RE: Porn Hindi Kahani दिल दोस्ती और दारू
निशा...आज के मॉडर्न जमाने की एक मॉडर्न लड़की, जिसे वो सभी शौक थे,जो एक रहीस खानदान मे रहने वाली लड़कियो मे एक जानलेवा बीमारी की तरह फैल रही है.....लेकिन इन सबमे मे वो पूरी तरह दोषी नही थी,उसे इस तरह का बनाने मे उसके माँ-बाप ने भी उसका बहुत साथ दिया था यदि जो मैने सुना है वो सच है तो उसके अनुसार निशा के माँ-बाप खुद बहुत बड़े अय्याश थे...वो दोनो खुद रात रात भर घर से गायब रहते और उनकी इसी अय्याशी की बदौलत निशा और मैं अक्सर एक साथ वक़्त गुज़ारते थे...उन्हे इस बात की जानकारी भी होगी कि उनकी एकलौती बेटी का चक्कर कयि लड़को से चल रहा है, लेकिन उन्होने कभी इस बारे मे जानने की कोशिश नही की....वरना उन्ही के घर से कुछ कदमो की दूरी पर रहने वाला अरमान ,आज उनके आलीशान घर मे उनकी एकलौती बेटी के बिस्तर पर अपना हाथ बँधवा कर नही पड़ा होता.......
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निशा ने करवट बदली ,लेकिन मेरे हाथ मे उसके हाथ बँधे होने के कारण वो उसका हाथ खिंच सा गया और वो जाग गयी...
"क्या हुआ...तुम जा रहे हो..."
"फिलहाल तो कपड़े गीले है...."
"तो फिर...."मेरी तरफ देखते हुए वो बोली "आज रात यही रुक जाओ..."
"व्हाई ? यहाँ ऐसा क्या है..जो मैं यहाँ रुकु..."
"मैं हूँ..."
"तो..."
"तो..."वो मेरे बगल से उठकर सीधे मेरे उपर आकर बोली"क्या"
"मेरा क्या फ़ायदा होगा यहाँ रुक कर..."
"कभी कभी फ़ायदा और नुकसान को किनारे रख कर सोचना पड़ता है..."
"रियली..."बोलते हुए मैने उसे पकड़ा 180 डिग्री के आंगल पर रोटेट कर दिया, अब मैं उसके उपर था और वो मेरे नीचे...
"इसके सिवा और भी कुछ आता है..."
"शायद नही...."मैने उसके हाथो को अपने हाथो से पकड़ लिया और एक जोरदार किस उसके होंठो पर किया...
"लीव..."
"सोच लो, ये धागा टूट जाएगा..."
"फिर रहने दो..."
"अब आई ना लाइन पर..."
जिस्म मे सुलग रही आग को मिटाने के बाद एक दूसरे के उपर गिर पड़े...अब नींद मुझे भी आ रही थी, और मेरी आँखो के सामने वो दृश्य आ गया जो मैं कभी नही देखना चाहता था...निशा की इस हालत से मुझे वो दिन आ गया था,जब मैं खुद कुछ कुछ निशा की तरह बिहेव करने लगा था......
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तब मैं 12थ मे था, जब मैने एक रात को सपने मे देखा कि मेरे एक दोस्त की मौत हो गयी है...सुबह उठकर मैने उसे एक बुरा सपना समझा और हॉस्टिल से निकलकर खाने के लिए मेस की तरफ बढ़ा...जिस वक़्त मैं खाना लेकर टेबल पर पहुचा तो वहाँ बहुत सारे लोग थे...लेकिन मेरे खाना खाते तक वहाँ से हर कोई गायब हो चुका था...ना तो वहाँ काम करने वाले लोग थे और ना ही वहाँ खाना खाने वाले लोग....लेकिन तब भी मैं वहाँ बैठा खाना ख़ाता रहा ,खाना खाते हुए एक बड़ी ही अजीब सी चीज़ हुई...मेरी थाली अचानक से पूरी पानी से भर गयी थी, मैने गुस्से मे मेस वाले को गाली दी और वहाँ थाली पटक कर वापस जाने के लिए मुड़ा ही था कि मेरा दोस्त जो सपने मे मर गया था,वो मुझे दिखा...मेरा वो दोस्त वहाँ ज़मीन मे बिखरे हुए चावल के दानो को बटोर का इकट्ठा कर रहा था....
"और लवडे क्या हाल है...." कहते हुए मैं वहाँ से आगे बढ़ा,लेकिन मेरे कदम जैसे जम गये थे...मेरा सर बहुत ज़ोर से दर्द किया और मैं वही अपने दोस्त के बगल मे सर पकड़ कर बैठ गया....
"सब खाना गीला गीला है, दाल चावल सब गीला था...इसलिए मैं ज़मीन से उठाकर खा रहा हूँ....ले तू भी खा..."उसने अपना हाथ मेरी तरफ बढ़ाते हुए कहा, उसके बाल इस वक़्त लड़कियो की तरह एकदम लंबे हो चुके थे , और आँखे एकदम लाल...वो आगे बोला
"मैं तो मर चुका हूँ, तूने सपने मे भी देखा था...याद है मैने फाँसी लगाकर अपनी जान दे दी...."
मेरी हालत उस वक़्त ऐसे थी जैसे कि मुझे किसी दहक्ते हुए ज्वालामुखी मे फेक दिया गया हो....मैं वहाँ से भागने के लिए मुड़ा ही था कि ,मैं फिसलकर वही गिर गया.....
और मेरी आँख खुल गयी, मैं सपने मे ज़ोर से एक लात दीवार पर दे मारी थी, जिसका दर्द अब भी था...कुछ देर तक मैं सोचने लगा कि आख़िर हुआ क्या है और जब मैं नॉर्मल हुआ तो मुझे पता चला कि मैं सपने के अंदर सपना देख रहा था...लेकिन उसी वक़्त हॉस्टिल मे कोई ज़ोर से चीखा...नीचे जाकर देखा तो मेरा वो दोस्त हॉस्टिल की बाथरूम मे उपर लगे हुक से लटका हुआ था.......
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उस दिन मेरी दिल की धड़कने कयि घंटो तक तेज़ रही ,मैं उस दिन खाना खाने मेस भी नही गया क्यूंकी मुझे डर था कि वो सब कुछ मेरे साथ ना हो,जो मैने सपने मे देखा था....जब मेरे दिल की धड़कने नॉर्मल हुई तो उन्हे फिर से बढते हुए मेरे एक दोस्त ने,जो अभी अभी मेस से आया था, वो बोला"आज का खाना एकदम गीला था, एकदम गीला...सब कुछ पानी पानी टाइप था, और आज एक लड़का,जिसके लंबे लंबे बाल थे...वो ज़मीन से दाने उठाकर खा रहा था, साले ये मेस वाले भिखारियो को अंदर क्यूँ आने देते है........."
मूह खुला का खुला रह गया, दिल की धड़कने बहुत तेज़ चल रही थी...लेकिन ऐसा लगा कि मैं ज़िंदा ही नही हूँ....तो क्या यदि मैं मेस जाता तो वो सब कुछ मेरे साथ होता ,जो मैने सपने मे देखा था...?
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कुछ सवाल ऐसे होते है,जिनके जवाब कभी नही मिलते...मेरे उस दोस्त ने अपनी जान क्यूँ दी...ये कभी किसी को पता नही चल पाया...उसके माँ-बाप को मैने अपने आँखो के सामने रोते हुए देखा.......
"क्या हुआ..."
"हाां, कुछ नही..."
"ए.सी. ऑन है,लेकिन फिर भी तुम पसीने से भरे हो..."
"कुछ नही,एक बुरा ख्वाब याद आ गया था नींद मे...."
उस वक़्त सब कुछ उल्टा हो गया था,जहाँ कुछ देर पहले तक निशा को मेरी ज़रूरत था ,अब वही मुझे उसकी ज़रूरत थी....
उस वक़्त सब कुछ उल्टा हो गया था,जहा कुछ देर पहले तक निशा को मेरी ज़रूरत थी ,अब वही मुझे उसकी ज़रूरत थी....
कभी-कभी एक बुरा ख्वाब एक बुरी हक़ीक़त बनकर सामने आता है, वो इतना बुरा और भयानक होता है कि हमारे ज़िंदगी को सहारा देने वाले तमाम पहलुओ को एक पल मे तोड़कर बिखेर देता है.....उस दिन भी कुछ ऐसा ही हुआ था, मेरे उस बुरे ख्वाब ने सुबह होते ही सच की सफेद चादर पहनकर मेरी ज़िंदगी मे कुछ पल के लिए अंधेरा कर दिया था....वो डेड ड्रीम मेरे लिए खास भी था और साथ मे डरावना भी....
वो खास इसलिए था क्यूंकी वही मेरा एक ऐसा ख्वाब था ,जो सच हुआ था और डरावना इसलिए क्यूंकी मैं उसमे शामिल था ! आज ये पहली बार नही था,जब मुझे वो दिन याद आया था, अक्सर जाने-अंजाने मे वो याद मुझे आ ही जाती थी और बीते कुछ सालो मे मैने इससे निपटने का तरीका भी ढूँढ लिया था, और उसी तरीके को मैं अभी निशा की बगल मे लेटकर अपनाने जा रहा था...मैने वो कहानी वही से सोचना शुरू कर दिया, जहाँ तक मैने वरुण को सुनाई थी....कितना अजीब इत्तेफ़ाक है कि मैने अब भी आँखे बंद कर रक्खी है और उस दिन जब अरुण गर्ल'स हॉस्टिल से आया तब भी मैं अपनी आँखे बंद करके बिस्तर पर लेटा हुआ था.....
"कौन है बे लवडा...बीसी , भाग जा वरना बॅमबू घुसा दूँगा पिच्छवाड़े मे..."जब किसी ने दरवाज़ा बेहद ही ज़ोर से खटखटाया तब मैने गाली बाकी....साला अच्छा ख़ासा दीपिका मॅम के साथ लॅब वाले सीन को याद कर रहा था.....
"अरमान, मैं हूँ अरुण..."
"तो..."मैने बेड पर लेटे हुए ही कहा"तू कहीं का तोपचंद है क्या,चल भाग यहाँ से,शाम को आना..."
"बीसी, भू को उस मोटी भैंस ने पकड़ लिया है...."
"रुक ,खोलता हूँ दरवाज़ा..."
उठकर मैने रूम का दरवाज़ा खोला और अरुण की तरफ नज़र घुमाई , साले की पूरी फटी पड़ी थी,...
"क्या हुआ बे, लड़कियो ने नकली लंड लगाकर चोद दिया क्या..."
"हट सामने से..."मुझे ज़ोर से धक्का देते हुए अरुण रूम के अंदर आया और बिस्तर पर अपना सर पकड़ कर बैठ गया
"चुद गये यार,अरमान...भू तो गया काम से, कल प्रिन्सिपल उसे लात मार के निकाल देगा...."
माँ कसम मुझे उस वक़्त ज़रा सा भी दुख नही हुआ ,जब अरुण ने कहा कि भू को प्रिन्सिपल कॉलेज से लात मारकर निकाल देगा, जबकि वो मेरे खास दोस्त का खास दोस्त था...मैं उसके बगल मे बैठा और झूठा दुख दिखाते हुए बोला"क्या हुआ..."
"तू साले गे वाली हरकते मत कर अभी खिसक ले इधर से,मेरा मुंडा गरम है..."
"गान्ड मरा,..."वहाँ से उठकर मैं अपने बेड पर वापस पसर गया और आँखे बंद करके वापस दीपिका मॅम के बारे मे सोचने लगा....
वैसे तो 3 हफ्ते बाद हमारा एग्ज़ॅम था ,इसलिए मुझे पढ़ाई के बारे मे सोचना चाहिए था,लेकिन उस वक़्त मैं दीपिका के बारे मे सोच रहा था, और जब दीपिका से बोर हो गया तो,विभा और एश का नंबर आया.......
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उसके करीब एक घंटे बाद भू गान्ड जैसी शकल बनाकर हमारे रूम मे घुसा और घुसते ही ,उसने अपना नया चश्मा, ,अरुण के पैर मे फेकते हुए बोला"तुझे बोला था ,मैने कि चल,वापस चल...वो मोटी सांड़ आ रही है,लेकिन तू...वही रुका रहा और मैं फँस गया..."
"सॉरी,यार...मुझे मालूम नही था..."
"क्या सॉरी,उसने कल प्रिन्सिपल के सामने बुलाया है...वो तो मुझे लड़कियो से पिटवाने भी वाली थी...लेकिन ऐन मौके पर सीडार और अपना चूतिया वॉर्डन पहुच गये...वरना लड़कियो से मार खाने के बाद मैं खुद ही कॉलेज छोड़ देता...."
"ये भोपु..."मैने उसके मज़े लेते हुए कहा"तुझे मालूम है कि तूने अभी -अभी अपने 500 के चश्मे को ज़मीन मे पटक कर छल्लि-छल्लि कर दिया है...."
"य्ाआआआ......"भू अपने दोनो हाथ फैलाकर ऐसे चिल्लाया जैसे जंग के मैदान मे कोई योद्धा दहाड़ मार रहा हो....वो आगे बोला"बीसी,500 का नुकसान.... "
"कुछ सोच बे अरमान..."
"बदले मे क्या मिलेगा..."मैने पुछा...
"ले मेरी गान्ड मार लेना,..."भू गुस्से से बोला..
"डिनाइड...कुछ और "
"क्या"
"तेरे आइटम की गान्ड..."बोलते हुए मैं हंस पड़ा,लेकिन अरुण और भू को गुस्से से उबलता देख मैं शांत हुआ और बोला"सॉरी,मज़ाक कर रहा था..."
"प्लान क्या है..."
मैने एक सिगरेट जलाई और धुआ भू के फेस पर डालकर बोला"याद है ,एक दिन हम तीनो ऐसे ही बात कर रहे थे,तो तूने कहा था कि तूने फॉर्म मे ग़लत नंबर. डाला है..."
"हां तो,इससे भू का क्या लेना देना..."अरुण ने पुछा...
"तो फिर भू ने ताव मे आकर क्या कहा था,याद है "
"यही कि, भू ने फॉर्म मे स्विच ऑफ वाला मोबाइल नंबर. डाला है..."
"तो यदि जैसा मैने सोचा है उसके अनुसार, हमारा गुरु घंताल प्रिन्सिपल,भू के घर मे कॉल करेगा...और पहले वो फॉर्म मे से नंबर निकाल कर कॉल करेगा ,और जब वो नंबर स्विच ऑफ बताएगा तो वो फिर भू से उसके बाप का नंबर माँगेगा..."
"एक मिनट. तुझे कैसे मालूम कि वो प्रिन्सिपल इसके बाप का नंबर माँगेगा..."
"अबे उल्लू, प्रिन्सिपल इसके बाप का कोई रिश्तेदार तो है नही ,जो नंबर मोबाइल मे सेव करके रखेगा..वो इसी से इसके बाप का नंबर पुछेगा और इस वक़्त ये प्रिन्सिपल को मेरा मोबाइल नंबर देगा और खेल ख़त्म..."
"और यदि ऐसा नही हुआ तो..."भू बोला...
"90 % ऐसा होने की प्रॉबबिलिटी है...और यदि ऐसा नही हुआ तो फिर भू गया काम से..."
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अगली सुबह भू, गर्ल्स हॉस्टिल की वॉर्डन के साथ प्रिन्सिपल के ऑफीस मे किसी मुज़रिम की तरह खड़ा था, भू जब से गया था, तब से मैं पूरे हॉस्टिल मे घंटे हुए अपनी आवाज़ को भारी करने की प्रॅक्टीस कर रहा था...तभी जेब मे रक्खा मोबाइल बजने लगा ,और जो सोचा था वही हुआ, कॉल हमारे प्रिन्सिपल आर.एस. तिवारी की थी....
"हेलो, कौन..."आवाज़ बदल कर मैने कॉल रिसीव की...
"आर.एस. तिवारी स्पीकिंग...आप भूपेश के फादर बोल रहे है..."
"यस, आप कौन..."
"आर.एस. तिवारी....शायद आपने मेरे नेम पर गौर नही किया..."
"आर.एस. तिवारी...ह्म्म्म्"कुछ देर मैं कुछ नही बोला...
"हेलो..."मेरे गुरु घंताल प्रिन्सिपल ने दूसरी तरफ से बोला"हेलो...हेलो...आपका सुपुत्र कल शाम के वक़्त गर्ल्स हॉस्टिल मे पकड़ा गया, ये वहाँ क्या कर रहा था,ये आप इसी से पुछ लीजिए"कहते हुए प्रिन्सिपल ने मोबाइल भू को थमा दिया...
"हेलो, पापा..."
"हां बोलो बेटा...बीसी, तू कॉलेज लौंदियो के हॉस्टिल मे जाने के लिए गया है, तू रुक अभी आकर तेरी गान्ड तोड़ता है...."भू को गाली बकते हुए मैने कहा"अबे चूतिए, शकल ऐसी बना जैसे कि तुझे फोन मे सच मुच की गाली मिल रही है...."
उसके बाद मैने कुछ देर तक और भू को डांटा और फिर बोला"अब मोबाइल दूसरे चूतिए के हाथ मे दे..."
"कौन दूसरा.."
"आर.एस. तिवारी को मोबाइल पकड़ा..."
भू ने वैसा ही किया, उसके बाद जैसे ही प्रिन्सिपल सर ने एक बार हेलो किया, तो मैं नोन-स्टॉप सॉरी...सॉरी बोलने लगा...
"सॉरी, सर मैने आपको पहचाना नही, उसके लिए सॉरी सर...उससे ग़लती हो गयी...नेक्स्ट टाइम से वो ऐसा नही करेगा...."
"आप दो तीन दिन के अंदर यहाँ आ सकते है क्या, "
"क्या "जब प्रिन्सिपल ने ये कहा तो मेरी फॅट के हाथ मे आ गयी ,मैने तो ऐसा सोचा तक नही था कि वो भू के बाप को कॉलेज मे बुला भी सकता है....
"अभी तो मैं काम के बहुत फँसा हुआ हूँ,...प्लीज़ सर, आप उसे माफ़ कर दीजिए..."
"यदि आप यही लाइन ,यहाँ मेरे सामने आकर बोलॉगे तो बात बन सकती है..."
"गये बेटा काम से..."
"आपने कुछ कहा..."
"नही...नही,..."
मैं कान मे मोबाइल लगाकर सोचने लगा कि अब क्या करूँ , जिस दीवार के पास खड़ा था ,उसपर अपना सर भी दे मारा,लेकिन फिर भी कोई आइडिया भेजे मे नही घुसा, उल्टा सर और दर्द करने लगा ,और मैं दर्द से कराह उठा...
"आर यू ओके..."
"यस, आइ'म ओके..."
"आंड हाउ ईज़ एवेरिबडी अट होम? "
"एवेरिबडी ईज़ फाइन आंड ईटिंग समोसा..."
मैं मोबाइल रखने ही वाला था कि ,अचानक मुझे आर.एस. तिवारी की वो लाइन याद आ गयी, जो उसने अभी से कुछ देर पहले कहा था"हाउ ईज़ एवेरिबडी अट होम? "
मैं तुरंत चिल्लाया "एक मिनट. सर..."
"यस, कहिए..."
"भू की दादी की तबीयत अचानक खराब हो गया है, उसे हॉस्पियाल ले जाना पड़ेगा....आप प्लीज़ ,आप प्लीज़ उसे कुछ मत बताना, वरना वो टेन्षन मे आकर पढ़ाई नही करेगा,बहुत सेंटी लड़का है....और प्लीज़ इस बार उसकी ग़लती को इग्नोर कर दीजिए.."
इसके बाद मैने कॉल डिसकनेक्ट कर दी, जो मुझे करना था,वो मैने कर दिया था...अब सब किस्मत के हाथ मे था कि आगे क्या होता है, शायद वो एमोशनल होकर भू को इस बार अवाय्ड कर दे....और ये भी हो सकता था कि उस मोटी भैंस के कहने पर प्रिन्सिपल सर भू को लंबी छुट्टी पर भेज दे....जो कुछ भी होना था, वो अब आकर भू ही बताता ,इसलिए मैं बिंदास होकर अपने रूम मे घुसा....
"बात हुई..."
"यस "
"क्या बोला, प्रिन्सिपल ने..."
"खुद जाके पुछ ले..."
"मेरा नाम तो नही लिया भू ने..."
"वही आके बताएगा..."
अभी कुछ ही देर हुए थे कि भू ने एक लात ज़ोर से दरवाज़े पर मारा ,जिसका असर उसके पैर पर भी हुआ, वो अपने पैर सहलाता हुआ खुशी से अंदर आया और मुझे उठाने की कोशिश की......लेकिन उठा नही पाया
"अबे तूने तिवारी से ऐसा क्या कह मारा कि, एकदम प्यार से उसने मुझे भेजा, और साथ मे ये हिदायत भी दी कि मैं नेक्स्ट टाइम से ऐसी वैसी फालतू की हरकत ना करूँ..."
"मैने उससे बोला कि,यदि वो इस टॉपिक पर और बोलेगा तो मैं उसका रेप कर दूँगा...."शान से वहाँ बैठ कर मैं आगे बोला...
"चल जो कुछ भी बोला हो,उससे मुझे क्या....मैं बच गया, वही बहुत है, और इसी खुशी मे एश डार्लिंग की एक न्यूज़ सुन....वो अपने फॅमिली के साथ कुछ दिन के लिए आउट ऑफ सिटी जा रही है...."
"घंटा...चोदु मत बना..."
"परसो मैने लड़की की एक फेक आइडी से उससे चॅट की थी...तभी मुझे मालूम चला"
"साले ,कुत्ते...यही खबर मिली थी सुनने को...भाग यहाँ से वरना ,नीचे मैं पॉइंट पर ऐसा लात मारूँगा कि अंडे का आमलेट बन जाएगा...चल फुट"
"एक और न्यूज़ है..."वो अरुण को सुनाते हुए बोला"कल से फर्स्ट एअर की कॉलेज बंद...आज प्रिन्सिपल फोन मे किसी से कह रहा था,तभी मैने सुना...."
"ये साला....यानी कि अब तीन हफ़्तो तक दीपिका मॅम भी नही दिखेगी "
"भाड़ मे जाए दीपिका, साली रंडी है एक नंबर की...उसे चोदने से अच्छा मूठ मार ले...."
"तू बीसी भाग जा,यहाँ से...वरना लवडा फेक कर मारूँगा तो सारा......."बोलते हुए मैं रुक गया
"नही जाउन्गा, बोल क्या उखाड़ लेगा..."अपना अंदर धंसा हुआ सीना चौड़ा करते हुए भू बोला....
"अबे झनडुलाल, जितना तेरा बाइसेप्स है ना...उससे ज़्यादा मोटा मेरा लंड है...भाग जा यहाँ से वरना मूह मे घुसा दूँगा...."
"चुप होज़ा,वरना यही पटक कर कपड़े की तरह धोउंगा..."
"तू साले ऐसे नही मानेगा..."बोलते हुए मैने उठाया और उसे उसके रूम मे पटक कर बाहर से रूम लॉक कर दिया....
"अब यही सडता रह,जब तक तेरा चूतिया रूम पार्ट्नर नही आ जाता, हुहम साले कल के लौन्डे मुझसे पंगा लेते है...."
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