Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:36 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -65 

गतान्क से आगे... 


मैने उनके होंठों पर अपने दाँत गढ़ा दिए. मैने उनके पूरे चेहरे को अपनी जीभ से चाट लिया था. मैं अब कुच्छ नीचे खिसक कर उनके सीने पर अपने होंठ फिराने लगी. मैं उनके निपल्स को अपने दाँतों के बीच दबा कर हल्के हल्के से कुरेदने लगी. 



उनके घने बालों से भरे सीने पर अपने होंठ और गाल रगड़ रही थी तो मुझे इतना मज़ा आ रहा था जिसकी मैने कभी कोई कल्पना भी नही की थी. 



मैं अपनी जीभ उनके सीने पर फिराते हुए मैं नीचे की ओर झुक कर उनके नाभि के इर्द गिर्द अपने होंठ फिराने लगी. मेरी हरकतों से वो भी काफ़ी उत्तेजित हो गये थे. उनकी उत्तेजना का पता मेरे स्तनो पर पड़ रहे उनके हाथों के दबाव से चल रहा था. पहले वो मेरे स्तनो को बड़े प्यार से सहला रहे थे मगर अब उनकी हथेलिया मेरे स्तनो को बुरी तरह मसल्ने लगी थी. 



मैं अपनी जगह पर घूम गयी. अब मेरा चेहरा उनके पैरों की तरफ था. मैं उनकी टाँगों के उपर झुक कर उनके पैरों को चूमने लगी अपनी जीभ उनके पैरों पर फिराने लगी. मैं उनके अंगूठे को और उनके पैरों की उंगलियों को चूस रही थी. फिर मैने उनकी टाँगों पर अपने जीभ फिराई. उनकी जांघों पर मैं अपने दाँत गाढ़ने लगी. जगह जगह पर मैने अपने दांतो के निशान छ्चोड़ दिए. 



उनका तना हुआ लंड मेरी जांघों के बीच रगड़ खा रहा था. उनका लंड इतना लंबा और मोटा था कि जब मैं उन्हे प्यार करने झुकती तो उनका लंड मेरे स्तनो को ठोकर मारने लगता. 



मैने वापस घूम कर उनके चेहरे की ओर अपना चेहरा कर लिया. मगर इस बार मैं उनकी टाँगों पर बैठी थी. मैं नीचे झुक कर उनके लिंग को चूमने लगी. मैने उनके लंड के उपर का चमड़ा नीचे की और सरकाया तो उनका लंड के उपर का सूपड़ा बाहर निकल आया. ऐसा लग रहा था मानो की जांघों के बीच कोई मीनार खड़ा हो. 



मैने उनके लंड के ठीक उपर झूलते मेरे स्तनो को अपने हाथों से थामा और उनके लिंग को अपने दोनो स्तनो के बीच रख कर भींच दिया. फिर मैं उसी अवस्था मे अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी. 



उनका लिंग बार बार मेरे स्तनो के बीच के दरार से पल भर के लिए झाँकता और फिर उनकी गहराईयों मे खो जाता. जब उनका लंड मेरे स्तनो के उपर निकल कर आता तो मैं अपनी जीभ निकाल कर उनके सूपदे को चाटने लगती. स्वामी जी काफ़ी उत्तेजित हो चुके थे. वो बार बार मेरी पतली कमर मेरे स्तनो पर और मेरी जांघों के बीच सहलाने लगते थे. 



कुच्छ देर तक इसी तरह उनके लिंग को अपने उरजों से चोदने के बाद मैने उनके लंड को चाटना शुरू किया. वो अपनी कमर को बिस्तर से उठा कर मुझे अपने जुनून का इशारा दे रहे थे. वो चाह रहे थे कि मैं उनके लंड को अपने मुँह मे भर कर प्यार करूँ. मैने उनको ज़्यादा परेशान नही किया और कुच्छ देर बाद उनके लिंग को अपने मुँह मे भर कर चूसने लगी. वो उत्तेजित हो कर मेरे सिर को अपने लंड पर दाब रहे थे. उन्हों ने जैसे ही मेरे सिर को अपने लंड मे दाबा तो उनका लंड मेरे मुँह से होकर मेरे गले तक उतर गया. मैं साँस लेने के लिए छॅट्पाटा उठी. मैने अब उनके लिंग को ज़्यादा अंदर तक नही लेने का ठान लिया. मैं उनके लंड को अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी. 



उनका लंड इतना मोटा था की मुझे उसको अपने मुँह मे लेने के लिए अपने जबड़ों को पूरा खोलना पड़ रहा था. थोड़ी ही देर मे मेरे जबड़े दुखने लगे तो मैने अपने सिर को उठाया. अब मैं अपनी जीभ से उनके मोटे मोटे अंडकोषों को चाटने लगी. वो इतने उत्तेजित हो गये थे की उनके मुँह से अब सिसकारियाँ निकल रही थी. 



“ स्वामी….आअपकाअ ईए बहुत बड़ाअ हाईईइ. मुझे विस्वास नही है कि मैं इसे झेल भी पाउन्गी…..या नही.” मैने 



जब उनसे और नही रहा गया तो उन्हों ने मुझे बिस्तर पर पटक दिया. और मुझ पर टूट पड़े. मैं उनकी हालत पर खिलखिला उठी. उन्हों ने मेरी योनि के उपर बने क्लाइटॉरिस को अपनी उंगलियों से छेड़ दिया. मैं उनकी इस हरकत से लगभग उच्छल पड़ी. मगर मेरे स्तनो को दबे हुए उनके मुँह ने मुझे बिस्तर से उठने नही दिया. 



“ ऊऊहह स्वाअमीज़ी….मेरे साआमिी….मेरीई…..आआआहह….क्यूऊन….. सातआटीए हूऊऊ……उफफफफ्फ़ माआ….आब तूओ आजा” मैं च्चटपटाने लगी. 



मैं बिस्तर पर चित लेटी हुई थी. वो मेरे स्तनो को छ्चोड़ कर उठे. उन्हों ने अपने दोनो हाथों से मेरी टाँगें थाम ली और उन्हे छत की ओर उठा दिया. फिर उन्हों ने अपने दोनो हाथ अलग कर मेरी टाँगों को फैलाया. मैने भी बिना किसी विरोध के अपनी टाँगों को फैला दिया. मेरी योनि उनकी नज़रों के सामने थी. मैं भी उत्तेजना मे फूँक रही थी. मैं उनकी ओर अपनी कमर को उठा कर उनको अगले खेल के लिए इशारा कर रही थी. 



“ देवी इस रति क्रीरा मे जो खिलाड़ी जितना वॉर्म अप होता है उसे खेल मे उतना ही मज़ा आता है.” स्वामी जी ने कहा.



“ गर्म? स्वामी जी मैं तो गर्मी से फूँक रही हूँ अब आ जाओ नही तो मैं पागल हो जाउन्गी.” मैने कराहते हुए कहा, “ ये देखो……” उत्तेजना की वजह से मेरी योनि से काम रस का निकलना बंद होने का ही नाम नही ले रहा था. दोनो जंघें गीली हो रही थी. मैने अपने हाथों को उन पर फिराते हुए स्वामी जी को दिखाया, “ देखो मेरे बदन का सारा खून आज वीर्य बन कर बाहर निकला जा रहा है. अब अगर अपने मुझे जल्दी संतुष्ट नही किया तो मैं मर ही जाउन्गी.” 



मेरी बात सुन कर स्वामी जी हंस पड़े. उन्हों ने बगल के टेबल पर रखी एक शीशी खोल कर उस मे से कुच्छ पिया और वापस बॉटल वहीं रख दी. मैं जिगयसा भरी नज़रों से उनकी तरफ देख रही थी. 



“ ये सब मेरी बरसों की मेहनत का नतीजा है. ये दुर्लभ जड़ी बूटियों का रस है जिसे पीने के बाद आदमी वियाग्रा को भी मात दे सकता है. देखना अब ये तुम्हे कितने खेल दिखाता है.” कह कर उन्हों ने अपने तने हुए लंड को सहलाते हुए कहा. 



“ स्वामी जी मुझे भी कुच्छ दो. मैं भी आपका बराबर साथ देना चाहती हूँ. सुबह से मैं इतना थक गयी हूँ कि आपको पूरा मज़ा नही दे पाउन्गी.” 



स्वामी जी ने उस बॉटल से कुच्छ बूंदे मेरे मुँह मे भी दी. अजीब सा कसैला स्वाद था पूरा मुँह एक बार कड़वा हो गया. मैं वापस अपने पैरों को फैलाए लेट गयी. स्वामी जी मेरे पैरों के बीच अपने घटनो के बल बैठे हुए थे. उन्हों ने मेरे पैर अपने कंधो पर रख दिए. इस अवस्था मे उनका विशाल लंड मेरी योनि और नितंबो के बीच ठोकर मारने लगा. 





उन्होने दो मोटे मोटे तकिये उठा कर मेरी कमर के नीचे रख दिए जिससे मेरी कमर बिस्तर से एक फुट के करीब उपर उठ गयी. 



मैने अपने हाथों से अपनी योनि की फांकों को अलग कर उनके लंड को थाम कर उनके बीच किया. वो उस वक़्त मेरी जांघों को सहला रहे थे. मेरे घुटनो को चूम रहे थे. मुझे इस अवस्था मे अपनी टपकती हुई चूत साफ दिखाई दे रही थी. मैने देखा की मेरी योनि के गीले होंठ उत्तेजना मे काँप रहे थे. जैसे ही उनके लंड को बीच मे रख कर मैने अपनी उंगलियों को योनि की फांको पर से हटाया तो दोनो उनके लंड से ऐसे चिपक गयी मानो किसी भूखे बच्चे को दूध की बॉटल मिल गयी हो. 



उन्हों ने अपने लिंग को मेरी योनि मे दबाया. मेरी योनि का मुँह चौड़ा होने लगा. उनके लिंग को अंदर लेने के लिए मेरी योनि ऐसे खुल गयी थी मानो उसमे पूरा हाथ चला जाए. उनके लंड के सामने का सूपड़ा काफ़ी मोटा था मुझे पल भर को तकलीफ़ हुई उसे लेने मे. मेरी योनि इतनी गीली हो चुकी थी की अब अगर मुझे गधे का लंड भी लेना पड़ता तो मुझे कोई तकलीफ़ नही होती. 



“ आअहह…” मेरे मुँह से एक कराह निकली और उनके लंड का सिरा मेरी योनि के होंठों को चीरता हुआ अंदर प्रवेश कर गया. 



“ आआहह….गुरुजिइइई….ध्ीएरए….ध्ीएरए…..तोड़ाआ धीरे करूऊ…..काफ़िई दाअर्द हाईईईई……” मैं उनसे रिक्वेस्ट करने लगी. 



एक एक इंच करके उनका लंड अंदर जा रहा था. उन्हों ने भी एक दम से पूरा अंदर कर देने मे जल्दी नही दिखाई. मैं भी उनके लंड को अपने योनि की दीवारों से सहला कर उत्तेजित हो रही थी. मेरी योनि उपर की ओर उठी होने की वजह से उनके लिंग का अंदर जाना अच्छि तरह दिख रहा था. मैने अपनी दो उंगलियों को वी की शेप मे योनि की होंठों पर रख कर उनके लंड के सरकने का अहसास कर रही थी. 



उन्हों ने पूरा अंदर डालने से पहले दो बार बाहर भी खींचा और दोबारा अगले ही पल वापस उतना ही अंदर डाल दिया. धीरे धीरे उनका पूरा लिंग मेरी नज़रों से ओझल हो गया. मैने अपनी हथेली पर उनके लिंग के जड़ को महसूस किया. मैने उनकी आँखों मे झाँका. 



“ पूरा अंदर है. मज़ा आया?” उन्हों ने पूछा. 



“एम्म….बहुऊट” मैं मुस्कुरा दी,” ओफफफफ्फ़….कितनाअ बड़ाअ हाई आपकाअ…..ल्ाअग रहाआ था की मुँह सी बाआहर निकाल आईईगा……” 



“ हहाआहा….कैसा लगा? माअजा टू आयाअ ना?” 



“ बोहूऊओट…..आअपँे तूओ मुझीए अपणीी ब्ाअंड्ी बनाअ लिय्ाआ हाईईईईईईई” 



अब उन्हों ने अपने दोनो हाथों को मेरे कंधो के दोनो ओर रख कर सहारा लेते हुए अपने लिंग को बाहर खींचना शुरू किया. मैने अपनी योनि की दीवारों को उनके लंड पर दाब दिया था. उनका लंड बाहर जाते हुए भी इतना मज़ा दे रहा था कि मज़ा आ गया. 



“ उम्म्म……कुच्छ देर अंदर ही रहनी देतीए…जीए भार कार स्वाआद तो लेनी देते…..हााहह” मैं उत्तेजना मे बड़बड़ा रही थी. 



उन्हों ने अपने लिंग को लगभग पूरा खींच कर बाहर निकाला. यहाँ तक की लंड के सामने का सूपड़ा भी बाहर निकाल लिया. और अगले ही पल दोबारा पूरे जोश के साथ अपने लिंग को मेरी योनि मे जड़ तक घुसा दिया. मेरी आँखे अत्यधिक आनंद से बंद हो गयी और मुँह खुल गया था. हर धक्के के साथ ऐसा लगता मानो फेफड़े की सारी हवा निकली जा रही हो. 
क्रमशः............ 
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