Antarvasna kahani माया की कामुकता
12-13-2018, 02:42 AM,
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
राकेश अपनी गाड़ी में सीमी और शालिनी को लेके बोरीवली की ओर चल पड़ा... भारत पीछे अपनी गाड़ी में आ रहा था,

राकेश काफ़ी धीरे धीरे बढ़ रहा था, वो आगे के बारे में सोचने लगा.. अगर सब कुछ उसके हाथ से चला जाएगा तो वो क्या करेगा, कहाँ रहेगा... और अपने गुनाहो की सज़ा उसके साथ साथ उसकी फॅमिली को मिल रही थी... यह सब सोच सोच के वो काफ़ी परेशान हो रहा था, गाड़ी के पवरफुल एसी में भी उसका चेहरा पूरा पसीने से भीगा हुआ था.. स्टियरिंग पे उसके काँपते हाथ देख सीमी ने उसे कहा



"राकेश, डोंट वरी.. जब तक हम सब साथ हैं, हमारा फ्यूचर भी सेफ है... मुझे पूरा विश्वास है तुम पे... रिलॅक्स रहो, और जो हो रहा है.. होने दो..." 



सीमी की बात सुन के राकेश को अच्छा लगा, लेकिन फिर भी उसको चिंता घेरे हुई थी.. उसने कुछ जवाब नहीं देके गाड़ी की स्पीड बढ़ाई और आगे बढ़ता चला गया.. कुछ दूर जाके, राकेश ने पीछे देखा तो भारत नहीं दिखा उसे.. राकेश ने भारत को फोन किया पर कोई जवाब नहीं आया... इससे राकेश की चिंता और बढ़ गयी..



"डॅड, रिलॅक्स.. भारत ने ज़रूर कुछ सोचा होगा.. आप चिंता ना करें प्लीज़..." इस बार शालिनी ने कहा और फिर राकेश घबराने लगा... करीब आधे घंटे बाद जब भीड़ भाड़ वाले इलाक़े से राकेश आगे बढ़ा, बताए हुए अड्रेस पे जाके उसने कार पार्क की... जब उसने ध्यान से उस घर को देखा, उसकी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी...



"यह वोही घर है जहाँ से मैने उस रात पैसे चोरी किए थे ताकि मैं हवाला में घुस सकूँ.... रेआलिटी ऑफ लाइफ... व्हाट गोज़ अराउंड.. कम्ज़ अराउंड.." राकेश ने सीमी और शालिनी से कहा और तीनो अंदर की तरफ बढ़ने लगे..

उधर करीब 20 मिनट बाद , भारत भी बोरीवली वाले रास्ते पे आ गया.. रास्ते में उसने दो तीन फोन किए जिसमे से एक मुन्ना को था..



"हां मुन्ना, समझ गया ना.. अगर तूने मेरा यह काम कर दिया, तो तुझे पैसे से तोल दूँगा समझा.. और कोई गड़बड़ हुई तो.."



"अरे साब, आज तक क्या गड़बड़ हुई है... आप फ़िक्र ना करें, अपुन भी आधे घंटे में बोरीवली पहुँचता है.. " कहके मुन्ना ने फोन कट किया और भारत गाड़ी आगे बढ़ाने लगा.



राकेश, सीमी और शालिनी तीनो मेन गेट पे पहुँच के दरवाज़ा खुलने का इंतेज़ार करने लगे... करीब 1 मिनट में, जब दरवाज़ा खुला, तो उनके सामने एक साया था.. धीरे से तीनो अंदर की तरफ बढ़ने लगे, लेकिन अंधेरा होने की वजह से तीनो कुछ ज़्यादा चल नहीं पा रहे थे आगे.. थोड़ा आगे आके जब तीनो रुके



"यहाँ इतना अंधेरा क्यूँ है..." सीमी ने राकेश से कहा...



"यह अंधेरा भी तुम्हारी वजह से ही हुआ है.. तुम्हारे पति की वजह से, उसकी लालच की वजह से.. और आज इस अंधेरे में रोशनी भी यही फेलाएगा, यही शक्स..." एक चीख ने तीनो लोगों का ध्यान कमरे में सामने की तरफ मोड़ा, और धीरे धीरे कर घर की हर एक लाइट जलने लगी.. जैसे जैसे लाइट जलती, वैसे वैसे तीन परछाईयाँ उनको दिखती... जब सब बतियां जल चुकी थी, राकेश के सामने खड़ा था उसका अतीत, और उसका आने वाला कल...



"वेलकम डॅड.. हाउ आर यू...... आंड मेरी सौतेली मोम... क्या हाल हैं आपके हाँ..." उस लड़की ने आगे बढ़के कहा



"भाभी जी.. कैसी हैं आप.. भैया कहीं ज़्यादा परेशान तो नहीं कर रहे ना आपको..." उस लड़की ने शालिनी को गले लगाते हुए कहा



"देखो, जिस काम के लिए आए हैं, उस काम पे आओ.. ज़्यादा बकवास नहीं सुननी मुझे" राकेश ने तंग होके कहा



"सुनना तो तुमको पड़ेगा राकेश... सुनना तो पड़ेगा, क्यूँ कि आज मेरा वक़्त आया है... तुम्हारी वजह से मेरा बाप मरा, मेरी माँ विधवा हुई, बचपन से मैं अपनी बहेन से दूर रही... और तुम मुझे चुप रहने के लिए कह रहे हो.... नहीं राकेश, आज तक तुम बोल रहे थे, अब से बस मैं बोलूँगी...."



"खैर... बातें तो मैं काफ़ी सारी करूँगी, पर उससे पहले क्यूँ ना पेपर्स साइन कर दिए जायें.. बहेन, ज़रा पेपर्स लाना, और साथ में पेन भी.." दो लड़कियाँ राकेश के आगे कुछ पेपर्स लाई... राकेश ने पेपर्स देखे तो वो भी शॉक हो गया....



"हैरान मत हो राकेश.. इसमे सिर्फ़ यह लिखा है कि तुम अपनी सारी प्रॉपर्टी, बॅंक बॅलेन्सस, कॅश, स्टॉक्स, गाड़ियाँ, तुम्हारी यूएस वाली प्रॉपर्टी और बिज़्नेस.. ये सब चीज़े मेरे नाम कर रहे हो.... चलो जल्दी साइन करो, मेरे पास बातें बहुत हैं.. और वक़्त कम.... और हां, मेरा भाई नहीं दिख रहा... वो कहाँ है आख़िर...." इस आख़िरी वाक्य के ख़तम होते ही घर की सब लाइट्स एक बार फिर ऑफ हो गयी... लाइट्स के ऑफ होते ही राकेश और सीमी के साथ शालिनी घबराने लगे.. लेकिन वो लोग वहीं खड़े रहे..



"लाइट्स को क्या हुआ... मेहुल , चेक करो जल्दी से... मुझे कुछ होशयारी नहीं चाहिए.. जल्दी देखो.." जो आवाज़ अब तक बुलंद थी, वो अब अचानक घबराने लगी थी.. मेहुल भी जल्दी से दौड़ने लगा ही था, कि सब के कानो में पड़ी कुछ कदमों की आवाज़.. धीरे धीरे राकेश के सामने से एक शक्स उनकी ओर चला हुआ आ रहा था...जब सब शांत हुआ, तो घर की लाइट्स भी जलने लगी.. एक एक कर घर की सब बत्तियाँ रोशन हुई... राकेश सीमी और शालिनी के साथ खड़ा था भारत..



"हेलो दीदी.. कैसी हो , तुमने पुकारा और हम चले आए.." भारत ने एक शैतानी हँसी में कहा



"ओह तो तुम हो.. मुझे लगा कोई चोर है... खैर, एक ही बात है.. तुम भी तो चोर के बेटे ही हो..." उसे जवाब मिला....



"अब ज़्यादा टाइम नहीं वेस्ट करो, जल्दी से इन पेपर्स पे साइन करो और चलते बनो.." मेहुल ने राकेश से कहा, जिसके हाथ में एक रिवॉल्वार थी...



राकेश ने कुछ देर सोचा, और एक नज़र भारत की तरफ की... भारत ने साइन करने का इशारा किया... जैसे ही राकेश ने पेन की निब पेपर्स पे रखी, उसके आगे उसका बीता हुआ कल एक फ्लॅशबॅक की तरह आ गया.... जहाँ राकेश अभी साइन कर रहा था, यहाँ काफ़ी साल पहले राकेश ने अपने दोस्त के साथ खाना खाया था... सब चीज़ें उसके दिमाग़ में आने लगी.. उसके दोस्त का चेहरा, उनके साथ किए हुए काम, राकेश की वो की हुई बेईमानी, उसके दोस्त की मौत, उसके दोस्त की विधवा.. सब कुछ... 



"डॅड, साइन कीजिए.. फिर लॅंड्स एंड में ड्रिंक्स के लिए भी चलना है..." भारत ने राकेश के कंधे पे हाथ रख के कहा जिससे राकेश वापस प्रेज़ेंट में आ गया.... होश संभाल के राकेश ने पेपर्स पे साइन किए और पेपर्स आगे बढ़के थमाने लगा... जैसे ही राकेश ने पेपर्स मेहुल के हाथ में थमाए, ठीक उसी वक़्त अचानक मेहुल के पीछे से ही कुछ दौड़ते हुए लोगों की आवाज़ उनके कानो पे पड़ने लगी... जब राकेश ने सामने और मेहुल ने मूड के देखा, तो जिस दिशा से भारत आया था, उसी दिशा से कुछ कॉन्स्टेबल्स और दो सीनियर इनस्पेक्टर्स आगे आ रहे थे... उन सब को देख मेहुल आगे के गेट की तरफ बढ़ने लगा लेकिन नाकाम रहा..



"तो दीदी... आज का क्या प्रोग्राम है.." भारत ने पेपर्स अपनी ब्लेज़र में डाल के कहा



"यू आर अंडर अरेस्ट मिस..." सीनियर इन्स्पेक्टर ने इतना ही कहा कि बीच में भारत फिर बोला



"मिस रीना शाह.... मेरी प्यारी दीदी.... और मेरी मौसेरी बहेन... प्रीति.." भारत ने कहा



"तुम्हे क्या लगा, तुम आसानी से सब कुछ कर लोगि.. और मुझे पता तक नहीं चलेगा... तुम्हारे दिमाग़ की तारीफ़ करनी पड़ेगी आख़िर , अपने दो साथियों को आगे के गेट की तरफ रखा, ताकि कुछ भी गड़बड़ हो तो तुम्हे बता सकें... जब मैने उन्हे घर से थोड़ा दूर खड़े हुए देखा, उसी वक़्त मैं समझ गया तुम्हारे प्लान के बारे में.. तभी पीछे का रास्ता अपना के मैं यहाँ आया हूँ..... 

अच्छा किया तुमने कि प्रीति को भी इन सब में शामिल कर दिया... जिस दिन डॅड ने तुम्हे तुम्हारी मरती हुई माँ के सामने सब बताया, तुम प्रीति के पास, यानी नताशा के घर पहुँची.... नताशा ने जब तुम्हे ठीक नही बताया, तब तुमने उसे भी जान से मारने की धमकी दी... नताशा से जब तुम जान गयी कि प्रीति यूस में है, तुम उससे यूएस मिलने चली गयी.. प्रीति को हमारे खिलाफ भड़का के, तुमने उसे अपनी साइड में ले लिया... प्रीति से मिलके जब तुम वापस इंडिया आई, तब तुमने मेरे बारे में पता किया.. मेरे बारे में ढूँढते ढूँढते तुम्हे मेहुल का पता मिला... तभी तो अपने वकील से बात करके, मेहुल की बीमारी का नाटक कर के, तुम लोगों ने उसे परोल पे छुड़ाया... अब तुम्हारे साथ मेहुल भी जुड़ गया.. प्रीति यूएस में अपना काम निपटा के तुम्हारे पास आने की तैयारी कर रही थी.. पर अफ़सोस, मैने प्रीति को शॅरन से मिलाया था.. न्यू यॉर्क में जब शॅरन ने एक शाम को प्रीति के घर विज़िट ली, फोन पे उसने प्रीति और तुम्हारी बातें सुनी... यहाँ पे शॅरन ने यह सब बातें मुझे बताना चाही, लेकिन उसने सिड से डिसकस करना बेहतर समझा... जब सिड को इन सब के बारे में पता चला, मुझसे बदला लेने की आड़ में वो प्रीति के थ्रू तुमसे मिला... क्यूँ कि शॅरन अब तुम्हारे खिलाफ सब जान चुकी थी, इसलिए तुमने सिद्धार्थ को पैसों का और मुझसे बदला लेने के लिए भड़काया और शॅरन का खून करवाया.. 

उधर मेहुल ने भी अपने बदले की आग को ठंडा करना चाहा.. बॅंक के कांड के बाद जब इसे पता चला निधि मेरे साथ थी, इससे रहा नहीं गया और यह बदले की आड़ में निधि की जान लेने की सोचने लगा.. इसी बीच जब प्रीति और सिद्धार्थ दोनो यूएस से आए, तब तुमने प्रीति का टेस्ट लेना चाहा.. प्रीति तुम्हारे साथ वाकई में है या नहीं, यह जानने के लिए तुमने उसे निधि का खून करने का काम सौंपा.... प्रीति जानती थी निधि मलेशिया में है, इसलिए उसे कुछ ज़्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ी.. लेकिन अफ़सोस.. तुम्हारा राज़ इसने खोल दिया..." भारत ने अपने जेब से चैन निकालते हुए कहा... चैन देख के प्रीति और रीना दोनो हक्के बक्के रह गये... रीना बस एक टक चैन को ही देखती रही, और प्रीति भी वहीं बस ज़मीन को घूर्ने लगी..



"डोंट वरी... मुझे प्रीति ने नहीं बताया, जिस दिन मैं तुम्हारे घर खाने आया था, तुम्हारी फोटो देखी थी.. कमाल लग रही थी यह चैन तुम्हारी गर्दन पे.... उस दिन से मैं यह सोच रहा था, कि यह चैन मलेशिया में कैसे पाई गयी, क्यूँ कि जिस दिन निधि का खून हुआ, उस दिन तो हम कोलकाता में ही थे... और मेरी किस्मत देखो.. डॅड, जब वर्ल्ड टूर पे थे, तुमने तभी उन्हे ब्लॅकमेल स्टार्ट किया... तुम्हे लगा शायद अपने अतीत के बारे में वो अपने बेटे से छुपाएँगे और तुम उसका फ़ायदा लोगि.. पर मिस रीना शाह... तुम यह भूल गयी, कि तुम्हारे सामने मैं हूँ..... और हां, इन सब में एक बात का और भी पता लगाया है मैने... जब सिद्धार्थ ने शॅरन का खून किया और कंपनी में रिज़ाइन रखा, तब रूबी उसके घर गयी थी.. 
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RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता - by sexstories - 12-13-2018, 02:42 AM

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