Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:36 PM,
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रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -63 

गतान्क से आगे... 


उस अवस्था मे भी मुझे पाँच सात मिनिट चोद्ते रहे. मैं उत्तेजित हो कर सिसकारियाँ ले रही थी. 



“आआहह….म्‍म्म्ममम…..ऊऊओह माआ……हाआनन्न छ्छूऊओदूऊ…. और्र्रर जूऊर सीए…..उफफफफफफफ्फ़ आआअपनईए मुझीए पगाआल बनाआ दियाआअ…. स्शह….आआआहह….कितनीईीई तापाअश्याअ कििई त्ीईिइ इसीई चुदाईईईई कीए लिईई. ….ऊऊओह गुरुउउउदीएव……मुऊऊुझीई अपनईए सीई दूऊवर माअट करणाा ……उउईईईईइइम्म्म्माआ……….माआईयईईई पाआअगााल्ल्ल हूओ जाआवँगिइिईईई……” 



“ हाआँ देविीई…हम्‍म्फफ्फ़….हम्फफ्फ़…. आज सीए तुम मेरि च्चात्रा छ्चाअया मईए रहोगिइ…. बोलूऊ… जब काहूँगाअ आओगिइइई नाआ” स्वामी जी भी पूरे मूड मे आ चुके थे. 



“ हाँ…हाआँ….आप जब बुलाऊओगीए माइइ साब छ्चोड़ड़ कार आ जावँगिइइई…साआब कूच…जूओ काहूगीए माइ कारूँगीइिईई.” मैने अपनी कमर को उनके लिंग पर दाब दिया. और उसके हर झटके के साथ अपनी कमर को आगे पीछे करने लगी. मुझे इतना मज़ा आया कि उसका शब्दों मे वर्णन नही कर सकती. काफ़ी देर तक इसी अवस्था मे चोदने के बाद गरम गरम वीर्य मेरी योनि मे उधेल दिया. काफ़ी देर तक उनके लिंग से रस निकलता ही रहा. स्वामीजी इतनी जड़ी बूटियों का सेवन करते हैं और इतनी नियमित दिन चरया का पालन करते हैं कि उनमे सेक्स की जबरदस्त पॉवेर है. 



उनके सेक्स की शक्ति के आगे अच्छे अच्छे फैल हो जाएँ. मैं तो पहली मुलाकात मे ही उनकी कायल हो गयी. मैं उनकी गुलाम हो कर रह गयी. जब उनका लंड पूरी तरह कमजोर होकर बाहर निकल आया तब जाकर उन्हों ने मुझे अपने बंधन से आज़ाद किया. 



हम उस कुंड से बाहर निकल आए. स्वामी जी ने अपनी कमर पर तहमद लप्पेट ली और सारी युवतियाँ मुझे सारी पहना कर वहाँ से एक कमरे मे ले गयी. उस कमरे मे ले जाकर मेरा अद्भुत शृंगार किया गया. 



ऐसा लग रहा था मानो मेरी दूसरी शादी हो रही हो. मुझे किसी नयी नवेली दुल्हन की तरह सजाया गया. सबसे पहले पूरे बदन पर इत्र और जड़ी बूटियों से मालिश की गयी. जड़ी बूटियों की मालिश से जिस्म मे एक अद्भुत उउतेज्ना का संचार होने लगा. जिस्म मे सेक्स की भूख बढ़ने लगी. हर एक अंग फदक रहा था मर्द की चुअन के लिए. 



एक काफ़ी भारी सारी पहनाई गयी. मुझे ढेर सारे सोने के गहनो से लाद दिया गया. फूलों से शृंगार किया गया. चेहरे पर गहरा मेक अप किया. बालों को एक युवती ने किसी ब्यूटीशियन की तरह संवार कर उस पर अनगिनत मोती पिरो दिए. 



मुझे पूरी तरह तैयार करने मुश्किल से उन्हे घंटा भर लगा. फिर मुझे लेकर एक युवती एक आदमकद आईने के सामने ले आइ. मैं अपना अक्स उस आईने मे देख कर चौंक गयी. मैं अपनी शादी के वक़्त भी इतनी खूबसूरत नही लग रही थी जितनी खूबसूरत अब लग रही थी. 



फिर दो युवतियाँ मेरे अगल बगल मे आ खड़ी हुई और मुझे अपने साथ लेकर स्वामी जी के कमरे मे ले आइ. स्वामी जी का कमरा आज तो किसी परी लोक की तरह सज़ा हुया था. एक नाइट बल्ब की हल्की सी रोशनी मे सब कुच्छ नशीला नशीला लग रहा था. मुझे ले जाकर उन्हों ने बिस्तर पर बिठा दिया. बिस्तर इतना नरम था मानो मैं किसी रूई के बादल पर बैठी हौं. मैं समझ गयी कि वो वॉटर बेड था जिसमे गद्दे मे स्पंज की जगह पानी भरा होता है. 



मुझे वहाँ बिठा कर दोनो युवतियाँ बाहर चली गयी. कुच्छ देर बाद एक युवती अंदर आकर मुझे एक शरबत पीने के लिए दी. मैने पूरा ग्लास एक ही साँस मे खाली कर दिया. 



“ तुम यहीं बैठी रहना स्वामी जी महाराजा कुच्छ ही देर मे आने वाले हैं.” कह कर वो युवती कमरे से निकल गयी. जाते हुए उसने अपने पीछे कमरे के दरवाज़ों को भिड़ा दिया. 



मैं वहाँ दुल्हन के लिबास मे बैठी अपने प्रियतम अपने गुरु देव का इंतेज़ार करने लगी. मेरे बदन मे उत्तेजना बढ़ने लगी तो मैने अपनी टाँगों को एक दूसरे से रगड़ना शुरू कर दिया. मगर जब इस पर कोई आराम नही मिला तो मेरे हाथ सारी के भीतर प्रवेश कर अपने स्तनो को दबाने लगे. मेरी जीभ बार बार सूखते हुए होंठों पर फिर रहे थे. मेरे मुँह से दबी दबी सिसकारियाँ निकल रही थी. मैने अपनी सीकरियों को दबाने के लिए अपने होंठों को बार बार अपने दन्तो के बीच दबा रही थी. 



मुझे एक एक पल एक एक घंटे जैसा लंबा लग रहा था. मैने अपनी जांघों को भी एक दूसरे पर रगड़ना शुरू कर दिया. मेरे हाथ ब्लाउस के अंदर घुस कर मेरे स्तनो को मसल रहे थे. मैने अपना दूसरा हाथ जांघों के बीच रख कर अपनी योनि को सारी के उपर से दबाने लगी. 



बार बार मेरी नज़रें दरवाजे की तरफ उठ जा रही थी. मुझे लग रहा था कि शायद स्वामी जी मुझे जान बूझ कर उत्तेजना के चरम पर ले जा रहे थे. इतना आगे की मेरा अपने जिस्म पर से अपने मन पर से अपने दिमाग़ पर से कंट्रोल हट जाए और मैं सेक्स की एक भूखी मशीन बन कर रह जाऊ. 



काफ़ी देर इंतेज़ार के बाद स्वामी जी के कदमो की आहट दरवाजे के बाहर आकर रुके. मैने अपनी नज़र उठा कर देखा. दरवाजा धीरे धीर खुला और स्वामी जी एक रेशमी तहमद पहने अंदर प्रवेश किए. 



दरवाजे को खोल कर स्वामी जी अंदर परवेश किए. मैने उठ कर उनके चरण च्छुए तो उन्हों ने मुझे आशीर्वाद देते हुए अपने गले से लगा लिया. उन्हों ने मुझे अपनी बाँहो मे भर लिया. मैं किसी कमजोर लता की तरह उनके जिस्म से लिपट गयी. मैने उनके गले मे अपनी बाँहें डाल कर अपनी ओर से पूर्ण समर्पण का संकेत दिया. उन्हों ने मेरे चेहरे को अपने हाथों मे थाम कर उपर उठाया तो मेरे होंठ उनके होंठों को पाने के लिए काँप रहे थे. 



मैने अपनी आँखें बंद कर अपने होंठ उनकी ओर बढ़ा दिए. मगर उन्हे मेरे होंठो की प्यास बुझाने की इतनी जल्दी नही थी. उनकी गर्म सांसो का अहसास मुझे अपनी माँग पर हुआ और अगले पल उनके गर्म होंठ मेरे माथे से लग गये. उन्हों ने मेरे माथे को चूमते हुए अपने होंठ मेरी दोनो आँखों के बीच तक ले आए. 



फिर उनकी आँखें पहले एक फिर दूसरे पलक पर फिरी. मेरी आँखें बंद थी मगर ऐसा लग रहा था मानो उनके होंठो से निकलती हुई गर्मी मेरे पलकों से होते हुए मेरी आँखो तक पहुँच रही हों. उन्हों ने अपने होंठों को थोड़ा सा अलग किया और अपनी जीभ थोड़ी सी बाहर निकाल कर मेरे बंद पलकों पर फिराई. मेरे बदन मे सिहरन सी उठने लगी. 



फिर उनके होंठ नीचे फिसलते हुए मेरे गाल्लों पर आए. गाल्लों पर उन्हों ने अपने दांतो को गढ़ा दिए. मैं कराह उठी,”अयाया”. अब उनके होंठ मेरे कानो को बारी बारी चूमने लगे. उनकी लंबी सी जीभ मेरे कानोके उपर फिरने लगी. उन्हों ने मेरे कानो मे अपनी जीभ फेरते हुए मेरे कान की छेद को कुरेदा. फिर अपने दांतो से मेरे कान की लो को हल्के हल्के से काटने लगे. कान भी किसी महिला के सबसे ज़्यादा उत्तेजक अंगों मे से एक होते हैं. जब उनकी गर्म साँसे उन पर पड़ रही थी तो मैं अपने जबड़े को बुरी तरह से भींच कर अपनी उत्तेजना को काबू मे करने की कोशिश कर रही थी. 



उनके होंठ कान से होते हुए मेरी ठुड्डी पर जा कर दो पल रुके. फिर उन्हों ने अपने होंठ खोल कर मेरी ठुड्डी की कुच्छ देर इस तरह चूसा मानो किसी रसीले फल का रस चूस रहे हों. उन्हों ने अपने दन्तो से मेरी ठुड्डी को कुरेदना शुरू कर दिया. ऑफ रश्मि…….तुझे क्या बताऊ आज भी उस मिलन की बात सोच सोच कर मेरी योनि गीली होने लगती है. अया क्या अद्भुत प्यार करने का उनका तरीका. तू मानेगी नही जब तक उनका लिंग मेरी योनि मे प्रवेश हुआ तब तक तो मैं तीन चार बार झाड़ चुकी थी. 



मैने उनकी हरकतों से परेशान होकर उनके सिर को अपने चेहरे पर दाब लिया. वो किसी ना समझ बच्चे की तरह मेरी ठुड्डी को चूसे जा रहे थे. हार कर मुझे उनके सिर को पकड़ कर अपने चेहरे से हटाना पड़ा. 



उन्हों ने मुझे अपनी जगह पर घुमा कर मेरे पीछे आ गये. उन्हों ने मेरे बालों को थाम कर सामने की ओर कर दिए जिससे उनके कार्य मे वो किसी तरह का विघ्न पैदा नही कर सकें. 



उनकी जीभ मेरी रीढ़ की हड्डी के उपर मेरे कमर से गर्देन तक फिर रही थी. मैं अपने हाथ पीछे ले जाकर उनके लिंग को टटोलने की कोशिश कर रही थी उन्हों ने मेरी मनसा भाँप कर अपना कमर पीछे की ओर कर ली जिससे मैं अपने मकसद मे कामयाब ना हो सकूँ. 



उनकी गर्म साँसे अब मैं अपनी गर्देन के पीछे की ओर पा रही थी. उनकी सांसो की गर्माहट मेरी पूरे वजूद को पिघला देने के लिए काफ़ी थी. वो भली भाँति जानते थे कि किसी महिला के उत्तेजना को शिखर तक पहुँचा देने वाले पोइट्‍स कौन कौन से हैं. मैं अब अपनी उत्तेजना को काबू मे नही कर पा रही थी. और उनकी हरकतों से परेशान हो कर बॅड बड़ा रही थी. 



“ ऊऊऊऊओह…….हाआऐययईईई…..म्‍म्म्ममम…….. मुझीईए आआओउूर माआट तरसााूऊ……ऊऊओह माआआआ माआर जावँगिइिईईईई……आआआः गुऊुरूऊओजीीइईईईईई…….माआऐयइ पाअगाआल हो गइई हूऊं………माआआअ…. ऊऊऊऊओह उईईईईईईईई माआ……….” 



उनके दांतो का हल्का हल्का दबाव मैं अपने गर्देन के पीछे महसूस कर रही थी. मेरे पूरे जिस्म से चिंगारियाँ निकलने लगी. उनकी जीभ मेरी पीठ पर इस तरह घूम रही थी मानो कोई रूई से मेरी पीठ सहला रहा हो. मेरे पति के साथ सेक्स मे कभी मुझे इतना मज़ा नही मिला था जितना आज मुझे इनके साथ मिल रहा था. मेरे पति प्रेसेक्श एग्ज़ाइट्मेंट के मामले मे एक दम ज़ीरो हैं. उन्हे तो सिर्फ़ एक बात ही आती है की बिस्तर पर पटक कर औरत को अपने लिंग से धक्के मारने के अलावा दुनिया मे सेक्स का और कोई नाम 

नही है. 



उन्हों ने मेरी सारी के आँचल को कंधे से नीच लुढ़का दिया. उन्हों ने मुझे कंधे से थाम कर अपनी ओर घुमाया. फिर ऊपर से नीचे तक मुझे कुच्छ देर तक निहारते रहे. मैं अपनी नज़रें झुकाए उनकी हर हरकत का मूक रह कर समर्थन कर रही थी. 



उन्हों ने मेरे दोनो स्तनो के ऊपर ब्लाउस के उपर से ही अपना हाथ फिराया और हल्के से उन्हे दबाया. फिर एक एक करके मेरे ब्लाउस के सारे बटन्स खोल डाले. एक एक बटन खोलते जाते और मेरे सीने का जितना हिस्सा सामने आता उसे अपने होंठों से अपनी जीभ से चूमते जाते. 

क्रमशः............ 
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