vasna kahani आँचल की अय्याशियां
12-08-2018, 01:01 PM,
#19
RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां
रास्ते भर सेठी का ड्राइवर आँचल को ललचाई आँखो से देखता रहा. रोड पर जब भी कार को झटका लगता था तो आँचल की बिना ब्रा के चूचियां ब्लाउज में उछल जाती थी. उस पतले कपड़े के ब्लाउज में उसके सूज़े हुए निप्पल भी साफ दिख रहे थे. आँचल ने ड्राइवर को बार बार अपने को घूरते पाया , वो चुपचाप बैठी रही और जल्दी से सफ़र खत्म हो तो घर पहुँचू , ऐसा सोचने लगी.

घर पहुचने के बाद वो फटाफट अपने बेडरूम में चली गयी , इस डर से की किसी से सामना ना हो जाए . सास ससुर शायद अपने कमरे में थे. बाथरूम में नहाकर उसने नाइटगाउन पहन लिया और सुनील के लौटने का इंतज़ार करने लगी.

रात में डिनर करते समय ससुर नाराज़ लग रहा था.

ससुर आँचल से बोला,” तुम दिन भर कहाँ थी ? तुमने बैंक के काम को इतनी लापरवाही से लिया . बहुत ज़रूरी काम था बैंक में और जब मैं तुम्हें लेने आश्रम पहुँचा तो तुम वहाँ से चली गयी थी. तुम्हे मेरा इंतज़ार करना चाहिए था . मैं तुम्हें बैंक ले जाता.”

ससुर के डाँटने पर आँचल ने माफी माँगी और बोली,” आज पूजा थोड़ी जल्दी खत्म हो गयी थी इसलिए मैंने आपका इंतज़ार नही किया और खुद ही बैंक जाकर पेपर्स पर साइन कर दिए.”

“तो फिर तुमने घर लौटने में इतनी देर क्यूँ की ?”

“ बैंक में मैनेजर ने बताया की कुछ पासपोर्ट साइज़ फोटोग्राफ्स भी चाहिए. फोटो स्टूडियो में गयी तो उन्होने बताया की 2 घंटे लगेंगे. बैंक मैनेजर मिस्टर सेठी अच्छे आदमी थे , उन्होने कहा इतना वेट यहाँ बैठकर करने से अच्छा है , मैं तुम्हें लंच पर लिए चलता हूँ. तो मैं उनके साथ लंच के लिए चली गयी. इन सब में थोड़ी देर हो गयी.”

आँचल के मुँह से सेठी के साथ लंच की बात सुनकर ससुर मन ही मन गुस्से से पागल हो गया. सेठी के क़िस्सों से वो भली भाँति वाक़िफ़ था. उस रेस्टोरेंट के ऊपर बने सेठी के पसंदीदा कमरे में खुद ससुर ने सेठी के साथ औरतें चोदीं थी. आँचल के मुँह से उसी रेस्टोरेंट का नाम सुनकर ससुर समझ गया , कमीने सेठी ने आज मेरी बहू को जरूर चोद डाला होगा वहाँ. साला मैंने इतनी प्लानिंग की थी अपनी इस मादक बहू को फँसाने की और मज़े लूट ले गया कमीना सेठी.

फिर अपना गुस्सा पीकर बात बदलते हुए ससुर सुनील से बोला, “ तुम्हें कल सुबह मुंबई जाना है. वहाँ हमारा जो मेन डिसट्रिब्युटर है उसका बहुत सारा पेमेंट रुका पड़ा है. उससे पैसे लेके आओ. ठीक है ?”
आगे बोला, “ तुम चिंता मत करो, बहू को मैं पूजा के लिए आश्रम छोड़ दूँगा और लेने भी चला जाऊंगा .”

सुनील बोला,” ठीक है पापा, मैं कल सुबह मुंबई चला जाऊंगा .”

ससुर मन ही मन खुश होने लगा , अब कैसे बचेगी मेरी जान आँचल रानी , अब तो मैं तुझे चोदूँगा ही चोदूँगा . इस खुशी से उसकी भूख बढ़ गयी और उसने भरपेट डिनर किया.

आँचल ससुर की चाल सब समझ रही थी , बुड्ढा खुद कही नही जाता है और सुनील को कभी सोनीपत , कभी मुंबई भेज देता है. मैं ये चाल कामयाब होने ही नही दूँगी.

डिनर के बाद बेडरूम में आँचल ने सुनील से कहा,” प्लीज़ सुनील , मैं भी तुम्हारे साथ मुंबई आना चाहती हूँ. मुझे भी ले चलो ना अपने साथ.”

“लेकिन कल की पूजा का क्या होगा ?”

“स्वामी भोगानंद जी कह रहे थे की पूजा हो चुकी है जितनी होनी थी , अब मेरे आश्रम जाने की कोई ज़रूरत नही है. इसलिए तुम उसकी चिंता मत करो. देखो सुनील , हम हनीमून के बाद से कहीं घूमने नही गये. अगर मैं तुम्हारे साथ मुंबई गयी तो मैं भी घूम आऊँगी , थोड़ा मेरा मन भी बदल जाएगा.”

मादक आँचल की बात कौन मर्द टाल सकता था . सुनील भी जल्दी ही राज़ी हो गया. दोनो सुबह जल्दी उठकर पहली फ्लाइट से मुंबई चले गये.

ससुर को बाद में जब ये बात पता चली की बहू फिर गच्चा दे गयी तो उसने अपना माथा पीट लिया.

मुंबई पहुँचकर सुनील ने एयरपोर्ट के पास एक 3 स्टार होटेल में रूम लिया. 

थोड़ी देर बाद उसने आँचल से कहा ,”तुम खुद ही थोड़ी साइटसीयिंग कर लेना. मुझे मीटिंग से आने में शाम हो जाएगी फिर हम जुहू बीच घूमने जाएँगे. ठीक है ?”

“हाँ , ठीक है.”

सुनील के जाने के बाद आँचल ने कोलाबा एरिया में जाकर थोड़ी शॉपिंग करने का मन बनाया. रिसेप्शनिस्ट से पूछने पर उसने बताया की लोकल ट्रेन से चली जाओ.
आँचल ने ऑटो लिया और स्टेशन पहुँच गयी. वहाँ जाकर उसने पता किया की कौन सी ट्रेन पकड़नी है. स्टेशन में लोगों की भीड़ की वजह से उसे ट्रेन में चढ़ने में परेशानी हुई. लोगों के धक्के खाती हुई वो एक कम्पार्टमेंट में चढ़ गयी. 

ट्रेन में चढ़ते ही उसे पछतावा होने लगा. उसे अपनी गांड में फिरते हाथ महसूस हुए. कोई उसकी गांड में चिकोटी भी काट गया था. लोगों के बीच उसकी हालत सैंडविच की तरह हो गयी थी. आँचल की शिफॉन साड़ी में अजनबी लोग उसके बदन पर हाथ फिरा रहे थे. जब ट्रेन चलने लगी तो ट्रेन के धक्कों के साथ ही लोग भी धक्के लगाने लगे. आँचल कुछ नही कर सकती थी. उसने ध्यान भटकाने के लिए ट्रेन के बाहर की सीनरी देखने की कोशिश की. लेकिन बाहर झोपड़ पट्टी, स्लम की गंदगी के सिवाए कुछ नही दिखाई दे रहा था.

आँचल ने एक हाथ से सपोर्ट के लिए रेलिंग को पकड़ रखा था. इससे उसकी चूचियों को हाथ का प्रोटेक्शन नही मिल पा रहा था और साइड से या आगे से लोग उसकी चूचियों को टच कर दे रहे थे. तभी ट्रेन सिग्नल के लिए रुक गयी . आँचल ने देखा पटरियों के पास ही कोई आदमी लेट्रीन कर रहा है. 

तभी आँचल को अपने नितंबों पर कुछ महसूस हुआ. उसके ठीक पीछे खड़ा आदमी उसके नितंबों पर अपना खड़ा लंग रगड़ रहा था. भीड़ भाड़ होने की वजह से आँचल ज़्यादा हिल डुल नही पा रही थी. कुछ देर बाद उस आदमी की हिम्मत और बढ़ गयी. उसने दोनो नितंबों के बीच की दरार में साड़ी के बाहर से ही लंड रगड़ना शुरू कर दिया.

अपने नितंबों पर मोटे सख़्त लंड की रगड़ से आँचल उत्तेजित होने लगी. तभी एक झटके से ट्रेन चल पड़ी. पीछे खड़े आदमी ने आँचल की कमर पकड़ ली. आँचल की मुलायम गोरी त्वचा पर उस आदमी के रूखे हाथों के स्पर्श से आँचल की धड़कने बढ़ गयी. वो आदमी पीछे से अपना लंड चुभाता रहा और आँचल की कमर पर हाथ भी फिराता रहा. उसकी बोल्डनेस देखकर आँचल को घबराहट हुई पर साथ ही साथ उसकी उत्तेजना भी बढ़ने लगी.

आँचल ने अपने अगल बगल नज़रें घुमाकर देखा की कोई उनकी ओर तो नही देख रहा ? लेकिन सभी धक्का मुक्की से अपने को बचाने की जुगत में लगे थे. मुंबई की भीड़ भरी लोकल ट्रेन्स में उनका ये रोज़ रोज़ का सफ़र था पर देल्ही की आँचल के लिए ये नया अनुभव था. शायद उस आदमी को भी अंदाज़ा हो गया था की ये खूबसूरत औरत कहीं बाहर से आई है और उसका विरोध नही कर रही है इसलिए वो थोड़ा और बोल्ड हो गया. उसने आँचल का हाथ पकड़ लिया और पीछे ले जाकर अपने खड़े लंड पर दबा दिया. फिर उसने आँचल के खड़े हाथ (जिससे उसने रेलिंग पकड़ रखी थी) की कांख को पकड़ लिया और आँचल को थोड़ा साइड्वेज घुमा दिया. अब वो उस आदमी का चेहरा देख सकती थी. आँचल ने एक नज़र उस आदमी पर डाली , वो मुस्कुरा रहा था , आँचल ने शरम से अपनी नज़रें झुका ली.

वो आदमी करीब 40 साल की उमर का , ठिगने कद का और काले रंग का था. आँचल को कोई विरोध ना करते देखकर , अब वो आदमी आगे हाथ बढ़ाकर पतले ब्लाउज के बाहर से आँचल की बड़ी बड़ी चूचियों को मसलने लगा. आँचल के तने हुए निपल और ऐरोला पर वो अपना अंगूठा और उंगलियाँ घुमाने लगा. आँचल की साँसे रुक रुक कर आने लगी. उसे अपनी चूत से रस बहता महसूस हुआ. उसने बड़ी मुश्किल से अपने होंठ दांतों में दबाकर अपने को सिसकारियाँ लेने से रोका.

फिर वो आदमी आँचल के हाथ से अपने पैंट के बाहर से ही लंड को रगड़ने लगा. मादक आँचल के बदन की खुशबू से वो कामवासना से पागल हो गया था. कुछ ही देर ऐसे हाथ रगड़ने से वो हरामी अपने पैंट के अंदर ही झड़ गया. और झड़ते हुए आँचल की चूचियों को ज़ोर से मसलते रहा. आँचल दर्द से अपने होंठ काटती रही. फिर उसने आँचल को छोड़ दिया और वहीं अपने स्टॉप पर ट्रेन से उतर गया.

आँचल उत्तेजना से गीली हो गयी थी पर शरम से ह्युमिलिटेड भी महसूस कर रही थी. मैंने कैसे उस आदमी को इतना सब कुछ करने दिया ? लेकिन इन सब बातों को सोचने का वो सही समय नही था. ट्रेन में और भी लोग चढ़ गये और कम्पार्टमेंट खचाखच भर गया. आँचल लोगों के बीच दब गयी. लोग उसके बदन पर हाथ फिराते रहे , चिकोटी काटते रहे. आख़िर चर्चगेट स्टेशन आ ही गया और लोगों की भीड़ के धक्के खाती हुई आँचल ट्रेन से उतर गयी.

स्टेशन के प्लेटफार्म पर आँचल ने अपने कपड़े देखे. उसकी शिफॉन साड़ी बुरी तरह से खराब हो चुकी थी. अपने बदन से उसे , और लोगों की गंध आ रही थी. स्टेशन से बाहर आकर आँचल ने घृणा से अपना टिकट फाड़ कर फेंक दिया और प्रण कर लिया की मुंबई की लोकल ट्रेन में वो अब नही बैठेगी, छी ! 

वहाँ से आँचल ने कोलाबा के लिए टैक्सी पकड़ी और कुछ घंटे कपड़ों और सैंडल्स की शॉपिंग करते हुए बिताए. वहाँ शॉपिंग करते हुए भी उसने देखा की लोग उसके बदन को छूने और पिंच करने का कोई मौका नही छोड़ रहे. इन सब बातों से वो इरिटेट हो गयी और एक टैक्सी में अपना खरीदा हुआ सामान लेकर वापस होटेल आ गयी.

होटेल के कमरे में पहुँचकर आँचल ने रूम सर्विस से खाना मँगवाया और नहाने चली गयी. नहाने के बाद वो टीवी देखने लगी. आँचल नहाकर अपने बेड पर सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में लेटकर टीवी चैनल बदलने लगी. तभी उसने देखा एक चैनल में ब्लू फिल्म आ रही है. उसने टीवी का वॉल्यूम हल्का कर दिया और ब्लू फिल्म देखने लगी. ब्लू फिल्म में एक गोरी लड़की को एक काला आदमी चोद रहा था . वो लड़की बहुत ज़ोर ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थी.

बड़ी बड़ी चूचियों वाली गोरी लड़की को हबशी काले बड़े लंबे लंड से पीछे से चोद रहा था. हबशी के तेज तेज धक्कों से लड़की की चूचियां हवा में उछल रही थी. ये सीन देखकर आँचल उत्तेजित हो गयी और अपनी पैंटी के अंदर हाथ डालकर चूत में उंगली करने लगी. 

कुछ देर बाद उसने पैंटी उतार फेंकी और अपनी नंगी हो चुकी चूत पर उंगलियाँ चलाने लगी और ज़ोर ज़ोर से क्लिट को रगड़ने लगी. उसकी सिसकारियाँ निकलने लगी. टीवी स्क्रीन पर वो हबशी उस गोरी लड़की को पीछे से बेरहमी से चोद रहा था और वो लड़की ज़ोर ज़ोर से चिल्ला रही थी. सुबह ट्रेन में हुई घटना और अब ब्लू फिल्म ने आँचल को बहुत उत्तेजित कर दिया , वो तेज़ी से अपनी क्लिट को मसलने लगी . कुछ ही पलों में उसका बदन अकड़ गया और एक जबरदस्त ओर्गास्म से उसका बदन काँपने लगा ……..आअहह………… उसकी कमर ऊपर को उठ कर टेढ़ी हो गयी फिर वापस बेड पर गिर पड़ी. आँचल झड़ चुकी थी. झड़ने के बाद उसने देखा टीवी पर वो हबशी अभी भी चोदे ही जा रहा है. क्या नाटक है साला . आँचल ने टीवी बंद कर दिया और बेड पर सो गयी. 

आअहह…… शांति मिल गयी …….अब बढ़िया नींद आएगी.
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RE: vasna kahani आँचल की अय्याशियां - by sexstories - 12-08-2018, 01:01 PM

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