RE: Maa ki Chudai मा बेटा और बहन
माँ बेटा और बहन-4
गतान्क से आगे…………………
होंठो को चूमने पर वह और मस्त हुई तो मेने उसके होंठो को अपने मुँह मे
लेकर खूब कसकर चूसा. 3-4 मिनट होंठ चूसने के बाद अलग हुआ तो वह
हाँफती हुई बोली, "ऊऊहह आआहह स भाई जान आहह बहुत अच्छा लगा हाई
भाई जान इनको मुँह से करो."
"क्या करें?"
"भाई जान मेरी चूचियों को मुँह से चूस चूस कर पियो."
मे खुश होता बोला, "लाओ पिलाओ अपनी चूचियों को."
फिर मे उसको अलग कर लेट गया तो वह उठी और मेरे ऊपर झुक अपनी एक चूची
को अपने हाथ से पकड़ मेरे मुँह मे लगा बोली, "लो भाई जान पियो इनका रस्स."
मे उसकी चूची को होंठो से दबा दबा कसकर चूस रहा था. वह अपने हाथ
से दबा पूरी चूची को मेरे मुँह मे घुसाने की कोशिश कर रही थी. 3-4
मिनट बाद उसने इसी तरह दूसरी चूची भी मेरे मुँह मे दी. दोनो को करीब
दस मिनट तक चुसाती रही और मे उसकी गांद पर हाथ लगा उसके चुतर
सहलाता पीता रहा.
फिर वह मुझे उठा मेरी गोद मे पहले की तरह लेट गयी और फिर मेरे हाथ को
अपनी एक चूची पर लगा दबाने का इशारा किया. मे दबाने लगा तो उसने मेरे
चेहरे को पकड़ अपनी दूसरी चूची झुकाया. मे उसका मतलब समझ उसकी एक
चूची को मसलने लगा और दूसरी को पीने लगा. वह अब मुझे ही देख रही थी. वह
मेरे सर पर हाथ फेर रही थी.
वह मेरे कान मे फुसफुसा भी रही थी, "हहाअ आहह हाई भाई जान बहुत अच्छा
लग रहा है हाउ आप कितने अच्छे हैं."
"तू भी बहुत अच्छी है."
"भाई जान एक बात तो बताओ? अभी जब आपसे खाने को पूछा था तो आप किनका
रस पीने को कह रहे थे?"
"जिनका रस पी रहा हूँ, तेरी चूचियों का."
"हाई भाई जान आप कितने वो है."
तभी किचन से मम्मी की आवाज़ आई वह शुमैला को बुला रही थी.
शुमैला हड़बड़ाकर उठा बैठी और अपने कपड़े ठीक करती बोली, "जी मम्मी."
"बेटी क्या कर रही हो?"
"कुच्छ नही मम्मी आ रही हूँ." वह बहुत घबरा गयी थी और मुझसे बोली,
"हाई भाई जान दरवाज़ा खुला था कहीं मम्मी ने देख तो नही लिया?"
"नही यार वह तो किसी काम से बुला रही हैं?"
"बेटी अगर फ्री हो तो यहाँ आओ."
"आई मम्मी." और वह चली गयी तो मे भी साँसे दुरुस्त करने लगा.
अपनी बहन की चूचियों का रस पीकर तो मज़ा ही आ गया था. मे फिर जल्दी
से किचन के पास गया. मम्मी रोटी सेक रही थी. शुमैला उनके पास खड़ी हुई.
वह अभी भी तेज़ी से साँसे ले रही थी.
मम्मी उसे देखकर बोली, "क्या हुआ बेटी, तू थकि लग रही है?"
"नही तो मम्मी मे ठीक हूँ."
"क्या देख रहे थे तुम लोग?"
"फिल्म मम्मी, मम्मी बहुत अच्छी फिल्म थी."
"अच्छा अच्छा बेटी तुम्हारे भाई जान कहाँ हैं?"
"वह तो अभी टीवी ही देख रहे हैं. मम्मी कुच्छ काम है क्या?"
"नही बेटी क्यों?"
"मे जाउ टीवी देखने भाई जान अकेले बोर हो जाते हैं."
"बहुत ख्याल रखती है अपने भाई जान का. जा देख जाके भाई के साथ. मुझे अभी
10 मिनट और लगेगें."
वह खुश हो जल्दी से बाहर निकली तो मेने उसे पकड़ अपनी गोद मे उठाया और टीवी
रूम मे ले आया. वह मेरे गले मे बाँहें डाले मुझे ही देखे जा रही थी.
अंदर आ मे बैठा और उसे अपनी गोद मे बिठा उसके होंठो को चूम उसकी दोनो
चूचियों को दबाने लगा. दो मिनट बाद उसके बटन खोलना चाहा तो वह बोली,
"नही भाई जान बटन ना खोलो ऐसे ही करो . मम्मी आ सकती हैं."
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