RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
चूँकि तुम्हारे और मेरे मम्मे गान्ड और बाकी जिस्म एक दूसरे से काफ़ी मिलता जुलता है. इस लिए में सोच रही हूँ कि अगर एक रात में और तुम अपना कमरा तब्दील कर लें .तो हो सकता है कि रात के अंधेरे में मेरा भाई सुल्तान मुझे तुम्हारे धोके में अपनी बीवी समझ कर मेरे साथ चुदाई कर ले तो मैं माँ बन सकती हूँ.. क्योंकि नशे की हालत और रात के अंधेरे में सुल्तान को क्या पता चले गा कि ये चूत जिस को वो चोद रहा है उस की बीवी की है या उस की अपनी सग़ी बेहन की. में नुसरत की तरफ देख कर मुस्कराते हुए बोली.
मेरी बात सुन कर नुसरत के तो जैसे होश ही उड़ गये. वो थोड़ी के लिए किसी “गहरी” सोच में पड़ गई और फिर कुछ लम्हे बाद बोली,
“देखो रुखसाना मैने इस मसले पर काफ़ी गौर किया है और वाकई ही मुझे भी अब ये ही लगता है कि बीमारी तुम में नही बल्कि मेरे अपने भाई में है.तुम जानती हो कि मैने हमेशा तुम को अपनी बेहन समझा है इस लिए में ये हरगिज़ नही बर्दाश्त कर सकती कि मेरी बेहन का घर किसी कीमत पर उजड़े.
मगर ये मत भूलो कि तुम्हारी कज़िन होने के साथ साथ में एक औरत भी हूँ. और एक औरत ये कभी बर्दाश्त नही करती कि उस का शोहर उस के अलावा किसी दूसरी औरत के साथ सोए. जब कि वो औरत कोई और ना हो बल्कि उस की अपनी “नंद” हो तो ये तो एक बहुत बड़ा “गुनाह” भी है. और में तुम्हारे साथ इन “गुनाह” में सरीक नही सो सकती. इस लिए मेरी तरफ से तो सॉफ इनकार है”ये कहते हुए नुसरत पलट कर अपने कमरे में जाने के लिए मूडी.
मुझे पूरी उमीद थी कि नुसरत मुझे बेकसूर जानते हुए मेरा घर बचाने में मेरा पूरा साथ दे गी. मगर उस के इस जवाब ने मुझे एक दम आग बगोला कर दिया. अब मेरा घर उजडने में कोई कमी बाकी नही रह गई थी.
अब में “दो और दिए” वाली सूरते हाल में थी. और फिर अपना घर बचाने के लिए में भी जैसे बग़ावत पर उतर आई.
“नुसरत ये बात मत भूलो कि मेरी और तुम्हारी वाटे साटे की शादी है. इस लिए अगर तुम्हारा भाई गुल नवाज़ मुझे तलाक़ दे गा तो में तुम्हारा घर भी कायम नही रहने दूं गी.मैने सख़्त लहजे में नुसरत को पीछे से पुकारा.
मेरी बात सुन कर कमरे में जाते हुए नुसरत के कदम जैसे ज़मीन में जकड गये और वो किसी सोच में पड़ गई.
कुछ देर के बाद नुसरत एक नफ़रत भरे लहजे में बोली ”अच्छा तुम मुझे ये बताओ कि बच्चा लेने के लिए तुम ने तो अपने भाई के साथ हम बिस्तरी करनी है. पर में किस खुशी में अपने भाई के साथ एक ही बिस्तर पर रात बसर करूँ”
नुसरत की इस बात को मैने उस की रज़ा मंदी समझा. मुझ यकीन था कि नुसरत मेरी इस बात पर कभी राज़ी नही हो गी.मगर लगता था कि शायद मेरी उसे भी तलाक़ दिलवाने वाली धमकी काम कर गई थी.
और अब अपना काम पूरा होते देख कर मेरी तो आँखों में खुशी के आँसू उमड़ आए. मगर अपनी खुशी को छुपाते हुए मैने नुसरत से कहा के,“तुम इस लिए अपने भाई के साथ एक रात एक ही बिस्तर पर गुजारोगी ताकि मुझे अपने साथ बिस्तर पर ना पा कर गुल नवाज़ को किसी किसम का शक ना हो जाय”
में जानती थी कि जिस तरह मेरे लिए ये “गुनाह” भरा फ़ैसला करना एक बहुत ही मुश्किल अमल था. उसी तरह नुसरत के लिए भी अपने सगे भाई के साथ एक ही बिस्तर पर रात बसर करना एक बड़े दिल गुर्दे का काम है.
“लेकिन अगर मेरा भाई गुल नवाज़ मुझे अपनी बीवी समझ कर बहक गया और मेरे साथ कुछ कर दिया तो क्या हो गा” नुसरत ने झिझकते हुए मगर गुस्से भरे लहजे में एक सवाल पूछा.
में समझ गई कि नुसरत के “कुछ” का क्या मतलब है. लगता था कि नुसरत को अपने भाई के साथ “चुदाई” का लफ़्ज इस्तेमाल करने में शरम महसूस हो रही थी.
“तुम इस की फिकर ना करो, गुल नवाज़ ने कल रात को ही मेरे साथ चुदाई की है. इस लिए मुझ उमीद है कि वो आज तुम्हें तंग नही करे गा और शराब के नशे में होने की वजह से बिस्तर पर लेटते ही खर्राटे मारने लगे गा. मैने नुसरत को तसल्ली देते हुए कहा.
“लेकिन कहीं भाई गुल नवाज़ या सुल्तान को किसी किसम का शक पड़ गया तो” नुसरत ने मेरा साथ देने की हामी तो भर ली थी मगर लगता था कि पकड़े जाने के ख़ौफ़ से वो डर भी बहुत रही थी.
“ में और तुम गुल नवाज़ और सुल्तान के आने से पहले ही जा कर एक दूसरे के कमरे में लेट जाते हैं. और साथ ही अपने कमरे की लालटेन को बिल्कुल भुजा देंगे.ता कि कमरे में किसी किसम की कोई रोशनी ना हो और इस तरह मेरा काम आसान हो जाएगा” मैने नुसरत को अपने मंसूबे की मज़ीद तफ़सील बताई.
मेरी बात ख़तम होते ही नुसरत दुबारा अपने कमरे की तरफ चली तो मैने दुबारा उसे पुकरा “नुसरत उधर कहाँ जा रही हो आज में उधर तुम्हारे पलंग पर सोऊगी”
“आज ही क्यों” नुसरत ने पूछा.
“क्यों कि आज घर में अम्मी अब्बू वगेरा नही है और आज ही मोका है” मैने उसे कहा.
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