RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
ख़ान के आँचल के बगल में लेटने के बाद बंसल को मौका मिल गया. उसने आँचल को बेड के किनारे तक खींचा और उसकी टाँगे उठाकर अपना छोटा लेकिन मोटा लंड आँचल की चूत के फूले हुए होठों के अंदर डाल दिया और उसे चोदने लगा.
आँचल ख़ान की जबरदस्त चुदाई से थक चुकी थी. वो मदहोशी में बंसल को अपनी चुदाई करते देखती रही. बंसल के छोटे लंड से चुदाई में उसे कुछ मज़ा नही आ रहा था. लेकिन बंसल आँचल को चोदने में बहुत खुश था और कुछ ही देर में झड़ गया. अपने लंड से वीर्य की कुछ बूंदे आँचल की चूत में गिराकर वो मोटा आँचल के ऊपर ही ढेर हो गया. आँचल मोटे के वजन से दब गयी. उसने धक्का देकर बंसल को अपने ऊपर से हटा दिया.
ख़ान अपना लंड धीरे धीरे हिलाते हुए मज़े से ये सब देख रहा था. बंसल के झड़ने के बाद वो उठने लगा.
ख़ान को फिर से अपने ऊपर आते देख आँचल बोली,” बस …अब और नही…..मेरी फट जाएगी…”
ख़ान ने आँचल के विरोध को नज़रअंदाज़ कर दिया और बेड में बैठकर आँचल को अपनी तरफ खींचा. उसने आँचल को पेट के बल लिटाकर उसके नितंबों को अपनी गोद में रख लिया.
आँचल को अपनी जांघों में ख़ान का तना लंड रगड़ ख़ाता महसूस हुआ, उसकी समझ में नही आया ख़ान करना क्या चाहता है ?
तभी ख़ान ने उसके एक नितंब पर ज़ोर का थप्पड़ मारा , फिर कुछ पल रुककर दूसरे नितंब पर थप्पड़ मारा. ऐसे करके वो बारी बारी से दोनो नितंबों पर थप्पड़ मारने लगा.
“आअहह….ओह…ओइईईईईईईईईई………मुझे क्यूँ मार रहे हो ? ….ओइईई…” आँचल ज़ोर से चिल्लाई.
उसके नितंबों में थप्पड़ मारने से लाल निशान पड़ गये थे.
“आँचल जी , आपको इसलिए मार रहा हूँ की अगर आपने मेरा ब्याज़ लेट दिया या लोन टाइम पर वापस नही किया तो मैं आपको आपके पति के सामने ऐसे ही मारूँगा. समझी आँचलजी…” ख़ान ने जवाब दिया.
दर्द से आँचल की आँखो में आँसू आ गये. ख़ान थप्पड़ मारते हुए बीच बीच में उसकी क्लिट को अपनी उंगलियों से मसलने लगा.
आँचल दर्द से चिल्लाती रही. उसने देखा की बंसल उसे मार खाते हुए देख रहा है. इससे अचानक उसको उत्तेजना आने लगी और उसकी चूत गीली होने लगी. और उसकी चीखें अब सिसकारियों में बदल गयी. बंसल को अपनी तरफ देखते हुए पाकर आँचल को ह्युमिलिटेड फील हुआ लेकिन वो एक अजीब से रोमांच भरे आनंद में नितंबों पर थप्पड़ खाते हुए अपना बदन हिलाने लगी.
“साली को इसमे भी मज़ा आ रहा है. लगता है इसके पति ने इसे बहुत तडपाया है.” बंसल की तरफ देखते हुए ख़ान बोला.
“आ…..आहह…..चोदो मुझे साजिद…..प्लीज़ चोदो….” आँचल सिसकी. अब उत्तेजना से उसकी चूत गीली होकर लंड के लिए तड़प रही थी.
ख़ान ने थप्पड़ मारना बंद कर दिया और आँचल को अपनी गोद में बिठा लिया. फिर आँचल के बूब्स को ज़ोर से पकड़कर उसे थोड़ा ऊपर उठाया और अपना लंड उसकी तड़पती चूत में डाल दिया.
“आहह…….” ख़ान के मोटे लंड से अपनी चूत के स्ट्रेच होते ही आँचल सिसकी.
अब ख़ान ने आँचल के नितंबों को टाइट से पकड़ा और आँचल को अपने लंड पर उछालने लगा. इस पोज़ में लंड आँचल की चूत में बहुत गहराई तक घुस जा रहा था.
“आहह…………..उन्न्ञनह….ऊऊहह……” आँचल दर्द भरी सिसकारियाँ लेने लगी. उसके नितंब थप्पड़ मारे जाने से दर्द कर रहे थे और ख़ान उनको टाइट पकड़कर उसे लंड पर उछालकर चोद रहा था.
चोदते हुए ख़ान आँचल के बूब्स को दाँतों से काटने लगा.
“उहह…..साले ….आअहह……चोद मुझे……..” आँचल उत्तेजना में सिसकते हुए ख़ान को गालियाँ देने लगी. फिर उसको एक के बाद एक कई ओर्गास्म आ गये और वो ख़ान की गोद में उछलते हुए झड़ गयी.
अब आँचल में बिल्कुल भी ताक़त नही बची थी और वो ख़ान की छाती में सर टिकाकर पस्त पड़ गयी. जितने मज़े उसने लेने थे वो ले चुकी थी अब वो चाहती थी कि ख़ान झड़ जाए और उसकी चूत की बेरहम रगड़ाई बंद हो.
लेकिन ख़ान लगातार उसे चोदता रहा. आँचल को अब चूत में दर्द होने लगा था. वो चिल्लाई,” आह …बस करो…..ख़ान अब और नही…प्लीज़…..बस करो…” और वो निढाल होकर ख़ान के ऊपर लुढ़क गयी.
ख़ान को रोकने के लिए वो बोली,” अब मैं चूसूंगी …”
आँचल के निढाल पड़ जाने से ख़ान को अब उसे गोद में उछालना मुश्किल हो गया. उसने आँचल को सामने लिटा दिया और उसकी छाती के दोनो तरफ पैर रखकर आँचल के मुँह में अपना लंड घुसा दिया.आँचल थक चुकी थी लेकिन ख़ान को झड़ाने के लिए उसने तेज़ी से लंड चूसना शुरू कर दिया. वरना वो फिर उसकी दर्द करती चूत चोदने लग जाएगा. थोड़ी ही देर में आँचल ने चूस चूसकर ख़ान का पानी निकाल दिया.
ख़ान ने आँचल का सर पकड़े रखा और पूरा वीर्य उसके मुँह के अंदर ही निकाल दिया. मुँह में वीर्य भर जाने से आँचल को अपना दम घुटता महसूस हुआ. वीर्य उसके होठों से बाहर निकलकर बहने लगा. और वो अपनी सांसो पर काबू पाने का प्रयास करने लगी.
फिर ख़ान बेड से उठा और फर्श से आँचल की साड़ी उठाकर , उस साड़ी से अपने लंड और बदन को पोछकर कपड़े पहनने लगा.
उसके बाद बंसल से बोला,” इस गरम कुतिया को घर तक पहुँचा देना.” और रूम से बाहर चला गया.
बंसल आँचल को बेड से उठाने लगा. आँचल इतना थक चुकी थी की उससे हिला भी नही जा रहा था.
वो बोली,” नही , मैं इस हालत में घर नही जा सकती. थोड़ी देर ठहर जाओ बंसलजी …” और फिर पीछे को बेड पर लुढ़क गयी और कुछ ही देर में उसे नींद आ गयी.
बंसल ने देखा, आँचल बिल्कुल नंगी बेड पर पड़ी है. उसकी चूत, जांघों, चेहरे सब जगह वीर्य लगा हुआ था. मादक आँचल को ऐसे नंगी हाथ पैर फैलाए बेड पर पड़ी देखकर बंसल का मन हुआ इस चिकनी को फिर से चोद डाले, अभी तो ये विरोध कर पाने की हालत में भी नही है.
लेकिन दो बार झड़ जाने से इस उमर में उसका लंड भी जवाब दे गया था. वो अपने कपड़े पहनकर, वहीं पर सोफे में बैठकर आँचल के नंगे बदन को देखता रहा. थोड़ी देर बाद उसने आँचल को नींद से जगाया और बेड में बिठाया.
फिर आँचल की तुड़ी मुड़ी साड़ी और कपड़े लाकर उसे दिए. आँचल ने कपड़े पहने और बंसल कार चलाकर उसे घर पहुँचा आया.
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