Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:08 PM,
#28
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
रतन को गुस्सा आ गया और वो सीधा थाने जा कर उनके खिलाफ रपट लिखा आया. मगर हुया क्या. अगले दिन हमने देखा की थानेदार की महफ़िल दमले के साथ जमी है. सब एक ढाबे के बाहर बैठे शराब पी रहे हैं. ये सब रतन ने देखा. रतन को देखते ही दमले ने मुस्कुरा कर कहा, “ किसे रपट लिखवाएगा भोंसले को? अबे भद्वे भोंसले मेरा पक्का यार है यार क्या समझे. अगर ज़्यादा उच्छल कूद की तो बस्ती मे जीना हराम कर दूँगा.” 



उसकी धमकी सुन कर रतन डर कर चुप चाप घर चला आया. उसने अगले दिन थाने जाकर अपनी शिकायत खारिज कर दी. और हम सबको हिदायत दी कि हम उसके खिलाफ कोई शिकायत ना करें. बल्कि जितना हो सके अपने को बचा कर रखें. 



अगले दो हफ्ते साब ठीक चलता रहा. धीरे धीरे दमले के बर्ताव मे बदलाव दिखा. हम भी कुच्छ आश्वस्त होने लगे. वो रतन को बुला कर उसके साथ बातें करता और मेरी ओर भूल कर भी आँखें उठा कर नही देखता. हमे समझ मे नही आ रहा था उसमे अचानक आए इस तरह के बर्ताव की वजह क्या थी. 



मैने कई बार रतन को दमले की तरफ से सावधान रहने की हिदायत दी लेकिन मैने देखा की मेरा कहा ज़्यादा असर नही छ्चोड़ पा रहा है. साँप अपने जहरीले दाँत कितने दिन तक छिपा कर रख सकता है. बहुत जल्दी ही उसकी असलियत सामने आ गयी. 



दो हफ्ते बाद आई होली. मैं तो पहले से ही कुच्छ शंकित थी. मगर रतन पूरी तरह दमले की तरफ से आश्वस्त था. उस दिन सुबह सवेरे दमले आकर रतन को बुला कर ले गया. घंटे भर जब वो वापस आए तो रतन नशे मे धुत था. वो लड़खड़ते हुए घर लौटा. पीछे पीछे दमले की पूरी टोली थी. वो सब हल्ला करते और नाचते हुए साथ चल रहे थे. कुच्छ कुच्छ देर बाद “बुरा ना मानो होली है” की आवाज़ें लगा रहे थे. रतन उनके बीच लड़खड़ते कदमो से चल रहा था. 



मैं दरवाजा नही खोलना चाहती थी. सास ससुर ने भी मुझे दरवाजा खोलने से मना कर दिया. मगर रतन को दरवाजे पर लुढ़कते देख कर मैं अपने आप को नही रोक सकी. मैने दरवाजा खोल दिया और रतन को सम्हलने की कोशिश करने लगी. 



“ क्या हुआ?..... आअप…?” मैं उन्हे सम्हाल रही थी. 



“ इसने कुच्छ ज़्यादा चढ़ा ली.” दमले गंदी हँसी हंसता हुया बोला. मैने झटक कर गुस्से से जलती निगाहों से उसे देखा. मगर उस पर मेरे गुस्से का कोई असर नही पड़ा था. 



“भाभी जी ऐसी भी क्या नाराज़गी है हम देवरों से. आज तो दुश्मन भी गले मिलते हैं फिर हम तो आपके देवर ठहरे. हमसे होली नही खेलोगी.” 



“ देखो मुझे ये सब पसंद नही है. मुझे हाथ भी मत लगाना.” मैने उनको झिड़कते हुए कहा. मगर किसी डाँट या झिड़की का असर तो आदमियों पर होता है वो तो पूरे जानवर थे जानवर. 



“ अरे अपनी भाभी तो नाराज़ हो रही है. हम तो अपनी सुंदर भाभी से होली खेलने आए है और ये हमे ऐसे दुतकार रही है मानो हम गली के कुत्ते हों. अरे थाम तो ज़रा इसे. आज अगर इसके साथ होली नही खेली तो लानत है ऐसी दादागिरी से.” दमले मेरे विरोध से नाराज़ हो गया था. 



एक ने मुझे पीछे से पकड़ कर ज़मीन से उठा लिया और घर के अंदर ले आए. फिर वो आदमी मुझे पीछे से पकड़ कर खड़ा हो गया. मेरी दोनो बाँहें उसने अपने बाजुओं से थाम रखी थी जिससे मेरी ओर से कोई ग़लत हरकत ना हो सके. मेरी सारी का पल्लू मेरे सीने पर से हट कर ज़मीन पर लोट रहा था. मैं ब्लाउस मे अपने मोटे मोटे उरजों को छिपाये खड़ी थी. 



दमले हंसते हुए तसल्ली से चलता हुआ मेरे सामने आया. उसने अपनी जेब से एक बॉटल निकाली और उसमे से लाल गाढ़ा रंग निकाल कर अपने दोनो हाथों पर मला. 



“ इस लाल रंग मे तेरा रूप और खिल उठेगा.” 



मैं चुपचाप उसकी हरकतों को देख रही थी. मेरे सास ससुर मेरे साथ होती ये ज़बरदस्ती डर से चुपचाप खड़े देख रहे थे. मेरे ससुर ने एक बार उनका विरोध किया तो एक ने जेब से एक लंबा सा चाकू निकाल लिया. जिसे देख कर मेरे ससुर जी ने अपने होंठ सी लिए. मेरे पति देव मेरे पास ज़मीन पर बैठे मुझे तुकर तुकर देख रहे थे. नशे की अधिकता की वजह से उनका दिमाग़ काम नही कर रहा था और अगर काम भी कर रहा हो तो भी उनका जिस्म साथ नही दे रहा था. 



दमले ने सामने आकर अपने दोनो हाथों मे लाल रंग को अच्छि तरह मला फिर मुझे अपनी दोनो हथेलिया खोल कर दिखाया. फिर उसने मेरे एक गाल पर अपने होंठ रख कर एक बार चूमा फिर अपने रंगे हुए हाथों से मेरे पूरे चेहरे को अच्छे से रंग दिया. सब हंस रहे थे. मैं कसमसा रही थी. मेरा पूरा चेहरा लाल हो गया था. 

फिर उसने अपने दोनो हाथों को वापस रंग कर मेरे दोनो हाथों को रंगा. 



“क्या चिकना माल है यारों. ऐसा लग रहा किसी मक्खन की डली पर हाथ फिरा रहा हूँ. रतन तू साला बहुत किस्मेत वाला है.” कहकर वो मेरे नंगे चिकने पेट पर रंग लगाने लगा. पूरे पेट पर अपने खुरदुरे हाथों को फेर रहा था. जब पेट पूरा रंग दिया तो मेरी पीठ की बारी आई. मेरा जो जो अंग कपड़ों से बाहर था सबको उसने लाल रंग मे रंग दिया. मैं पीछे वाले आदमी की पकड़ मे मचल रही थी. मगर उसके बंधन से अपने आपको छुड़ाना मुश्किल लग रहा थ.दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः............ 
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RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन - by sexstories - 12-10-2018, 02:08 PM

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