RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
मेरी बात सुन कर नुसरत ने मेरी तरफ एक नफ़रत भरी निगाह डाली और गुस्से से अपने पैर पटकती हुई मेरे कमरे में दाखिल हो गई.
नुसरत ने अंदर जाते ही मेरे कमरे का दरवाज़ा ज़ोर से बंद कर दिया. मुझ अंदाज़ा था कि वो बहुत गुस्से में है. मगर में क्या करती. आज में जो भी करने जा रही थी वो बहुत ही मजबूर हो कर करने वाली थी.
थोड़ी देर के बाद मेरे कदम भी आहिस्ता आहिस्ता नुसरत के कमरे की तरफ उठने लगे.
कमरे में पहुँच कर में पलंग पर लेट गई और साथ ही मैने बिस्तर के साइड में पड़ी लालटेन की बत्ती को गुल कर दिया. बत्ती के भुजते ही कमरे में गुप्प अंधेरा छा गया.
अभी मुझे अपने भाई के बिस्तर पर लेटे कुछ ही देर गुज़री थी कि मुझे महसूस हुआ कि कमरे का दरवाज़ा हल्की आवाज़ में खुला है.
कमरे में अंधेरा होने के बावजूद मुझे अंदाज़ा हो गया कि मेरा भाई सुल्तान कमरे में दाखिल हो गया है.
अपने भाई की कमरे में मौजूदगी का अहसास करते ही मेरा दिल ज़ोर ज़ोर से धड़कने लगा.
सुल्तान ने दरवाज़े की कुण्डी लगाई और फिर आहिस्ता आहिस्ता लड खडाता हुए बिस्तर पे आन बैठा.
बिस्तर पर बैठते ही भाई सुल्तान ने नशे की हालत में मुझे अपनी बीवी नुसरत समझ कर मेरे जिस्म को हाथ लगाते हुए अपने मुँह को मेरे कान के पास ला कर एक हल्की सी आवाज़ में पुकरा “नुसरत सो गई हो क्याआआआआआआअ”
भाई के काँपते हुए हाथों और फिर उस के मुँह से आती हुई शराब की बू से मेरा मेरा अंदाज़ा सही निकला कि आज मेरा शोहर और भाई दोनो पी कर ज़रूर आएँगे.
मैने भाई के पुकारने का कोई जवाब नही दिया और बिस्तर पर एक करवट बदल कर लेटी हुई सोने का नाटक करती रही.
मेरी तरफ से कोई जवाब ना पा कर मेरा भाई सुल्तान मेरे साथ ही पलंग पर चढ़ कर लेट गया.
में जिस तरह पलंग पर लेटी हुई थी. इस पोज़िशन में मेरा मुँह कमरे की दीवार की तरफ था. जब कि मेरी पीठ अपने भाई सुल्तान की तरफ थी.
बिस्तर पर मेरे साथ लेटने के थोड़ी देर बाद सुल्तान भाई ने भी करवट बदली और मेरे पीछे से मेरे जिस्म को अपनी बाहों में जकड कर मेरे जिस्म को अपने साथ लगा लिया.
अब कमरे में ये हालत थी. कि मेरा भाई मेरे जिस्म के साथ पीछे से चिपटा हुआ था. और उस का एक हाथ मेरे जिस्म के नीचे से होता हुआ मेरे पेट पर आ गया और दूसरा हाथ मेरी गुदाज रान पर आहिस्ता आहिस्ता इधर उधर फिसल रहा था.
में अपनी और भाई की शलवार की मौजूदगी में भी अपने सगे भाई का तने हुए लंड को अपनी गुदाज रानो में से सरकता हुआ अपनी चूत की दीवारों से टकराता हुआ महसूस करने लगी.
अपने भाई की बाहों में खुद को पा कर और उस के लंड की गर्मी को अपनी चूत पर महसूस कर के मेरी हालत उस वक़्त ये हो गई कि “काटो तो बदन में खून नही”
कहते हैं कि सेक्स का ताल्लुक आप के दिमाग़ से होता है. अगर आप दिमागी तौर पर पुर सकून हों तो आप को चुदाई में मज़ा आता है. और दिमाग़ में बे सकूनी हो तो फिर आप का ज़हन चुदाई की तरफ हो ही नही पाता.
शायद इसी लिए में जो कुछ देर पहले तक ये चाहती थी. कि कब वो मोका आए और में रात के अंधेरे में अपने ही भाई से चुदवा कर एक बच्चे को जनम दूं ताकि मेरा घर बच जाय.
मगर अब अपने आप को अपने सगे भाई की बाहों में क़ैद पा कर मेरी तो “रूहह” ही जैसे मेरे जिस्म ने “फ़ना” हो गई थी.
लगता था कि मेरे अंदर की मशराकी औरत अचानक जाग पड़ी थी. और अब वो मेरे उपर लानत मालमंत करते हुए मुझे इस गुनाह भरे अमल से रोकने की कोशिस कर रही थी.
और शायद इस बात का ये असर था कि मेरी चूत जो कि हर वक़्त अपने शोहर के लंड के इंतिज़ार में गरम हो कर पानी टपकाती रहती थी. इस वक़्त किसी बंजर ज़मीन की तरह बिल्कुल खुसक थी.
अब मेरे भाई सुल्तान के हाथ मेरी कमर पर बहुत तेज़ी से रगड़ खा रहे थे. और फिर भाई के हाथ आहिस्ता आहिस्ता मेरी छातियों की तरफ़ झपटे और इस से पहले कि में सम्भल पाती. भाई ने मेरी कमीज़ के उपर से ही मेरी एक चूची को अपने हाथ में ले कर ज़ोर से मसल दिया.
अपने मम्मे को अपने भाई की मुट्ठी में पाते ही में काँप गई और में अपने मुँह से निकलने वाली चीख को बहुत मुस्किल से रोक पाई.
इस से पहले कि मेरे भाई के हाथों की गुस्ताखियाँ मजीद आगे बढ़ती और जिस के नतीजे में जिस्म गरम हो कर मेरे इख्तियार से बाहर होता में इस खेल को रोक देना चाहती थी.
इस लिए ज्यूँ ही सुल्तान भाई के हाथों की उंगिलिओं ने मेरे मम्मे को मेरी कमीज़ के उपर से अपनी गिरफ़्त में लिया.
तो मैने एक अंगड़ाई लेने के अंदाज़ में अपनी बाहों को फैला दिया.
जिस की वजह से सुल्तान भाई का हाथ स्लिप हो कर मेरे मम्मे से एलहदा हो गया.
“बेहन चोद हर वक़्त सोती ही रहती है तू” मेरी इस हरकत से मेरे भाई को ये अंदाज़ा हुआ कि उस की बीवी नुसरत शायद गहरी नींद में सो रही है. और अपनी बीवी की चूत मारने से महरूम रह जाने पर सुल्तान भाई को गुस्सा आ गया.
सुल्तान भाई ने इसी गुस्से में दूसरी तरफ करवट बदल ली और वो भी सोने की कोशिश करने लगा.
थोड़ी देर बाद ही कमरे में सुल्तान भाई के खर्राटे ज़ोर ज़ोर से गूंजने लगे.
भाई को अपने आप से अलग होते ही और फिर दूसरी तरफ मुँह मूर कर सोता हुआ पा कर मेरी तो जान में जान आई..
भाई के खर्राटे सुनते ही मुझे यकीन हो गया कि आज में एक गुनाहे अज़ीम से बच गई हूँ.
क्यों कि नुसरत की ज़ुबानी मुझे ये ईलम था. कि मेरे शोहर गुल नवाज़ की तरह मेरा भाई सुल्तान भी एक दफ़ा रात को आँख लग जाने के बाद फिर दूसरी सुबह ही जागते हैं.
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