RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
एसीपी, मेहुल और भारत के साथ मेहुल के उस फ्लॅट में पहुँचा जहाँ पैसा पाया गया था... इतने में राकेश और उसके वकील भी वहाँ आ पहुँचे..
"भारत, यह सब क्या है. यह कौन है, एसीपी, व्हाट्स हॅपनिंग.." राकेश ने आके कहा
"डॅड.. रिलॅक्स, आप आइए मेरे साथ जहाँ ये जनाब ले जाएँगे हम को.." भारत ने राकेश से कहा और मेहुल के साथ सब लोग उपर पहुँचे.. जैसे ही सब उपर पहुँचे, मेहुल ने जल्द से दरवाज़े के उपर की कॅमरा निकाला और एसीपी के हाथ में थमा दी.. जैसे ही एसीपी ने कॅमरा लिया, उसके फोन पे कॉल आया.. उसके आदमी ने कॉल डीटेल्स ला दी थी और उसको पोलीस स्टेशन में आने को कहा..
"मिस्टर भारत, वी आर सॉरी टू रूबल यू, बट आपको और सब को फिर स्टेशन चलना पड़ेगा.. वहाँ सब क्लियर हो जाएगा.. चलिए" कहके एसीपी आगे बढ़ा और भारत और राकेश भी उसके पीछे चल पड़े.. राकेश और भारत अपनी गाड़ी में आए और मेहुल एसीपी के साथ पोलीस जीप में.. जैसे जैसे स्टेशन नज़दीक आ रहा था, मेहुल के चेहरे पे पसीना बढ़ता जा रहा था.. उसके चेहरे से सॉफ दिख रहा था कि उसका दिल भी मान चुका है कि वो फँस गया है... स्टेशन पहुँच के एसीपी ने कॉल डीटेल्स देखी और देखते ही देखते उसकी आँखें बड़ी हो गयी
"देख लिया जनाब आपने, मैने कहा था आपसे यह सब इस लड़के का किया धरा है.." मेहुल ने बड़ी होशयारी में कहा.. मेहुल की बात सुन कर एसीपी ताव में आ गया, और आगे बढ़ के दो चान्टे मेहुल के गालों पे कस दिए
"पागल हो गये हो, इसमे इनका नाम ही नहीं है, और खुद के ही फोन पे अपने दूसरे नंबर से कॅल करते हो. पागल हो क्या.." एसीपी ने चिल्ला के कहा
एसीपी की यह बात सुन जहाँ मेहुल की गान्ड फटी की फटी रह गयी, भारत के चेहरे पे उसकी कातिलाना हसी आ गयी जिसे देख मेहुल समझ गया कि भारत ने जो मोबाइल उसे दिया था वो उसके खुद के नाम पे ही था.. और जो मोबाइल चोरी हुआ वो भी भारत ने ही चोरी करवाया....
"एसीपी साब, आप फूटेज देख लीजिए, आप को उसमे सब दिख जाएगा..." मेहुल ने एसीपी से कहा.. एसीपी ने बिना देरी किए फूटेज प्ले करने के लिए कहा..
"मिस्टर भारत, आप नहीं आ रहे फूटेज देखने, " एसीपी ने भारत से कहा
"नहीं एसीपी साब, मुझे फिल्म्स देखने का शौक नहीं है.. आप देखिए, मैं यहीं बैठा हूँ.. आपके बंदे तो है ही, कहीं भागुंगा नहीं.. प्लीज़ कॅरी ऑन .." भारत ने जवाब दिया जिसे सुनके एसीपी , राकेश के साथ आगे बढ़ा.. भारत जानता था उस फुटेज में कुछ नहीं है तभी वो नहीं गया.. राकेश और एसीपी ने एक एक कर सब कुछ देखने की कोशिश की, लेकिन हर टेप ब्लॅंक थी... मेहुल का दिमाग़ फटने की हालत में आ गया था, उसे यकीन नहीं हो रहा था कि कॅमरा कैसे गायब हो सकता है... उसके पास अब कोई सबूत नहीं था अपनी बेगुनाही का... वो रो रो के एसीपी के सामने गिडगिडाने लगा, लेकिन उसे कुछ हाथ नहीं लगा... एसीपी ने मेहुल को हिरासत में लेने का ऑर्डर दिया और राकेश और भारत से मिला
"मिस्टर राकेश... आप जा सकते हैं, भारत 5 मिनट में फ्री हो जाएगा.." एसीपी ने इतमीनान से कहा.
राकेश के जाते ही, एसीपी ने भारत से कहा
"भारत.. एक सवाल जो अब तक मुझे समझ नहीं आ रहा.. इस आदमी ने तुम्हारा नाम ही क्यूँ लिया, किसी और का क्यूँ नहीं... और कोई कॅमरा भी रखवाएगा तो वो बंद क्यूँ रखेगा..." एसीपी ने भारत को आँखें दिखा के कहा...
"हाहहहा.. एसीपी, यह सोचना आप का काम है.. मेरा नहीं... खैर जैसे आपने मेरे डॅड से कहा, 5 मिनट हो गये.. क्या मैं जा सकता हूँ, कामदार भी आपके जवाब की राह देख रहा होगा..." भारत ने अपने ग्लासस पहेन के कहा
"तुम कामदार को कैसे जानते हो..." एसीपी ने चौंक के कहा
"तुम तो यह भी नहीं जानते होगे एसीपी, कि कामदार को मेसेज किसने किया... खैर, यह सब सोचना आप का काम है.. चलिए, मैं निकलता हूँ.." कहके भारत निकला.. कुछ देर में अफीशियल कंप्लेंट फाइल की गयी पोलीस में और मेहुल को 15 दिन की कस्टडी में रखा गया.. जब तक पोलीस ने मनी से सीज़ हटाया, तब तक बॅंक ने बंदोबस्त कर लिया था कि कॅश मॅनेज्मेंट सर्वीसज़ की वॅन में वो पैसा सीधा बॅंक के हेडक्वॉर्टर्स में पहुँचेगा.. जैसे ही सीएमएस की वॅन पोलीस स्टेशन से निकली, थोड़ी दूरी पे जाके एक जंगल में जा रुकी... जंगल में पहुँचते ही वॅन का ड्राइवर और सेक्यूरिटी गार्ड गाड़ी से निकले, और नोट के बॅग्स पीछे आ रही BMW 7 सीरीस में डालने लगा... जैसे ही सब नोट्स पीछे डाले, गाड़ी की खिड़की खुली और ड्राइवर और सेक्यूरिटी गार्ड को 1-1 करोड़ दिए गये..
"याद रहे, तुम यह देश आज ही छोड़ के भागॉगे.. नेपाल जाओ या चाइना, मेरा कोई वास्ता नहीं.. अगर हमारा नाम आया तो याद रखना तुम्हें पाताल से भी ढूँढ निकालेंगे.."
"अरे नहीं मेम्साब.. सीएमएस में हमारे सब काग़ज़ ही नकली हैं जैसे आपने दिए थे.. इतने पैसे से हमारी ज़िंदगी खुश हो जाएगी.." कहके ड्राइवर और सेक्यूरिटी गार्ड को दूसरी गाड़ी में बिठाया गया और उन्हे दूर ले गये.. जैसे ही दूसरी गाड़ी आँखों से ओझल हुई, गाड़ी से एक लड़की उतरी, और एक टाइम बॉम्ब सीएमएस की वॅन के नीचे लगाया और साथ ही साथ 1000-1000 के नकली नोट्स और खाली बेग्स भी रखे गये.. करीब 5 मिनट बाद, एक ज़ोर का ब्लास्ट हुआ और वॅन के परखच्चे उड़ गये.. करीब आधे घंटे बाद यह न्यूज़ टीवी में आ गयी और बॅंक भी हैरान परेशान हो गयी.. कामदार को आख़िर भरपाई करनी ही पड़ी...
अगले 5 दिन सब शांत हुआ, भारत नॉर्मल ऑफीस में जाता और काम करता.. आदि ने उसको प्रमोशन भी दिलवा दिया और खुद भी प्रमोशन ले लिया... छठे दिन, भारत ने मुन्ना को फोन कर बुलाया, और उसके हिस्से के करीब 2.5 करोड़ उसे दिए.. मुन्ना इतनी रकम देख बौखला गया, लेकिन उसने होश संभाला और वहाँ से पैसे लेके निकल गया..
"इसको तुमने दिए 2.5 करोड़, प्रीति को दोगे 2 करोड़.. हुए 4.5 करोड़... तो बाकी के..." शालिनी इससे पहले कि यह वाक्य पूरा करती, पीछे से एक लड़की की आवाज़ आई...
"5 करोड़ मेरे हैं स्वीटहार्ट.. सिर्फ़ मेरे...."
शालिनी ने पीछे पलट के देखा, तो उसे समझ नहीं आया यह क्या चल रहा है...
"कौन हो तुम...." शालिनी ने हैरान होके कहा
"वेलकम निधि... वेलकम, " कहके भारत ने उसे गले लगाया और उसे अपने सामने बिठाया.... शालिनी की तो हवाइयाँ ही उड़ गयी.. उसे समझ नहीं आ रहा था कि यह क्या हो रहा है.. उसका चेहरा फीका पड़ चुका था, उसने कभी यह उम्मीद नहीं की थी कि वो निधि का सामना करेगी और वो भी ऐसे वक़्त पे....
"बेबी, चिल... यह यहाँ बस अपना हिस्सा लेने आई है और कुछ नहीं.." भारत ने तीनो के लिए ड्रिंक बनाया और सब को ग्लास पकड़ाया
"कैसा हिस्सा भारत.. सब बताओ मुझे" शालिनी बेचैन सी होने लगी
"मैं बताती हूँ.. जिस दिन भारत और तुम लॅंड्स एंड गये थे, उस दिन भारत ने मुझे वहाँ देखा था मेरे हज़्बेंड के साथ.. हां, उस दिन तक भारत को पता नहीं था कि मैं शादी शुदा हूँ... या यूँ कहा जाए कि मेरे अंकल ने मेरी शादी ज़बरदस्ती करवाई थी... भारत ने उस दिन मेरा पीछा किया और मुझे देख लिया.. उस दिन जब मैने देखा कोई मेरा पीछा कर रहा है, पहले तो मैं डरी, लेकिन जब मैने ध्यान से देखा कि यह भारत है, मेरी जान में जान आई... मुझे आज भी यकीन है के भले ही भारत मुझे प्यार नहीं करता, लेकिन जब मुझे इसकी ज़रूरत होगी, वो ज़रूर मेरी मदद करेगा... और वैसा ही हुआ, अगले दिन मैने भारत को फोन कर मिलने के लिए कहा और वो आ गया... मेरे साथ जो हुआ मैने उसे सब बताया और उसने मेरी मदद के लिए हां कहा... मैने बस उसे उस फ्लॅट की ड्यूप्लिकेट चाबी बनवा के दी.. जिस दिन भारत को मैने चाबी दी, मैं मेरे अंकल के साथ बाहर गयी और पीछे भारत ने आके, कॅमरा रीप्लेस किया और मेरे अंकल के डॉक्युमेंट्स ले लिए जिससे उनके नाम का सिम कार्ड खरीदा... इसके बाद क्या हुआ वो सब तुम जानती हो.." निधि ने एक साँस में कहा और अपना ड्रिंक ख़तम किया....
शालिनी को समझ नहीं आ रहा था वो क्या करे. वो अब भारत पे शक कर रही थी, कि कहीं निधि के लिए वो उसे छोड़ तो नहीं देगा. शालिनी के चेहरे को निधि ने अच्छी तरह पढ़ा, और उसके पास गयी....
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