Antarvasna kahani माया की कामुकता
12-13-2018, 02:29 AM,
#87
RE: Antarvasna kahani माया की कामुकता
शालिनी ने सारी बात बताई रूबी को.. कैसे भारत ने उसे उस जाने से रोका और आगे की सब बातें. भारत ने भाँप लिया और वहाँ से उठ के कहीं दूर चला गया फोन करने के बहाने.. इधर रूबी के नीचे से ज़मीन खिसकने लगी... उसे भी भारत ने शादी का वादा किया था और वो अब तक यह समझ रही थी कि उन दोनो का रिश्ता अटूट है... शालिनी की बात सुनते सुनते रूबी की आँख तो ठीक थी, पर उसका दिल रोने लगा..


"शालिनी.. एक्सक्यूस मी, मैं अभी आई वॉशरूम से" कहके रूबी निकल गयी.. उसके जाते ही भारत टेबल पे वापस आया और शालिनी को उसके पीछे भेज दिया.. शालिनी बिना कुछ सवाल पूछे वहाँ से निकली रूबी को देखने के लिए.. उन दोनो के जाते ही भारत ने टेबल पे रखे रूबी के फोन का सिम कार्ड निकाल दिया..


"जल्दी आजा अंदर.." भारत ने किसी को फोन करके बुलाया.. 2 मिनट में भारत के सामने एक कॉलेज का लड़का खड़ा था


"इस सिम का क्लोन बनाने में कितना टाइम लगेगा" भारत ने पूछा उस लड़के से


"2 घंटे.. उससे ज़्यादा नही" उस लड़के ने जवाब दिया


"लेके निकल.. " भारत के कहते ही वो लड़का निकला और सामने से शालिनी और रूबी आए... रूबी की आँखें तो लाल थी, पर उसने खुद को संभाले हुए था


"क्या हुआ रूबी... " भारत ने बात समझते हुए भी जान बुझ के पूछा


"कुछ बता नही रही.. भारत, चलते हैं वापस एरपोर्ट" शालिनी ने भारत से कहा और दोनो गाड़ी की तरफ बढ़ गयी... भारत यही चाहता था, कि रूबी का ध्यान उसके मोबाइल की तरफ ना जाए.. उसने चुपके से उसके मोबाइल को अपनी पॉकेट में रखा और आगे बढ़ गया.. एरपोर्ट तक की 30 मिनिट की ड्राइव, रूबी के लिए काफ़ी लंबी थी आज.. पूरे रास्ते में शालिनी ने काफ़ी कोशिश की, लेकिन रूबी ने ज़्यादा बात नहीं की.. एरपोर्ट पहुँच के भारत दोनो लड़कियों के साथ अंदर जाके बैठ गया.. शालिनी ने फ़ैसला किया कि रूबी की फ्लाइट टेक ऑफ होने तक वो उसे अकेला नहीं छोड़ेगी.. सब कुछ सही जा रहा था, जैसा भारत चाहता था.. वो भी बिना किसी आर्ग्युमेंट के वहीं बैठ गया और बातों में व्यस्त हो गया.. ठीक 2 घंटे बाद उसे उस लड़के का फोन आया जिसको उसने रूबी का सिम दिया था क्लोन करने के लिए..


"एक्सक्यूस मी.. मैं अभी आया" कहके भारत वहाँ से उठा और बाहर जाके उस लड़के को उसके पैसे दिए और क्लोन हुआ सिम कार्ड ले लिया.. 


"शालिनी.. चलें, डॅड का फोन था. काफ़ी देर हो गयी है" भारत ने अंदर आके कहा.. शालिनी की दिल नहीं थी पर फिर भी वो भारत की बात मान के रूबी से गले मिलने लगी...


"उः रूबी.. यह तुम्हारा मोबाइल., उधर रेस्तरो में भूल गयी थी... और चेक कर लो, ठीक ही चल रहा है ना" भारत ने रूबी को मोबाइल देके कहा, रूबी ने उसे कोई जवाब ना दिया और मोबाइल अपने बॅग में डाल दिया.. 


"इसे क्या हुआ है.. मुझे कुछ समझ नही आ रहा यार" शालिनी ने गाड़ी में बैठते हुए कहा


"यह ले.. एक और कदम हमारे 50 करोड़ की तरफ का.." भारत ने उसे क्लोंड सिम कार्ड पकड़ाते हुए कहा


कुछ देर तक शालिनी को समझ नही आया और वो बस सिम कार्ड को देखती रही.. लेकिन जब उसे ख़याल आया..


"भारत.. यू कॅंट बे सीरीयस.. रूबी को इन सब में ख़तरा हो सकता है" शालिनी ने दबी हुई आवाज़ में कहा


"नहीं होगा.. यह मेरी गॅरेंटी है जानेमन... " भारत ने उसे जवाब दिया


"आंड 50 करोड़.. कल तक तो यह रकम 30 करोड़ थी.. अब अचानक"


"जब किसी की मारनी ही है तो अच्छी तरह मारु ना.. आंड पैसे कम नहीं पड़ने चाहिए.. अब बड़े स्केल पे कांड करना है, आदमी थोड़े ज़्यादा चाहिए.. जिनका बंदोबस्त भी हो जाएगा.. तू घबरा मत.. बस तेरा रोल क्लियर है ना तुझे.." 


"हां.. आइ आम ऑल्वेज़ वित यू.. अब चल, मम्मी वेट कर रही होगी.." शालिनी के इस जवाब के साथ उनकी गाड़ी घर की तरफ चल पड़ी


उधर सीमी को राकेश काफ़ी देर तक मना रहा था.. उसे मनने के चक्कर में उसने अपनी बहुत ही इम्पोर्टेंट मीटिंग भी कॅन्सल कर दी थी


"सीमी.. यह बच्चो जैसी ज़िद्द छोड़ो.. एक बुराई बताओ मुझे उस लड़की में" राकेश ने यह सवाल सीमी से कई बार पूछा लेकिन सीमी ने उसका कोई जवाब नई दिया.. और जवाब देती भी तो क्या , शालिनी में कुछ बुराई नही थी.. वो भारत से बहुत प्यार करती थी.. शायद सीमी से ज़्यादा.


"सीमी. कहीं तुम्हे यह डर तो नहीं कि शालिनी कहीं भारत को हम से दूर ना कर दे, शायद वो तुमसे ज़्यादा प्यार करती है भारत से" राकेश ने जैसे ही यह बात कही, सीमी के चेहरे के एक्सप्रेशन्स ही बदल गये, जिसे राकेश ने भी नोट किया


"सीमी... तुम्हारी यह बात बिल्कुल ग़लत है, मैने तुमसे कभी यह उम्मीद नहीं की थी"


"क्या उम्मीद की बात चल रही है इधर" इस आवाज़ से सीमी और राकेश ने जैसे ही अपने चेहरे दरवाज़े की तरफ किए, उनकी तो हवाइयाँ ही उड़ गयी

"डॅड... किसकी उम्मीदो की बात कर रहे हैं आप.." भारत ने अंदर आते हुए कहा.. थोड़ी देर के लिए सीमी और राकेश झेंप गये यह सोच के शायद भारत ने उनकी बातें सुन तो नहीं ली..


"कुछ नहीं बेटा.. तुम बताओ कैसा रहा ऑफीस में फर्स्ट डे.." सीमी ने भारत से पूछा


"अच्छा था मोम.. आज रूबी भी यूएस चली गयी तो उसी को एरपोर्ट सी ऑफ करने गये थे शालिनी और मैं.. इसलिए देर हो गयी"


"भारत.. मैने शालिनी के लिए हमारे उपर वाला फ्लॅट देख रखा है.. शी कॅन स्टे देअर" राकेश ने भारत से कहा


"बट डॅड.. इतना एक्सपेन्सिव कैसे पे करेगी वो रेंट.. " भारत ने इतना कहा ही कि राकेश ने बीच में टोक दिया


"अरे बेटा उपर वाले मल्होत्रा जी बाहर रहते हैं.. मैने उनसे बात की है, शालिनी जब तक चाहे वहाँ रह सकती है .. रेंट फ्री" 


"थॅंक्स डॅड.. अरे आओ शालिनी , डॅड और मैं तुम्हारी ही बात कर रहे थे, " भारत ने शालिनी से कहा जो उसकी बात हुई थी राकेश क साथ... यह सुन शालिनी काफ़ी खुश हुई, पर सीमी के रिक्षन देख उसने अपनी खुशी को दबा दिया


"चलो.. डिन्नर करके तुम्हारा समान शिफ्ट कर लेते हैं.. " सीमी ने शालिनी से कहा


"पर मोम.. अभी रात को... कल सुबह करवा लेना ना काम वाली मैड से.. अभी रात को कौन हेल्प करेगा.. शालिनी फ्रेश होके आओ, डिन्नर करते हैं फिर" भारत ने सीमी की यह बात भी नहीं मानी.. 


"मोम डॅड.. क्या सोचा आपने फिर आज सुबह के प्रपोज़ल के बारे में " भारत ने सीधा सवाल किया


"भारत.. मुझे और सीमी को कोई प्राब्लम नहीं है.. लेकिन फिलहाल आप करियर में सेट्ल हो जाओ.. शादी एक साल तक वेट कर सकती है" राकेश ने धीमी आवाज़ में कहा


"और मोम.. आप का जवाब" भारत ने सीमी को देख कहा


"भारत, मुझे कोई प्राब्लम नही है.. पर मैं शालिनी को ठीक तरह से नहीं जानती.. इसलिए मेरे जवाब से पहले मैं उसके साथ टाइम स्पेंड करना चाहती हूँ.. देखना चाहती हूँ उसकी लाइफ स्टाइल, उसका रहेन सहेन.. अगर मुझे तब पसंद आई तो ओके" सीमी ने अपना मास्टर स्ट्रोक खेला


"ठीक है मोम.. बस अब छुट्टी नही मिल सकती पर ऑफीस से. तो आप टाइम कब स्पेंड करेंगे" भारत ने सीमी की बात मानते हुए कहा


"नो वरीस सन.. यह वीकेंड तुम और तुम्हारे पापा कहीं बाहर जाओ.. मैं और शालिनी इधर रहेंगे.. अगर मुझे बात जमी तो उसी दिन मैं शालिनी के मोम डॅड से भी बात कर लूँगी" सीमी की इस बात से भारत काफ़ी खुश हुआ और राकेश ने भी सहमति जताई.. तब तक शालिनी भी फ्रेश होके आ गयी... खाना खाते वक़्त सीमी ने अपना आटिट्यूड थोड़ा शालिनी के प्रति चेंज किया जिससे भारत काफ़ी खुश था.. वो जानता था सीमी कभी उसे नाराज़ नही करेगी और वोही होने जा रहा था..

उधर..............................................................

"हाहहहाहा.... अब फँसा है वो साला हमारे चुंगुल में.. अब कांड वो करेगा, पैसा मेरा और फँसेगा वो खुद.... इससे अच्छा प्लान हो ही नहीं सकता मेरी भतीजी" मेहुल ने निधि को अपनी बाहों में खींच के कहा


"पर अंकल.. हम तो यह काम सिंपल तरीके से भी कर सकते थे ना.. आइ मीन आप मेरी शादी उसके साथ करवा देते, अल्टिमेट्ली उसके बाप के पैसे से आपकी मदद तो हो ही जाती ना.. " निधि , मेहुल की गोद में बैठी हुई थी और मेहुल अपने हाथ उसके लंबे घने बालों में घुमा रहा था..


"उम्म्म मेरी भतीजी... काश भगवान ने तुझे चुद्क्कड बदन के साथ तोड़ा दिमाग़ भी दिया होता.. आज तेरी शादी हुई है तो तेरा पति मुझे ऑलरेडी 20 करोड़ दे चुका है, और भारत मुझे 30 करोड़ का फ़ायदा करवाने वाला है. हो गये ना 50 करोड़.. फिर हम तेरे पति और भारत को लात मार के यहाँ से दूर किसी आइलॅंड पे जाके रहेंगे.. फिर तू और मैं.. तेरी चूत और मेरा लंड... उफफफफ्फ़.. मेरी रांड़ भतीजी, कूद कूद के चोदुन्गा तुझे तो हॅयेयियीई..." मेहुल ने उसके बालों को सूंघते हुए कहा और उसका हाथ निधि के उभरे हुए चुचों को भींच के कहा


"उम्म्म.. मेरे चाचा जी, आपकी बीवी भी तो है... उसका क्या करोगे, और यह मेरा बदन ही है जिसपे आप मरते हो.. दिमाग़ तो आपके खुद के पास भी है ना.." निधि ने अपनी गान्ड को मेहुल के लंड पे सेट किया और अपनी बाहों का हार बनके मेहुल से लिपट गयी.. निधि के बदन की खुश्बू मेहुल को पागल कर रही थी, जिसकी गवाही दे रहा था उसका हुंकार मारता लंड.. मेहुल के पॅंट पर से ही निधि को अंदाज़ा आ गया था कि उसका लंड कितना तड़प रहा है उसको चूत के लिए.. वक़्त ना बिगाड़ते हुए मेहुल ने अपने होंठ निधि के कोमल होंठों पे रख दिए..दोनो के बदन भट्टी जैसे गरम हो रहे थे...


"उम्म्म्म ....मवाहाहहहहहाः अहहहहहहाआहहः....." मेहुल ने निधि के होंठ चूस्ते चूस्ते उसकी टीशर्ट के अंदर हाथ डाल दिया और उसकी ब्रा के उपर से उसके निपल्स को हाथ में लेके मसल्ने लगा


"उम्म्म आहहहाहा....मेरे अंकल अहहहाहा मवाहाहहहहहा...उम्म्म्म.... काश अहहहहहहा मेरे पति में उम्म्म्माहह इतना दम होता अहहहहहा यआःहहहहाः


"उम्म्मबहहाहा...यआःहहाहाः अहहहहहः और चूस ना मेरी रांड़ भतीजी अहहहाहाः.... अहहहहः ज़रा अपने अंकल के साँप को भी तो तेरे चुचों का दूध पिला दे ना अहाहाहः" मेहुल ने निधि से कहके उसका सर नीचे अपने लंड पे झुकाया...नीचे झुक के निधि ने मेहुल की पॅंट की ज़िप नीचे की..जैसे ही निधि ने अपना हाथ डाला मेहुल के लंड को पकड़ने के लिए, उसकी आँखें चमक गयी...मेहुल का लंड किसी लोहे की रोड की तरह गरम सा हो गया था...निधि के हाथों ने वो गर्माहट महसूस की तो उसकी चूत भी वो गर्मी से पनियाने लगी... निधि ने मेहुल के फन्फनाते साँप जैसे लंड को बाहर निकाला तो उसके मूह में जैसे पानी की नादिया सी बहने लगी.. मेहुल का लंबा काला लंड, उसकी नसें सॉफ दिख रही थी...निधि ने मेहुल के लंड के टोपे को अपने अंगूठे से नीचे किया तो मेहुल क सिसक निकल गयी, जिसे देख निधि की रांड़ जैसी हँसी निकली
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