Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली
12-09-2018, 02:41 PM,
#46
RE: Nangi Sex Kahani जुली को मिल गई मूली
उन्होने मेरे चौड़े पैरों के बीच पोज़िशन बनाई और अपने तने हुए गरम लंड को आख़िरी बार मेरी चूत पर लगाया. उन के लंड का सूपड़ा मेरी चूत का दरवाजा ख़त खता रहा था. चाचा का लंड अपनी चूत पर पा कर मेरी आँखें बंद हो चली और उन्होने अपना लंड मेरी रसीली चूत मे, मेरी चुचियाँ पकड़ते हुए अंदर घुसाना शुरू किया क्यों कि मेरी चूत काफ़ी गीली हो चुकी थी. चाचा का आधा लंड मेरी चूत मे घुस चुका था. उन्होने अपना लंड थोड़ा बाहर निकाला और एक ज़ोर का धक्का मेरी चूत मे अपने लंड का मारा जिस से उनका पूरा का पूरा लंड मेरी रसीली फुददी मे घुस गया. मुझे थोड़ा सा दर्द हुआ क्यों कि इतना चुद्वाने के बाद भी मेरी चूत अभी तक टाइट थी क्यों कि मैने हमेशा अपनी प्यारी चूत का ध्यान रखा है और उस को ढीली नही होने दिया. चाचा थोड़ी देर रुके और फिर धीरे धीरे अपनी गंद आयेज पीछे करने लगे जिस से उनका लंड मेरी चूत मे अंदर बाहर होने लगा. चाचा का चुड़क्कड़ लंड मेरी चूत मे आते जाते हमेशा की तरह मुझे मज़ा देने लगा. मैं भी अपनी गोल गोल मस्तानी गंद उपर नीचे करके चुदाई मे चाचा का साथ देने लगी. मैं अपने कमरे मे फिर एक बार अपने चोदु चाचा से चुद्वा रही थी पर इस बार की चुदाई चाचा के साथ आख़िरी चुदाई थी.

चूत और लंड की रगड़ से, नंगे बदन टकराने से कमरे मे चुदाई का संगीत गूंजने लगा. चुदाई की रफ़्तार धीरे धीरे बढ़ती जा रही थी. हमेशा की तरह, जल्दी ही मैं झड़ने की तरफ, अपनी चुदाई की मंज़िल की तरफ बढ़ने लगी. चाचा प्यार से मुझे देखते हुए आख़िरी बार चोद रहे थे.

चाचा की चुदाई की रफ़्तार बढ़ती जा रही थी और मज़ा मुझे झड़ने के करीब पहुँचा रहा था. मैं चाचा के चोद्ने की ताल से ताल, अपनी गंद उपर नीचे करती हुई मिला रही थी. मेरा बदन ऐंठने लगा और इसे महसूस करके चाचा ज़ोर ज़ोर से, जल्दी जल्दी मेरी चूत को चोद्ने लगे. मेरी गंद भी तेज़ी से उपर नीचे- उपर नीचे होने लगी. ओह……… ओह….. आ……… ओह….. कितनी ज़ोर से झड़ी थी मैं. मैने कस कर चाचा को पकड़ लिया. मेरा बदन काँप रहा था. हमेशा की तरह चाचा ने क्या शानदार चुदाई की. पूरा मज़ा और पूरी संतुष्टि. चाचा का गरम और कड़क लॉडा अभी भी मेरी चूत की गहराइयों मे था. मेरी चूत मज़े से मचल रही थी. मुझे पता था कि मेरा तो हो चुका है पर चाचा का लॉडा अभी भी पानी बरसाने को तरस रहा है.

चाचा ने अपना गीला लंड मेरी गीली चूत से निकाला और मेरी बगल मे लेट गये. मैं झाड़ कर अपना मज़ा ले चुकी थी और अब मैं चाचा के लंड का पानी निकाल कर उनको मज़ा देना चाहती थी. मैने अपना सिर चाचा के पेट पर रख कर उनके प्यारे लंड को अपने मूह मे लिया. मेरी चूत से निकले हुए रस का स्वाद मेरे मूह मे आया. वो मेरी नंगी पीठ पर प्यार से हाथ फिरा रहे थे. मैं अपने हाथ से उनके लंड पर मुठिया मारते हुए उनका लंड चूस रही थी.

थोड़ी देर बाद मेरे मूह मे उनके लंड का सूपड़ा फूलने लगा तो मैं समझ गई कि प्यार का पानी उनके लंड से निकलने ही वाला है. मैने उनका लंड और कस कर पकड़ा और ज़ोर ज़ोर से हिलाने लगी, ज़ोर ज़ोर से चूसने लगी. चाचा की गंद उपर हुई और उन्होने अपने लंड का प्रेम रस मेरे मूह मे छ्चोड़ दिया. मैने पूरी कोशिश की सारा पानी पीने की मगर फिर भी थोड़ा पानी उनके पेट पर गिरा जिसको मैने चाट लिया. उनका लंड और पेट मैने चाट कर सॉफ कर दिया.

रात के करीब 12.30 बज चुके थे. चाचा अपनी नाइट ड्रेस पहन कर, मुझे अंतिम बार चोद कर अपने कमरे मे जाने को तय्यार थे. मैं अभी भी नंगी ही थी क्यों कि मैं रात को नंगी ही सोती हूँ. चाचा ने मेरा माथा चूमा और बोले – ” जूली! आज के बाद मैं तुम्हारा माथा ही चुमूंगा और तुम्हे अपनी लड़की की तरह प्यार करूँगा.”

मैं बोली – मैं भी आप को जिंदगी भर याद रखूँगी.

चाचा – गुड नाइट जूली.

मैं – गुड नाइट चाचा.

और चाचा अपने कमरे मे चले गये. मैं बिस्तर पर पड़ी चाचा के साथ बिताए चुदाई के दिनो और रातों को याद करती रही.

तारीख 20 डिसेंबर 2009 – सुबह

हम सब, मैं, मेरे माता पिता, मेरे सास ससुर, नज़दीकी रिश्तेदार और कुछ दोस्त चर्च मे मौजूद थे जहाँ मेरी शादी कॅतोलिक तरीके से होनी थी. मैं शादी के लिए विशेष तौर से तय्यार किए सफेद गाउन पहने हुए थी और मेरे पति हल्के भूरे रंग का सूट पहने बहुत हंडसॅम लग रहे थे. मुझे मेरी पसंद पर फिर एक बार गर्व महसूस हुआ. मैं अपने सास ससुर की शुक्रगुज़ार हूँ जिन्होने कॅतोलिक तरीके से हमारी शादी करवाने की मेरे पिताजी की बात मानी और उस मे पूरा सहयोग दिया.

हम ने वान्हा शादी की अंगूठियाँ बदली और फादर ने हम को पति पत्नी घोषित किया. हम ने अपने बड़ों का आशीर्वाद लिया और घर लौट गये क्यों कि शाम को होने वाली मेरी हिंदू तरीके से शादी की तय्यारी भी करनी थी. मेरे सास ससुर चाहते थे कि हिंदू तरीके से भी हमारी शादी हो.

तारीख – 20 डिसेंबर 2009 – शाम

मैं बुनाई कढ़ाई से भरपूर, अपने ससुराल से आई लाल रंग की सारी पहने हुई थी. सब कह रहे थे कि मैं दुल्हन के लिबास मे बहुत खूबसूरत दिख रही हूँ. मेरे पति क्रीम रंग का सूट पहने हुए बहुत जॅंच रहे थे. मेरा सिर साड़ी के पल्लू से ढका हुआ था और पवित्र अग्नि के सामने पंडितजी मन्त्र पढ़ रहे थे. हम ने फेरे लिए और हमारी शादी संपन्न हुई. इसमे करीब दो घंटे लगे. बड़ों का आशीर्वाद ले कर मैं अपने ससुराल के लिए अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करने को विदा हुई.
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