Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:36 PM,
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -64 

गतान्क से आगे... 


एक एक करके मेरे ब्लाउस के सारे बटन्स खुल कर अलग हो गये. उन्हों ने मेरे ब्लाउस को बदन से खींच कर अलग कर दिया. इसमे मैने भी उनकी सहयता की. ब्लाउस को अलग होने के बाद फर्श पर डाल दिया गया. अब मैण सिर्फ़ ब्रा पहने उनके सामने खड़ी थी. 



उन्हों ने अपनी उंगलियाँ मेरे ब्रा के स्ट्रॅप मे फँसा कर अपनी ओर खींच कर छ्चोड़ दिया. फिर अपना सिर नीचे झुका कर ब्रा के उपर से उभरे मेरे दोनो निपल्स को अपनी जीभ से चटा. जिससे मेरे निपल्स और ज़्यादा बड़े बड़े हो गये एवं उनके चाटने की वजह से मेरी ब्रा के वो हिस्से गीले हो कर निपल्स से चिपक गये थे. वो मेरे दोनो स्तनो को अपने हाथों से उठा कर काफ़ी देर तक चूमते रहे. 



जैसे ही उन्हों ने मुझे छ्चोड़ा मैं उनके सीने से वापस लग गयी. मैं अपने ब्रा मे कसे दोनो स्तन उनकी नग्न छाती पर दबा कर रगड़ने लगी. 



“ आपको प्यारे लगे?” मैने उनसे पूचछा. वो मेरी बात का जवाब अपने चिरपरिचित मुस्कुराहट सी दिए. 



“ स्वामी जी ये दोनो आपके लिए ही हैं. आप इनका जैसे चाहे वैसे इस्तेमाल करो. मैं आपसे कोई शिकायत नही करूँगी. आप इन्हे जी भर कर प्यार करना. इनको बस आपके होंठों का इंतेज़ार हैं.” कह कर मैने उनके हाथों को उठा कर अपने स्तन पर वापस रख दिए. उन्हों ने दोनो स्तनो को हल्के हल्के से सहलाना शुरू किया. 



“ ये दोनो तुम्हारे खजाने हैं. तुम नही जानती कि इनकी क्या वॅल्यू हैं. किसी को भी तुम इनका एक झलक दिखा कर अपना गुलाम बना सकती हो.” वो बोलते बोलते मेरे स्तन युगल को मसल्ते जा रहे थे. मुझे उनकी हरकतों मे बहुत मज़ा आ रहा था. 



“ ये अभी खाली हैं. इनमे आप रस भर दो फिर देखना ये कितने खूबसूरत हो जाएँगे. इनकी साइज़ आपसे सम्हाले नही संहलेंगे. तब इनको अपने मुँह से लगा कर खूब रस पीना.” मैने उनके बालों मे अपनी उंगलियाँ फिराई. फिर उनके सीने पर उगे घने बालों को अपने होंठों से सहलाया. मैं अपनी जीभ से उनके मटर के दाने सरीखे उभरे हुए निपल्स को चाटने लगी. अपने दाँतों से उनके सीने पर कई जगह निशान भी बना दिए थे. 



उन्हों ने मेरे कंधे पर अपने हाथ रख कर मेरी ब्रा के दोनो स्ट्रॅप्स नीचे उतार दिए. मैने पीछे मूड कर अपने ब्रा का हुक उनकी ओर किया. उन्हो ने मेरे ब्रा के हुक को खोल दिया तो मैं वापस उनकी ओर मूड कर खड़ी हो गयी. मैने अपने दोनो बाँहें सिकोड कर अपने ब्रा को नीचे गिर जाने से रोक रखा था. मैं ये अवसर स्वामी जी को ही देना चाहती थी. उन्हों ने मेरी बाँहों को थोडा अलग किया तो मेरी ब्रा किसी तिरस्कृत छिल्के की तरह मेरे बदन से अलग हो कर पैरो पर गिर पड़ी. 



उनके सामने मेरे बड़े बड़े स्तन अब बिल्कुल नग्न हो कर उन्हे प्यार का आमंत्रण दे रहे थे. उन्हों ने मेरे स्तनो को देख कर इस तरह अपने होंठों पर अपनी जीभ फिराई मानो उनके सामने उनका कोई मनपसंद व्यंजन रखा हुआ हो. 



उन्हों ने मेरे दोनो स्तनो को अपनी दो उंगलियों से बहुत हल्के से च्छुआ और हल्के हल्के च्छुअते हुए उनको नीचे की ओर बढ़ते हुए निपल्स तक ले गये. उन्हों ने अपनी उंगलियों से मेरे दोनो निपल्स को हल्के हल्के से प्रेस किया. फिर उंगलियों और अंगूठे के बीच दोनो निपल्स को लेकर बहुत हल्के से सहलाने लगे. 



मेरे दोनो निपल्स उत्तेजित होकर इतने बड़े बड़े भी हो सकते हैं ये मुझे पहली बार पता चला था. यहाँ तक की निपल्स के चारों ओर फैले गोल गोल काले दायरे मे पिंपल्स की तरह कुच्छ दाने भी उभर आए थे. मेरा सिर पीछे की ओर धूलक गया था. 



उन्हों ने अपने होंठ एक निपल के इर्दगिर्द रख कर उसे किस बच्चे की तरह चूसने लगे. चूसने के साथ साथ वो अपने पंजे से मेरे उस स्तन को मसल्ते भी जा रहे थे मानो उसके अंदर से दूध निकालना चाहते हों. जिस वक़्त वो एक निपल को चूस रहे थे उस वक़्त वो अपने दूसरे पंजे की उंगलियों से मेरे दूसरे निपल को कुरेद रहे थे जिससे उसमे उत्तेजना की कमी आकर उसका आकर छ्होटा ना हो जाए. एक निपल को जी भर चूसने के बाद उन्हों ने वही क्रिया दूसरे निपल के साथ भी दोहराई. 



स्वामी जी की हरकतों से मैं उत्तेजना के चरम पर पहुँच गयी थी. मैने उनके सिर को अपने दोनो सीने के बीच दबा लिया. वो अपनी जीभ को वहाँ फिराने लगे और मैं अपनी उत्तेजना को सम्हालने मे विफल होकर उस अवस्था मे ही झाड़ गयी. 



काफ़ी देर तक उन्हों ने मुझे इस तरह प्यार करने के बाद मुझे घुमा कर खड़ा कर दिया. अब उनके होंठ मेरी नगी पीठ पर फिर रहे थे. मेरी रीढ़ की हड्डी पर नीचे से उपर की ओर उठते हुए उनके होंठ मेरे बालों के जड़ तक जा पहुँचे. 



मेरा बदन सिहरन से काँप रहा था. मैं दीवार से सहारा ले कर खड़ी हो गयी. मैने अपने सिर को सामने की ओर झुका लिया था और बालों को को अपने कंधे के उपर से सामने की ओर कर लिया था जिससे उनके प्यार के खेल मे किसी तरह की बाधा ना आए. 



मैं उत्तेजना मे अपने स्तनो को अपने ही हाथों से मसल्ने लगी. जब इससे भी ज़्यादा संतुष्टि नही मिली तो स्वामी जी के हाथों को अपने हाथों से पकड़ कर अपने दोनो स्तनो पर रख कर उन्हे दबाया. मेरे इशारे को समझ कर, मेरे मन की स्थिति को समझ कर वो अपने हाथों से मेरे दोनो स्तनो को मसल्ने लगे. 



वो होल होल मेरे कंधों पर अपने दाँत गाढ़ने लगे. मेरे दोनो हाथों को उन्हों ने सिर के उपर उठा दिया और मेरी बगलों को अपनी जीभ से सहलाने लगे थे. उनकी जीभ जब मेरे बगलों की नाज़ुक त्वचा को छुति तो मेरा पूरा बदन काँपने लगता. 



उन्हों ने अब मेरी सारी बदन से अलग कर दी तो मैने उन्हे किसी तरह का मौका दिए बगैर अपने पेटिकोट के नारे को खींच कर ढीला कर दिया. मेरा पेटिकोट पैरों से सरकता हुया फर्श पर गिर गया. 



स्वामी जी ने दोबारा मुझे सीधा किया और अपनी नज़रों से मुझे निहारने लगे. मैं उस वक़्त सिर्फ़ एक छ्होटी सी पॅंटी मे थी. जो बड़ी मुश्किल से मेरे टाँगों के बीच के खजाने को उनकी नज़रों से बचाने की कोशिश कर रहा था. 



वो मेरे सामने घुटने के बल बैठ गये और मेरी योनि को मेरी पॅंटी के उपर से चूमने लगे. फिर अपने दाँतों से मेरी योनि के सामने के उभार को हल्के हल्के से काटने लगे. मेरी योनि को ढके कपड़े को एक ओर खींचा और अपनी जीभ मेरी योनि पर फिराई. फिर दोनो हाथों की उंगलिया मेरी पॅंटी के बॅंड मे फँसा कर उसे नीचे उतार दिया. 



अब मैं बिल्कुल नग्न स्थिति मे आ गयी थी. वो मेरे सामने बैठ कर मेरी जांघों को मेरे, जांघों के बीच मेरी योनि को प्यार करने लगे. उन्हों ने मेरे एक पैर को उठा कर अपने कंधे पर रख लिया और अपनी जीभ से मेरी योनि के उपर सहलाने लगे. फिर अपनी उंगलियों से मेरी योनि को फैला कर अंदर अपनी जीभ से चाता. मेरी योनि के बाहर उभरे क्लाइटॉरिस को वो अपनी जीभ से सहलाने लगे. जैसे ही मेरी क्लिट को उन्हों ने अपने दाँत से हल्के से दबाया मैं उत्तेजना मे उच्छल पड़ी. 



स्वामी जी ने मुझे पीछे घुमाया और मेरे नितंबों को जगह जगह पर दांतो से काटने लगे. मेरे नितंबों को फैला कर मेरे गुदा को भी उन्हों ने चूम लिया. उनकी उंगलिया मेरे जिस्म पर थिरक रही थी. वो मेरे जिस्म पर पता नही कहाँ कहाँ दबा रहे थे कि मैं उत्तेजना से तड़पने लगती. वो अक्कुप्रेससोर के अच्छे ग्याता थे. उन्हे मालूम था कि कहाँ कहाँ और किस तरह किसी महिला को दबाने और छूने से महिला की उत्तेजना अपने चरम पर पहुँच जाती है. 



मैं और उनकी हरकतों को सहन नही कर पाई. मैने खींच कर उन्हे ज़मीन पर से उठाया. वो मेरा हाथ पकड़ कर अपने बिस्तर पर ले गये. 



“ देवी आज तुम्हारी दूसरी सुहागरात है. आज से हफ्ते भर के लिए तुम मेरी बंदिनी होकर रहोगी. इसे तुमने अपनी इच्च्छा से स्वीकार किया है. आओ इन सात दिनो मे हम एक पूरी जिंदगी जी लें.” स्वामीजी के होंठों से प्यार भरी बातें सुन कर मैं निहाल हो गयी. 



मैने उनका जवाब मुस्कुरा कर दिया. और उनसे कहा, “ स्वामी आज आपके पास आकर मैने प्यार का सही मतलब जाना है. सेक्स के खेल इतने हसीन और इतने मजेदार हो सकते हैं ये मैने आज जाना है. आज तक मैं इन सब से अंजान थी. आज आपके चर्नो मे आकर मैने प्रेम का सही मतलब सीखा है.” मैने उनकी आँखों मे झाँकते हुए कहा. 



उन्हों ने मुझे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया मगर मैं ऐसा नही चाहती थी. मैने उन्हे बिस्तर पर लेटने का इशारा किया. 



“ एक तरफ़ा प्यार अच्च्छा नही होता. हर किसी को अपना हूनर दिखाने का पूरा मौका मिलना चाहिए. अब आप बिस्तर पर लेट जाइए. आप ने जितना प्यार मुझे किए है उसे आपको लौटाने की अब मेरी बारी है.” मैने उनसे कहा. 



वो मुस्कुराते हुए बिस्तर पर लेट गये. मैने उनके कमर पर बँधी तहमद को खोल कर उनके बदन से अलग कर दिया. 



“ सुहाग रात को मर्द को कोई भी कपड़ा पहनने की मनाही होती है. मैं तो आपकी बंदिनी हो गयी मगर आप भी अपना पूरा जोश, पूरा प्यार मुझ पर ही न्योचछवर करोगे.” मैने हंसते हुए उनको धक्का दिया तो वो मेरे इस अचानक वार से सम्हाल नही पाए हौर बिस्तर पर गिर पड़े. मैं कूद कर उनके सीने पर सवार हो गयी. हम दोनो ही बिल्कुल नंगे थे मगर शर्मो हया का कही डोर दूर तक नामो निशान नही था. ऐसा लग रहा था मानो दोनो एक दूसरे को कई जन्मो से जानते हों. 



मैने अपनी दोनो हथेलिया उनके कंधों पर रख कर उन्हे बिस्तर पे दबा दिया. 



“ अब आप बिल्कुल नही हिलोगे. बस ऐसे ही लेते रहना. नही तो मैं आपको काट खाउन्गी. आपने मुझे इतना उत्तेजित कर दिया है कि मैं कुच्छ भी कर सकती हूँ. मुझे दीवाना बना दिया है आपने. ओफफफफ्फ़……प्यार करना तो कोई आपसे सीखे. पता नही आप कहाँ कहाँ दबा रहे थे और मुझे ऐसा लग रहा था मानो जिस्म की गर्मी से मैं जल कर रह जाउन्गी…” मैं पागलों की तरह उनके चेहरे को चूमने लगी. ऐसा करते वक़्त मेरे झूलते स्तन उनकी छाती को सहला रहे थे. वो अपनी उंगलियों से मेरे तने हुए निपल्स को छेड़ रहे थे. 

क्रमशः............
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