Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
12-10-2018, 01:54 PM,
#7
RE: Porn Hindi Kahani रश्मि एक सेक्स मशीन
raj sharma stories

रश्मि एक सेक्स मशीन पार्ट -6
गतान्क से आगे.....


वो मेरे सामने अब नंगा खड़ा था. अब बिना कपड़ों के तो वो पूरा ही भालू लग रहा था. उसके पूरे बदन को काले बालों ने इस बुरी तरह ढक रखा था की चेहरे और हथेली के अलावा उसकी चॅम्डी कहीं भी दिखाई नही देती थी.



जांघों के बीच घने काले जंगल के बीच बिल्कुल काला उसका लंड झटके खा रहा था. जैसा ओवर साइज़ वो खुद था वैसा ही विसालकाय उसका लंड था. उसके नीचे लटकती गेंदों का ही साइज़ टेन्निस बॉल की तरह था. उस मूसल लंड से अपनी चुदाई की कल्पना भी बदन मे झुरजुरी पैदा कर देने मे काफ़ी था. हम दोनो एक दूसरे से लिपटे एकदम ब्लॅक आंड वाइट जोड़ी लग रहे थे. उसके लिंग के सामने का टोपा भी काले रंग का था.



“चल इसे प्यार कर. इसे मुँह मे ले कर चाट. तुझे मेरा इंटरव्यू चाहिए ना?”



मैने हां कह कर सिर हिलाया. “ तू इसके लिए बहुत ज़्यादा उतावली है. है ना?”



मैं दोबारा चुपचाप खड़ी रह गयी. उसने आगे बढ़ कर मेरे कंधों पर अपने हाथ रख दिए. मैने अपनी नज़र उसकी नज़र से मिलाई. उसकी नज़रों मे एक आदिम वासना की ज्वाला चमक रही थी. मैने अपने बदन को बिल्कुल ढीला छ्चोड़ दिया और उसके हाथों के दबाव से मेरे घुटने मुड़ते चले गये और उसके सामने मैं घुटनो के बल बैठ गयी.



मेरे चेहरे से दो चार इंच दूर उसका मोटा घोड़े जैसा लंड खड़ा हुया था. उसका लंड इतना काला और भद्दा था की मुझे घिंन आने लगी. मैं बड़ी मुश्किल से अपने जज्बातों को कंट्रोल कर रही थी. उसने मेरे बालों को पकड़ ऐसा झटका दिया की मुझे लगा मेरे बाल टूट कर उसके हाथ मे रह जाएँगे. उसने अपने लंड की एक ज़ोर दार ठोकर मेरे होंठों पर मारी. एक तो उसका लंड पत्थर की तरह सख़्त था उपर से ठोकर इतनी ज़ोर दार थी की मेरा निचला होंठ फट गया और मेरे जीभ ने हल्के से खून का स्वाद चखा. मैने शिकायत भरी नज़रों से उसे देखा.



“मैं मना कब कर रही हूँ. ऐसे जानवरों सी हरकत मत करो.” मैने बनावटी भाव चेहरे पर लाते हुए कहा. ये लोग ख़ूँख़ार बहुत होते हैं लेकिन भगवान ने इनको अव्वल दर्जे का मूर्ख भी बनाया है. जिससे मुझ जैसी कोई भी उन को अपने काबू मे कर सके.



एक पल को लगा कि उसकी आँखों मे खून उतरा आया हो मगर अगले ही पल वो मुस्कुरा दिया. मैने उसके लंड को अपने हाथों से पकड़ लिया और उसे मुट्ठी मे लेकर सहलाने लगी. एक के बाद दूसरा हाथ भी उस काम पर लगा दिया. दोनो हाथ लगाने के बाद भी लंड का आधा हिस्सा बाहर ही था. मैं उसके लिंग के उपर की चॅम्डी को नीचे की ओर सरका कर अपनी उंगलियों से उसके लिंग को छेड़ रही थी.



मैने अपने होंठ खोले और उसकी नज़रों मे झाँकते हुए उसके लिंग को धीरे धीरे अपने मुँह के अंदर डाल लिया. उसकी नज़रों मे उसके चहरे पर अपनी मुराद पूरी होने की खुशी थी. बाप रे बाप क्या लंड था उसका. उसके टोपे को लेने मे ही मेरा मुँह भर गया. मैं उससे ज़्यादा मुँह के अंदर नही कर पा रही थी



मैं उसके लिंग के आगे के बॉल को अपने मुँह मे डाल कर चूसने लगी. मैं किसी तरह उसके लिंग के टोपे पर अपनी जीभ फिरा रही थी. उसका लिंग इतना मोटा था कि मेरे जबड़े दुख गये. मुझे लगा की मेरे होंठों के किनारे उसके लिंग को लेने के चक्कर मे ना फट जाए.



बहुत कोशिश करने पर भी उसका लिंग आधा भी अंदर नही जा पा रहा था. मैं उसी अवस्था मे अपनी जीभ से उसे चाट चाट कर उसको सन्तुस्ति देने लगी.



वो मेरे कंधों को सहला रहा था. उसने मेरे बालों को बिखेर दिया ओए अपनी उंगलियों से मेरे बालों मे हाथ फेरने लगा. मैं उसके लिंग को एक हाथ से पकड़ कर उसे अपने मुँह मे अंदर बाहर कर रही थी. हाथ से इसलिए थाम रखा था जिससे वो अपने लंड को एक उतना ही अंदर कर सके जितना मैं चाहूं.



कुच्छ देर तक उसके लंड को चूसने के बाद उसका बदन अकड़ने लगा. और लगा की बस अब उसका वीर्य निकलने वाला ही है. मैं भी चाहती थी की उसका निकल जाए जिससे कुच्छ पलों के लिए मुझे राहत मिल सकती है. मगर उसने भी शायद मेरे इरादे को भाँप लिया था. उसने मेरे सिर को बालों से पकड़ कर एक झटका दिया और मैं पीछे की ओर गिर पड़ी. मैं ज़मीन पर पड़े पड़े हाँफ रही थी और उसकी निस्तुरता से घबरा रही थी.



वो मेरे पास ज़मीन पर घुटने मोड़ कर बैठ गया. फिर उसने झपट कर मुझे कमर से पकड़ कर किसी खिलोने की तरह उपर उठाया. मेरी कमर ज़मीन से डेढ़ फुट उपर उठ गयी. अब सिर्फ़ मेरा सिर ज़मीन पर टीका हुया था. मेरी टॅनजेंट उसके कंधे पर रखी हुई थी. उसने मेरी योनि को अपने चेहरे के सामने करके उसे किसी कुत्ते की तरह चाटने लगा. उसके खुरदुरे होंठ मेरी नरम योनि के उपर खलबली मचा रहे थे.



“स्लूर्र्रप…स्लर्प” की आवाज़ के साथ वो मेरी योनि से बह रहे रस को चाट कर सॉफ कर रहा था. उसके किसी भूखे की तरह मेरी योनि पर टूट पड़ने के कारण मेरा बदन बुरी तरह हिल रहा था. बीच बीच मे मेरा सिर ज़मीन से रगड़ ख़ाता. मैं उसके सिर को अपनी गिरफ़्त मे लेकर अपने बदन को उसका सहारा देना चाहती थी मगर वो मुझे इस तरह करने ही नही दे रहा था. बार बार मेरे उठे हाथों को झटक देता. उसकी लाल ला आँखों से डरकर मैने अपनी कोशिशों पर रोक लगा दी. मगर मैं चाह कर भी अपने जिस्म मे बढ़ती उत्तेजा को रोक नही पा रही थी. मैं जानती थी की मेरा अपने जिस्म के उपर से कंट्रोल ख़तम होता जा रहा है. और बहुत जल्दी ही मेरी उत्तेजना रस के रूप मे बह निकलने वाली है.



वो अपनी जीभ को जितना हो सकता था उतना अंदर करने लगा. उसकी बड़ी बड़ी मूच्छें मेरी झांतों के उपर चिपक सी गयी थी.



“ऊऊओफफफफफफ्फ़….हा..हा….म्‍म्म्मम….हा” मैं उत्तेजना मे च्चटपटाने लगी और उसके सिर को अपने हाथों से अपनी योनि पर दबा दिया. मेरी उंगलियाँ उसके बालो मे धँस गयी और टाँगें छत की ओर उठ गयी थी.



“लो….ले लो इसमे से जो भी ले सकते हो ले लो. मैं तो तुम्हारी रांड़ बन ही गयी हूँ अब किसी बात पर क्या सोचना…” मैं उत्तेजना मे बड़बड़ाती जा रही थी.



वो जितना अंदर हो सकता था अपना जीभ डाल कर मेरे उस अमृत कुंड को माथे दे रहा था. मैं उत्तेना से च्चटपटा रही थी. कभी अपनी चूचियो को मसल्ने लगती तो कभी अपनी कमर को उचकाने लगती, कभी उसके सिर को अपनी जांघों के बीच दबा कर उसको पूरा अपने अंदर समा लेने की कोशिश करती तो कभी उत्तेजना मे अपनी टाँगों को हवा मे फेंकने लगती. वो मेरी हालत से बेख़बर अपने काम मे लगा हुआ था. बस अब मुझसे और अधिक उत्तेजना सहन नही हुई और मेरी सारी गर्मी लावा के रूप मे मेरी योनि के अंदर बह निकली. वो इस पर भी रुका नही अब तो उसकी हरकतों मे उसकी दो उंगलियाँ भी शामिल हो गयी जिनसे वो मेरी योनि के उपर मेरी क्लिट को कुरेद रहा था.



वो किसी औरत को किस तरह अपने काबू मे किया जा सकता है बहुत अच्छि तरह जानता था. वो जानता था कि कैसे और क्या करने से औरत अपनी भावनाओ को त्याग कर किसी की गुलाम बनने को भी तयार हो सकती है.



मैं वापस उत्तेजित हो गयी थी. वो तो जैसे भूल ही चुक्का था कि आगे भी कुच्छ करना है. मैने उसके बालों मे अपनी उंगलियाँ पिरो दी और बालों से पकड़ कर उसके सिर को पीछे धकेला. उसका काला चेहरा मेरे योनि रस से सना हुआ और भी डरावना लग रहा था.



“ऊओह अब बस करो. मैं और बर्दस्त नही कर सकती. मेरे जिस्म से आग निकल रही है. प्लीईएज इसे अपने पानी से बुझा दो.” मैने उसके बलों को पकड़ कर अपनी ओर खींचा तो वो मेरे पास आ गया. मैने कोहनी के बल ज़मीन से उठते हुए अपनी जीभ से उसके चेहरे को चाट चाट कर साफ करने लगी. मैं अपनी जीभ से उसके चेहरे को स्लर्प स्लर्प करके चाट रही थी. वो मेरे दोनो ब्रेस्ट को थामे उन्हे अपने हाथों से सहला रहा था. वो मेरे निपल्स को अपनी उंगलियों से कुरेद रहा था. मैने कुच्छ देर बाद अपने होंठ उसके मोटे भद्दे होंठों पर रख दिए और पूरी तरह समर्पित भाव से उससे लिपट गयी. मैने अपनी एक टांग उपर मोड़ कर उपर उठाया और उससे तंगराजन के खड़े लंड को सहलाने लगी.



तंगराजन की लंबाई काफ़ी होन्ट की वजह से उसका लिंग मेरी नाभि के पास ठोकरें मार रहा था. वो मेरे सिर को पकड़ कर मेरे होंठों को अपने खुरदुरे होठों पर रगड़ रहा था. मैने अपने होंठों को फटने से रोकने के लिए अपनी जीभ निकाल कर उसके मुँह मे डाल दिया और उसके जीभ को अपनी जीभ से सहलाने लगी.



“ तो फिर शुरू करें इंटरव्यू?” तंगराजन ने मुझसे हंसते हुए पूछा.



“मैं आपको पूरी तरह जानने की ही तो कोशिश कर रही हूँ. देखना है इस पहाड़ जैसे बदन मे ताक़त कितनी है. किसी कोमल सी औरत को कितना मसल सकता है? जीत आपकी होती है या मुझ जैसी नाज़ुक महिला की.” मैने उसके लिंग को थामते हुए कहा.



“अच्च्छा तो मुझे चॅलेंज कर रही हो? आज तक कोई भी औरत मेरे लंड को पूरी तरह अंदर समा कर मेरा वीर्य अपनी चूत मे नही भर पाई. चल तुझे भी आजमा कर देखते हैं कितनी बड़ी छिनाल बन सकती है तू.” उसने अपने लिंग को आगे पीछे खींचते हुए कहा.



“ ठीक है. लेकिन तसल्ली से करोगे जिससे मुझे भी मज़ा आए. मैं भी संभोग करना चाहती हूँ रेप नही. तुम्हारा लंड किसी घोड़े के जैसा है.”



“ किसी गुलाम को अपनी राय देने की कोई छूट नही है. कोई और होती ना तो अब तक उसकी चूत मे गरम सरिया डाल कर आर पार कर चुक्का होता. मगर तुझमे कुच्छ है जो मुझे किसी भी तरह की ज़्यादती करने से रोक रहा है. शायद मेरा दिल तुझ पर आ गया है.” फिर मेरी योनि को अपनी मुट्ठी मे भर कर मसल्ते हुए कहा,” चल खोल अपनी चूत को…..हां और खोल…..हाँ हाँ उसे अपने हाथों से खोल कर दिखा कि कैसी है.” दोस्तो कहानी अभी बाकी है आपका दोस्त राज शर्मा 
क्रमशः....
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