पर अपना बयान बदल दिया और हम दोनो को टी.आइ. ने जाने के लिए कह दिया...
"और उन लड़को का क्या हुआ,जिन्होने तुझपर केस किया था..."
"दोनो को टी.आइ. ने कहा कि ये कैसे गवाह लाए थे उन्होने...जो स्टेट्मेंट देने के वक़्त पलट गये...और फिर उन दोनो को भी टी.आइ. ने पोलीस स्टेशन से चलता किया...."
"इस बार तो बच गये बेटा अगली बार ज़रा ध्यान से..."
"मुझे नही इस बक्चोद को बोल..."अरुण को एक मुक्का मारते हुए मैं बोला"इसी को ज़्यादा जोश है रॅगिंग लेने का...."
"अबे वो दोनो के क्या मैने हाथ-पैर तोड़े थे,जो मुझे बोल रहा है....सालो ने फुल प्लॅनिंग से हमे फसाया था..."
"बात तो सही है, लेकिन फिर उसके दोस्त ही उसके खिलाफ क्यूँ हो गये..."
"मुझसे पुछ तो ऐसे रहा है,जैसे मैं कही का अंतर्यामी हूँ "
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आज सीसी की लॅब थी बोले तो विभा मॅम की और जब हम सीसी की लॅब मे पहुँचे तो विभा वहाँ पहले से मौजूद थी और साथ मे एक असिस्टेंट भी था.....
"फाइल कंप्लीट है..."
"नही..."सबसे पहले अरुण ने अपना हाथ खड़ा किया....
"गुड, तुम लॅब से बाहर जा सकते हो...और किसकी-किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."
"मॅम, मेरी भी इनकंप्लीट है..."अब मैने हाथ उपर उठाया....
"तुम भी बाहर जाओ...और किस-किस ने काम पूरा नही किया है..."
विभा मॅम का बोलना था कि एक के बाद एक 6-7 लड़को ने अपने हाथ खड़े कर दिए....तो विभा मॅम गुस्से से सुलग उठी...
"तुम सब अपना नाम एक पेपर मे लिखो और प्रिन्सिपल सर से इसपर साइन करा कर लाओ...."
"ये क्या मॅम...ये सब तो स्कूल मे होता है..."
"मैं कुच्छ नही जानती, जैसा बोला है...वैसा करो..."उसके बाद विभा ने अपना गोरा बदन लड़कियो की तरफ घुमाकर उनसे पुछा"गर्ल्स, तुम मे से किसकी फाइल इनकंप्लीट है..."
और जब लड़कियो मे से किसी ने अपना हाथ खड़ा नही किया तो विभा बोली"गुड...ये होती है स्पिरिट..."
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"मॅम, आज वैसे ही एक केस हो चुका है....यदि प्रिन्सिपल ने मुझे दोबारा अपने कॅबिन मे देख लिया तो मेरी ऐसी-तैसी कर देगा...."
"सो व्हाट...तुम्हे ये सब पहले सोचना चाहिए था..."
जिनकी फाइल कंप्लीट थी...वो सब एक्सपेरिमेंट करने के लिए वहाँ से आगे बढ़ गये और इस वक़्त हम 6-7 लड़के ही वहाँ पर खड़े होकर विभा से मिन्नते कर रहे थे कि वो हमारा नाम प्रिन्सिपल तक ना भेजे और यदि भेजे भी तो मेरा और अरुण का नाम उसमे से मिटवा दे.....
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"तुमने फाइल कंप्लीट क्यूँ नही की ,रीज़न बताओ..."
"मॅम ,मेरी फाइल कंप्लीट थी और मैने अरुण को दी थी और इसने मेरी फाइल कल रात सौरभ को दी और सौरभ ने अपने रूम पार्ट्नर को....और आज सुबह मेरी फाइल नही मिली "
"सॉरी...मैं तुम्हारी कोई हेल्प नही कर सकती..."
"तेरी *** की चूत ,साली रंडी,कुतिया...छिनार..."उसकी आँखो मे देखते हुए मैने आँखो से ही कह दिया और वहाँ खड़े सभी लड़को की तरफ देखकर उची आवाज़ मे कहा"चलो रास्ते मे मैं तुम सबको आ वॉक टू दा जंगल....की कहानी सुनाउन्गा...."
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साली बहुत हवा मे उड़ रही थी...मैं उसे बोल-बोल कर थक चुका था कि यदि प्रिन्सिपल आज मुझे फिर अपनी कॅबिन मे देखेगा तो मेरा भजिया तल देगा...लेकिन साली विभा थी कि टीचर बनने की अकड़ मे उसे कुच्छ समझ ही नही आ रहा था,इसीलिए मैने ए वॉक टू दा जंगल की अपनी और विभा की कहानी दोस्तो को सुनाने की सोच ली......
"अरमान...." आवाज़ देकर विभा ने हमे वापस बुलाया और लॅब की नेक्स्ट क्लास तक फाइल कंप्लीट करने को बोलकर हमे एक्सपेरिमेंट करने दिया.....
उस दिन सीसी की लॅब मे विभा मुझसे कुच्छ बात करना चाहती थी...लेकिन वहाँ बहुत से लड़को के होने के कारण वो चुप ही रही....
"अब आ गयी ना औकात पर..."लास्ट मे एक्सपेरिमेंट की रीडिंग चेक करते वक़्त मैने धीमे से कहा"तुम्हे कभी नही भूलना चाहिए कि मैं अरमान हूँ और जो ये बात भूल जाते है मैं उन पर आटम बॉम्ब गिरा देता हूँ...."
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सीसी की लब ख़त्म होने के बाद अब मेरा सबसे पहला काम ये था कि पोलीस स्टेशन मे झूठा बयान देने वाले उन तीन लड़को को पकड़ कर असलियत मालूम करू...मैने जब अरुण को साथ चलने के लिए कहा तो वो बोला कि उसे अब इस सबसे कोई मतलब नही है और वो सौरभ के साथ सीधे हॉस्टिल की तरफ निकल गया और मैं ,जहाँ फर्स्ट एअर की क्लास लगती थी वहाँ गया.....
"इधर आओ मित्रो..."वो तीनो जब क्लास से निकले तो मैने उन्हे आवाज़ दी...मुझे अपनी क्लास के बाहर देखकर तीनो जहाँ खड़े थे,वही जम गये....
"डरो मत,इधर आओ..."
लेकिन नतीजा पहले वाला ही रहा...वो तीनो अब भी वही जमे हुए थे...
"अबे इधर आओ,वरना ठोक दूँगा..."
"व...वो..वो सब हमने सीडार के कहने पर किया..."उन तीनो मे से एक बोला"जब हमे कॅंटीन मे मालूम चला कि आप ही अरमान हो तो हमारी फट गयी थी..."
"ठीक है तुम तीनो जाओ...मैं सीडार से सारी कड़ी जान लूँगा..."
"गुड ईव्निंग सर.."
"गुड ईव्निंग...."
उन तीनो के जाने के बाद सीडार से बात करने का सोचकर मैने अपना मोबाइल जेब से निकाला ही था कि ,विभा का नंबर स्क्रीन पर दिखा....
"चल भाग साली..."उसकी कॉल को रिजेक्ट करते हुए मैने कहा और उसका नंबर रंडी के नाम से सेव कर लिया....
सीडार से बात करने पर पता चला कि वो जिस फ्लॅट मे रहता है वहाँ तीन फर्स्ट एअर के भी लड़के रहते है....और वो तीन लड़के हम पर केस ठोकने वाले फर्स्ट एअर के उन दो लौन्डो के दोस्त थे....कल रात जब सीडार उनके साथ था तभी उन दो लड़को मे से एक ने उन्हे फोन किया और पोलीस स्टेशन मे अपने पक्ष मे गवाही देने के लिए कहा...लेकिन जब ये बात सीडार को मालूम चली तो उसने सारा खेल ही बदल दिया ,सीडार ने उन तीनो लड़को से मेरे और अरुण के फेवर मे स्टेट्मेंट देने के लिए कहा और वैसा ही हुआ....जिसका नतीजा ये हुआ कि मैं और अरुण रॅगिंग के इस झमेले मे फसे बिना ही इस झमेले से निकल गये....
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"थॅंक्स एमटीएल भाई..."मैने कहा...
"कोई बात नही और अगली बार से कुच्छ करने से पहले अपने 1400 ग्राम का दिमाग़ यूज़ कर लेना....क्यूंकी मैं हर बार तुझे नही बचा पाउन्गा...समझा"
"सब समझ गया एमटीएल भाई..."
उसके बाद मैने कॉल डिसकनेक्ट की और हॉस्टिल की तरफ बढ़ा....अरुण ने पूरे हॉस्टिल मे ये किस्सा फैला दिया था कि टी.आइ. उसकी सोर्स से डर गया और उसे जाने दिया...उसके बाद हमने दोस्तो के रूम मे जाकर गप्पे लड़ाई ,खाना खाया और अपने-अपने रूम पर आ गये...रात के 11 बजे जब मैं सोने की तैयारी कर रहा था तो एक बार फिर विभा का कॉल आया, मैं जानता था कि वो किस बारे मे बात करना चाहती है...इसलिए पहले की तरह मैने उस बार भी उसकी कॉल डिसकनेक्ट कर दी....
विभा की कॉल मैने रिसीव तो की लेकिन अगले ही पल फिर से कॉल कट कर दी....विभा की कॉल डिसकनेक्ट करने के बाद विभा के बारे मे ही सोचते हुए एक सिगरेट निकाली और हॉस्टिल की छत पर आ गया...
पिछले कुच्छ दिनो की भयंकर घटनाओ,जैसे कॅंटीन मे मेरी और गौतम की बहस और फिर आज पोलीस स्टेशन मे हुए ड्रामे से मैं ये भूल चुका था कि कुच्छ हफ्ते पहले मैने सेकेंड सेमेस्टर का एग्ज़ॅम दिया था...जिसका रिज़ल्ट कुच्छ दिनो मे आने वाला था, लेकिन जैसे मैं उस वक़्त ये भूल चुका था...लेकिन मेरे कॉलेज मे पढ़ने वाले 2318 स्टूडेंट्स नही भूले थे और ना ही हमारी यूनिवर्सिटी और ना ही मेरे हॉस्टिल मे रहने वाले लफंगे स्टूडेंट्स.....इसलिए रिज़ल्ट अपने सही टाइम पर आया और मैं उपर हॉस्टिल की छत पर खड़ा सिगरेट पी रहा था.....
"कहाँ है..."सौरभ ने कॉल किया..
"हॉस्टिल की छत पर..."
"अबे रिज़ल्ट आ गया है..."
"एक मिनिट....आगे कुच्छ मत बोलना,वरना मर्डर कर दूँगा..."
रिज़ल्ट आ गया ये सुनते ही मेरे दिल की धड़कने एक दम से तेज़ हो गयी , मैं वही हॉस्टिल के छत के उपर खड़ा सोच-विचार करने लगा कि इस बार फैल होऊँगा या पास...मेरी आँखो के सामने वो वक़्त छाने लगा जब मैं एग्ज़ॅमहोल मे बैठकर एग्ज़ॅम दे रहा था....
"4 सब्जेक्ट मे तो निकल ही जाउन्गा..."मैने खुद से कहा और आधी जली सिगरेट को वही फेक दिया....
"4 मे नही 5 मे पक्का एसी है..."खुद को दिलासा देते हुए मैने एक बार फिर से कहा....
"अरमान,बी आ रियल मर्द...."तीसरी बार खुद को दिलासा देते हुए मैं नीचे आया और हॉस्टिल वॉर्डन के रूम मे गया ,जहाँ पीसी था और रिज़ल्ट प्रिनटाउट करवाने की सुविधा भी थी...
"रोल नंबर बताओ..."मुझे देखते ही वॉर्डन ने कहा और मैने धीरे-धीरे करके अपने रोल नंबर का एक-एक डिजिट बताया और कंट्रोल वॉर्डन के हाथ से अपने हाथ मे ले लिया....
रिज़ल्ट मेरे सामने कंप्यूटर स्क्रीन पर था और मैने डाइरेक्ट उस जगह नज़र घमायी,जहाँ पास या फैल लिखा रहता है.....
"पास..."खुशी से मैं उछल पड़ा और वहाँ खड़े बाकी लड़को से गले मिला...मेरा सीपीआइ इस बार 7.7 के करीब था, इसके बाद मैने अरुण और सौरभ का रिज़ल्ट देखा..पिछली बार की तरह अरुण का इस बार भी बॅक लगा था और बॅक लगाने का कारनामा सौरभ ने भी किया था....लेकिन उनके एसपीआइ लास्ट सेमिस्टर. की तरह इस बार भी मेरे से ज़्यादा था....
"साले पढ़ेंगे नही तो बॅक ही लगेगी ना "मैने ऐसा कहा जैसे पूरे सेमेस्टर मेरे हाथ से एक पल के लिए भी बुक ना छूटी हो....
"तेरा क्या हुआ बे..."प्रिनटाउट निकलवाने के बाद मैने वही खड़े एक लड़के से पुछा...
"3 सब्जेक्ट मे लुढ़क गया..."
"और तेरा..."मैने दूसरे से पुछा..
"दो मे बॅक..."
"देखो बेटा, पास होने के लिए पढ़ना पड़ता है...दिन भर फ़ेसबुक मे ऑनलाइन रहने से कुच्छ नही होता...अगली बार से मेहनत करना तभी पास हो पाओगे वरना सब सब्जेक्ट मे फैल....साले उल्लू..."
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जिन-जिन लड़को की बॅक लगी थी उन्हे सुनाकर मैं अपने रूम आया...वहाँ सौरभ और अरुण बार-बार अपने रिज़ल्ट इस उम्मीद मे देख रहे थे की शायद उनसे देखने मे ग़लती हो गयी हो....
"तुम दोनो फिर से फैल हो गये "उनके जले पर नमक छिड़कते हुए मैने कहा...
"बोसे ड्के तू खुश हो रहा है..."
"नही यार, मैं तो बहुत दुखी हूँ...चेहरे पर मत जा, मैं अंदर से बहुत ज़्यादा दुखी हूँ..."
"ये साले,म्सी मुझे ही हर बार क्यूँ लुढ़का देते है...इनकी *** को चोदु साले हरामी,बीसी..."अरुण चिल्लाते हुए बोला...
"इसी बात पर बाथरूम को स्पर्म डोनेट करके आ..."उदास होने का नाटक करते हुए मैं बोला....
"अरुण रुक, मैं भी चलता हूँ..."अपना मोबाइल एक तरफ गुस्से से फेक कर सौरभ बोला...
"तू किधर चला बे..."
"साले मेरी भी बॅक लगी है...मैं भी स्पर्म डोनेट करने जा रहा हूँ..."
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जिस दिन रिज़ल्ट आया,उस दिन हॉस्टिल कुच्छ शांत था, जिसके भी रूम मे जाओ सब अपने रिज़ल्ट का प्रिनटाउट हाथ मे लिए देख रहे थे कि उन्हे किस सब्जेक्ट मे कितना नंबर मिला है....कुच्छ अपने घर फोन लगाकर खुशी से अपना रिज़ल्ट बता रहे थे तो कुच्छ फोन पर ही गालियाँ खा रहे थे....मेरे रूम मे खुद इस वक़्त मायूसी का महॉल था,इसलिए खुशी के महॉल की तालश मे मैं पूरे हॉस्टिल मे घूमता रहा और रात के 1 बजे पूरे हॉस्टिल का चक्कर मार कर अपने रूम लौटा तो देखा की अरुण ,सौरभ गहरी नींद मे है.....रात के 1 बजे विभा की कॉल फिर आई...
"हां बोलो..."कॉल रिसीव करके मैं बोला...
"रिज़ल्ट आ गया तुम लोगो का, मालूम चला या नही..."
"रात के 1 बजकर 3 मिनिट पर तुमने ये बताने के लिए कॉल किया है..."
"नही...कुच्छ और भी बात करनी है..."
"तो डाइरेक्ट पॉइंट पर आने का, "
"देखो अरमान..."बोलकर वो चुप हो गयी...
"हां दिखाओ..."
"देखो अरमान, तुम मुझे ब्लॅकमेल नही कर सकते..."
"ये पाप मैने कब किया...मॅम"
"सीसी की लॅब मे तुम अपने दोस्तो से क्या बोल रहे थे कि उन्हे तुम आ वॉक टू दा जंगल ,की कहानी बताओगे..."
"हां,तो उसमे बुरा क्या है..."
"आज के बाद वो सब भूल जाओ और किसी से उस बारे मे कुच्छ मत कहना..."
"वो क्या है कि मैं निहायत ही सारीफ़ और सच बोलने वाला इंसान हूँ....मुझे झूठ बर्दाश्त नही होता,इसलिए यदि कोई मुझसे पुछेगा तो सच बताना ही पड़ेगा ना...विभा मॅम"
"रेस्पेक्ट युवर टीचर्स..."
"दिल पे मत ले, मुँह मे ले...आसानी होगी"
"तुम शायद भूल रहे हो कि ,तुम्हारा सीसी सब्जेक्ट का नंबर मेरे हाथ मे है..."
"और तू शायद भूल रही है कि तेरी इज़्ज़त मेरे एल पर है...जिसे मैं जब चाहू तब उतार सकता हूँ...इसलिए अपना रौब उसपर झड़ना ,जो उस काबिल लगे...मेरे सामने यदि दोबारा कभी ऐसी हरकत की तो मैं डाइरेक्ट फ़ेसबुक पर स्टेटस डाल दूँगा और उस दिन ग्राउंड पर जो हुआ उसकी पिक्स भी...जिसमे मैने वरुण और उसके दोस्तो की पेलाइ की और तू भी वहाँ मौज़ूद थी..."
"मैं कॉल रख रही हूँ..."
"तो रख दे, मैं कौन सा इंट्रेस्टेड हूँ तेरी जैसी लौंडिया से बात करने मे....तेरी जैसी को तो मैं चुसता भी नही..."और उसके बाद आदतन अनुसार मेरे मुँह से विभा के लिए बीसी निकल गया
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मेरे ऐसे जवाब से विभा समझ गयी थी कि उसके कपड़े मेरे हाथ मे है,जिसे मैं जब चाहू उतार सकता हूँ....लेकिन फिलहाल मैं ये सब करने के मूड मे नही था,क्यूंकी अक्सर मैने न्यूज़ पेपर और लोगो के मुँह से सुना था कि,लड़कियो की इज़्ज़त करनी चाहिए....और वैसे भी मैं विभा के साथ कुच्छ दूसरा ही काम करने का मूड बना रहा था और यदि मैं ऐसी हरकत करता तो मेरा वो काम शुरू होने से पहले ही ख़त्म हो जाता... दीपिका मॅम के मेरे लाइफ से चले जाने के बाद मुझे उसके बराबर ही हॉट लड़की चाहिए थी और मेरे फॅंटेसी ये भी थी कि वो एक टीचर हो..ऐसा नही था की विभा,दीपिका बाद एकलौती सेक्सी मेडम थी...कॉलेज मे और भी हॉट टीचर्स थी,लेकिन उनको पटाने मे टाइम लगता जो कि अपने पास नही था...इसलिए मैने विभा को चुना...,विभा के केस मे मेरे दो फ़ायदे भी थे ,पहला ये की उसकी चूत ,दीपिका से थोड़ी टाइट होगी ,ऐसा मैने अंदाज़ा लगाया और दूसरा ये कि वो मेरे कंट्रोल मे रहेगी....लेकिन ऐसा सोचते वक़्त मुझे ये नही मालूम था कि मेरी ये सोच,मेरी ये हरकत...एक नयी लड़ाई की बुनियाद रख रही है और इस बुनियाद का नतीजा अब तक के नतीजो मे सबसे बुरा और भयंकर होगा....यहाँ तक की जानलेवा भी ,लेकिन मैं नही रुका...क्यूंकी मुझे जल्द से जल्द विभा को चोदना था...मुझे ये काम फर्स्ट एअर मे ही कर देना चाहिए था लेकिन फर्स्ट एअर मे दीपिका मॅम जैसी हॉट आइटम के सामने विभा को मैने इग्नोर मारा पर अब विभा मुझे माल लगने लगी थी...जिसे मैं जल्द से जल्द चोदना चाहता था...
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विभा को जाल मे फसाने के लिए सबसे पहला काम ये करना था कि मेरे इस अरमान की भनक किसी को ना लगे...मतलब की जैसे मैने दीपिका मॅम को रात-ओ-रात चोदा और सुबह होते ही बात आयाराम-गयाराम हो गयी...वैसी ही सिचुयेशन मैं विभा के केस मे भी अप्लाइ करना चाहता था....इसलिए मैने अपने इस अरमान की भनक अरुण और सौरभ तक को नही लगने दी...दूसरा काम मुझे जो करना था वो ये की विभा पर काबू पाना...ताकि वो मेरी बात ताल ना सके और तीसरा काम उसे ठोकना....ताकि मुझे हर दिन स्पर्म बाथरूम को डोनेट ना करना पड़े....पहला काम तो अंडर प्रोसेसिंग था और इसकी भनक मेरे दोस्तो को तो दूर ,खुद विभा को ये नही मालूम था कि उसको लेकर मेरे अरमान क्या है...दूसरा काम था उसे कंट्रोल करना, जो मैं कल से शुरू करने वाला था और विभा को कंट्रोल करने का मेरा रामबाण ये था की जितना हो सके विभा को इग्नोर किया जाए...ताकि वो मुझसे बात करने के लिए तरस जाए...
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"अबे ओये रुक"वरुण ने एक जोरदार पंच मेरे हाथ मे मारते हुए बोला"क्यूँ बे साले...इस बीच मे एश कहाँ खो गयी...उसे पटाने के लिए तो तूने कोई प्लान नही बनाया और विभा की चूत के लिए बहुत बड़े-बड़े कारनामे किए तूने...."
"और तो और साले ने दीपिका को भी अकेले खाया और विभा को भी...हम सब तो लंड पकड़ कर रह गये..."दूसरे हाथ मे दूसरा पंच जड़ते हुए अरुण बोला....
"अच्छा हुआ,सौरभ और सुलभ नही है...वरना एक-एक पंच वो भी मारते..."अपने दोनो हाथ को अपने ऑपोसिट हाथ की हथेली से सहलाते हुए मैं बोला"अबे सालो दर्द होता है..."
"मुझे तो शक़ है कि तू एश से प्यार भी करता था या नही..."एक और बार जोरदार मुक्का मारते हुए वरुण बोला...
"देख मुंडा खराब मत कर...तुम लोगो को क्या लगा कि मैने कभी एश के लिए प्लान नही बनाया...अबे गधो एश का मामला अलग था, उसका एक बाय्फ्रेंड था जिसका बाप एक गुंडा था...तो सोचो कि यदि मैं सबके सामने उसपर लाइन मारता तो क्या मैं आज तक ज़िंदा बचता..."
"लेकिन फिर भी अपुन को तेरे लव मे फॉल्ट नज़र आ रहा है..."
"एश के लिए मैने जो प्लान बनाया था उसपर मैं खुद श्योर नही था कि मेरा वो प्लान कामयाब होगा या नही...क्यूंकी ना तो मैं ढंग से एश को जानता था और ना ही उसकी पसंद...मैं ये तक नही जानता था कि उसका घर कहाँ है, वो कॉलेज से जाने के बाद क्या करती है,किनसे मिलती है....बोले तो मैं एक ऐसी लड़की से प्यार करता था जो मेरे लिए बिल्कुल नयी थी...."
"फिर तूने उसके लिए जाल कैसे बुना,जो तेरे लिए किसी एलीयन के माफिक थी"
"दिल से किया पगले...मैने उसे दिल से समझा...दिल से ही उसके बारे मे सोचा और दिल से ही प्लान बनाया..."
"घंटा बनाया,चोदु मत बना मुझे..."एक और मुक्का मुझे जड़ते हुए अरुण बोला"ले बता तो अपने दिल का प्लान..."
"अबे तुम दोनो ने मुझे ढोलक समझ लिया है क्या,जो बजाते ही चले जा रहे हो..."ताव मे आकर मैं उठा और अरुण को तीन-चार नोन-स्टॉप पंच जड़ कर बोला"एक बात बता, तुम मे से किस-किस ने एश को फ़ेसबुक पर रिक्वेस्ट भेजी थी..."
"सबने...मतलब कि मैने,तूने,सुलभ,सौरभ,भू,नवीन...लगभग सभी ने उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी थी..."
"और आक्सेप्ट कितनो की हुई "
"सिर्फ़ तेरी..."दिमाग़ को उथल पुथल करते हुए अरुण ने कहा...
"तो बेटा यही तो था मेरा प्लान जो स्लो पाय्सन की तरह एश के दिल मे उतर रहा था...चल बोल पापा "
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नेक्स्ट डे फर्स्ट पीरियड विभा का ही था और वो अपनी आदतन सज-सवार कर क्लास मे आई और एक-एक स्टूडेंट्स को खड़ा करके उनके सेकेंड सेमेस्टर का रिज़ल्ट पुछने लगी....
"7.7 ,एसी"खड़े होकर मैने जवाब दिया...
मेरे मुँह से एसी वर्ड सुनकर सब हँसने लगे,साले ये सोच रहे थे कि मैं फेंक रहा हूँ....
"कीप साइलेन्स..."विभा ने सबको शांत करते हुए कहा"अरमान ,क्या सच मे तुम पास हो गये..."
"नही ,सब मे बॅक है "
"ओके...ओके,डॉन'ट गेट आंग्री..."
"तेरी *** की चूत..."विभा को गाली देते हुए अरुण उठा"एक मे बॅक है मॅम..."
"लास्ट सेमिस्टर मे भी तुम्हारा बॅक था ना..."
"वो निकल गया..."
"गुड..."
उसके बाद बरी आई सौरभ की...
"सेम हियर मॅम..."
"मतलब.."
"मतलब की अरुण की तरह मैं भी एक मे लटक गया हूँ..."
"ओके,सीट डाउन..."
"8.2,...क्लिनिक ऑल क्लियर..."सुलभ एक झटके मे खड़ा हुआ और दूसरे झटके मे बैठ गया...बोले तो वेरी फास्ट प्रोसेस....
सबका रिज़ल्ट पुछने के बाद विभा ने अपना पकाऊ लेक्चर चालू किया, अरुण की आज तबीयत कुच्छ ढीले-ढीले सी थी, सुबह उसने कॉलेज आते वक़्त बताया भी था की उसे बुखार टाइप से लग रहा है...सेकेंड सेमेस्टर मे बॅक लगने से वो बहुत ज़्यादा ही अपसेट था,जबकि सौरभ पहले की तरह मस्त था....
"दुनिया ने चोद के रख दिया है यार, "पीछे वाली बेंच पर अपने दोनो हाथ टिकते हुए अरुण बोला...
"अबे बॅक तो लगती रहती है...इसमे उदास होने की क्या ज़रूरत है..."
"लेकिन हर बार मैं ही क्यूँ,व्हाई मे...इस साले अरमान की तो बॅक नही लगती...ज़िंदगी झंड हो चुकी है मेरी,लगता है कि छत से कूदकर स्यूयिसाइड कर लूँ...लेकिन डरता हूँ कि यदि छत से कूद कर भी नही मारा तो फिर मेरे पॅपा जी ही मुझे मार देंगे...."
"अबे चोदु,तूने वो कहावत तो सुनी ही होगी की...
स्मूद रोड्स नेवेर मेक गुड ड्राइवर्स!
स्मूद सी नेवेर मेक्स गुड सेलर्स!
क्लियर स्काइस नेवेर मेक गुड पाइलट्स!
प्राब्लम फ्री लाइफ नेवेर मेक्स आ स्ट्रॉंग & गुड पर्सन!
बी स्ट्रॉंग एनफ टू आक्सेप्ट दा चॅलेनजर्स ऑफ लाइफ.
डॉन’ट अस्क लाइफ
“व्हाई मी?”
इनस्टेड से
“ट्राइ मी!”....."
"एक लाइन मे इसका मतलब समझा ना "
"मतलब कि बिना बॅक लगे आप एक सॉलिड इंजिनियर नही बन सकते बोले तो बॅक लगनी चाहिए..."मैने कहा...
"तो फिर तू हर बार एसी क्यूँ हो जाता है..."सुलभ ने ताना मारा...
"मेरा तो हर बार खराब पेपर जाता है...लेकिन ये यूनिवर्सिटी वाले पास कर देते है तो इसमे मेरी क्या ग़लती..."
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