RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
सुल्तान भाई ने जब देखा कि में अब अपनी गान्ड की चुदाई को एंजाय करने लगी हूँ. तो उन्होने भी और भी तेज झटके मेरी गान्ड में मारना शुरू कर दिया.
भाई के ज़ोरदार धक्कों की बदौलत मेरी छाती से लटकते मेरे बड़े बड़े मम्मे बुरी तरहा हिल हिल कर और उछल उछल कर मेरे बिस्तर के गद्दे के साथ रगड़ खा रहे थे.
जिस की वजह से मेरे मम्मो के निपल्स मज़ीद अकड़ कर खड़े हो गये थे.
और फिर वो वक़्त आ ही गया जब सुल्तान भाई ने अपने लंड का सफेद पानी मेरी गान्ड की वादियों में उडेल दिया.
मेरी गान्ड मेरे भाई के पानी से पूरी की पूरी भर गई.और भाई के लंड का पानी क़तरा क़तरा कर के मेरी गान्ड से बाहर निकल कर मेरी रानो पर बहने लगा.
हम दोनो बहन भाई पसीना पसीना जिस्मो के साथ बिस्तर पर एक दूसरे के उपर अलग बुरी तरह हांप रहे थे.
थोड़ी देर के बाद भाई ने अपना ढीला पड़ता लंड मेरी गान्ड से बाहर निकाला और मेरे बिस्तर पर मेरे बराबर लेट गया.
अब में कमरे में बिस्तर पर अपने नये आशिक़ भाई के साथ लेटी हुई उस की छाती के बालों में अपनी उंगलियाँ फेर रही थी.
जब कि सुल्तान भाई अपनी माशूक बहन के बड़े बड़े मम्मो और तने हुए निपल्स के साथ खेलने में मशगूल था.
मैने अपने भाई के ढीले पड़ते लंड पर अपना हाथ फेरते हुए भाई से कहा “ भाई आप को अब मेरा सारा राज़ पता चल चुका है.और मुझ यकीन है कि गुल नवाज़ को भी ये बात पता चली ही चुकी होगी.कि जिस को वो रात की तनहाई में चोदता है वो उस की बीवी नही बल्कि बहन है.मगर इस के बावजूद मेरी आप से एक गुज़ारिश है कि आप मेरे शोहर गुल नवाज़ से खुद इस बारे में कोई बात ना करना”
“ मुझे तुम्हारी बात की समझ नही आई. जब गुल नवाज़ अपनी बहन को चोद कर इस बात पर शर्मिंदा नही तो फिर उस मेरे और तुम्हारे ताल्लुक़ात पर क्या ऐतराज हो सकता है” सुल्तान भाई ने सवाल पूछा.
“क्यों कि अगर हम ने अपने बीच शरम ओ हया का लगा परदा उतार दिया. तो मुझे डर है कि फिर हम लोग शायद चुदाई के दौरान अहतियात का दामन छोड़ दें. और इस वजह से हमारे अम्मी अब्बू या दूसरे बहन भाई पर भी हमारा राज़ खुल सकता है” मैने भाई को जवाब देते हुए कहा.
” अच्छा मेरी जान में गुल नवाज़ को ये बात नही बताउन्गा कि में उसकी बीवी को चोद चुका हूँ”सुल्तान भाई मुस्कुराते हुए बोला और मेरे लबों पे अपने लब रख कर उन को चूसने लगा.
कुछ देर के बाद हम दोनो बिस्तर से उठे और अपने अपने कपड़े पहन कर अपने अपने काम काज में ऐसे मसरूफ़ हो गये. जैसे हमारे दरमियाँ कुछ भी नही हुआ हो.
शाम का अंधेरा फैलने पर नुसरत और मेरा शोहर घर वापिस आए. तो नुसरत की चाल और हुलिया देख कर मेरे और सुल्तान भाई के लिए ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल नही था. कि मेरे भाई सुल्तान की तरह मेरे शोहर गुल नवाज़ ने भी अपनी बहन नुसरत की भी दिन भर दिल खोल कर चुदाई की है. और अपनी बहन की फुद्दी का का पूरा पूरा स्वाद लिया है.
चूँकि दिन भर की चुदाई से हम सब बहुत थके हुए थे. इस लिए उस रात में और नुसरत अपने अपने कमरे में अपने शोहरों के साथ ही सो गईं.
दूसरे दिन मेरे अम्मी अब्बू और सास सुसर भी मज़ार पर हज़ारी दे कर घर वापिस लौट आए.
मेरी सास ने घर वापिस आते ही मुझे मज़ार से लाया हुआ पढ़ा हुआ पानी एक हफ़्ता हार रोज पीने के लिए दिया. और साथ ही मुझे एक तावीज़ भी अपने गले में बाँधने के लिए दिया.
ताकि में इन चीज़ों की बदोलत उन को पोती या पोते की खूसखबरी दे सकूँ.
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