Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:36 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -67 

गतान्क से आगे... 


सेक्स के मामले मे भी उनकी सानी नही थी वो ऐसी ऐसी जड़ी बूटियों का सेवन करते थे कि उनका लिंग कई कई घंटो तक किसी खंबे की तरह खड़ा रहता था. आच्छि अच्छि रांड़ भी उनके सामने पानी भरने लगती थी. 



खैर हम दोनो एक दूसरे के बदन को सहलाने लगे. मैं उनको चित लिटा कर उनके सीने पर लेट गयी और उनके चेहरे को अपनी अंजूरी मे भर कर चूमने लगी. उनके हाथ मेरी पीठ पर फिर रहे थे. उनके हाथ गर्देन से फिसलते हुए नितंबों तक जा कर रुक रहे थे. 

उनका हाथ मेरी पीठ पर इतनी आहिस्ता से फिर रहा था की मुझे सिहरन सी होने लगी थी. 



तभी उनके हाथ मेरे नितंबों पर जा कर रुक गये. अब वो मेरे दोनो नितंबों को अच्छि तरह सहला कर दोनो नितंबों के बीच की दरार मे एक उंगली डाल कर मेरे गुदा द्वार को सहलाने लगे. कुच्छ देर तक यूँ ही सहलाने के बाद उनकी उंगली नीचे खिसक कर मेरी योनि को छू गये. मैने अपनी टाँगे दोनो ओर फैला कर उनकी उंगली का स्वागत किया. उनकी उंगली अब मेरी योनि के होंठों से खेलने लगे. 



मैने अपने सिर को उठाया और अपने दोनो कोहनियो स्वामी जी की छाती पर रख कर अपने चेहरे को दोनो हथेलियों पर सहारा दिया. मैं उन्हे निहारने लगी. स्वामी जी अब आपमे हाथ को उपर लाकर पहले सामने लटक रहे मेरे बालों को पीछे किया और फिर उनकी उंगलियाँ मेरे माथे से सरकते ही छतियो के इर्दगिर्द घूमने लगी. 



मैने महसूस किया की मुझे निहारते हुए वापस उनके लिंग मे कठोरता आने लगी. है मैने अपना एक हाथ उनकी जांघों के बीच ले जाकर उनके लिंग को टटोला. 



“ हाहाहा…..ये बदमाश तो फिर खड़ा होने लगा है.” मैने हंसते हुए उनसे कहा. 



“ तुम्हारे जैसी खूबसूरत सहेली पाकर तो ये जिंदगी भर खड़ा रहने को तैयार है.” कहकर उन्हों ने एक झटके से मुझे बिस्तर पर पटका और दूसरे ही पल वो मेरे उपर सवार थे. 



“ अरे..अरे क्या कर रहे हैं. इतना उतावला पन अच्च्छा नही है.” मैने उन्हे रोकते हुए कहा जबकि मन से मैं उन्हे रोकना ही नही चाहती थी. 



“ हा…..” एक झटके मे उन्हों ने वापस मेरी योनि मे अपना लिंग डाल दिया और फिर शुरू हुआ दूसरा दौर. इस बार कई तरह के आसनो से लगभग आधे घंटे तक मेरी चुदाई की. कभी मैने धक्के लगाए तो कभी उन्हों ने. दोनो की मानो एक दूसरे को हराने की होड़ लगी हो. मगर अंत तक दोनो ही जीत गये. मेरे बदन का निचला हिस्सा उनके वीर्य से लत्पथ था. दूसरे दौर के बाद कुच्छ देर तक दोनो एक दूसरे के आलिंगन मे बँधे अपनी साँसे व्यस्त करने मे जुटे रहे. 



कुच्छ देर बाद रात के खाने का बुलावा आ गया. स्वामी जी उठ खड़े हुए और अपने कपड़ों को दुरुस्त किया. मैं उसी नंगी हालत मे बिस्तर पर पड़ी उनको निहारती रही. जब वो तैयार हो गये तो मैने अपना एक हाथ उठा कर उठने मे मदद करने को कहा. इतनी चुदाई से मेरे बदन मे अब जान ही नही बची थी. 



स्वामी जी की मजबूत बाँहों ने मुझे उठने के लिए सहारा दिया. मैं लड़खड़ाते हुए उठी. अचानक ज़ोर से चक्कर आ गया तो मैं कुच्छ दे बिस्तर पर चुप चाप बैठी रही. स्वामीजी ने मुझे पानी पिलाया. जब वापस मेरी हालत कुच्छ नॉर्मल हुई मई उठ कर खड़ी हो गयी. स्वामी जी ने मुझे कपड़ों को पहनने मे मुझे मदद की. 



मैं उनका सहारा लेकर लड़खड़ाती हुई डाइनिंग हॉल मे आइ. वहाँ मौजूद हर नज़र मेरा पीछा कर रही थी. मैं शरमाती सकुचती खाना खा कर वापस अपने कमरे मे आ गयी. 



वापस आकर मैने देखा पूरे कमरे का नक्शा ही कुच्छ देर मे बदल दिया गया है. 

बिस्तर से गुलाबी चादर को चेंज कर एक सफेद सिल्क की चादर बिच्छा दिया गया था. बिस्तर के चारों कोनो पर रजनीगंधा के ढेर सारे स्टिक्स लगा दिए गये थे. पूरे बिस्तर पर लाल गुलाब की पंखुड़ीयान बिछि हुई थी. सिरहाने रखे टेबल पर शरबत के ग्लास भरे हुए थे और एक बास्केट मे ढेर सारे मेवे रखे हुए थे. 



हम दोनो वापस बिस्तर पर आकर निवस्त्रा हो गये. उनका लिंग अभी भी तनाव मे खड़ा था. मैं बिस्तर पर नग्न लेट कर उनका इंतेज़ार करने लगी. वो शेल्फ से एक बॉटल लेकर आए और उसे साइड टेबल पर रख कर अपने बदन से इकलौती धोती को हटा दिया. उनका एक फूटा लंड मुझे ललकार्ते हुए झटके खा रहा था. 



मैने उनके स्वागत के लिए अपनी टाँगें फैला दी. अपने हाथों को उनकी ओर उठा कर उनमे समा जाने का न्योता दिया. उन्हों ने वापस मेरी कमर को उँचा किया और चौपाया हो कर अपने घुटनो को मेरे कंधे के दोनो ओर रख कर मेरी योनि की ओर झुके. उन्हों ने उस बॉटल से मेरी योनि पर कुच्छ टपकाना शुरू किया. मैने देखा कि वो मेरी योनि पर पतली शहद की धार गिरा रहे थे और फिर उसे अपनी जीभ से चाट चाट कर सॉफ करने लगते. मुझे ये सब बहुत ही अद्भुत लग रहा था. मेरी योनि और उसके इर्द गिर्द हल्के रेशमी बाल सब चिपक गये थे. 



योनि को लगातार कई मिनिट तक जीभ से छेड़े जाने की वजह से मेरा कई बार वीर्य निकल गया. उन्हों ने मुझे उठा कर बैठा दिया. फिर उन्हों ने अपने लिंग को मुझे चाटने को कहा. मैने अपनी जीभ निकाल कर उनके लिंग को चाटने लगी तो वो अपने लिंग पर बूँद बूँद शहद टपकाते जा रहे थे जो की जाहिर है मुझे चाट कर सॉफ करना था. वीर्य और शहद का मिश्रण बड़ा ही टेस्टी लग रहा था. कुच्छ देर तक उनके लिंग को और अंडकोषों को चाटने के बाद मैं अपने मुँह को खोल कर उनके लिंग को अपने मुँह के अंदर लेकर चूसने लगी. उनके लिंग को चूस्ते वक़्त मैं अपनी जीभ से उन्हे छेड़ती भी जा रही थी. ज़ोर ज़ोर से चूसने की वजह से कुच्छ ही देर मे उन्हों ने मेरे सिर को अपने लिंग पर दाब कर ढेर सारा वीर्य मेरे मुँह मे भर दिया. 



लिंग को गले मे दबा देने की वजह से मेरी साँस रुक गयी. फिर इतना सारा वीर्य मेरे गले मे उधेला की कुच्छ वीर्य मेरे गले मे अटक गया और एक ज़ोर की खाँसी के साथ मेरे नाक से बह निकला. जब तक उनका लिंग ढीला नही पड़ गया तब तक उसे मेरे मुँह से बाहर नही निकाला. 



थकान की वजह से खाना खाने के बाद से ही मेरा बदन टूटने लगा था उसके बाद मेरी योनि से इतना वीर्य पात मुझे बुरी तरह थका दिया था. मेरी आँखें इतनी भारी हो गयी थी की उन्हे अब खोले रखना मुश्किल हो रहा था. बहुत कोशिशों के बाद भी आँखें मूंडने लगी थी. जैसे ही उन्हों ने मेरे सिर को छ्चोड़ा मैं भाड़ से बिस्तार पर गिर पड़ी और जैसी गिरी थी उसी हालत मे मेरी आँखें मूंद गयी. 



स्वामी जी मेरी अवस्था भाँप चुके थे. वो बिस्तर से नीचे उतर कर मुझे अपनी गोद मे उठाया और बाथरूम की ओर ले चले. मैने उनके गले मे अपनी बाँहों का हार पहना दिया. उन्हों ने मुझे ले जाकर शवर के नीचे खड़ा कर दिया. बदन पर पानी की ठंडी बूंदे अपना असर दिखाने लगी. मेरे बदन मे ताज़गी का संचार होने लगा. मेरे बदन मे ताज़गी आते ही वापस हवस का भूत अपना असर दिखाने लगा. 



वो शवर के नीचे मुझ से लिपटे हुए मेरे बदन को सहला रहे थे मैं वापस उत्तेजित होकर उनसे बुरी तरह से लिपट गयी. मैं कूद कर उनकी कमर के चारों ओर अपने पैरों को लपेट दिया और उनके गले मे बाँहे डाल कर झूल गयी. मैने अपने दाँत उनके कंधे पर गढ़ा दिए. मैं अपनी नंगी चूचियाँ बेतहासा उनके सीने से रगड़ रही थी. मेरी हालत किसी भूखी शेरनी जैसी हो गयी थी जो किसी भी कीमत पर अपने शिकार को हाथ से निकलने नही देना चाहती हो. 



स्वामी जी ने अपनी पीठ दीवार से सटा दी और एक हाथ से अपने खड़े लिंग को मेरी योनि की फांकों को खोल कर अंदर किया. मैं उनके गले से लिपटे लिपटे ही अपनी कमर को कुच्छ नीचे सर्काई और…..वाआहह….म्‍म्म्ममम…..उनका तगड़ा लिंग वापस मेरी योनि के अंदर था मेरी खाज को मिटाने के लिए. 



उन्हों ने अपनी हथेलियों को मेरे बगलों के नीचे लगा कर मेरे बदन को उपर नीचे होने मे सहयता करने लगे. उन्हों ने मेरे जिस्म को ऐसे उठा रखा था मानो मैं को औरत नही बल्कि रूई की गुड़िया हूँ. 



उनकी ताक़त, उनका बाल उनकी एक एक चीज़ की मैं कायल हो गयी थी. मैं जानती थी कि मैं अब वापस पहले जैसी जिंदगी नही जी सकती थी. ये एक तरह का नशा था जिसकी मैं आदि बनती जा रही थी. मेरा कोई परिचित मुझे इस हालत मे देखता तो विस्वास ही नही करता. इतनी सुंदर, इतनी शुशील और उच्च मान मर्यादाओं वाली एक घरेलू महिला किसी निंफो की तरह भी हरकतें कर सकती है इसे कोई नही मानता. 



मैने अपने पंजों को स्वामीजी के पीछे दीवार पर रख दिया और उनके गले का सहारा लेकर अपनी कमर को उनके लिंग पर आगे पीछे करने लगी. उन्होंने अपनी हथेलियों को मेरे नितंबों पर रख कर मेरे बदन को हवा मे संहाल रखा था. उनके साथ मैने ऐसे ऐसे आसनो का मज़ा लिया जिन आसनो के बारे मे मैं कभी सोच भी नही सकी थी. 



सिर पर गिरती पानी की बूंदे भी हमारे बदन मे लगी आग को बुझाने मे असमर्थ थे बल्कि वहाँ का नशीला वातावरण पानी मे आग लगाता हुआ महसूस हो रहा था. 



कुच्छ देर तक इसी तरह चोदने के बाद उन्हों ने मुझे अपनी कमर से नीचे उतार दिया. मैने शवर के नीचे खड़ी होकर दीवार पर अपनी दोनो हथेलिया रख कर उनकी ओर अपनी कमर को आगे कर दिया. 



“ आअहह…..आऊओ…..आआजाऊओ….” मैने अपनी टाँगों को कुच्छ फैला कर अपने नितंबों के नीचे से अपनी योनि की ओर इशारा किया. स्वामी जी मेरे जिस्म से पीठ की ओर से सॅट गये. मैने खुद अपनी हथेलियों से उनके लिंग को पकड़ कर अपनी योनि मे डाल लिया. उनके दोनो हाथ मेरे स्तनो को थाम कर उनको बुरी तरह मसल्ने लगे थे. बीच बीच मे उनके हाथ फिसलते हुए पेट के उपर से होते हुए मेरी योनि तक भी जाते. 



वो मुझे धक्के लगाने लगे. कुच्छ देर तक तो मैं उनके धक्को को अपनी हथेलियों से झेलती रही मगर जब मेरी बाजुओं ने जवाब दे दिया तो मेरी कोहनियाँ मूड गयी और मेरे पेट से उपर का हिस्सा दीवार से चिपक गया. मेरे बड़े बड़े स्तन सपाट दीवार पर दब कर फैल गये. 



उन्हों ने भी अपने हाथ दीवार पर रख कर मुझे ज़ोर ज़ोर के धक्को से हिला कर रख दिया, मैं मस्ती मे अया ऊ करती जा रही थी. बीच बीच मे अपनी उंगलिओ से उनके खंबे को छ्छू कर उसके अंदर बाहर होने का अहसास कर रही थी. 



कुच्छ देर तक लगातार इसी तरह से चोदने के बाद उन्होने शवर को बंद कर दिया दोनो की साँसे अब फूलने लगी थी. मैने उनको फर्श पर लेटने का इशारा किया तो वो बिना कुच्छ कहे फर्श पर लेट गये और मैं उन पर सवार हो कर उन्हे चोदने लगी. हम दोनो साथ साथ ही झाड़ गये. 


क्रमशः............
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