Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:42 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -79 

गतान्क से आगे... 
मैं उसे लिफ्ट ज़रूर दे रही थी मगर उसकी लिमिट मैने वापस लौटने वाले दिन से पहले क्रॉस नही की. 

अक्सर जांघों के बीच सिरसिराहट मुझे वापस लौटने का आग्रह करती थी. एक अरसा बीत चुका था किसी मर्द के बदन की सुगंध अपने नथोनो मे भरे हुए. किसी मर्द के चड़े सीने पर अपने खड़े और कठोर निपल्स रगडे हुए. अपनी योनि मे किसी मजबूत लंड का ठोकर खाए हुए. जैसे तैसे मैने अपना काम ख़तम किया. काम ख़त्म कर मैने घर लौटने का प्लान बनाया. 

जब मैने ये बात तेजा को बताई तो उसकी आँखें भर आई. उसके आँखों से आँसू टपक पड़े. 

" रोको गाड़ी रोको." मैने उससे गाड़ी रुकवाया और पिच्छली सीट से सामने उसकी बगल वाली सीट पर आ गयी. मैने उसके सिर को पकड़ कर अपने सीने पर दबा दिया. 

" मर्द हो कर इस तरह रोते तुमको शर्म नही आती." मैने उससे कहा," मैं तुम्हारी लगती ही कौन हूँ? हां ये ज़रूर है की इन कुच्छ ही दिनो मे हम एक दूसरे के काफ़ी करीब आ गये थे. मगर सब अच्छि चीज़ों को एक दिन ख़त्म तो होना ही पड़ता है ना. देखो तुम्हारी इन हसीन यादों को लेकर मैं घर जाउन्गी. तुम मुझसे जब चाहे फोन पर कॉंटॅक्ट कर सकते हो. फिर कभी यहाँ आना हुआ तो हम फिर मिलेंगे." मैं उसके बालों मे अपनी उंगलियाँ फिरा रही थी. इस तरह इतने प्यारे आदमी को रोते देख मेरी भी आँखे छलक आई. 

" देखो तुम मुझे चाहने लगे हो ना. मैं भी तुम्हे पसंद करने लगी हूँ. मगर हम दोनो ही अलग अलग लोगों से बँधे हुए हैं इसलिए……खैर छ्चोड़ो. आज तुम्हे प्यार करने को दिल चाह रहा है. तुम हो ही इतने अच्छे." कह कर मैने उसका आँसुओं से भरा चेहरा उठाया और उसके होंठों को चूमने लगी. ऐसा लगा मानो इतने दिनो से जमा लावा फुट कर बाहर निकल आया हो. मेरे एक बार उसको चूमने से ही वो मुझसे बुरी तरह से लिपट गया और मेरे पूरे चेहरे को चूम चूम कर गीला कर दिया. 

" बस बस….तेज...तेज..अपने उपर कंट्रोल करो. खुले रास्ते मे इस तरह की हरकतें अच्छि नही है. चलो मुझे होटेल ले चलो. पॅकिंग भी करनी है कल सुबह फ्लाइट पकड़नी है." मैने उसके चेहरे को अपने चेहरे से हटाते हुए कहा. 

वो चुपचाप सीधा होकर बैठ गया और कार स्टार्ट कर आगे बढ़ा. पूरे रास्ते हम चुप चाप अपने अपने ख़यालों मे डूबे रहे. उस वक़्त शाम के आठ बज रहे थे. 

तेज ने चुपचाप होटेल के सामने गाड़ी रोकी. उसके चेहरे पर उसकी भावनाओं का अक्स उतर रहा था. 

" मेडम कल सुबह कितने बजे आना है? कितने बजे की फ्लाइट है?" उसने पूछा. मैं कार से उतर कर दरवाजे को बंद की फिर घूम कर उसकी तरफ आइ. 

" क्यों अभी कहाँ जा रहे हो? मुझे समान पॅक करने मे हेल्प नही करोगे?" मैने उसकी ओर देख कर मुस्कराया. 

" पॅकिंग? म्‍म्माई…?' वो मेरे इन्विटेशन को सुनकर हड़बड़ा गया. 

" आओ ना…. आज ढेर सारी बातें करेंगे……प्लीज़." मैने कहा तो वो ऐसा खुश हुआ मानो उसे अपनी मन चाही मुराद पूरी होती हुई दिखी. वो झट से अपनी कार को पार्किंग मे लगा कर बाहर आ गया. 

उसने मेरे हाथों से मेरी फाइल्स ले ली और मेरे पीछे पीछे कमरे पर पहुँचा. 

" तुम बैठ कर कुच्छ देर टीवी देखो मैं अभी फ्रेश होकर आती हूँ. आज दोनो साथ ही किसी अच्छे रेस्टोरेंट मे जाकर खाना खाएँगे. घर पर फोन कर दो की लेट हो जाओगे." मैं उसे वहीं छ्चोड़ कर अपने बेडरूम मे गयी. अपने सामान मे से डिन्नर के लिए पहनने के लिए कुच्छ ढूँढने लगी. तभी मेरी नज़र एक मिनी स्कर्ट पर टिक गयी. अचानक मेरे होंठों पर एक शैतानी मुस्कुराहट आ गयी. 

मैने तुरंत स्कर्ट की बाहर निकाला. वो स्कर्ट जीवन ने मुझे हनिमून पर खरीद कर दी थी. उस स्कर्ट को मिनी नही बल्कि माइक्रो कहना ही उचित होगा. वो बस इतनी ही लंबी थी कि मेरी पॅंटी ढँक सके. मैने उसके साथ पहनने के लिए एक स्लीव्ले टी शर्ट छाँट निकाली. अंदर पहनने की लिए एक बहुत ही छ्होटी और नेट वल पॅंटी और वैसी ही ब्रा निकाली. 

उन कपड़ों को लेकर मैं उठी और बाथरूम की ओर जाने लगी तभी फिर से दिमाग़ मे एक शरारत सूझी और मैने अपनी ब्रा को वापस सूटकेस की ओर उच्छाल दिया. 

मैने बाथरूम मे फ्रेश होकर उस आउटफिट को पहन लिया. मैने टी शर्ट के भीतर ब्रा नही पहनी थी. टी शर्ट टाइट होने के कारण मेरे जिस्म से एकदम चिपक सा गया था. मेरे जिस्म के एक एक कटाव बहुत ही आकर्षक तरीके से उभर कर सामने आ रहे थे. 

मैं अपने आप को आईने मे दो पल निहारा फिर एक ज्ज़ोर के झटके से अपनी जगह पर गोल घूम गयी. मेरे तेज़ी से घूमने से मेरी स्कर्ट हवा मे किसी च्छतरी की तरह फूल कर उपर हो गयी और मेरी पारदर्शी पॅंटी पूरी तरह से नज़र आ गयी. 

आज मैं पूरे मूड मे आ चुकी थी और. अब काम का टेन्षन ख़त्म हो जाने की वजह से आज की रात मैं किसी बंधन मुक्त चिड़िया की तरह उड़ना चाहती थी. मैं आज जी भर कर मज़ा करना चाहती थी. यहाँ पर मुझे कोई नही पहचानता था इसलिए आज की रात मैं सारी हदें पार करना देना चाहती थी. 

मैं उस अवस्था मे बाहर आइ तो मुझे देख कर तेज का मुँह खुला का खुला रह गया. 

" आ…..आप इस तरह बाहर जाना चाहती हैं?" तेजस मुझे झिझकता हुआ देख रहा था. 

मैं उसके सामने जाकर खड़ी हो गयी. अपनी टाँगों को थोड़ा फैलाया और कमर पर हाथ रख कर अपनी चूचियो को कुच्छ और उभारा. 

" क्यों? क्या मेरी ड्रेस ठीक नही है?" मैने इठलाते हुए उससे पूछा. 

" नही…..ठीक है…..आप पर बहुत जच रही है….मगर मुझे दूसरों की चिंता हो रही है. कहीं काठमांडू मे करफ्यू ना लग जाय." उसने मुझे नीचे से उपर तक दोबारा निहारा. ख़ास कर मेरी उभरी हुई चूचियो को और कपड़ों के भीतर से उभरे हुए मेरे बड़े बड़े निपल्स पर आ कर उसकी नज़रे मानो चिपक सी गयी. 

"ठीक है अगर तुम कहते हो तो मैं इसके उपर जॅकेट पहन लेती हूँ." कहकर मैने अपनी टी-शर्ट के उपर एक जॅकेट पहन लिया. 

"अब तो ठीक है ना?" मैने पूछा तो उसने सहमति मे सिर हिलाया. 

मैने तेज की बाँहों मे अपनी बाँहें पिरो कर उसे सोफे से उठाई. 

" चलो देर मत करो आज मैं फ्री हुई हूँ अपने काम से इसलिए आज मैं भरपूर एंजाय करना चाहती हूँ." मैने उसे उठा कर उसकी बगल मे बाँहे पिरोइ और हम कमरे से निकले. 

" तुमने घर फोन कर दिया था ना?" 

" हां जैसा आपने कहा था मैने अपनी बीवी को कह दिया था कि लेट हो जवँगा. मेरा इंतेज़ार ना करे मैं खाना खा कर ही ओँगा." 

" ह्म्‍म्म्म……क्या कहा उसने?" मैने उससे पूछा. 

" कुच्छ नही क्या कहती….. ये कोई नयी बात तो है नही. कई बार क्लाइंट्स के चक्कर मे रात भर भी घर नही जा पाता हूँ. वो सब समझती है." उसने कहा. हम होटेल से बाहर किसी नये कपल की तरह आए. मैने उसकी बाहों मे अपनी बाहें डाल रखी थी. 

" तुमने बताया नही की मैं कैसी लग रही हूँ. " कहते हुए मैने उसकी कोहनी को खींच कर अपने एक स्तन पर दबाया. मेरी उस तरह की उन्मुक्त हरकत की उसने कल्पना नही की थी इसलिए वो हड़बड़ा गया. 

" आपप….आअप की तारीफ और क्या कर सकता हूँ….ऐसा लग रहा है मेरी बगल मे कोई आसमान से उतरी परी हो." मैने उसकी ओर देख कर मुस्कुरा कर उसका होसला बढ़ाया. 

उसने इस बार पीछे का दरवाजा ना खोल कर अपने बगल वाले दरवाजे को खोला. 

" ए ड्राइवर……कोई अपनी मालकिन को बगल की सीट पर बैठता है क्या? तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मुझे अपनी बगल की सीट पर बैठने के लिए कहने की. कार मे पास वाली सीट पर लोग अपनी माशूका को बिठाते हैं." मैने उसको छेड़ते हुए मुस्कुराते हुए कहा. 

" आज इस ट्रिप के मैं आपसे पैसे थोड़े ही ले रहा हूँ. इस वक़्त मैं आपको अपना एक दोस्त मान रहा हूँ. और दोस्त तो पास ही बैठते हैं." वो बेचारा घबराहट मे पसीने पसीने हो रहा था. 

" सिर्फ़ दोस्त……उससे ज़्यादा तो नही सोच रहे ना कुच्छ?" मई उसे और च्छेदे जा रही थी. 

" ज्जज्ज…जीई नहियिइ…..मुझमे इतनी हिम्मत नही की मैं और कुच्छ सोच सकूँ." 

" ठीक है चलो…..मुझे यहाँ के एक अच्छे रेडी मेड गारमेंट की दुकान पर ले चलो." 

क्रमशः.......
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