RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
“भाई मुझ अपने कपड़े उतारने में शरम आ रही है”मैने जहनी तौर पर शरमाने का नाटक करते हुए भाई से कहा.
“ हाए ज़रा नखरे तो देखो मेरी गरम मस्तानी बहन के” भाई मेरी बात पर हंसते हुआ बोला और आ गये बढ़ कर पहले मेरी छाती से मेरे दुपट्टे को अलहदा किया.
और फिर पीछे से मेरी कमीज़ की ज़िप को खोल कर मेरे गीली बदन से चिमटी हुई मेरी कमीज़ को उतार कर बिस्तर पर फैंक दिया. इस दौरान मैने भी अपने हाथ उपर उठा कर अपनी कमीज़ उतारने में अपने भाई की मदद की.
मेरी कमीज़ को मेरे जिस्म से उतार कर सुल्तान भाई मेरे जिस्म का पहली बार नज़ारा करने के लिए थोड़ा पीछा हटा.
आज मैने सफेद रंग का ब्रेजियर पहना हुआ था. जो मेरे बड़े मम्मो को काबू करने से कसीर था.
जिस की वजह से मेरे आधे से ज़ेयादा मम्मे ब्रेजियर से बाहर झलक रहे थे.
सुल्तान भाई ने जब मेरे ब्रेजियर से बाहर छलकते हुए मम्मो को पहली दफ़ा दिन की रोशनी में देखा.
तो अपनी बहन के मम्मो के हुश्न को देख कर वो तो जैसे जोश और मस्ती में पागल हो गया.
और भाई के मुँह से बेसखता ये अल्फ़ाज़ निकले” माश*****” “चस्मे बद्दूर”.
“उफफफफफफफफफफफफफफ्फ़ रुखसाना,तुम्हारा जिस्म और तुम्हारे मम्मे कितने प्यारे और कितने खूबसूरत हैं मेरी बहन”
अपने भाई से दो दफ़ा पहले चुदाई करवाने के बावजूद मुझे उस वक़्त यूँ पहली बार अपने भाई के सामने आधा नंगा हो कर बैठने में थोड़ी शरम आ रही थी.
क्यों कि जो भी हो सुल्तान था तो मेरा सगा भाई. और एक बहन होने के नाते मैने तो उस के सामने अपना दुपट्टा भी अपने सर से कभी नही उतारा था.
और आज में ना सिर्फ़ खुद अपने भाई को अपने कपड़े उतारने का कह चुकी थी.बल्कि मैने खुद भी अपनी कमीज़ उतारने में अपने भाई की मदद की थी.
थोड़ी देर मेरे आधे नंगे मम्मो को देखने के बाद सुल्तान भाई आहिस्ता आहिस्ता चलता हुआ मेरे करीब आया और झुक कर मेरी ब्रेजियर से बाहर छलकते हुए मम्मो के उपर अपनी ज़ुबान फेरने लगा.
“उफफफफफफफफफफफफफफफफफ्फ़”भाई की गरम ज़ुबान मेरी छातियों के गोश्त पर लगने की देर थी. कि मेरी चूत से पानी एक सेलाब उमड़ा जो मेरी शलवार को भिगोता हुआ मेरी रानो को भी तर कर गया...
सुल्तान भाई ने बड़े प्यार से मेरी छातियों पर अपने प्यार की बरसात भिगो दिया और में मज़े से सिसकने लगी.
थोड़ी देर मेरे मम्मो की दरमियाँ वाली जगह (क्लीवेज़) को चाटने के बाद. सुल्तान भाई अपने हाथ को मेरे नंगे पेट पर फेरते फेरते मेरी शलवार के नाडे की तरफ बढ़ने लगा.
जैसे जैसे भाई का हाथ मेरे पेट पर फिरता गया मुझ पर एक नशा सा चढ़ता गया.और मेरे बदन में एक सनसनी सी चढ़ती गई.
सुल्तान भाई का हाथ बढ़ता हुआ मेरे नाडे तक पहुँचा और फिर भाई ने अपनी बहन के नाडे को हाथ में ले कर हकला सा झटका दिया.
तो मेरी शलवार “खुल जा सिम सिम” की तरह अपने भाई की नज़रों के “मनो रंजन” के लिए खुलती ही चली गई.
में शादी के बाद आज तक कितनी ही दफ़ा अपने शोहर गुल नवाज़ के हाथों पूरी नगी हुई थी.
और इस से पहले भी रात की तन्हाई में एक दफ़ा अपने भाई के हाथों अपने कपड़े उतरवा चुकी थी.
मगर आज दिन की रोशनी में अपने सुहाग वाले बिस्तर पर अपने ही भाई के हाथ अपने आप को अपने कपड़ों की क़ैद से आज़ाद होता देख कर मेरी फुद्दी पानी पानी होने लगी.
सुल्तान भाई ने मेरी शलवार को उतार कर उसे भी मेरी कमीज़ के पास ही फैंक दिया.
अब में कपड़ों के बगैर सिर्फ़ अपने ब्रेजियर में आधी नगी बिस्तर पर बैठी थी.
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