Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 02:03 PM,
#20
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
“होता है बहन. होता है पहली बार मेरी भी यही हालत हुई थी मगर धहेरे धीरे आदत पड़ती चली गयी. आज तो ये हालत है की स्वामी जी को छ्चोड़ कर पल भर को नही जी सकती. दो दिन कहीं दूर जाते हैं तो पूरा बदन अकड़ने लगता है. और स्वामी जी को देखते ही बदन पर चींटियाँ चलने लगती हैं. स्वामी जी मे इतना स्टॅमिना है कि रोज कई कई औरतों को अपना प्रसाद दे देते हैं.” 



मैं ये सुन कर मुस्कुरा दी,” रजनी मेरा पूरा बदन दुख रहा है.” 


"अभी सब ठीक हो जाएगा. मैं हूँ ना. वैसे रात कैसी गुज़री?" रजनी ने पूछ्ते हुए अपनी एक आँख दबाई. 

मैने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा कर अपनी नज़रें झुका ली. उसके समझने के लिए इतना इशारा ही काफ़ी था. मैने आगे बढ़ने को कदम बढ़ाया तो मेरे कदम लड़खड़ा उठे. 
रजनी सहारा देकर मुझे बाथरूम की तरफ ले गयी. 

"नहा लो थकान उतर जाएगी." कहकर उसने अपने साथ लाई बॉटल से कुच्छ तरल प्रदार्थ बात टब के पानी मे डाला. पानी से भीनी भीनी खुश्बू उठने लगी. फिर शेल्फ पर रखे एक पॅकेट मे से गुलाब की ढेर सारी पंखुड़ियाँ बाथ टब के पानी मे डाल दी. बाथ टब का पानी अब गुलाब की पंखुड़ियों की वजह से लाल नज़र आ रहा था. 

बाथरूम मे एक नशीली सुगंध फैली हुई थी. उस सुगंध से मैं रोमांचित हो गयी. उसने मुझे बाथ टब मे बिठा कर रगड़ रगड़ कर नहलाने लगी. गुलाब के फूलों 
से मेरे बदन को सहलाने लगी. उस सुगंधित पानी से भरे टब मे नहाते हुए मेरा मन खुशी से भर उठा. मैं नहा कर बाहर निकली तो वापस मुझे एक गाउन ओढ़ा दिया गया. मेरी कमर पर बेल्ट से किमोना को बाँध दिया. गाउन सामने से पूरा खुला होने के कारण चलने पर मेरी नग्न टाँगें कपड़े से बाहर निकल आती थी. 



मैं अब बदन मे एक ताज़गी महसूस कर रही थी. अब मुझे सहारे की ज़रूरत महसूस नही हो रही थी. मगर रजनी ने मेरा एक हाथ थाम रखा था. कमरे मे आते ही मानो प्रेपलन्नेड़ तरीके से एक युवती एक ग्लास मे वैसा ही कोई ठंडा जूस ले कर आइ. इसका स्वाद वैसा ही था जैसा कल रात मैने पिया था. उस शरबत को पीते ही मेरे बदन मे वापस ताज़गी आनी शुरू हो गयी. वापस मेरे बदन फूल से भी हल्का लगने लगा. बदन मे उत्तेजना बढ़ने लगी. मैं कुच्छ ही देर मे मैं एक दम तरो ताज़ा हो गयी. 

अब मुझे लेकर रजनी एक हॉल मे आ गयी. हॉल के बीचों बीच एक गोल बिस्तर सज़ा हुआ था. उसपर सुर्ख लाल रंग की सिल्क की चादर बिछि हुई थी. चादर के उपर चमेली के फूल फैले हुए थे. कमरा सुगंधित हो रहा था. बिस्तर के चारों ओर बारह कुर्सियों मे आश्रम के सारे शिष्य बैठे हुए थे. बिस्तर के पास एक सिंहासन जैसी कुर्सी रखी हुई थी. जिस पर स्वामीजी बैठे हुए थे. कमरे मे रजनी और मेरे अलावा कोई भी महिला मौजूद नही थी. 



रजनी मुझे लेकर चलते हुए बिस्तर के पास आकर रुकी. उसने मेरे किमोना के बेल्ट को खोल दिया. किमोना सामने से खुल गया. मैने अंदर कुच्छ नही पहना होने के कारण टाँगों के बीच का उभार सामने दिख रहा था. इतने सारे आदमियों के सामने मेरे नग्न बदन की नुमाइश होते देख मैं शर्म से सिकुड गयी. 



मुझे उस हालत मे बिस्तर के पास छ्चोड़ रजनी मुझसे थोड़ी दूर हट गयी. स्वामीजी अपने आसान से उठे और मेरे करीब आकर मेरे पीछे चले गये. पीछे आकर मेरे बदन पर लटक रहे गाउन को मेरे कंधे से उतार दिया. मैने अपने गाउन को रोकने की कोई कोशिश नही की और जो हो रहा था है हो जाने दिया. 



मैं अपना सिर झुका कर तेरह मर्दों के बीच नंगी खड़ी थी. मेरा गाउन बदन पर से फिसलता हुया नीचे गिर गया था. मैं उन चौदह जोड़ी प्यासी आँखो के सामने बिल्कुल नग्न अवस्था मे खड़ी थी. मैने अपने गुप्तांगों को च्चिपाने की कोई कोशिश नही की और उनके सामने अपने रूप लावण्य की नुमाइश करती हुई खड़ी रही. 

स्वामी जी ने मुझे कंधे से पकड़ कर मुझे अपनी जगह पर चारों ओर घुमाया. जिससे मेरे नग्न बदन के संपूर्ण दर्शन वहाँ मौजूद हर मर्द को हो जाए. फिर उसी हालत मे कमर से मुझे थामे हुए धीरे धीरे चलते हुए एक एक शिष्य के पास ले गये. सारे शिष्य भूखी नज़रों से मेरे बदन को निहार रहे थे. लेकिन किसी ने अपनी जगह से हिलने या मुझे छ्छूने की कोई कोशिश नही की. मैं उन मर्दो का अपनी भावनाओं के ऊपर कंट्रोल की दाद देने लगी कि मुझ जैसी बला की खूबसूरत और सेक्सी महिला उनके हाथों से एक दो फीट की दूरी पर संपूर्ण नग्न खड़ी थी फिर भी उनके बदन मे किसी तरह की कसमसाहट नही हो रही थी. 



स्वामी जी ने सब को संबोधित करते हुए कहा,"ये है रश्मि. ये अख़बार की एक बहुत बड़ी रिपोर्टर है. आज इसने हमारे आश्रम को जाय्न करने की इच्च्छा जाहिर की है" सबने खुशी से तालियाँ बजाई. 



“देवी रश्मि आपका आज सेक्स की एक अनोखी और खूबसूरत दुनिया मे स्वागत है. आज से आप हमारे इस आश्रम की शोभा बनने वाली हो. मेरा दावा है आप जब यहाँ रहेंगी तब आप बाहर की दुनिया को भूल जाएँगी याद रहेगा सिर्फ़ अपना जिस्म और उसमे जल रही अबूझ आग. जो आपके पूरे वजूद को धीमी आँच मे सुलगाता रहेगा.” मैं उसी हालत मे उनके चरणो पर झुक गयी और मैने उनके चरणो को अपने होंठों से चूम लिया. उन्हों ने मुझे उठाया और अपने नग्न सीने पर मुझे दबा लिया. फिर अपनी उंगलियों को मेरी ठुड्डी के नीचे रख कर मेरे चेहरे को उठाया. दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 

क्रमशः............
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