Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:17 PM,
#99
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -57 

गतान्क से आगे... 


“ अहराम से महाप्रसाद पाकर जब इन्फूलो मे दूध भरेगा इनकी साइज़ तो किसी को भी मदहोश कर देने वाली हो जाएगी. अगर मुझे सूचना मिली तो मैं ज़रूर इनसे दुग्ध पान करने आउन्गा देवी.” 



उन्हों ने मेरे दोनो स्तनो को अपने हाथों मे थाम लिया और उन्हे किसी रबर की गेंद मान कर बुरी तरह मसल्ने लगे. मैं उनके इस तरह मसल्ने से गर्म होने लगी थी. उन्हों ने मेरे दोनो निपल्स के साथ तो बहुत ही बेदर्दी दिखाई, उन दोनो को इस तरह मसल्ने नोचने लगे कि मैं अपने मुँह से निकलती कराहों को नही रोक पा रही थी. काफ़ी देर तक इसी तरह मेरे दोनो स्तनो से खेलने के बाद उन्हों ने अपने लिंग को मेरी दोनो बड़ी बड़ी छातियो के बीच रख कर उन्हे भींचने का इशारा किया. 



मैने अपने दोनो बूब्स को लिंग पर दबा कर अपनी चूचियो के बीच बनी जगह मे उसके लिंग को रगड़ रही थी. उसका लिंग काफ़ी गर्म था. लाल रंग का सूपड़ा हर धक्के के साथ मेरे दूध की तरह सफेद चूचियो के बीच किसी गेंद जैसे उभर आता फिर कुच्छ देर मे वापस उनके बीच कहीं खो जाता. 



मैं उत्त्जित होने लगी थी. वो इस तरह मुझे चोद्ते हुए अपने हाथ से मेरी योनि को भी मसल रहे थे. कुच्छ ही देर मे मेरे बदन से चिंगारियाँ फूटने लगी और मेरी योनि से रस की धार बह निकली जो मेरी जांघों को भिगोति हुई ज़मीन तक सरक रही थी. 



“ क्या मस्त माल है…..मज़ा आ गया….ऐसा लग रहा है रूई की गेंदों के बीच अपना लंड रगड़ रहा हूँ.” वो अनाप शनाप बड़बड़ाते जा रहे थे. 

काफ़ी देर तक इसी तरह करने के बाद उन्हों ने मुझे उठाया और अपनी गोद पर बिठा कर मेरे निपल्स को चूसने लगे. बीच बीच मे दाँतों से भी काट ते जा रहे थे. मेरे मुँह से "आ……..ऊवू……..उम्म्म्म" जैसी आवाज़ें निकल रही थी. 



काफ़ी देर तक यूँ ही चूस्ते रहे. ऐसा लग रहा था मानो वो एक बच्चे बन गये हों. आख़िर मुझे ही उनके सिर को पकड़ कर अपने स्तनो से ज़बरदस्ती ही हटाना पड़ा. वो अभी भी उन स्तनो को छ्चोड़ने के मूड मे नही थे. मैने देखा दोनो स्तन उनके उपर हुए 
हमलों से सुर्ख लाल हो गये थे पहले तो चुदाई और फिर इस तरह चूसना. दोनो निपल्स पूल पूल कर इंच भर के हो गये थे. उनके चारों ओर काले दायरे मे पिंपल्स की तरह कई दाने उभर आए थे. 

अब उन्हो ने मुझे घुटनो के बल बिठा कर उनके लिंग को मुँह मे लेने का इशारा किया. मैं उनकी आग्या के अनुसार उनके सामने बैठ गयी और उनके लिंग के सामने के सूपदे को अपने मुँह मे लेकर चूसने लगी. 

सूपड़ा ही इतना बड़ा था कि पूरा मुँह भर गया था. मैं उसके लंड को अपने मुँह मे पूरा अंदर तक लेने की कोशिश कर रही थी. साथ साथ अपनी जीभ को बीच बीच मे उनके सूपदे के उपर फिरा रही थी. 



मेरी हरकतों से वो काफ़ी उत्तेजित हो गये. उन्हों ने मेरे सिर को अपने हाथों से सख्ती से थाम लिया और पूरी ताक़त से मेरे मुँह मे अपने लिंग से धक्के देने लगे. ताक़त चाहे कितना भी तेज क्यूँ ना हो मुँह मे इतनी जगह ही नही थी की उनके उस खंभे के समान लिंग को पूरा समा सके. उनका लिंग आधा भी अंदर नही जा पा रहा था. 



उन्हों ने मेरे सिर को उपर की ओर इस तरह मोड़ा की मेरा मुँह और गला एक सीध मे खुले. मैने अपने मुँह को जितना हो सकता था उतना खोल दिया जिससे उनके लिंग को अंदर प्रवेश करने मे कोई दिक्कत नही महसूस हो. उन्हों ने मुस्कुराते हुए अपने खड़े 
मूसल जैसे लिंग को मेरे मुँह मे डालना शुरू किया. एक एक इंच सरकता हुआ उनका लिंग मेरे मुँह मे से होता हुआ गले मे प्रवेश करता जा रहा था और मुझे ऐसा लग रहा था कि मेरे तपते बदन को ठंडक पहुँच रही हो. मेरे बदन की सिहरन शांत होती जा रही थी. 

आज सुबह से मेरा ये छठा संभोग हो रहा था. अब मेरा एक एक अंग दर्द करने लगा था. दिमाग़ सुन्न हो चुक्का था अब सिर्फ़ लंड और चूत के सिवा मुझे कुच्छ भी याद नही रहा था. 

मैं उनके जोरदार धक्कों से बुरी तरह हिल रही थी. मेरी जीभ दर्द से तालू से चिपक गयी थी. उनके काफ़ी ज़ोर लगाने के बाद भी उनका लिंग मेरे गले के अंदर नही उतर पा रहा था. उन्हों ने मुझे अपनी बाहों मे किसी बच्चे की तरह उठाया और दीवार के पास ज़मीन पर बिठा दिया. इस पोज़िशन मे दीवार का सहारा लेकर वापस मेरे 
मुँह मे अपने लिंग से हमला बोल दिया. इस अवस्था मे मेरा सिर दीवार से सटा होने के कारण हट नही पा रहा था और उनको अपना पूरा ज़ोर लगाने की आज़ादी मिल गयी थी. हर धक्के के साथ भाड़ भाड़ करके मेरा सिर दीवार से भीड़ रहा था. 



ऐसा लग रहा था मानो आज उनका वो खंभे की तरह तना हुआ लिंग मेरे गले को चीर कर रख देगा. मगर धीरे धीरे मैं उनके धक्कों की अभ्यस्त हो गयी. हर धक्के के साथ मेरा सिर भाड़ से दीवार से बार बार टकराने की वजह से अब दुखने लगा था. 



जब वो अपने लिंग को बाहर खींचते तो मेरा सिर उनके साथ ही आगे बढ़ जाता. कोई पंद्रह मिनिट तक इस तरह मेरे मुँह को चोदने के बाद उन्हों ने अपना लिंग 
बाहर निकाला. अब वापस मेरे स्तनो को पकड़ कर उनके बीच अपना लिंग रख कर एक तरह से मेरे स्तनो को चोदने लगे. मैं अपने दोनो स्तनो को सख्ती से उनके लिंग पर दबा रखी थी जिससे उन्हे योनि जैसा मज़ा मिले. 



कुच्छ देर तक इस तरह अपना लिंग रगड़ने के बाद उन्हों ने ढेर सारा वीर्य मेरे चेहरे पर और स्तनो पर डाल दिया. मैने अपने चेहरे के नीचे कलश को लगा रखा था उनका वीर्य मेरे चेहरे से टपकता हुया उस छ्होटे से कलश मे इकट्ठा हो रहा था. 



उनका लिंग शिथिल हो जाने के बाद मैने अपनी उंगलियों से अपने स्तनो पर एवं अपने गले 
पर लगे उनके वीर्य को कलश मे डाला. उस वक़्त तो बदन मे एक उत्तेजना ने बाकी सब दर्द भुला रखा था मगर जब उत्तेजना शांत हुई तो मेरा सिर बुरी तरह दुखने लगा. 



मैं उठते हुए एकदम से लड़खड़ाई. उन्हों ने मुझे अपनी बाँहों मे थाम लिया. मेरे पैरों मे अब जान नही बची थी. उन्हों ने मुझे सहारा देकर उठाया. मैं लड़खड़ाते हुए कदमों से ड्रवजे के बाहर इंतेज़ार कर रही रत्ना के पास पहुँची. 

रत्ना ने एक सच्चे मददगार की तरह मुझे जब जब ज़रूरत पड़ी मदद की. मैं उनका सहारा लेकर आगे बढ़ी. मगर मेरे जिस्म ने मेरा साथ नही दिया और धाम से वहीं फर्श पर बैठ गयी.मेरा सिर बुरी तरह घूम रहा था. मुझे चक्कर आ रहा था. 



रत्ना ने जल्दी एक शिष्य को बुला कर मुझे एक तख्त पर लिटाया और उस आदमी से मेरे बदन की काफ़ी देर तक मालिश करवाई. मुझे पीने के लिए उत्तेजकता से भरा हुया पेय दिया. कोई पंद्रह मिनूट बाद मैं कुच्छ नॉर्मल हुई. रत्ना मेरे बदन को सहला रही थी. मैं उनकी बाँहों का सहारा लिए हुए बैठी हुई थी. 

"वापस कुच्छ देर रेस्ट कर लें? पूरा बदन टूट रहा है." मैने उनसे कहा. 

"इतनी जल्दी थक गयी क्या. अभी तो कुच्छ देर पहले रेस्ट किया था. अरे बावरी अभी शाम तक काफ़ी संभोग बाकी है अभी तो आधा ही कंप्लीट हुआ है. कुच्छ और के साथ हो लेते हैं. रेस्ट करने मे इतना समय बर्बाद कर देंगे तो शाम तक सब लोगों को कैसे निबटा पाएगी. चल कुच्छ और लोगों से चुदवाने के बाद कुच्छ देर रेस्ट कर लेना. जैसे जैसे समय आगे बढ़ता रहेगा तेरा जिस्म जवाब देने लगेगा. इसलिए उचित है पहले दौर मे जितना हो सके आगे बढ़ लो फिर रेस्ट कर लेना." रत्ना ने मुझे ढाढ़स दिलाया. मैने चुपचाप उसकी बातों का समर्थन किया. 


इसके बाद हम एक और शिष्य के पास गये. जो काफ़ी कमजोर लग रहा था. दुबला पतला शरीर लेकिन लंबाई काफ़ी अच्छि थी. उनके सारे बाल सफेद हो चुके थे. उम्र साठ-सत्तर के आस पास होनी चाहिए थी. नंगे बदन मे उसकी सारी हड्डियाँ गिनी जा सकती थी. 



रत्ना मुझे उनके सामने छ्चोड़ कर उनके पैरों पर माथा टीकाया. उनकी देखा देखी मैने भी उनके पैर छुये. रत्ना मुझे उनके पास छ्चोड़ कर कमरे से निकल गयी. मैने अपने हाथों मे थामे कलश को आगे कर उनसे प्रणय निवेदन किया. वो मुझे दो बार उपर से नीचे तक काफ़ी गहरी नज़रों से निहारते रहे. मेरे उन्नत उरोज और पतली कमर देख कर उनकी आँखे चमक उठी. 

उन्हों ने अपनी धोती उतारी तो मैने देखा कि उनका लिंग तो तगड़ा है लेकिन उसमे तनाव नही है. सोए हुए अवस्था मे ही लग रहा था कि जब वो खड़ा होगा तब खंबे जैसा हो जाएगा. मेरी आँखें तो उनके हथियार से चिपक सी गयी थी. जब मैने अपनी नज़रें उठाई तो उनकी नज़रों से मिली. 



“ कैसा लगा?” पूछ्ते हुए मुस्कुरा रहे थे. 



मैने बिना कोई जवाब दिए अपनी नज़रें झुका ली. उन्हों ने अपने हाथ से मेरी हथेली को थामा और उसे अपने लिंग पर रखा. मैने उनका इशारा समझ कर उनके लिंग को अपनी हथेली मे थामा और धीरे धीरे सहलाने लगी. 



“ लो इसे पहले खड़ा करो.” उन्हों ने मुझे उसे खड़ा करने को कहा. 



मैने उनके लिंग को अपने हाथ मे लेकर कुच्छ देर तक सहलाया लेकिन कोई असर ना होता देख मैने उनकी ओर देखा. 



“देवी उमर हो गयी है इसलिए इस हथियार को जगाने मे काफ़ी मेहनत करनी पड़ेगी.” उन्हों ने मेरी दुविधा को समझते हुए कहा. 



मैं उनके सामने घुटने के बल बैठ गयी. उनके लिंग को अपनी हथेली मे उठा कर अपने होंठों से च्छुअया. मैने पहले उनके लिंग के टोपे पर अपने होंठ फिराए. फिर अपनी जीभ निकाल कर उनके लिंग के टोपे पर फिराया. फिर अपनी जीभ को उनके लिंग पर फिराते हुए लिंग की जड़ तक ले गयी. लिंग पर अपनी जीभ अच्छि तरह फिराने के बाद उसके नीचे लटक रहे गेंदों को अपनी जीच से चॅटा. मेरी हरकतों से लिंग मे कुच्छ जीवन का संचार हुया. मैं अपनी कोशिशों से खुश होकर उनके लिंग को अपनी मुँह मे भर लिया. मैने उसे मुँह मे लेकर चूसना शुरू किया. उनका लिंग उस वक़्त किसी मरे चूहे सा लिजलिजा लग रहा था. 



मैं उनके अंडकोषों को भी सहलाती और मसल्ति जा रही थी. जब ज़्यादा कोई असर नही हुआ तो 
मैं उठ खड़ी हुई और अपने कपड़े उतार फेंके. मैं बिना किसी शर्म के बिल्कुल नंगी हो गयी. फिर मैने उनको अपने बदन को मसल्ने के लिए कहा. उन्होने मेरी दुखती हुई 
चूचियो को, मेरे भारी भारी नितंबों को और मेरी इतनी ठुकाई झेल चुकी योनि को बुरी तरह मसलना शुरू किया. उन्हों ने अपनी जीभ से मेरी योनि को चॅटा. मेरी जांघों पर और मेरी योनि पर दांतो से काटा भी. मेरे स्तनो पर और निपल पर भी ज़ोर से अपने दाँत गढ़ाए. एक बार तो उन्हों ने मेरे निपल को इतनी ज़ोर से काटा की खून निकल आया. मैं दर्द से चीख रही थी. लेकिन जो मैं चाहती थी बस वो ही नही हो पा रहा था. उनका लिंग अभी भी किसी सड़े बेंगन की तरह लटक रहा था. 
क्रमशः............
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