RE: Desi Sex Kahani मुहब्बत और जंग में सब जाय�...
इस बात को सोचते हुए मेरे दिल में भी ये ख़याल आया कि अपना घर बचाने के लिए क्यों ना में भी किसी गैर मर्द से ताल्लुक़ात कायम कर लूँ.
मगर छोटे गाँव में लोगों की ज़ुबाने बहुत बड़ी बड़ी होती हैं. और अगर किसी को पता चला गया तो. इस बात का अंजाम सोच कर मेरी हिम्मत जवाब दे गई.
फिर मुझ याद आया कि कुछ दिन पहले ही नुसरत ने सुल्तान के मुतलक ये कहा था कि उस के वीर्य का एक क़तरा ही बच्चा पैदा करने के लिए काफ़ी है.
“साला एक मच्छर इंसान को हिजड़ा बना देता है” इंडियन आक्टर नाना पाटेकर का ये डायलॉग तो बहुत बाद में आया था.
मगर नुसरत की बात आज दुबारा याद कर के मुझे इस वक़्त ऐसे लगा जैसे वो कह रही हो कि,
“तुम्हारे भाई का एक ही क़तरा बांझ से बांझ औरत की कोख में भी बच्चा बना सकता है”
ये बात दुबारा याद आते ही मेरे ज़हन में एक और ख्याल भी उमड़ आया.
जिस ने ना सिर्फ़ मेरा कलेजा हिला कर रख दिया बल्कि साथ ही साथ मुझ बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर दिया.
ये ख्याल ज़हन में आते ही पहले तो में काँप ही गई. क्यों कि मैने आज तक इस बात के बारे में सोचा तक नही था.
मगर हर शादी शुदा लड़की की तरह में भी ये हरगिज़ नही चाहती कि मेरा हँसता बस्ता घर उजड़ जाए. या फिर बिना किसी कसूर के यूँ बैठे बिताए मुझ पर एक तलाक़ याफ़्ता होने का लेबल लग जाए.
मुझ अपना घर हर सूरत बचाना था और इस के लिए में ना चाहते हुए भी हर हद पार करनी पर तूल गई थी.
ये ही सोचते हुए मैने हिम्मत की और नुसरत की तरफ देखते हुए कहा“नुसरत तुम मेरी बेहन हो ना”
“रुकसाना तुम मेरे लिए बेहन से भी बढ़ कर हो, और इसी लिए में अपनी पूरी कॉसिश कर रही हूँ कि अम्मी तुम को तलाक़ ना दिलवाए” नुसरत ने मुझे प्यार से जवाब दिया.
“अच्छा तो फिर मुझे एक सिलसिले में तुम्हारी मदद और तुम्हारी इजाज़त की ज़रूरत है” मैने नुसरत का हाथ अपने हाथ में लेते हुए एक इल्तिजा भरे लहजे में कहा.
“मेरी मदद और इजाज़त किस सिलसिले में” नुसरत ने मेरी तरफ सवालिया नज़रो से देखते हुए कहा.
“वो वो” में कहना तो चाहती थी मगर अल्फ़ाज़ मेरे मुँह में जैसे अटक कर रह गये.
मुझ पता था कि मेरे ज़हन में जो बात और प्लान है वो एक नामुमकिन बात है और नुसरत कभी भी इस बात पर राज़ी नही हो गी.
“कहो ना रुक क्यों गई” नुसरत ने मुझ झिझकते हुए देखा तो मुझे अपनी बात मुकम्मल करने का होसला देते हुए बोली.
मैने नुसरत से बात करने का अपने दिल में इरादा तो कर लिया था मगर दिल की बात को अपने होंठों पर लाने की मुझ में हिम्मत नही पड़ रही थी.
इस लिए मैने खामोश रहते हुए अपना सर उठाया और मेरी नज़रे खेत की तरफ गईं. जिधर मेरा भाई सुल्तान अभी भी ट्रॅक्टर चला रहा था.
और मेडम नूर जहाँ के एक मशहूर गाने के बोलों की तरह कि,
कुछ भी ना कहा और कह भी गये
कुछ कहते कहते रह भी गये
बातें जो ज़ुबान तक आ ना सकीं
आँखों ने कहीं आँखों ने सुनी
कुछ होंठों पे कुछ आँखों में
अनकहे फसाने रह भी गये
कुछ भी ना कहा और कह भी गये
|