RE: Desi Chudai Kahani हरामी मौलवी
फ़रदीन भी एक पेपर देने के लिए लाहोर गया हुआ था। और मौलवी अपनी बेटी के साथ घर आ चुका है। रुकसाना ने महसूस कर लिया कि दोनों बाप बेटी खुश हैं। इसलिए एक माँ होने के नाते रुखसाना भी खुश हो गई। इसी तरह दिन गुजरते गये कि पता ही नहीं चला। फिर एक दिन शुगुफ्ता अपने बेटे के रिश्ते के लिए रुखसाना के घर आई। शुगुफ्ता का शौहर जो कि मौलवी का छोटा भाई भी था उसने आकर आयशा का रिश्ता माँगा
वहीं बैठे मौलवी और निदा ने एक दूसरे को देखा और कहा-“पहले निदा की शादी करनी है, बाद में देखी जाएगी…”
लेकिन निदा बोल पड़ी-“अब्बू, मैंने अभी शादी नहीं करनी है। मुझे शादी के नाम से भी नफ़रत है…”
फिर मौलवी ने अपने भाई इरशाद को कहा-“यार नदीम आयशा से बहुत छोटा है क्या ये सही रहेगा? उसके बाद इरशाद अपने बड़े भाई को सारी बातें बता देता है कि कैसै नदीम ने ज़िद की है कि आयशा से शादी नहीं हुई तो वो कभी भी किसी से नहीं करेगा। इसी वजह से मैं नदीम का रिश्ता माँग रहा हूँ…”
रुखसाना ने कहा-“आयशा की अगर मर्ज़ी हुई तो हमें इस रिश्ते से कोई ऐतराज नहीं है…”
इरशाद ने वहीं आयशा को बुला लिया कि बेटी आओ इधर और पूछा-“क्या तुम्हें कोई ऐतराज है नदीम से शादी करने पे?”
तो आयशा चुप हो गई। सिर्फ़ इतना कहा-“आप मेरे बड़े हैं, जैसे कहेंगे मैं कर लूींगी…”
फिर तय हो गया कि आयशा की शादी आज से ठीक 15 दिन के बाद नदीम के साथ कर दी जाए। इस बात को फ़रदीन को बता दिया तो वो बहुत खुश हुआ और वो जानता था कि अब उसकी अम्मी रुखसाना उसकी हो जाएगी। क्योंकी रुखसाना ने कहा था कि अगर दो माह के अंदर बेटी की शादी हो गई तो मैं शौहर से भी ज्यादा तुझे प्यार करूँगी। अब फ़रदीन को अपनी मंज़िल करीब पूरी होती नजर आ रही थी।
घर में हर तरफ खुशी चल रही थी और तैरी शुरू हो चुकी थी। मौलवी ने सब रिश्तेदारों को बता दिया था फ़ोन करके। सब ने ऐतराज किया कि उमर का फ़र्क है। खैर… सबने हसद तो करना होता है। नदीम भी बहुत खुश था, पर अब शुगुफ्ता और इरशाद कुछ और ही सोच रहे थे।
उसके लिए इरशाद ने कहा-“कल मैं जाकर भाई इकबाल से बात करूँगा…”
ये बात इरशाद के बेटे आसिफ़ ने सुनी, उसने नदीम को बताया कि ये बात हो रही थी। इसी तरह दूसरे दिन इरशाद अपने भाई के घर गया। वहाँ जाकर कहा कि जैसे आयशा की शादी नदीम से हो रही है, मैं चाहता हूँ कि फ़रदीन की शादी सहरीश से हो जाए।
जब इकबाल ने ये सुना तो उसने कहा-“मेरा ख्याल नहीं के फ़रदीन मानेगा…”
उसी वक़्त फ़रदीन भी वहीं आ गया। उससे पूछा गया कि सहरीश से शादी के लिये तो उसने कहा-“ये क्या मजाक है, वत्ता सत्ता आजकल नहीं चलता…”
फिर भी शुगुफ्ता ने कहा-“बेटा ऐसे दोनों खानदान और मजबूत होंगे…”
फ़रदीन ने कहा-“ठीक है, कल मैं अपना फ़ैसला दे दूँगा…”
पर सब घर वाले परेशान थे कि अगर फ़रदीन न माना तो कहीं इरशाद आयशा से शादी से इनकार ना कर दे। लेकिन दूसरे दिन फ़रदीन ने कह दिया कि ठीक है, वो सहरीश से शादी कर लेगा लेकिन अभी नहीं जब वो कहेगा।
इसी तरह इकबाल ने अपने भाई को बता दिया। वो भी खुश हो गया। आज घर में कोई नहीं था। सब शॉपिंग के लिए शहर गये थे। निदा ने बहाना कर दिया कि उसे बुखार है। इसका फ़ायदा उठाया बाप बेटी ने, दोनों 3 घंटे तक फुद्दी-लण्ड का मिलन करते रहे। जब भी मोका मिलता निदा अपना बाप से चुदवा लेती थी लेकिन अभी तक किसी को इन दोनों का पता नहीं चल सका था।
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