Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:36 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -66 

गतान्क से आगे... 



उसके बाद शुरू हुआ धक्कों का सिलसिला. लगातार और बिना कोई रफ़्तार मे कमी आए वो लगभग बीस मिनिट तक मेरे बदन के उपर दंड पेलते रहे. ऐसा लग रहा था मानो वो कोई हाड़ माँस के व्यक़्ति ना हो कर सेक्स की मशीन हों. 



इस दौरान हम दोनो ही पसीने से लटपथ हो गये थे. ए.सी. से कमरा बिल्कुल ठंडा था मगर वो भी हमारी गर्मी कम करने मे असमर्थ हो रहा था. बीस मिनिट बाद वो रुके और अपने लंड को मेरी योनि से खींच कर बाहर निकला. उनका लंड मेरे योनि रस से पूरा भीगा हुआ था. उससे चासनी की तरह कर्मस तार बनाते हुए टपक रहा था. मैने अपनी आँखें खोली. अब वो मेरी बगल मे लेट गये और मुझे दूसरी तरफ करवट लेने के लिए कहा. 



मैने दाई तरफ करवट ले कर अपनी पीठ उनकी ओर कर दी. मैने अपनी टाँगो को छाती से लगा लिया और अपने नितंबों को उनकी ओर थेल दिया. वो मेरी पीठ से चिपक गये और पीच्चे से मेरी योनि मे अपना लंड डाल कर धक्के मरने लगे. अब हम दोनो अगल बगल लेटे हुए थे. वो पीछे की ओर से मुझे धक्के मार रहे थे. साथ साथ मेरे दोनो स्तनो को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते जा रहे थे. 



इस तरह उन्हे काफ़ी आराम मिल रहा था क्योंकि मेहनत कम करनी पड़ रही थी धक्के लगाने मे. वो उसी तरह पाँच दस मिनिट तक धक्के लगाते रहे. उनके धक्को मे कुच्छ शिथिलता आ गयी थी वो अब ख़तम हो गयी. 



कुच्छ देर तक इस तरह करने के बाद वो वापस पूरे जोश मे आ गये. उन्हों ने मुझे उठा कर चौपाया बनाया. मैं तीन तकियों को एक के उपर एक रख कर उन्हे अपने पेट के नीचे रख कर अपने उपरी शरीर को बिस्तर पर लिटा दिया. इस तरह मेरे नितंब उँचे हो गये. मैं बिना किसी सहारे के भी अब चौपाया बनी हुई थी. उन्हों ने मेरे पीछे आकर मेरी योनि मे अपना लंड डाल दिया. उसके बाद दनादन धक्कों की बोच्चार शुरू हो गयी. हर धक्के के साथ मैं बुरी तरह हिल रही थी. मेरे रेशमी घने बाल मेरे पूरे चेहरे को ढँक लिए थे मैं उत्तेजना मे अपने दोनो पंजे गद्दे मे गढ़ा कर मुत्ठियों मे भर रखी थी और दाँतों मे एक तकिये को भींच रखा था. वो मेरे पीछे घुटनो के बल बैठ कर अगले पाँच मिनिट तक बिना रुके धक्के मारते रहे. फिर वो खड़े होकर अपने पैरों को घुटनो से मोड़ लिया और अपने दोनो हाथ मेरी पीठ पर रख कर धाकी लगाने लगे.इस वक़्त उनका लिंग मेरी योनि मे उपर से अंदर घुस रहा था. पता ही नही चल रहा था कितनी देर तक वो इस तरह मुझे चोद्ते रहे. 



कुच्छ देर तक इसी तरह चोद्ते रहने के बाद उन्हों ने अपने लिंग को वापस बाहर निकाला. फिर उन्हों ने मुझे उसी अवस्था मे बिस्तर के किनारे तक खींच लिया. मैं अब बिस्तर के एक दम किनारे अपने घुटनो को टीका कर चौपाया बनी हुई थी. 



अब वो ज़मीन पर खड़े हो गये. इस अवस्था मे मेरी योनि उनके लंड के लेवेल पर थी. वो खड़े हो कर मेरी योनि मे एक ही धक्के मे वापस अपने लिंग को डाल कर पूरी ताक़त से दस मिनिट तक मुझे झींझोड़ते रहे. इतनी देर से लगातार चोदने के बाद भी उनके लिंग मे थोड़ा सा भी ढीलापन नही आया था. उनका लिंग अभी तक मेरी योनि को फैला रखा था. इस पोज़िशन मे लिंग सबसे ज़्यादा अंदर तक घुस रहा था. मुझे अपनी योनि मे उनके लिंग का अहसास सातवें आसमान पर चढ़ा रहा था. 



पंद्रह मिनिट तक बिना किसी शिथिलता के लगातार पूरे जोश से धक्का लगाना उनकी उम्र मे किसी के वश का नही होता. ऐसा लग रहा था की उनकी उम्र मानो घट कर आधे से भी कम रह गयी हो. मैं अब तक तीन बार स्खलित हो चुकी यही मगर उनका एक बार भी स्खलन नही हुआ था. 



मैं तो हाँफने लगी थी मगर वो लगातार धक्के मारे जा रहे थे. पंद्रह मिनिट बाद वो रुके और अपना लिंग बाहर खींचा उनके लिंग से मेरा वीर्य टपक रहा था. 



“ मज़ा नही आ रहा है. बहुत ज़्यादा गीली हो गयी है. चल इसे साफ कर.” उन्हों ने अपने लंड की ओर इशारा किया. 



“ मज़ा नही आ रहा है? इधर मेरी जान निकाल कर रख दी और आपको मज़ा नही आ रहा है. ऑफ कितना बड़ा है आपका. जैसा आपका लंड वैसा ही आपकी ताक़त. मैं तो हार गयी आपके जोश के सामने.” मैने उनके हाथ से कपड़ा ले कर उनके लिंग को पोन्छ्ते हुए कहा. 



“ अब अपनी योनि को भी साफ कर. जितना सूखा रहेगा घिसाई का उतना ही अहसास होगा और घिसाई मे ही तो मज़ा है.” स्वामी जी ने कहा. 



मैने उस कपड़े से अपनी योनि को भी साफ किया. स्वामी जी वापस बिस्तर पर उठ कर लेट गये. 



“ चाल आजा अब तू अपना हूनर दिखा.” उनका खड़ा लंड मुझे आमंत्रण दे रहा था. मैं उठ कर उनके पास आइ. और मैने उनके लंड को अपनी मुट्ठी मे भर कर दो बार सहलाया. फिर अपनी जीभ निकाल कर पूरे लंड पर उपर से नीचे तक चाटने लगी. उनके लिंग को चाटते हुए मुझे अपने ही वीर्य का स्वाद मिल रहा था. मैने अपने दोनो होंठों को गोल किया और उन्हे उनके लिंग के उपर लगा दिया. फिर अपनी जीभ को हल्की सी निकाल कर उनके लिंग के उपर के छेद को छेड़ने लगी. उनके उस छेद से गढ़ा गाढ़ा प्रेकुं निकल रहा था जिसे मैं चाट कर सॉफ कर रही थी. 



“ नही और नही…वरना मेरा स्खलन बाहर ही हो जाएगा.” स्वामी जी ने कहा. 



“ बस कुच्छ देर और रोक लो. मुझे इस मूसल को कुच्छ और प्यार कर लेने दो. “ मैने कहा. मैने अपना मुँह खोला और उनके लंड को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. जब उनका लंड झटके खाने लगा तो मैने उसे मुँह से निकाल लिया जिससे उत्तेजना कुच्छ कम हो जाए. 



फिर मैने उठ कर उनकी कमर के दोनो ओर अपने घुटने रख कर उनके लिंग को अपनी हाथों से थामा. फिर एक हाथ से अपनी योनि का मुँह खोला और दूसरे हाथ से उनके लंड को अपनी योनि पर सेट किया. सूख जाने के कारण कुच्छ देर लगी उनके लिंग को सही जगह पर सेट करने मे. 



फिर मैं उनके उपर झुक कर अपनी दोनो हथेलिया उनके सीने पर रख कर उनके सीने पर उगे घने बालों को सहलाने लगी. साथ साथ अपनी कमर को उनके लिंग पर नीचे करे लगी. उसके लंड को एक झटके मे ना लेकर धीरे धीरे अंदर करने लगी. 



मेरी योनि और उनका लंड दोनो सूखे होने की वजह से उनका लंड लंड मेरी योनि की दीवारों को घिसता हुआ अंदर जा रहा था. ऐसा लग रहा था मानो किसी खुरदूरी चीज़ से मेरी योनि की दीवारों को घिसा जा रहा हो. योनि मे वापस दर्द की लहर उठने लगी. जब उनका लंड पूरा अंदर हो गया तो मैने स्वामी जी की तरफ देखा. 



“ मज़ा आ गया जब तक लिंग को योनि के साथ रगडे जाने का अहसास ना हो तब तक मज़ा ही नही आता है. आज के लोग कॉंडम लगा कर पता नही कैसे मज़ा ले पाते हैं. असली मज़ा तो बदन से बदन का मिलन ही देता है.” स्वामी जी ने मेरी लटकते हुए स्तनो को अपने हाथों से सहलाया. मैं अब उनके लंड पर अपनी योनि को आगे पीछे करने लगी. अब धीरे धीरे दर्द कम होकर वापस मज़ा आने लगा. 



मैं भी घने बालों मे छिपी उनकी छतियो को सहलाने लगी. मैं अपने दोनो हाथों से उन्हे मसल रही थी. वो मेरे स्तनो को मसले जा रहे थे और मैं उनके. मैं उनके लंड पर धक्के देती देती नीचे झुकी और उनके सीने को चूमने लगी. अपनी जीभ से उनके मटर के दाने जैसे उभरे निपल्स को छेड़ने लगी. 



“ आपकी चूचियो का साइज़ भी लाजवाब है. मानो तेरह साल की किसी बच्ची के स्तन हों.” मैने उनकी छातियो पर अपने दाँत गढ़ाते हुए कहा. 



“हाहाहा…..लेकिन कुच्छ भी करो. कितनी भी मेहनत करो इनमे रस नही आएगा.” स्वामी जी ने कहा. 



“ अच्च्छा? लेकिन कोशिश करने मे क्या बुराई है. कोशिश तो कर ही सकते हैं.” मैने उन्हे छेड़ते हुए कहा. मैं उनकी एक छाती को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी जिस तरह उन्हों ने मेरे स्तनो को चूसा था. 



मैं अपनी योनि के मुस्सलेस से उनके लिंग को बुरी तरह जाकड़ रखी थी. और ज़ोर ज़ोर से अपनी कमर को उपर नीचे कर उनके लिंग को दूह रही थी. पाँच मिनिट्स तक इसी तरह चोदने के बाद मैं अपने घुटनो को मॉस कर उनके लिंग पर उकड़ू होकर बैठ गयी. और अपने घुटनो पर अपने दोनो हाथों को रख कर उनके लंड को वापस घिसने लगी. वो मेरे हमलों से अपना बचाव नही कर पाए और कुच्छ ही देर मे उन्हों ने मुझे अपने लंड से उठा कर बिस्तर पर पटक दिया और वापस मेरे उपर आकर अपने लिंग को जड़ तक मेरी योनि मे डालकर मेरे एक स्तन पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैने भी अपनी टाँगों का हार उनके कमर के इर्दगिर्द डाल दिया और उन्हे अपनी बाँहों मे जाकड़ कर अपने नाख़ून उनकी पीठ पर गढ़ा दिए. 



उनके लिंग से वीर्य की धार फूट पड़ी. मेरे लिए उनका इशारा ही काफ़ी था. मैं चौथी बार उनके साथ ही झाड़ गयी. 



मेरी कोख के हर कोने को उन्हों ने लबालब भर दिया. इतना वीर्य निकला उनके लंड से की जब उनका लिंग ढीला होकर बाहर निकला तो उनके लिंग के साथ साथ ढेर सारा वीर्य मेरी योनि से छलक कर बाहर निकल्ने लगा. मलाई की तरह उनका वीर्य मेरी योनि से बाहर निकल कर दोनो नितंबों के बीच से बहता हुया नीचे चादर पर ढेर हो रहा था. 



हम दोनो लेटे हुए एक दूसरे को चूम रहे थे, चाट रहे थे. 



हम दोनो बिस्तर पर लेटे किसी नये जोड़े की तरह चूमा चॅटी मे व्यस्त थे. स्वामी जी सेक्स के मामले मे इतने निपुण थे की उनके पास आकर कठोर से कठोर महिला भी अपने जिस्म पर से काबू खो बैठती थी. 



उनको किसी महिला के जिस्म मे कौन कौन से पायंट्स होते हैं जिनको छेड़ने से पूरे जिस्म मे करेंट दौड़ जाता था, के बारे मे पूरी जानकारी थी. इसलिए किसी महिला को अपने वश मे कर लेना उनके लिए सिर्फ़ चुटकी भर का काम था. उनकी आँखों मे, उनके होंठों मे उनके जिस्म मे इतनी तीव्र सम्मोहन शक्ति थी कि अगर कोई महिला एक बार उनके संपर्क मे आती तो जिंदगी भर के लिए उनकी गुलाम बन कर रह जाती. मैं भी उनकी गुलाम बन कर रह गयी थी. 

क्रमशः............ 
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