RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
आयशा सुबह उठी, उसके कुछ देर बाद नदीम भी उठ गया। उसको बहुत शर्मिंदगी हुई जो भी उसने लास्ट नाइट किया। नदीम को बहुत गुस्सा आया कि रात को उसका दोस्तों ने कुछ ज्यादा पिला दी थी। नदीम अपने बाप से छुपकर शराब पीता था। सारा दिन इसी तरह गुजर गया। रात को नदीम ने अपना काम आयशा से शुरू किया। किसिंग करने के बाद जब आयशा नंगी हुई तो नदीम ने अपना लण्ड जब आयशा की फुद्दी पर रखा तो झटका दिया ही था की नदीम फारिग हो गया। आयशा को हैरानगी के साथ दुख भी हुआ कि उसकी किस्मत में क्या लिखा है कि नदीम में शायद वो पावर नहीं जो एक मर्द में होनी चाहिए।
दूसरे दिन आयशा घर आई लेकिन उसने अपनी माँ को ऐसा कुछ नहीं बताया। इसी तरह आयशा वापिस अपने सुसराल चली गई। अब आयशा को साबित हो गया था कि हस्तमैथुन की वजह से नदीम के लण्ड में जान नहीं है। इसी वजह से उसका लण्ड ढीला से खड़ा होता है फिर बैठ जाता है। बेचारी अपनी किस्मत को कोषती रही।
रुखसाना ने काशिफ को फ़ोन किया काशिफ के अटेंड करने के बाद रुखसाना ने कहा-“बेटा, मुझे तुमसे एक काम था क्या तुम मुझसे मिल सकते हो? जिस टाइम रुखसाना बात कर रही थी उस टाइम मौलवी पास बैठा था।
काशिफ-हाँ जी जरूर… क्यों नहीं मिल सकता? आप बता दें कब मिलना है?
रुखसाना-बेटा, कहो तो अभी आ जाती हूँ।
काशिफ-ठीक है, मैं ड्राइवर को भेज देता हूँ आप उसका साथ आ जायें।
रुखसाना-ठीक है, और फ़ोन बंद कर दिया। रुखसाना तैयार हो जाती है। एक घंटे के बाद ड्राइवर आ जाता है और रुखसाना को साथ ले जाता है। कुछ देर के बाद रुखसाना काशिफ के बगलो में पहुँच जाती है। जब काशिफ का घर देखती है तो हैरान हो जाती है। इतना बड़ा घर जैसा महल है। काशिफ वहीं आ जाता है और कुछ देर के बाद रुखसाना को कोल्ड-ड्रींक दी जाती है।
काशिफ-जी आंटी कहें, आपको क्या काम है जो मुझे आज आपने मिलने को कहा?
रुखसाना-बेटा, जैसा कि तुम जानते हो कि हम शहर से हट के रहते हैं और बच्चों के अच्छे रिश्ते नहीं आते। मैं चाहती हूँ कि शहर में कोई अच्छा घर हो।
काशिफ-जी बिल्कुल होना चाहिए घर आपका।
रुखसाना-“क्या काशिफ बेटा, इसके अलावा आपका कोई घर है जहाँ हम रह सकें?”
काशिफ रुखसाना को देखता रहा फिर कहता है-“जी बिल्कुल है घर…”
रुखसाना-क्या हमें मिल सकता है कुछ अरसे के लिए जब तक बच्चों के रिश्ते न हो जायें। जब रिश्ते हो जायेंगे तो आपका घर वापिस कर देंगे।
काशिफ-“ठीक है, मैं अपना एक घर आपको दे देता हूँ बेशक आप अपने नाम करवा लें लेकिन…”
रुखसाना-लेकिन क्या बेटा?
काशिफ-लेकिन… ये कि आपको भी कुछ देना पड़ेगा। आप हमें कुछ दें तो मैं आपको घर दे देता हू।
रुखसाना-बेटा मुझ से क्या चाहिए?
काशिफ-आंटी, आपसे क्या चाहना है? बस आपका रास्ता सीधा मेरे बेड पे आ जाए तो आपका हर काम होता जाएगा।
रुखसाना-“ठीक है, मंजूर है। पर ये बात मेरे और तुम्हारे बीच में रहे किसी को न पता चले…”
काशिफ-ठीक है, नहीं पता चलता।
रुखसाना-शुकिया… तो फिर कब मेरे नाम करवा रहे हो?
काशिफ-कल ही करवा दूँगा और मेरा काम कब होगा?
रुखसाना-“जब मेरा काम हो जाएगा उसी दिन तुम्हारा काम भी हो जाएगा…” उसके बाद रुखसाना कल का टाइम फ़िक्स करके अपने घर वापिस आ जाती है और मौलवी को सब बातें बता देती है। इसको सुनकर मौलवी बहुत खुश हो जाता है। फिर वो सपने देखने लग जाता है कि कैसे उसकी बीवी की फुद्दी में लण्ड जाएगा और उसकी बीवी इतनी कीमती निकली की घर मिल रहा है।
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आयशा को कुछ समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करे? लेकिन मजबूर थी। आयशा ने ये बात अपनी सास को बताई, जो कि उसकी चाची और खाला भी लगती थी।
उसने कहा कि मैं नदीम के अब्बू से बात करूँगी कि वो नदीम का इलाज करायें, आखिर ऐसा क्यों हो रहा है उसका साथ? फिर शुगुफ़्ता आयशा को दिलासा देकर चली जाती है।
मौलवी और रुखसाना तैयार होकर कचहरी चले गये, जहाँ काशिफ ने घर रुखसाना के नाम कर दिया। जब घर रुखसाना के नाम हुआ तो मौलवी वहीं पे इतना खुश हुआ कि उसने काशिफ को थैंक्यू कहा।
उसके बाद काशिफ ने कहा-“थैंक यू को जो कहना है कहीं बैठकर कहते हैं…” काशिफ मौलवी और रुखसाना को अपने साथ अपने बड़े बगलो में ले आया, जहाँ बैठकर बात की जा सके।
काशिफ ने अपने घर पहुँचकर कहा-“मौलवी साहब मुझे आपसे दो काम हैं। पहला काम ये है कि सब आपको पता ही है। आपकी बीवी ने मेरे साथ हर किश्म का रिश्ता रखने के कहा तो मैंने घर उसके नाम कर दिया। लेकिन मेरे आपसे दो काम हैं। पहला काम मैं अभी करूँगा और दूसरा काम उस वक़्त करूँगा जब मैं पहले काम से फारिग हो जाऊं गा…”
काशिफ रुखसाना को लेकर अपने बेडरूम में आकर रूम को अंदर से लाक कर देता है। काशिफ के अंदर आने के बाद काशिफ ने अपनी शर्ट उतार दी और फिर पेंट उतारकर बेड पे आ गया। इस वक़्त काशिफ अडरवेर में बैठा हुआ था। रुखसाना काशिफ के पास गई। काशिफ ने रुखसाना की चादर उतारकर रुखसाना के होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसना शुरू कर दिया। पहले तो रुखसाना को अच्छा नहीं लग रहा था क्योंकी रुखसाना पहली बार किसी गैर मर्द के साथ लेटकर ऐसा कर रही थी। लेकिन बाद में रुखसाना को मजा आना शुरू हो गया।
कभी मौलवी ने रुखसाना के साथ ऐसा प्यार नहीं किया था। काशिफ होंठ चूसने के साथ-साथ कमीज के ऊपर से रुखसाना केी चुचियों को दबाता रहा। रुखसाना अब गरम हो चुकी थी, उठकर अपनी कमीज उतार दी। कमीज उतारने के बाद काशिफ की नजर पड़ी तो वो एक ब्लैक ब्रा में बैठी हुई थी। काशिफ ने आगे जाकर ब्रा उतार दी
और रुखसाना की चुचियों को बारी-बारी मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया। कभी लेफ्ट मम्मे के निप्पल मुँह में लेता, कभी दायें मम्मे के निप्पल को। काशिफ जोर-जोर से निप्पल को दाँतों से दबाता, जिससे रुखसाना मचल जाती।
काशिफ अब रुखसाना के पेट पे जुबान फेरते हुये धीरे-धीरे नीचे आता गया। जब शलवार के करीब आया तो काशिफ ने रुखसाना का नाड़ा खोल दिया। नाड़ा खोलने के बाद रुखसाना की शलवार उतर गई। काशिफ के सामने रुखसाना की बिल्कुल साफ फुद्दी आ गई और काशिफ ने रुखसाना की फुद्दी को अपनी जुबान से चोदना शुरू कर दिया।
5 मिनट के बाद रुखसाना बोल पड़ी-“ओह्ह… काशिफ बेटा, जोर से करो। आज पहली बार मेरी फुद्दी पे किसी ने ऐसा मजा दिया है…”
काशिफ नीचे से रुखसाना की गाण्ड के सुराख को रगड़ता है और साथ-साथ रुखसाना की फुद्दी को चूमता रहता है।10 मिनट के अंदर रुखसाना की फुद्दी ने पानी छोड़ दिया। फिर काशिफ उठा, उसने अपना अडरवेर जब उतरा तो रुखसाना की नजर काशिफ के लण्ड पर पड़ी-“उफफफफफ्फ़… इतना बड़ा लण्ड भी होता इैईईईई… ये तो मेरी फुद्दी का फुद्दा बना देगा… काशिफ आराम से डालना…”
काशिफ ने टांगे खोलकर रुखसाना की फुद्दी पे लण्ड रखकर एक झटका मारा जिससे काशिफ का आधा लण्ड अंदर चला गया और रुखसाना को दर्द शुरू हो गया। फिर एक और झटका मारा जिससे काशिफ का पूरे का पूरा लण्ड अंदर चला गया। फिर काशिफ कभी अंदर करता लण्ड, कभी बाहर। कुछ देर के बाद काशिफ ने लण्ड को अंदर बाहर शुरू कर दिया। अब काशिफ की स्पीड बढ़ चुकी थी। वो दनादन रुखसाना की फुद्दी को चोदे जा रहा था। साथ-साथ चुचियों को भी चूम रहा था।
रुखसाना अब भरपूर साथ दे रही थी।
“हाय मेरी जान मजा आ रहा है क्यों मौलवी का लण्ड अच्छा है या मेरा?
जिस पर रुखसाना ने कहा-“नहीं मेरी जान, तुम्हारे लण्ड में बहुत ताकत है लेकिन अभी तो चोदो और चोदो… बहुत मजा दे रहे हो। तुमने घर दिया है और अब ये फुद्दी तुम जब चाहो ले सकते हो, लेकिन प्यार से…”
10-15 मिनट तक काशिफ रुखसाना को चोदता रहा उसके बाद काशिफ रुखसाना की फुद्दी में फारिग हो गया। फारिग होने के बाद काशिफ नहाकर बाहर आया फिर रुखसाना ने अपनी फुद्दी को अच्छी तरह साफ किया। उसका बाद काशिफ और रुखसाना बाहर मौलवी के पास आए।
तो काशिफ ने कहा-“मौलवी साहब, एक काम तो कर लिया है। वैसे आपने अच्छा माल घर में रखा हुआ है…”
फिर मौलवी ने कहा-“दूसरा काम बताएँ, क्या करना है?”
काशिफ-जी बात ये है कि मुझे आपकी बेटी का रिश्ता चाहिए अपने लिए।
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