RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
सब ने वैसे ही किया और अपनी गाड़ियों में बैठ के वापस वहीं छोड़ दिए गये जहाँ से सब को उठाया गया था.. सब आदमियों को छोड़ के, वो सब गाड़ियाँ करीब 4.30 को दिए गये अड्रेस पे पहुँची. 5 गाड़ियों में से, एक गाड़ी का ड्राइवर निकला और जल्दी से जाके एक दरवाज़ा खोला.. दरवाज़ा खोलके सब को इशारा किया और सब लोग पैसों के बॅग्स लेके वहाँ रखते गये, करीब 6 मीडियम साइज़ के बॅग्स थे, और जाते जाते ज़मीन पे एक मोबाइल भी फेंक दिया.. ड्राइवर ने फिर दरवाज़ा लॉक किया और वापस चले गये... जैसे 5 गाड़ियाँ एक साथ आई थी, वैसे ही चली भी गयी और कहाँ गायब हुई किसी को पता नहीं चला..
"45 मिनट्स में किसी ने क्या लूटा होगा.. प्लान तो 2 घंटे का था ना" शालिनी ने भारत से कहा
"थोड़ा चेंज है डार्लिंग.. वेट करो, सब पता चल जाएगा" भारत ने शालिनी से कहा और दोनो सो गये...
अगली सुबह, सब कुछ ठीक था.. लेकिन दोपहर आते आते बॅंक पे क़यामत सी आ गयी.. एक के बाद एक 16 कस्टमर्स ने कंप्लेंट की बॅलेन्स के बारे में और सीधा बॅंक पे धाबा बोल दिया... जैसे ही बॅंक के टॉप एग्ज़िक्युटिव्स तक यह एस्कलेशन गया, वैसे ही सभी 16 क्लाइंट्स के साथ मीटिंग फिक्स की गयी.. मीटिंग में काफ़ी देर तक चिल्लम चिल्ली हुई, लेकिन किसी भी क्लाइंट ने पोलीस में जाने की धमकी नही दी.. क्यूँ कि सब काला पैसा था, अगर कोई पोलीस में जाता तो उसको पहले यह बताना पड़ता कि वो पैसा आया कहाँ से.. बॅंक ने जब हिसाब किया तब पता चला 16 क्लाइंट्स का मिलकर कुछ 10 करोड़ जैसा विड्रोल है.. ज़्यादा डीटेल्स मंगवा दी गयी, तभी पता चला कि सभी एक टाइम पे हुआ है... बॅंक ने सभी क्लाइंट्स से कहा कि बॅंक उनकी भरपाई कर देगी 10 दिन में और किसी को कानो कान खबर नहीं होगी.. क्लाइंट्स खुश हुए और निकल गये.. बॅंक के विजिलन्स डिपार्टमेंट को यह केस सौंपा गया, कि यह सब हुआ कैसे.. विजिलन्स डिपार्टमेंट ने अपनी तफ़तीश शुरू की .. एटीएम'स के सीसीटीवी फूटेज देखे गये, उसमे से यह कंक्लूषन निकला के लूटने वाली औरतें थी और बुरखा ढका हुआ था.. बॅंक ने अपने अंदर के पोलीस वालों को इनफॉर्म किया और उनकी मदद ली गयी.. पोलीस ने अपनी इन्वेस्टिगेशन की, लेकिन कोई मदद नही..एक एटीएम के नज़दीक वाले कॉफी शॉप की कॅमरा में रेकॉर्डिंग देखी तो पता चला कि लूटेरे कार में आए थे.. लेकिन कार का नंबर नहीं था, बस यह पता चला ब्लॅक होंडा सिविक है.. मुंबई में ऐसी कई गाड़ियाँ हैं लेकिन नंबर के साथ.. पोलीस की मुश्किल थी कि कैसे ढूँढा जाए.. पेट्रॉल्लिंग वॅन की मदद ली, लेकिन उस एरिया में पेट्रॉल्लिंग ना के बराबर होने से पोलीस ने उस बात को दबा दिया क्यूँ कि उससे उनकी ही बदनामी होती... पोलीस ने भी निराश होके बॅंक के सामने हार मान ली..
बॅंक के विजिलन्स डिपार्टमेंट ने ज़्यादा हाथ पेर मारे तो यह बात निकल के सामने आई कि आरपीसी वालों ने डेबिट कार्ड्स के लिमिट अनलिमिटेड कर दिए थे.. इस सिलसिले में समीर अरोरा से पूछताछ हुई और उसके हर एंप्लायी से बात की गयी.. प्रीति, जिसने सिस्टम में यह चेंजस किए थे, पूछने पर उसने समीर अरोरा का मैल दिखाया था जिसमे उसको ऐसा करने का अप्रूवल दिया गया था जब समीर ने वो मैल देखा, उसकी हवाइयाँ उड़ गयी.. आइटी डिपार्टमेंट ने मैल चेक किया तो पाया गया कि मैल जेन्यूवन है और समीर के वीपीएन से किया गया है.. वीपीएन मतलब वर्चुयल प्राइवेट नेटवर्क.. समीर से बॅंक अपना कांट्रॅक्ट वापस क्यूँ ना ले, इस बात की सफाई माँगी गयी और उसे 5 दिन दिए गये.. समीर टूट चुका था.. समीर को समझ नहीं आया कि वो क्या करे.. इससे उसकी रेप्युटेशन को बहुत बड़ा झटका लगा था.. ऑफीस जाके उसने प्रीति को काफ़ी खरा खोटा सुनाया पर वो ज़्यादा लड़ ना सका, क्यूँ कि प्रीति ने उसे मैल दिखाया और यह कहके बच गयी कि जब उसने कन्फर्मेशन के लिए फोन किया तब उसका फोन आउट ऑफ कवरेज था.. समीर कुछ कहने की हालत में नहीं था. उससे अपनी इज़्ज़त प्यारी थी... दूसरे दिन समीर ने भारत को फोन किया और मिलने के लिए बुलाया.. सब जानते हुए भी भारत अंजान बना रहा और समीर से मिलने पहुँचा
"हाई ड्यूड.. क्या हाल है, " भारत ने अपने ही स्टाइल में कहा
"हाई भारत.. हाउ आर यू" कहके समीर ने कुछ देर तक भारत से इधर उधर की बातें की और फिर मैन बात की.. समीर की सब बातें सुनके, भारत ने हैरान होने का नाटक किया...
"क्या बोल रहे हो समीर... हमारी बॅंक में ऐसा हुआ ?" भारत ने हैरानी भरे स्वर में कहा
"हां भारत, तुम्हे पता नहीं इस बारे में" समीर ने दुखी होके कहा
"देखो ड्यूड.... मैं हूँ सेल्स में, मैं बिज़्नेस लाता हूँ, और कॉर्पोरेट वाले हम ब्रांच वालों को इस सब से दूर रखते हैं.. लेकिन बॅंक भुगत लेगी पैसा, इतनी बड़ी रकम नहीं है बॅंक के लिए... तुमसे थोड़ी लेंगे, तुम्हारे पास तो क्लाइंट फॉर्म्स हैं ना जिनमे उनके सिगनेचर्स हैं, तो फिर किस बात की चिंता है.." भारत ने आसानी से कहा
"पैसा नहीं , इज़्ज़त है मेरी उसका क्या होगा भारत.. प्लीज़ मेरी कोई मदद कर सकते हो तुम तो कुछ करो.. आइअम श्योर आदि के कोई कनेक्षन्स होंगे, अगर तुम आदि से बात करो तो शायद कुछ हो जाए" समीर ने गिडगिडा के भारत से कहा
"चिल्लेक्ष ड्यूड, आइ विल ट्राइ हाँ... आंड अगर मैने कोई मदद की तो याद रखना... तुम्हे भी मेरे काम आना पड़ेगा कभी ना कभी.."
" मुझे सब मंज़ूर है भारत.." समीर ने कहा, और यह सुनके भारत वहाँ से निकला.. उधर बॅंक के वीपी और ईवीपी सब ने अपने दिमाग़ लगाए लेकिन किसी को कुछ नहीं मिला.. किसी की पहचान निकली टेलिकॉम में, कि एसएमएस क्यूँ नहीं मिले क्लाइंट्स को, लेकिन वहाँ भी निराशा क्यूँ कि फॉर्मल कंप्लेंट के लिए पोलीस एफआइआर चाहिए, और बॅंक पोलीस के पास नहीं जा सकती थी.."
बॅंक का सीनियर वीपी कामदार, परेशान आदमी था.. एक दिन में उससे जो हुआ उसने वो किया लेकिन उसे कुछ हाथ नहीं लगा.. 10 करोड़ रुपीज़ उनके लिए बड़ी रकम नहीं थी लेकिन वो यह जानना चाहते थे कि यह सब हुआ कैसे. थक हार के कामदार अपने 5 बीएचके पेंटहाउस में पहुँचा और अपनी बीवी बच्चो से बात किए बिना अपने कमरे में बंद हो गया.. फ्रेश होके जैसे ही कामदार अपने बेड के पास आया, उसके मोबाइल में एक एसएमएस था
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