RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
रवि के जाने के बाद आँचल और रिया , आँचल के बेडरूम में चली गयीं. वहाँ आँचल और सुनील की बेड में बेड कवर और चादर सब अस्त व्यस्त हालत में थे. रिया शरमा गयी और जल्दी से बेड के ऊपर चादर को ठीक से बिछाने लगी. आँचल भी उसकी मदद करने लगी.
“ह्म्म्म्मम…………. खूब मज़े किए तूने हाँ “, आँचल हंसते हुए बोली.
“ना तो , हम तो सिर्फ़ बातें कर रहे थे.” रिया धीरे से बोली.
“सिर्फ़ बातें ? ये मेरी बेड की हालत देखो. चादर पे उसके वीर्य और तुम्हारी चूत से बहते रस के दाग धब्बे लगे हैं. बातें करने से लगे हैं ये ?” आँचल धब्बों की तरफ इशारा करती हुई ज़ोर से बोली.
रिया का मुँह शरम से लाल हो गया.
“आँचल , क्यूँ मुझे चिढ़ा रही हो. तुम तो शादीशुदा हो , खुशकिस्मत हो रोज़ चुदाई के मज़े लेती हो. मेरी ऐसी किस्मत कहाँ.”
आँचल झूठा गुस्सा दिखाती हुई रिया की तरफ बढ़ी और उसके बदन में गुदगुदी लगाती हुई बोली,” अभी तेरी शादी भी नही हुई है और अभी से तू चुदाई के लिए इतनी बेकरार है. ठरकी बिच…...”
आँचल के गुदगुदाने से रिया हंसते हंसते लोटपोट हो गयी. फिर उसने भी आँचल को गुदगुदाना शुरू किया. एक दूसरे को गुदगुदाते हुए दोनो बेड में गिर पड़ीं . रिया आँचल को नीचे दबाते हुए उसके ऊपर आने की कोशिश करने लगी. उनकी बाँहे और बदन एक दूसरे में गुत्थम गुत्था हो रहे थे और बेड में लेटे लेटे ही उनकी कुश्ती चल रही थी. कुछ देर बाद रिया अपने प्रयास में सफल हो गयी. अब आँचल नीचे लेटी थी और रिया ने ऊपर से उसको दबा रखा था. कुश्ती से दोनो की ही गहरी साँसे चल रही थी.
तभी आँचल के ऊपर बैठी हुई रिया को आँचल की पैंट की पॉकेट में थोड़ा बाहर निकला हुआ कुछ कपड़ा दिखा. उत्सुकता से रिया ने उस कपड़े को खींचकर पॉकेट से निकाल दिया. वो तो आँचल की फटी हुई पैंटी थी जो उसने सर्वेंट क्वॉर्टर से आते वक़्त अपनी पॉकेट में डाल ली थी. फिर रिया ने आँचल की पैंट की ज़िप खोली तो उसे पता चल गया की आँचल ने पैंटी नही पहनी है.
“अहा, तुम्हारी गीली पैंटी किसने फाड़ी ? आँचल ये चक्कर क्या है ? सच सच बताओ , तुम क्या कर रही थी ?”
आँचल ने अपनी फटी हुई पैंटी रिया के हाथ में देखी, शरम से उसका मुँह लाल हो गया.
“बताओ आँचल, यहाँ हो क्या रहा है ? तुम्हारी पैंटी तुम्हारी पॉकेट में क्यूँ है ?”
आँचल कामुक ज़रूर थी पर चालू नही थी. उसकी कुछ समझ ही नही आया की रिया को क्या सफाई दे.
रिया अपने सवाल का जवाब मांगती रही. आँचल कोई जवाब देने की बजाय रिया को अपने ऊपर से उठाने के लिए धक्का देने लगी.
रिया ने आँचल का पैंट थोड़ा नीचे को खींचा और उसकी चूत में ज़ोर से दो उंगलियाँ घुसा दी.
“ऊऊहह………..क्या कर रही हो रिया. मुझे दर्द हो रही है. प्लीज़ स्टॉप.” आँचल दर्द से चीखी.
“ तुमने मुझे ठरकी बिच बोला था ना. अब देखो ठरकी बिच कौन है. बताओ मुझे , तुम्हारी पैंटी गीली कैसे हुई , किसने फाड़ी और तुम्हारी पॉकेट में कैसे आई ?” ऐसा कहते हुए रिया ने एक और उंगली आँचल की चूत में घुसा दी.
“ओह्ह ………प्लीज़ नूऊऊऊ………...मुझे दर्द क्यूँ करा रही हो. प्लीज़ स्टॉप. मैं बताती हूँ……..” आँचल ने हार मान ली.
आँचल को अपने काबू में आते देख रिया को बड़ा मज़ा आया. उसने आँचल की चूत से उंगलियाँ निकाल ली और पीछे को जाकर एक झटके में उसकी पैंट नीचे को खींच ली. आँचल ने अपने दोनो हाथों से चूत को ढक लिया ताकि रिया उंगली ना डाल पाए. लेकिन रिया के दिमाग़ में कुछ और ख़याल था. उसने आँचल के दोनो घुटनो को पकड़ा और आँचल को उल्टा घुमा दिया. अब आँचल की बड़ी गांड रिया की तरफ ऊपर को थी. रिया अब आँचल के नंगे नितंबों पर थप्पड़ मारने लगी. एक थप्पड़ बाएं नितंब पर फिर दूसरा थप्पड़ दाएं नितंब पर. रिया के थप्पड़ से आँचल के बड़े नितंब हिलने लगे.
“ओह………...आआहह……..स्टॉप यू बिच.” आँचल दर्द से चिल्लाने लगी. आँचल के नितंबों में जूट की रस्सी की चारपाई की रगड़ से पहले से ही दर्द हो रखा था. अब रिया भी मार रही थी.
लेकिन रिया को बड़ा मज़ा आ रहा था. वो आँचल के नितंबों पर बारी बारी से थप्पड़ मारती रही और उन्हे हिलते हुए देखकर मज़े लेती रही.
“ सच सच बताओ, नही तो मैं तुम्हारी पिटाई करते रहूंगी.”
“ऊऊऊुउउ……..रिया प्लीज़……. आऊच..………....बताती हूँ. मैं तुम्हारी रवि के साथ चुदाई देख रही थी. स्टॉप प्लीज़…..”, आँचल दर्द से चिल्लाई और थोड़ा सच बता दिया.
आँचल की बात से रिया एक पल को सन्न रह गयी. आँचल मेरी चुदाई देख रही थी ?
आँचल को मौका मिल गया , वो झट से सीधी हो गयी और रिया को दबोच लिया. फिर उसने रिया की पैंट और पैंटी उतार दी. रिया ने अपने से भारी आँचल को धक्का देकर हटाने की कोशिश की पर हटा नही पाई. फिर बदला लेने के लिए आँचल ने भी रिया की टाइट चूत में दो उंगलियाँ डाल दी. आँचल ने देखा रिया की चूत तो पूरी गीली हो रखी है. आँचल के बड़े नितंबों पर थप्पड़ मारने से रिया उत्तेजित हो गयी थी. आँचल भी उत्तेजित होने लगी , उसने रिया की गीली चूत पर अपना मुंह लगा दिया और उसकी क्लिट को जीभ से छेड़ने लगी. साथ ही दो उँगलियों से रिया की चूत चोदने लगी.
“ऊऊहह……………...आँचल………....मज़ा आ रहा है……..” आनंद से सिसकते हुए रिया बोली. अब आँचल को धक्का देने की बजाय वो आँचल का सर अपनी चूत में दबाने लगी.
आँचल रिया को मज़े देती रही और रिया सिसकारियाँ लेती रही. फिर रिया जब ओर्गास्म के नज़दीक़ पहुँची तो अपने नितंब ऊपर को उछालने लगी. ये देखकर आँचल ने अपना मुँह रिया की चूत से हटा लिया.
“ओह्ह ………..रुक क्यूँ गयी, मैं आने वाली हूँ………..जल्दी करो ना………...”, रिया तड़पते हुए बोली.
लेकिन अब आँचल रिया को तड़पाने के मूड में थी. अभी मज़ा चखाती हूँ बच्चू.
सिसकती हुई रिया को आँचल ने पलट दिया और उसके नितंबों पर थप्पड़ मारने लगी. और एक हाथ नीचे ले जाकर उसकी क्लिट को भी मसलते रही.
“ओह्ह ………..आआअहह……… आऊच ………..रिया सिसकते रही. थप्पड़ की मार भी पड़ रही थी पर क्लिट को मसलने से मज़ा भी आ रहा था. रिया के मुलायम नितंब जल्दी ही थप्पड़ों की मार से लाल हो गये. उसकी चूत से रस बहने लगा.
आँचल रिया के ओर्गास्म को लंबा खींच दे रही थी.
कुछ देर बाद रिया को ओर्गास्म आ ही गया………..ऊओह……….आआहह……….आँचल ……आअहह……...
ज़ोर से सिसकारियाँ लेते हुए रिया का बदन काँपने लगा. और उसको एक के बाद एक ओर्गास्म आते रहे. झड़ते हुए रिया अपने नितंब और जांघें हिलाने लगी . रिया को मस्ती में डूबा देखकर आँचल भी उत्तेजित हो गयी अब उसको भी ओर्गास्म की ज़रूरत थी. उसने रिया को सीधा कर दिया और उसकी एक टाँग उठाकर अपनी चूत रिया की चूत से रगड़ने लगी.
थप्पड़ मारने से रिया की आँखो में आँसू आ गये थे. उसके आँसू देखकर आँचल रिया के चेहरे को बेतहाशा चूमने लगी. अब रिया आँचल की चूत में उंगली करने लगी. दोनो एक दूसरे के होठों का चुंबन लेने लगीं.
“ मेरी और रवि की चुदाई देखकर मज़ा आया तुम्हें “ , चुंबन लेते हुए रिया ने कहा.
“हाँ मज़ा आया. रवि के बदन में कितने बाल हैं.” आँचल सिसकते हुए बोली. अब उसका भी ओर्गास्म नज़दीक़ था.
रिया अब आँचल की चूत में तीन उंगलियाँ डालकर तेज तेज चुदाई करने लगी.
“आँचल, तुम चाहती हो की रवि तुम्हें भी चोदे ? उसके बदन के बाल पसंद आए क्या ?”
“ओह…...हाँ…………आअहह…………..” रिया को जैसे खड़े खड़े रवि ने चोदा था, वैसे ही खड़े खड़े वो आँचल को भी चोद रहा है , इस ख़याल से आँचल को भी ओर्गास्म आ गया.
झड़ते हुए आँचल ने रिया को कसके पकड़ लिया. आँचल का बदन ओर्गास्म से काँपने लगा. जब आँचल शांत हुई तो रिया के बगल में लेट गयी. कामतृप्त होकर दोनो एक दूसरे को देखकर मुस्करायीं.
लेकिन कोई उन्हे देख रहा था.
जवान नौकरानी सुनीता ने आँचल के बेडरूम से सिसकारियाँ लेने की आवाज़ सुनी तो वो लिविंग रूम से स्टूल उठा लाई और उसके ऊपर चढ़कर वेंटिलेशन के लिए बनी खिड़की से अंदर झाँकने लगी. उसने देखा बेड पर आँचल और रिया मेमसाब दोनो कमर से नीचे नंगी हैं और सिसकारियाँ ले रही हैं. अंदर का नज़ारा देखकर सुनीता भी उत्तेजित हो गयी . लेकिन उसकी प्यास रात में ससुरजी ही बुझा सकते थे.
कुछ देर बाद आँचल और रिया बेड से उठी और डिनर पर रवि और सुनील के साथ बाहर जाने के लिए तैयार होने लगी.
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