RE: Indian Sex Story ब्रा वाली दुकान
जब शाज़िया का शरीर झटके खा चुका, और उसका सारा पानी निकल गया तो मैंने अब उसे सोफे से उठाया और खुद सोफे पर बैठ गया। मेरा लंड अभी तना हुआ था। शाज़िया ने लंड को देखा और बोली तुम खत्म नहीं हुए अभी ??? मैंने कहा अभी कहाँ यार, अभी तो पार्टी शुरू हुई है ... इस पर वह खुश होती हुई बोली जबरदस्त ... मेरा प्रेमी तो एक बार में ही खत्म हो जाता है, लेकिन कभी कभी तो मेरे समाप्त होने से पहले ही वह खुद खत्म हो जाता है। मैंने कहा नहीं मेरी जान, अब में खत्म होने वाला नहीं है, तुम एक बार और खाली करवा कर फिर ही खत्म करूँगा में। यह कह कर शाज़िया को मैंने चूतड़ों से पकड़ कर अपनी गोद में बिठा लिया। शाज़िया ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ और उसकी टोपी को अपनी चूत के छेद पर सेट करके धीरे धीरे खुद ही उस पर बैठती चली गई। फिर जब पूरा लंड उसकी चूत में उतर गया तो वह धीरे धीरे ऊपर नीचे होने लगी। इससे उसको फिर से मजा आने लगा था और उसकी चूत जो पानी छोड़ने के बाद सूखी हो चुकी थी, लंड की गर्मी पाकर फिर चिकनी हो गई।
चूत के चिकनी होते ही मैंने शाज़िया के चूतड़ों के नीचे हाथ रखकर उसको सहारा दिया और उसे थोड़ा ऊपर उठा कर नीचे से धक्के मारने शुरू कर दिए। मेरे हर धक्के के साथ शाज़िया की सिसकियों में वृद्धि होती जा रही थी, मैंने सोफे के साथ टेक लगा ली थी और शाज़िया पैर फ़ोल्ड किए मेरी गोद में अपने चूतड़ थोड़े ऊपर उठा कर बैठी हुई थी ताकि नीचे से धक्के मारने के लिए मुझे सही दूरी मयस्सर हो। नीचे से शाज़िया की टाइट चूत में धक्के पे धक्का लगा रहा था और शाज़िया अपने मम्मे हाथ में पकड़ कर उनके नपल्स को मसल मसल कर डबल मजा ले रही थी। मैंने शाज़िया को चोदते चोदते पूछा कि आपको मेरा लंड मज़ा दे रहा है ना ?? इस पर शाज़िया ने मुझे प्यार से देखा और आगे बढ़कर अपने होंठ मेरे होंठों पर रख कर उन्हें चूसने लगी। यह इस बात का स्पष्ट संकेत था कि मेरे लंड की चुदाई से शाज़िया खूब मजे में थी।
अब शाज़िया के हाथ मेरी गर्दन के आसपास थे और उसके होंठ मेरे होंठों से मिले हुए थे और मैं शाज़िया को कमर से पकड़ कर अपनी ओर खींचे हुए था और मेरा लंड नीचे शाज़िया की चूत में रगड़ लगा लगा कर उसे गर्म कर रहा था । 5 मिनट में शाज़िया को अपनी गोद में बिठा कर उसकी चूत को चोदता रहा। फिर 5 मिनट के बाद मैंने शाज़िया को कहा कि अब मेरी गोद से उतरो तुम्हें और शैली में चोदना है। शाज़िया मेरी गोद से उतरी तो मैंने शाज़िया को कहा कि वह काउन्टर की ओर मुँह करके खड़ी हो जाए और अपनी टाँगें खोल ले। शाज़िया ने काउन्टर की ओर मुंह किया और अपनी टाँगें खोल कर अपनी गाण्ड बाहर निकाल ली। फिर शाज़िया ने पीछे मुड़कर देखा और बोली- अब जल्दी खत्म हो जाओ बहुत समय हो गया है। मैंने घड़ी की ओर देखा तो 4 बजने में महज 5 मिनट ही रह गए थे। वास्तव में शाज़िया को मेरी दुकान टाइमिंग से अधिक अपने समय की चिंता थी। 2 से 3 बजे के बीच आमतौर पर वह घर मौजूद रहती है मगर आज 4 बजने को थे मगर वह अभी तक घर नहीं पहुंची थी। एक बार उसके फोन कॉल भी आई थी घर से तो उसने यह कह दिया था कि वह नीलोफर के साथ कुछ देर कॉलेज में ही रुकेगी और आने में देर हो जाएगी।
बहरहाल मैंने घड़ी की ओर देखा तो वाकई बहुत देर हो गई थी, मैंने सोचा कि अब एक बार फुल जान लगाकर शाज़िया को चोदना है और उसके बाद अपनी वीर्य शाज़िया की गोरी और भरी हुई गांड पर निकाल देना है। उसकी चूत में वीर्य डालने का जोखिम नहीं लेना चाहता था, जितनी टाइट उसकी चूत थी मेरा मन तो कर रहा था कि उसकी चूत में ही खत्म जाऊ मगर इस तरह वह गर्भवती हो सकती थी और मेरी वजह से उसको किसी किस्म की कठिनाई हो यह मैं नहीं चाहता था। शाज़िया ने काउन्टर की ओर मुंह किया और अपनी गाण्ड को बाहर निकाला तो मैंने उसकी चूत पर अपने लंड की टोपी सेट की और एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में उतार दिया। शाज़िया की हल्की सी सिसकारी निकली और वह बोली ओय माँ ...... क्या जबरदस्त लंड है यार तुम्हारा .... चोदो मुझे इस तेज तेज .... शाज़िया बात पूरी होते ही मेरा पूर्ण गति में शाज़िया की चूत में धक्के लगाना शुरू हो चुका था। साथ में शाज़िया के सुंदर चूतड़ों पर भी हाथ फेर रहा था। मेरे हर धक्के पर शाज़िया की एक आह ह ह ह ह निकलती .... बीच बीच में उसकी सिसकियाँ भी होती और वह आह ह ह ह ह .... ओह हु हु हु हु ... आवोच। । .. । । । । आह ह ह ह ह ...... आवाज भी निकाल रही थी ... मगर साथ ही वह मुझे यह भी कहती, जान बहुत मज़ा आ रहा है चोदते रहो मुझे यूं ही ..... आह ह ह ह ह ह ह ह ...... जोर से धक्के मारो मेरी चूत में आह ह ह ह ह ......
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